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Sunday, December 27, 2020

जीआईसी प्रवक्ता : 10 माह बाद भी नहीं हुई नियुक्ति, देरी का खामियाजा भुगतेंगे अभ्य्धी, वरिष्ठता का नहीं मिलेगा लाभ


प्रयागराज। राजकीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता के लिए 2014-15 में घोषित पदों पर पांच वर्ष बाद इस साल फरवरी-मार्च में रिजल्ट तो जारी हो गया लेकिन चयन के बाद भी अभ्यर्थियों को नियुक्ति नहीं मिल सकी है। उप मुख्यमंत्री के निर्देश पर नियुक्ति के लिए प्रक्रिया तो शुरू हुई परंतु बीच वह भी अधर में फंस गई है। जबकि 22 दिसंबर को ही नियुक्ति पत्र मिल जाना चाहिए था । इस साल के खत्म होने में सिर्फ पांच दिन ही शेष बचे हैं। बाकी बचे चार दिनों में भी अगर नियुक्ति नहीं होती है तो पांच वर्ष से भर्ती का इंतजार कर रहे अभ्यर्थियों को एक वर्ष की वरिष्ठता का नुकसान उठाना होगा। राजकीय इंटर कॉलेजों में प्रवक्ता पदों पर चयनित 298 अभ्यर्थियों ने आठ से 15 दिसंबर के बीच नियुक्ति के लिए खुले पोर्टल पर ऑनलाइन कॉलेज लॉक किया। अभ्यर्थियों का कहना है कि माध्यमिक सचिव की ओर से 22 दिसंबर को नियुक्ति पत्र देने की बात कही गई थी।



Friday, November 13, 2020

राजकीय इंटर कॉलेजों के शिक्षकों के स्थानांतरण पर हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी।

राजकीय इंटर कॉलेजों के शिक्षकों के स्थानांतरण पर हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी।

राजकीय इंटर कॉलेजों के शिक्षकों के स्थानांतरण पर हाईकोर्ट ने मांगी जानकारी।

प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राजकीय हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में कार्यरत अध्यापकों के स्थानांतरण को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से जानकारी मांगी है।


यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने राहुल मिश्र व कई अन्य की याचिकाओं पर अधिवक्ता सीमांत सिंह व अन्य को सुनकर दिया है। याचिका में कहा गया है कि कॉलेजों में नई नियुक्तियां होने के बाद भी स्थानांतरित हो चुके अध्यापकों को कार्यमुक्त करने में मनमानी की जा रही है। याचियों का स्थानांतरण 20 जून 2019 को कर दिया गया लेकिन उन्हें कार्यमुक्त नहीं किया गया। इस बीच लोक सेवा आयोग ने प्रदेश में 3317 पदों पर अध्यापकों की नियुक्ति कर दी है। इसके बावजूद याचियों को कार्यमुक्त नहीं किया जा रहा है जबकि कई अन्य कॉलेजों में इसी स्थिति के बावजूद कार्यमुक्त किया जा रहा है।


अधिवक्ता सीमांत सिंह का कहना है कि राजकीय इंटर कॉलेजों के अध्यापकों की स्थानांतरण नीति में प्रावधान है कि जिन कॉलेजों में दो ही अध्यापक हैं वहां स्थानांतरण के बाद अध्यापक को तब तक कार्यमुक्त न किया जाए, जब तक उसकी जगह दूसरा अध्यापक कार्यभार ग्रहण न कर ले। याचिका में कहा गया है कि विभाग ने स्थानांतरण होने के बावजूद याचियों के कॉलेज में पद रिक्त नहीं दिखाए हैं जिससे नव नियुक्त अध्यापकों को वहां तैनाती नहीं दी जा रही है।