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Wednesday, February 26, 2025

डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बनी हिंदी की अधिकृत पुस्तक, प्रदेश भर के तीन हजार संस्थानों के प्रशिक्षुओं को मिलेगा लाभ

डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बनी हिंदी की अधिकृत पुस्तक, प्रदेश भर के तीन हजार संस्थानों के प्रशिक्षुओं को मिलेगा लाभ

■ चारों सेमेस्टर के लिए विशेषज्ञों ने बनाई प्रमाणिक पुस्तक

■ डीएलएड पाठ्यक्रम पर आधारित हिंदी में किताबें तैयार


प्रयागराज । परिषदीय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने के लिए अनिवार्य अर्हता डिप्लोमा इन एलिमेंटरी एजुकेशन (डीएलएड या पूर्व में बीटीसी) प्रशिक्षण के लिए पहली बार हिंदी विषय की अधिकृत पुस्तक लिखी गई है। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) लखनऊ के निर्देशन में राज्य हिंदी संस्थान वाराणसी ने डीएलएड के हिंदी पाठ्यक्रम के चारों सेमेस्टर पर आधारित प्रशिक्षण संदर्भ सामग्री का विकास किया है।

(डीएलएड प्रशिक्षुओं के लिए बनी हिन्दी की अधिकृत पुस्तक)

डीएलएड के अलग-अलग सेमेस्टर में सात से आठ विषयों की पढ़ाई होती है लेकिन अब तक किसी भी विषय की प्रामाणिक पाठ्यपुस्तक उपलब्ध नहीं है। हिंदी विषय की पुस्तक तैयार होने से प्रदेशभर के तकरीबन तीन हजार सरकारी और निजी प्रशिक्षण संस्थानों में प्रशिक्षण लेने वाले लाखों प्रशिक्षुओं को फायदा होगा। अब तक प्रशिक्षु केवल गाइड या अनाधिकृत प्रकाशकों की किताबों आदि से ही पढ़ते थे। इनमें बहुत त्रुटियां होती थी।

जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) में प्रवक्ता और लेखक मंडल में शामिल डॉ. प्रसून कुमार सिंह ने बताया कि इस पुस्तक में पाठ्यक्रम के अतिरिक्त प्रशिक्षण संप्राप्ति, गतिविधियां, व्याकरण को याद करने की कई युक्तियां, मॉडल प्रश्नपत्र, पाठ तथा शिक्षण योजना बनाने की विधि को शामिल किया गया है। पाठ्यपुस्तक के विकास में लगभग 10 कार्यशालाओं का आयोजन किया गया।


Sunday, December 3, 2023

अंग्रेजी माध्यम के कोर्स की परीक्षा अब मातृभाषा में भी दे सकेंगे छात्र

अंग्रेजी माध्यम के कोर्स की परीक्षा अब मातृभाषा में भी दे सकेंगे छात्र

उच्च शिक्षा से ज्यादा से ज्यादा छात्रों को जोड़ने की यूजीसी की नई पहल

मातृभाषा या स्थानीय भाषा में पढ़ाई के वाद परीक्षा में भी मिलेगी राहत


नई दिल्लीः उच्च शिक्षा में दाखिले से लेकर पढ़ाई और अब परीक्षा तक में छात्रों को किसी भी तरह की भाषाई अड़चनों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उच्च शिक्षा के सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) को तेजी से बढ़ाने में जुटा विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) फिलहाल उच्च शिक्षा की राह से भाषाई दिक्कतों को तेजी से खत्म करने में जुटा है। 


इस दिशा में आयोग ने अब एक और अहम पहल की है, जिसमें छात्र अब अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाए जाने वाले कोर्सों की परीक्षा स्थानीय भाषा या मातृभाषा में भी दे सकते हैं। यूजीसी ने इस सबंध में देश भर के सभी विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से इच्छुक छात्रों की पहचान कर उन्हें इसकी अनुमति देने के निर्देश दिए हैं।


 इसके साथ ही यूसीसी ने इस पहल को आगे बढ़ाते हुए विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों से परीक्षा से पहले ऐसे छात्रों की पहचान करने और उन्हें मातृभाषा या स्थानीय भाषा में उससे जुड़ी अध्ययन सामग्री मुहैया कराने का भी सुझाव दिया है। यूजीसी की इस पहल को उन छात्रों के लिए एक बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है, जो अभी तक भाषाई दिक्कतों के चलते नर्सिंग, फार्मेसी व इंजीनियरिंग जैसे कोर्सों में दाखिला लेने से कतराते थे। इसके साथ ही वह ऐसे उच्च शिक्षण संस्थानों में भी दाखिला लेने से बचते थे, जहां सभी कोर्सों की पढ़ाई अंग्रेजी माध्यम से ही होती है।

