‘बेटियां पढ़ेंगी, तभी तो बढ़ेंगी’ इस नारे के साथ सरकार बालिका शिक्षा पर विशेष जोर दे रही हैं, मगर यहां तो सर्वशिक्षा अभियान के तहत संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में बेटियों की पढ़ाई पर ग्रहण लग गया है। शिक्षिकाओं की कमी के चलते छात्रओं की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। सबसे ज्यादा परेशानी गणित, विज्ञान व उर्दू के विषयों में हो रही है। जिले में 13 कस्तूरबा बालिका विद्यालय चल रहे हैं, इनमें एक शहर में और 12 ब्लॉक स्तर पर हैं। हर स्कूल में 100 छात्रएं हैं। इस तरह इन स्कूलों में 1300 छात्रएं पढ़ रही हैं। इन छात्रओं के लिए 78 शिक्षिकाओं के पद सृजित हैं, मगर इनमें से 37 खाली पड़े हैं। शिक्षिकाओं की आधी भी संख्या स्कूलों में तैनात नहीं है। समस्या इसलिए भी हो रही है, क्योंकि कस्तूरबा स्कूलों में शिक्षिकाओं की भर्ती अनुबंध के आधार पर की जाती हैं। अधिकारियों ने बताया कि जब इन शिक्षिकाओं को प्राइमरी में शिक्षिका बनने का मौका मिलता है तो काम छोड़कर चली जाती हैं। बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक वित्त व लेखाधिकारी बीबी पांडेय ने बताया कि चयन की कार्रवाई जारी है, फाइल भी तैयार हो गई है। शिक्षिकाओं के पदों पर करीब 150 आवेदन आ चुके हैं। जल्द ही कस्तूरबा विद्यालयों में शिक्षिकाओं की भर्ती की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी
No comments:
Write comments