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Wednesday, June 26, 2019

छात्राओं की सुरक्षा हेतु जुलाई से अभियान, डीएम और एसपी की निगरानी में कॉलेजों और स्कूलों में छात्राओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य


छात्राओं की सुरक्षा हेतु जुलाई से अभियान, डीएम और एसपी की निगरानी में कॉलेजों और स्कूलों में छात्राओं को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य।




Thursday, December 27, 2018

फतेहपुर : परिषदीय विद्यालयों की बाहरी दीवारों पर बाल अधिकार, जन वाचन एवं विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्यों के नाम अंकित कराये जाने सम्बन्धी आदेश सह देखें समस्त प्रारूप

फतेहपुर : परिषदीय विद्यालयों की बाहरी दीवारों पर बाल अधिकार, जन वाचन एवं विद्यालय प्रबन्ध समिति के सदस्यों के नाम अंकित कराये जाने सम्बन्धी आदेश सह देखें सम्पूर्ण प्रक्रिया।

Monday, November 12, 2018

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने की अनुशंसा,  बाल सुधार गृहों में बच्चों के लिए ट्यूशन दिए जाने की कही बात

राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने की अनुशंसा,  बाल सुधार गृहों में बच्चों के लिए ट्यूशन दिए जाने की कही बात। 


Saturday, September 30, 2017

अधिकारों व सुरक्षा के लिए ग्राम पंचायतों में गठित होंगे महिला एवं बाल अधिकार मंच, यूनिसेफ की मदद से पहले चरण में 7 जिलों में शुरू होगा अभियान

लखनऊ: प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार ग्राम स्तर पर महिलाओं व बच्चों के अधिकारों व उनकी सुरक्षा के लिए महिला एवं बाल अधिकार मंच गठित करने जा रही है। यह मंच महिला कल्याण विभाग यूनिसेफ की मदद से प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में गठित करेगा। यह स्थानीय स्तर पर दबाव समूह के रूप में काम करेगा।

दरअसल, अभी ग्राम स्तर पर महिलाओं व बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कोई व्यवस्था नहीं है। गांव की महिलाएं अपनी शिकायत कहां और किससे करें इसको लेकर भी कोई मंच नहीं है। इसी को देखते हुए प्रदेश सरकार ग्राम स्तर पर ही महिला एवं बाल अधिकार मंच गठित करने जा रही है। इसमें स्थानीय वरिष्ठ व सम्मानित नागरिकों जैसे अवकाश प्राप्त शिक्षक, भूतपूर्व सैनिक, प्रभावशाली महिला व अभिभावक के साथ ही महिला समाख्या आदि के लोग सदस्य के रूप में शामिल रहेंगे।

इस मंच में ग्राम प्रधान की अहम भूमिका होगी। साथ ही प्रधान को इस बात के लिए तैयार किया जाएगा कि वह पंचायत स्तर पर तैयार की जाने वाली विकास योजनाओं में महिलाओं व बच्चों के मुद्दे शामिल करें।

■  पहले चरण में सात जिले : प्रदेश सरकार पहले चरण में सात जिलों के 29 ब्लॉक की 1129 ग्राम पंचायतों में यह मंच गठित करने जा रही है। इसमें जिन जिलों को शामिल किया गया है उनमें प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी व मुख्यमंत्री का क्षेत्र गोरखपुर के अलावा इलाहाबाद, जौनपुर, बलरामपुर, श्रवस्ती व बहराइच हैं। इसके बाद दूसरे चरण में प्रदेश की सभी 59163 ग्राम पंचायतों को शामिल किया जाएगा।

Saturday, September 23, 2017

फतेहपुर : शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक / मानसिक शोषण एवं यौन उत्पीड़न संबंधी घटनाओं की रोकथाम के संबंध में बीएसए ने सभी बीईओ को दिया अनुपालन का निर्देश

फतेहपुर : शैक्षणिक संस्थानों में अध्ययनरत बच्चों के शारीरिक / मानसिक शोषण एवं यौन उत्पीड़न संबंधी घटनाओं की रोकथाम के संबंध में बीएसए ने सभी बीईओ को दिया अनुपालन का निर्देश



Monday, September 11, 2017

स्कूलों में सेक्स एजुकेशन जरूरी हो : बाल यौन शोषण के खिलाफ सख्त कानून बनाने और लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए निकलेगी यात्रा

 नई दिल्ली : बाल यौन शोषण के खिलाफ सख्त कानून बनाने और लोगों को इस बारे में जागरूक करने के लिए बाल अधिकार कार्यकर्ता और नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी आज से भारत यात्रा पर निकलेंगे। सत्यार्थी का मानना है कि बच्चे यौन हिंसा का शिकार न बने, इसके लिए समाज की मानसिकता बदलनी भी जरूरी है। इसके साथ ही स्कूलों में बच्चों को सेक्स एजुकेशन दी जानी चाहिए।


■ समाज में गड़बड़ : सत्यार्थी ने एनबीटी से बात करते हुए कहा कि एक तरह से हम ओपन सोसाइटी में जी रहे हैं। सब कुछ ऑनलाइन उपलब्ध है और बच्चों की पहुंच में भी है, जबकि दूसरी तरह बच्चों को यौन शिक्षा (सेक्स एजुकेशन) नहीं दी जा रही, बल्कि इसके उलट उन्हें घरों से लेकर स्कूल तक में मर्यादा, इज्जत, परंपरा, चरित्र के नाम पर खुलकर जीने नहीं दिया जाता। खुलकर बोलने नहीं दिया जाता। समाज की मानसिकता बदलने की जरूरत है। यौन हिंसा को किसी दूसरे एक्सिडेंट या चोट की तरह लेना चाहिए, न कि पीड़ित की इज्जत की तरह। इसी सोच की वजह से यौन हिंसा के शिकार पीड़ितों के शारीरिक तौर पर तो घाव भर जाते हैं पर मानसिकता पर लगी चोट नहीं भर पाती।



 उन्होंने कहा कि भारत यात्रा के दौरान हमारी यही कोशिश होगी कि लोगों को जागरूक किया जाए कि वह इस मसले पर खुलकर बोलें। बच्चों से खुलकर बात करें। उन्होंने कहा कि बच्चे किसी चीज के बारे में जानना चाहते हैं और कई बार जिज्ञासा की वजह से यौन हिंसा के शिकार बनते हैं। इसलिए उनकी उम्र के हिसाब से उन्हें सेक्स एजुकेशन देना जरूरी है। भारत के सामाजिक सांस्कृतिक परिवेश के हिसाब से स्कूलों में सेक्स एजुकेशन देनी चाहिए।