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Wednesday, August 2, 2017

परिषदीय स्कूलों में शिक्षक समायोजन रोकने से सात हज़ार स्कूलों की नहीं बदलेगी तस्वीर, किसी स्कूल में हैं 42 बच्चोंपर 5 शिक्षक तो कहीं हैं 148 पर 1

सात हजार स्कूलों की नहीं बदल सकेगी तस्वीर

परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों का समायोजन रोके जाने का मामला

दोहरा संकट


राज्य ब्यूरो, इलाहाबाद : बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय दोहरे संकट से जूझ रहे हैं। एक ओर शिक्षामित्रों का समायोजन रद होने से अतिरिक्त शिक्षक अब नहीं रहे, वहीं जिन स्कूलों में शिक्षकों की कमी थी। फिलहाल वहां पर दूसरे शिक्षकों का समायोजन नहीं हो सकेगा। न्यायालय के स्थगनादेश के बाद सारी प्रक्रिया रुक गई है। ऐसे में सूबे के करीब सात हजार विद्यालयों को चलाने का जिम्मा एकल शिक्षक पर ही रहेगा। साथ ही जिन स्कूलों में शिक्षक अधिक हैं वह भी पहले की तरह कार्यरत रहेंगे। 1परिषदीय विद्यालयों में पठन-पाठन का माहौल बनाने के लिए इस वर्ष तमाम कदम उठाए गए। परिषद ने तय समय पर शैक्षिक कैलेंडर जारी करने के बाद जन शक्ति निर्धारण की प्रक्रिया में तेजी से प्रयास किया। हर शिक्षक की पहचान करने के लिए उनका सारा डाटा फीडिंग की जिलों की प्रक्रिया चली। यही नहीं शासन ने शिक्षा का अधिकार कानून के तहत हर स्कूल में शिक्षक संख्या मुहैया कराने के लिए चरणबद्ध तरीके से समायोजन, जिले के अंदर और अंतर जिला तबादले तक का आदेश जारी किया। परिषद ने जनशक्ति निर्धारण में पाया कि आरटीई के तहत स्कूलों में करीब 65 हजार से अधिक शिक्षक हैं, उन्हें उन विद्यालयों में भेजने की तैयारी थी, जहां शिक्षकों की कमी है। इसमें बेसिक शिक्षा अधिकारियों की कार्यशैली सबसे बड़ी बाधा बनी। बार-बार समय सीमा बढ़ाने के बाद भी शिक्षकों का डाटा फीड नहीं हो सका। इसीलिए जिलों ऑफलाइन समायोजन के आदेश हुए। 1शासन ने पिछले महीने समायोजन कार्य की समीक्षा करने के दौरान पाया कि हर उच्च प्राथमिक स्कूल में एक विज्ञान, गणित व भाषा का शिक्षक अनिवार्य रूप से होना चाहिए, भले ही छात्र संख्या कोई भी हो। यह सारे जतन करने के बाद भी जिलों में समायोजन पूरा नहीं हो सका। इसके पहले ही शिक्षामित्रों का समायोजन शीर्ष कोर्ट से रद हो गया। इससे प्रक्रिया वैसे भी रुक गई थी, सोमवार को हाईकोर्ट ने समायोजन पर औपचारिक रूप से रोक लगा दी है। 1अब सात हजार स्कूल एकल शिक्षक के भरोसे रहेंगे, जिन स्कूलों में दो शिक्षक हैं वह भी जैसे-तैसे कार्य करेंगे। वहीं जहां पर अतिरिक्त शिक्षक हैं और वह मनचाहा स्कूल छोड़ना नहीं चाहते थे, उनकी भी मुराद पूरी हो गई है। 1अगले आदेश तक प्रक्रिया स्थगित 1बेसिक शिक्षा परिषद सचिव संजय सिन्हा ने सभी बीएसए को निर्देश दिया है कि 13 जून के शासनादेश के क्रम में जो भी कार्यवाही गतिमान थी, वह हाईकोर्ट के आदेश के बाद अगले आदेश तक स्थगित की जाती है। कोर्ट ने 21 अगस्त तक शिक्षकों को दूसरे विद्यालयों में समायोजित न करने का आदेश दिया है।