Sunday, November 5, 2023

यूपी : हिंदी में भी MBBS की पढ़ाई, डीजीएमई ने सभी कॉलेजों के प्रधानाचार्यों व संस्थानों के निदेशकों को भेजा निर्देश

यूपी : हिंदी में भी MBBS की पढ़ाई, डीजीएमई ने सभी कॉलेजों के प्रधानाचार्यों व संस्थानों के निदेशकों को भेजा निर्देश


लखनऊ। प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों एवं चिकित्सा संस्थानों में इस सत्र में एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में होगी। इसके लिए चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक ने सभी कॉलेजों के प्रधानाचार्य, संस्थानों के निदेशक और केजीएमयू के कुलपति को पत्र भेजा है।


एमबीबीएस की पढ़ाई हिंदी में शुरू करने के लिए पिछले साल से ही तैयारी शुरू हो गई थी। मध्य प्रदेश में इसे लागू कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश में पिछले साल मेरठ के एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज में पढ़ाई शुरू की गई थी। कॉलेज की ओर से एमबीबीएस प्रथम वर्ष के पाठ्यक्रम से संबंधित किताबें हिंदी में तैयार की गई हैं। इसी तरह अन्य कॉलेजों ने भी अलग-अलग किताबें हिंदी में तैयार की हैं। 


अब इस वर्ष नए सत्र में इसे पूरी तरह से लागू करने का निर्देश दिया गया है। चिकित्सा शिक्षा एवं प्रशिक्षण महानिदेशक किंजल सिंह ने सभी मेडिकल कॉलेजों, संस्थानों और केजीएमयू को पत्र भेजकर हिंदी में पाठ्यक्रम शुरू करने का निर्देश दिया है। पत्र में कहा गया है कि 31 सितंबर को शासन की ओर से मेडिकल कॉलेजों में हिंदी में पढ़ाई शुरू करने का निर्देश दिया गया है। ऐसे में हिंदी में पठन-पाठन की व्यवस्था सुनिश्चित कराई जाए। मालूम हो कि एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों को एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायो- केमिस्ट्री पढ़ाई जाती है। इन विषयों की किताबें हिंदी में उपलब्ध हैं।


तकनीकी शब्दावली अंग्रेजी में ही रहेगी

एलएलआरएम मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य प्रो आरसी गुप्ता ने बताया कि हिंदी क किताब में तकनीकी शब्दावली अंग्रेजी में ही रखी गई है। उसे हिंदी में समझाया भी गया। है। ऐसे में छात्रों को समझने में आसानी होगी।


अंग्रेजी में कमजोर छात्रों को मिलेगा फायदा

केजीएमयू के शिक्षक संघ के महासचिव संतोष कुमार का कहना है कि हिंदी माध्यम से पढ़ाई कर एमबीबीएस में दाखिला लेने वाले छात्रों को इससे सहूलियत मिलेगी। अब पर्याप्त संख्या में हिंदी में किताबें हैं। छात्रों को समझाने के लिए करीब 60 फीसदी से ज्यादा सामग्री हिंदी में है। एमबीबीएस प्रथम वर्ष की पढ़ाई शुरू करने से पहले, छात्रों को अंग्रेजी पढ़ाई जाती है। अगर हिंदी में किताबें उपलब्ध होगी तो वे बेहतर सीखेंगे।

Saturday, January 7, 2023

क्षेत्रीय बोलियों को सहेजने का काम करेगा बेसिक शिक्षा विभाग, भोजपुरी, अवधी, ब्रज आदि बोलियों का बनाएंगे शब्दकोष

