महराजगंज : परिषदीय विद्यालय में बात थोड़ी अजीब है, पर है सौ फीसद सच। सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था के बीच बृजमनगंज विकास खंड के मोहनगढ़ में ऐसा प्राथमिक विद्यालय है, जहां के बच्चे में पढ़ते हैं। आकर्षक ढंग से हो रही पढ़ाई के चलते बच्चे शीघ्र कंठस्थ भी कर ले रहे हैं। विद्यालय की बदली शिक्षण व्यवस्था से बच्चों की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। जिस विद्यालय में कभी छात्रों की उपस्थिति अंगुलियों पर गिनी जाती थी, अब वहां नामांकन के लिए भीड़ लगी रहती है। अभिभावक कानवेंट स्कूलों से अपने बच्चों का नाम कटा कर प्राथमिक विद्यालय में लिखवा रहे हैं। इसी का नतीजा है कि विद्यालय में बच्चों की संख्या 192 तक पहुंच गई है। प्राथमिक विद्यालय की यह बदली तस्वीर किसी सरकारी व्यवस्था से नहीं, बल्कि यहां के प्रधानाध्यापक नागेंद्र चौरसिया के स्वयं के प्रयास से हुई है। एक शिक्षक की पहल ने सरकारी स्कूलों के प्रति समाज में फैली अवधारणा को बदल दिया है। पढ़ाई के प्रति बढ़ी रूचि: कक्षा पांच में पढ़ने वाली गीता, प्रदीप, दुर्गा शंकर यादव, बजरंगी, साधना लोधी, आशीष ने कहा कि एलईडी के माध्यम से जब शिक्षकों द्वारा बातें बताई जातीं हैं तो वह आसानी से समझ में आ जाती हैं। अब क्लास रूम में देर तक बैठने का मन भी करता है। स्कूलों से नाम कटवा कर प्रवेश ले रहे छात्र, 192 पहुंची संख्या शिक्षक के पहल की चहुंओर सराहना, नजीर बना विद्यालयप्राइवेट स्कूलों की तुलना में परिषदीय विद्यालयों में संसाधनों का अभाव है। कानवेंट स्कूलों की चकाचौंध बच्चों को आकर्षित करती है। इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने स्वयं के खर्चें से अपने विद्यालय की एक कक्षा को का रूप दिया है। इसका लाभ भी दिख रहा है। बच्चे जिन पाठ्य सामग्रियों को विलंब से समझ पाते थे, अब उन्हें आसानी हो रही है। प्रतिस्पर्धा के इस दौर में हमारे बच्चे किसी से पीछे न रहें बस यही प्रयास है। नागेंद्र चौरसिया प्रधानाध्यापक, प्रा.वि.मोहनगढ़ निश्चित रूप से प्राथमिक विद्यालय मोहनगढ़ के शिक्षक नागेंद्र चौरसिया की पहल सराहनीय है। कहीं न कहीं प्राइवेट सेक्टर के स्कूलों की अपेक्षा परिषदीय विद्यालयों में संसाधानों की कमी है। ऐसे में एक शिक्षक द्वारा व्यवस्था में सुधार की दिशा में बढ़ाया गया कदम अन्य शिक्षकों को भी प्रेरणा देने में सहायक होगा।
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