डेली न्यूज़ नेटवर्कलखनऊ। निजी स्कूलों ने मान्यता से लेकर उनके संचालन के लिए बनाए गए अधिकांश सरकारी नियम व आदेशों को गलत ठहराया है। उन्होंने कहा है कि इन नियमों से स्कूलों को अपना अस्तित्व बचाने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ रहा है। मंगलवार को एसोसिएशन ऑफ प्राइवेट स्कूल्स, उत्तर प्रदेश के सदस्यों ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम- 2009 के तहत सरकारी नियमों एवं आदेशों के कारण होने वाली समस्याओं पर विचार-विमर्श करने के लिए बैठक बुलाई। जिसमें समस्याओं को दूर करने के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री अहमद हसन को पत्र लिखा गया है।एसोसिएशन के अध्यक्ष अतुल कुमार ने कहा कि निजी स्कूलों ने मान्यता के लिए कई महीनों से आवेदन कर रखा है लेकिन अभी तक मान्यता नहीं दी गई। जबकि कुछ स्कूलों को कहना था कि मान्यता की शर्ते इतनी ज्यादा कठोर एवं अव्यवहारिक हैं कि उन्हें पूरा करना कम बजट वाले स्कूलों के लिए संभव ही नहीं है। बैठक में सदस्यों ने यह मांग की कि जिस तरह से कई-कई मंजिल तक बनने वाले हाउसिंग अपार्टमेन्ट को बनाने की अनुमति सरकार दे रही है, उसी तरह सरकार स्कूलों की सेवा को देखते हुए उनके एफ.एआर को भी बढ़ाए।
इस बैठक में अधिकांश विद्यालय प्रबंधकों ने शिकायत की कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम-2009 के तहत अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के लिए 25 प्रतिशत सीटें खाली रखने के लिए कहा गया है। लेकिन बीएसए ने अभी तक उनके स्कूल में कक्षा-1/पूर्व प्राथमिक कक्षा में एक भी बच्चे को प्रवेश के लिए नहीं भेजा है। आरोप लगाया कि प्रवेश के लिए सिर्फ बड़े स्कूलों में भेजा जा रहा है।
No comments:
Write comments