क्षेत्रीय बोलियों को सहेजने का काम करेगा बेसिक शिक्षा विभाग

■ भोजपुरी, अवधी, ब्रज आदि बोलियों का बनाएंगे शब्दकोष

■ शिक्षकों के साथ छात्र-छात्राएं भी बोलियों के करीब आएंगे


बेसिक शिक्षा विभाग अब क्षेत्रीय बोलियों को भी सहेजेगा। नई शिक्षा नीति (एनईपी) 2020 को ध्यान में रखते हुए राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) ने राज्य शिक्षा संस्थान एलनगंज को क्षेत्रीय बोलियों जैसे भोजपुरी, अवधी, ब्रज और बुंदेलखंडी आदि में शब्दकोष (डिक्शनरी) का विकास करने की जिम्मेदारी दी है। दूसरे क्षेत्र के शिक्षक बच्चों को उनकी बोली में विषय को अच्छी तरह से समझा पाएंगे।


इससे न सिर्फ इन बोलियों के संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा बल्कि बेसिक शिक्षा परिषद के 1.50 लाख से अधिक प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के शिक्षक व छात्र-छात्राएं इनके करीब आएंगे। संस्थान के प्राचार्य नवल किशोर ने बताया कि क्षेत्रीय बोलियों का शब्दकोष विकसित करने के आदेश मिले हैं। इसके लिए कार्यशाला आयोजित की जाएगी जिसमें विषय विशेषज्ञों और बोलियों के जानकारों को आमंत्रित करेंगे।


भाषायी बाधाओं को दूर करने में मिलेगी मदद
क्षेत्रीय बोलियों का शब्दकोष तैयार होने पर भाषायी बाधाओं को दूर करने में मदद मिलेगी। एनईपी 2020 में भी कम से कम ग्रेड 5 तक शिक्षा का माध्यम, घर की भाषा, मातृभाषा, स्थानीय भाषा या क्षेत्रीय भाषा रखने पर जोर है। फिर घर या स्थानीय भाषा को जहां भी संभव हो भाषा के रूप में पढ़ाया जाता रहेगा। जहां शिक्षक-बच्चों की अनुपात दर ज्यादा हो या जहां साक्षरता की दर निम्न हो, वहां स्थानीय शिक्षक या भाषा से परिचित शिक्षकों को नियुक्त करने की सिफारिश की गई है।

Sunday, November 20, 2022

अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी पढ़ाएंगे शिक्षक, ज्यादा से ज्यादा समझ सकें विद्यार्थी इसलिए AKTU ने शुरू की कवायद, हिंदी में भी तैयार होंगे प्रश्नपत्र

अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी पढ़ाएंगे शिक्षक, ज्यादा से ज्यादा समझ सकें विद्यार्थी इसलिए AKTU ने शुरू की कवायद, हिंदी में भी तैयार होंगे प्रश्नपत्र


लखनऊ। डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय (एकेटीयू) में जल्द ही नए सत्र 2022-23 की कक्षाएं शुरू होने वाली हैं। विवि ने संबद्ध कॉलेजों से कहा है कि शिक्षक बीटेक के विद्यार्थियों को पढ़ाने में अंग्रेजी के साथ ही हिंदी भाषा का प्रयोग करें। यही नहीं, विद्यार्थियों के सवाल के जवाब अंग्रेजी के साथ हिंदी में भी दें। जिससे वे विषय को ज्यादा से ज्यादा समझ सकें।


डीन यूजी प्रो. गिरीश चंद्रा ने संबद्ध कॉलेजों को भेजे पत्र में कहा गया है। कि एनईपी के क्रम में तकनीकी शिक्षा को ग्रामीण परिवेश से आने वाले विद्यार्थियों के लिए अधिक समावेशी बनाने का प्रयास किया जा रहा है। इस क्रम में बीटेक प्रथम वर्ष के छात्रों की कक्षाओं में शिक्षक हिंदी भाषा में भी पढ़ाई कराएं। विवि ने इनकी परीक्षा के लिए प्रश्नपत्र भी अंग्रेजी के साथ हिंदी में तैयार कराने का निर्णय लिया है। सभी संबंधितों को यह व्यवस्था प्रभावी बनाने के लिए कहा है।



खाली सीटों के लिए रजिस्ट्रेशन एक दिसम्बर से

 एकेटीयू ने काउंसिलिंग के बाद संबद्ध संस्थानों में खाली पड़ी सीटों को भरने के लिए विस्तृत कार्यक्रम में जारी कर दिया है। निजी संस्थानों की खाली सीटों पर दाखिले के लिए विवि पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन 01 से 15 दिसंबर तक चलेगा। वहीं मैनेजमेंट कोटे से लिए गए प्रवेश का पंजीकरण भी इस पोर्टल पर करना होगा, अन्यथा उनको नामांकन में शामिल नहीं किया जाएगा।


