लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे-मील से खिलवाड़ किया जा रहा है। आदेश के बाद भी न तो बच्चों को दूध दिया जा रहा है और न ही फल। यह स्थिति तब है जबकि नया शैक्षिक सत्र शुरू हुए 10 दिन बीत चुके हैं। फिर भी जिम्मेदार जानकार कर अंजान बने हैं।राजधानी के करीब 1839 परिषदीय विद्यालयों के साथ-साथ 41 सहायता प्राप्त जूनियर हाईस्कूल तथा मदरसा संचालित हैं। इनमें कक्षा एक से आठ तक करीब पौने दो लाख बच्चे अध्ययनरत हैं। सर्व शिक्षा अभियान के तहत इन सभी बच्चों को निशुल्क एवं गुणवत्तापरक मिड-डे-मील दिए जाने का प्रावधान है। बीते वर्ष राज्य सरकार ने मिड-डे-मील के मेन्यू में बदलाव कर बुधवार को बच्चों को दूध देने का आदेश जारी किया था। लेकिन कुछ दिन बाद ही एनजीओ से लेकर अक्षय पात्र ने दूध वितरण से हाथ खड़े कर दिए थे। तर्क दिया गया कि दूध केलिए अतिरिक्त धनराशि दी जाए। उसके बाद अब राज्य सरकार ने बच्चों को सप्ताह में एक दिन फल वितरित कराने का भी आदेश जारी किया है। लेकिन नया शैक्षिक सत्र शुरू होने के 10 दिन बाद भी न तो बच्चों को दूध दिया जा रहा और न ही फल। हालांकि बीएसए प्रवीण मणि त्रिपाठी का कहना है कि बच्चों को दूध वितरित हो रहा है। फल वितरण का आदेश अभी नहीं मिला है
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