प्राइम लोकेशन पर कई साल से जमे हैं मास्टरजी

किसी स्कूल में 42 बच्चों पर 5 शिक्षक तो कहीं 148 पर एक

• प्राथमिक विद्यालय पीरनगर में 733 बच्चों पर 4 शिक्षक हैं, प्राथमिक विद्यालय मुसाहेबगंज में 246 बच्चों पर 4 शिक्षक हैं, प्राथमिक विद्यालय आलमनगर में 201 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय माधवपुर में 294 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय छावनी मड़ियांव में 197 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय मटियारी में 234 बच्चों पर 3 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय गरौरा में 37 बच्चों पर 1 शिक्षक तैनात है।

• प्राथमिक विद्यालय लाहौरगंज में 65 बच्चों पर 3 शिक्षक, छितवापुर हुसैनगंज में 65 बच्चों पर 3 शिक्षक, रस्सीबटान में 40 बच्चों पर 3 शिक्षक, नरही में 69 बच्चों पर 4 शिक्षक, प्राथमिक विद्यालय अमौसी-3 में 16 बच्चों पर तीन शिक्षक तैनात हैं।

• शहर के स्कूलों के शिक्षकों को दूसरे स्कूलों में समायोजन के लिए इस बार शुरुआत में एक सूची तैयार करवाई गई थी। जैसे ही इस सूची का पता शिक्षकों को चला तो उन्होंने हाई कोर्ट में इसके विरोध में एक रिट डाल दी। शिक्षा विभाग के अधिकारियों का भी कहना है कि केस में कुछ दम नहीं है लेकिन अब इसके खत्म होने के बाद ही समायोजन किए जा सकेंगे।

• कानपुर रोड स्थित प्राथमिक विद्यालय कनौसी 2 में कुल 53 बच्चे हैं जिन्हें पढ़ाने के लिए 5 शिक्षक हैं। इसके विपरीत प्राथमिक विद्यालय बंदी खेड़ा में 134 पर एक शिक्षक ही तैनात है।

• प्राथमिक विद्यालय स्कूटर इंडिया में कुल 42 बच्चे हैं इसके मुकाबले 5 शिक्षक स्कूल में जमे हुए हैं। इसके विपरीत सरोजनीनगर के प्राथमिक विद्यालय सालेहनगर में 148 बच्चों पर मात्र 1 शिक्षक ही है।
समायोजन की सूची तैयार हो गई है। शिक्षामित्रों का मामला शांत होते ही समायोजन होगा, जबकि नगर क्षेत्र में कोर्ट से मामला निस्तारित होने की कगार पर है। इसके बाद इसमें भी समायोजन होगा। 

-प्रवीण मणि त्रिपाठी, बीएसए•जीशान हुसैन राईनी, लखनऊ

ये तीन उदाहरण शहर के प्राइमरी स्कूलों में शिक्षा की दोहरी नीति को दर्शाते हैं। जहां शहर की प्राइम लोकेशन पर जरूरत से ज्यादा शिक्षक सालों से जमे हुए हैं तो वहीं शहर के ही दूसरे इलाकों में अकेला शिक्षक पांच-पांच शिक्षकों का काम करने को मजबूर है। लखनऊ के नगर क्षेत्र में कुल 252 प्राइमरी व जूनियर स्कूल हैं। इसमें लगभग 640 शिक्षक तैनात हैं। शिक्षा विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 30 से अधिक स्कूल ऐसे हैं जहां जरूरत से ज्यादा शिक्षक तैनात है। ऐसे में इन शिक्षकों का दूसरे स्कूलों में समायोजन की जरूरत है। इसके बावजूद यह शिक्षक यहां कई साल से जमे हैं।

30 से 40 बच्चों पर एक शिक्षक का मानक

नगर और ग्रामीण क्षेत्र मिलाकर जिले में कुल 1840 स्कूल हैं। जिसमें पढ़ाने के लिए नियमित शिक्षकों की संख्या 5,700 है। 2310 शिक्षामित्र भी इन स्कूलों में पढ़ाते हैं। सभी स्कूलों में पढ़ने वाले कुल बच्चों की संख्या लगभग दो लाख है। इन स्कूलों में पढ़ाने के लिए लगभग 6,600 शिक्षकों की जरूरत है। जबकि शिक्षामित्र और शिक्षकों की संख्या मिला लें तो यह इससे ज्यादा होती है। इसके बावजूद शहर में भारी संख्या में ऐसे स्कूल हैं जहां शिक्षकों की कमी है। इसका सबसे बड़ा कारण यही है कि यहां काफी संख्या में ऐसे शिक्षक हैं जो कई साल से जमे हैं। जबकि उनके मुकाबले में स्कूल में बच्चे आधे भी नहीं हैं। 


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