सरकारी कॉलेजों में 457 सीटें खाली

एकेटीयू से संबद्ध प्रदेश के मैनेजमेंट संस्थानों में एमबीए-एमसीए की 457 सीटें खाली हैं। इन संस्थानों में एकेटीयू कैंपस स्थित डिपार्टमेंट ऑफ मैनेजमेंट स्टडीज, इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी लखनऊ, इंस्टीट्यूट ऑफ कोऑपरेटिव एंड कॉर्पोरेट मैनेजमेंट रिसर्च एंड ट्रेनिंग लखनऊ, इंदिरा गांधी सरकारी प्रबंधन संस्थान लखनऊ, आईईडी होटल मैनेजमेंट, बीआईईटी झांसी, केएनआईटी सुल्तानपुर, यूपी इंस्टीट्यूट ऑफ डिजाइन नोएडा शामिल हैं। इन सीटों पर दाखिले के लिए स्पेशल राउंड की काउंसिलिंग प्रक्रिया शुरू हो गई है।

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की राह पर अब उत्तर प्रदेश भी

हिंदी में मेडिकल की पढ़ाई की राह पर अब उत्तर प्रदेश भी 



लखनऊ। हिंदी पट्टी के उन छात्रों के लिए अच्छी खबर है जो मेडिकल की पढ़ाई करना चाहते हैं। मध्य प्रदेश के बाद यूपी ने मेडिकल व नर्सिंग की शिक्षा हिंदी में देने की पहल कर दी है। मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज से इसकी शुरुआत हुई है। वहां एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों के लिए हिंदी में एक घंटे की अतिरिक्त क्लास शुरू की गई है। 


कॉलेज ने महानिदेशक चिकित्सा शिक्षा से पूरे प्रदेश के मेडिकल छात्रों को जूम के जरिए हिंदी में पढ़ाने की अनुमति मांगी है। स्वीकृति मिलते ही प्रदेश के एमबीबीएस के सभी छात्र हिंदी में पढ़ने लगेंगे।


मेडिकल क्षेत्र में करियर बनाने के इच्छुक यूपी के गांवों से आने वाले छात्रों की राह अब अंग्रेजी नहीं रोकेगी। प्रदेश में अब छात्र हिंदी में एमबीबीएस की पढ़ाई कर सकेंगे। विभिन्न विषयों की किताबें भी हिंदी में लिखवाई जा रही हैं। कुछ किताबें लिखी भी जा चुकी हैं, जिसमें एक मेरठ मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर ने लिखी है।


 हिंदी में पाठ्यक्रम को लेकर चिकित्सा शिक्षा विभाग ने पूर्व में प्रोफेसर एनसी प्रजापति के नेतृत्व में तीन सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी। कमेटी ने प्रथम वर्ष में मध्य प्रदेश में प्रयोग होने वाली किताबों के प्रयोग का सुझाव दिया था। इधर, मेरठ के लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज में काम शुरू हो चुका है। कॉलेज प्राचार्य प्रोफेसर आरसी गुप्ता बताते हैं कि 15 अगस्त को हमने हिंदी में पहला मेडिकल जर्नल पुनर्नवा प्रकाशित किया।



मेरठ नजीर बना: आसान हुई मेडिकल की पढ़ाई

मेरठ। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज में हिन्दी दिवस 14 सितंबर से शुरू हुई हिंदी माध्यम से | मेडिकल की पढ़ाई छात्रों को रास आ रही है। इससे पढ़ना-लिखना छात्रों के लिए जहां काफी आसान हो गया है। वहीं सुविधा और सहूलियत में भी इजाफा हो रहा है। मेडिकल कॉलेज संकाय का कहना है कि छात्रों में पढ़ाई का स्तर सुधर रहा है।


प्रभावी साबित हो रही हिंदी माध्यम से पढ़ाई

हिंदी माध्यम काफी प्रभावी साबित हो रहा है। शिक्षकों के लिए भी छात्रों को समझाना अब काफी सुविधाजनक है। मेडिकल कालेज के शिक्षक बताते हैं कि ऐसे छात्र जिन्हें पहले किसी भी विषय को समझने में काफी वक्त लगता था। कई बार अपनी झिझक के चलते वह कक्षा में सवाल पूछने से बचते थे। उनमें अब प्रभावी ढंग से बदलाव देखने को मिल रहा है।