गरीब बच्चों के दर तक शिक्षा की लौ जलाने वाले बेसिक विभाग के पास अरबों का बजट और हजारों की संख्या में प्रशिक्षित अध्यापक हैं। अपने स्कूल भवन हैं। सुविधाएं हैं। छात्रों को मुफ्त में ड्रेस है, किताबें हैं, दोपहर का भोजन है, फीस है। फिर भी यहां न संख्या बढ़ती है और न ही गुणवत्ता युक्त शिक्षा मिलती है। इसके जिम्मेदार कौन लोग हैं। आखिर सरकारी नौकरी को प्राइवेट की तर्ज पर करने वाली इच्छा शक्ति कब विकसित होगी। इन्हीं सब सवालों के साथ हमारे संवाददाता राघवेंद्र शुक्ल ने बेसिक शिक्षा विभाग के सहायक शिक्षा निदेशक भगवत पटेल से बात की। प्रस्तुत है बातचीत के संपादित अंश
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