मदरसों की मान्यता के मानक होंगे सख्त, सुधार हेतु बनी उच्चस्तरीय कमेटी शीघ्र देगी अपनी रिपोर्ट
लखनऊ। नए मदरसों की मान्यता लेना अब आसान नहीं होगा। यूपी बोर्ड की तरह मदरसा बोर्ड भी मान्यता के लिए जमीन के मानक कड़े करेगा। मदरसा शिक्षा सुधार के लिए बनी उच्चस्तरीय कमेटी शीघ्र ही अपनी रिपोर्ट देगी।
मदरसा शिक्षा सुधार के तहत प्रमुख रूप से दो स्तरीय बदलाव होंगे। पहला पाठ्यक्रम के स्तर पर और दूसरा मान्यता के स्तर पर। कक्षा 9 से 12 तक भी माध्यमिक शिक्षा परिषद के अनुरूप पाठ्यक्रम लागू किए जाने की कार्यवाही की जा रही है।
पाठ्यक्रम में धार्मिक विषयों धर्मशास्त्र, अरबी और फारसी के साथ-साथ गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, हिंदी और अंग्रेजी जैसे आधुनिक विषयों का पाठ्यक्रम नए सिरे से तैयार करके लागू किया जाएगा।
मदरसों में हो सुधार, लेकिन मूल शिक्षा का स्वरूप रहे बरकरार, अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक के साथ बैठक में मदरसा शिक्षाविदों ने दिए अहम सुझाव
16 जुलाई 2025
लखनऊ। मदरसा शिक्षा से जुड़े शिक्षाविदों ने कहा कि सुधार के नाम पर मदरसों की मूल शिक्षा स्वरूप से। छेड़छाड़ न की जाए, वह बरकरार रहे। उन्होंने मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए मंगलवार को इंदिरा भवन में हुई बैठक में अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक अंकित अग्रवाल के सामने कई सुझाव दिए।
मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए शासन स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई है। यह मदरसों के शिक्षकों की योग्यता का पुर्निर्धारण करने और नई शिक्षा नीति के मुताबिक पाठ्यक्रम में सुधार व बदलाव के लिए सुझाव ले रही है।
बैठक में टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री हाजी दीवान साहेब जमां ने बताया कि मदरसा विनियमावली 2016 में दंड के खिलाफ अपील की व्यवस्था नहीं है। रजिस्ट्रार व शिक्षकों के कर्तव्य और अधिकार भी स्पष्ट नहीं हैं। इसे स्पष्ट की जाए।
मदरसा इरम मॉडल स्कूल के प्रबंधक ख्वाजा सैयद फैजी यूनुस ने कहा कि सीबीएसई की तर्ज पर विविध विषयों के विकल्प खुले रखने और शिक्षकों की योग्यता के पुर्निर्धारण में बीटीसी व बीएड को शामिल करने का सुझाव दिया।
कई शिक्षाविद ने कामिल व फाजिल की डिग्री अमान्य होने से 37 हजार विद्यार्थियों की परीक्षा ख्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती विश्वविद्यालय से कराने का सुझाव दिया।
अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में आज होगी बैठक
15 जुलाई 2025
लखनऊ। मदरसों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए शासन स्तर पर गठित कमेटी ने मंगलवार को मदरसों के शिक्षक, प्रबंधक और पूर्व शिक्षकों से सुझाव लेने के लिए बैठक बुलाई है। बैठक में शिक्षकों की योग्यता के पुनर्निर्धारण और पाठ्यक्रम में बदलाव और सुधार पर विचार विमर्श होगा।
मदरसा बोर्ड की कामिल और फाजिल की डिग्री की यूजीसी से मान्यता न होने पर सुप्रीम कोर्ट ने इन डिग्रियों को असांविधानिक घोषित कर दिया था। इसके बाद मदरसा शिक्षा में सुधार के लिए शासन स्तर पर अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में कमेटी गठित की गई थी।
कमेटी मदरसों के शिक्षकों की योग्यता का पुनर्निर्धारण करने और नई शिक्षा नीति के मुताबिक पाठ्यक्रम में सुधार व बदलाव को लेकर अपनी रिपोर्ट तैयार कर रही है। ऐसे में शिक्षा व्यवस्था में सुधार को लेकर विचार विमर्श करने के लिए अल्पसंख्यक कल्याण निदेशक की अध्यक्षता में मंगलवार को बैठक बुलाई गई है।
मदरसा बोर्ड के रजिस्ट्रार आरपी सिंह की ओर से मदरसा इरम मॉडल स्कूल के प्रबंधक ख्वाजा फैजी यूनुस, टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महामंत्री दीवान साहेब जमा, वहीदुल्ला खान सईदी सहित 23 शिक्षकों, प्रबंधकों और संगठन के लोगों को पत्र भेज कर आमंत्रित किया गया है।
सेवानिवृत्त शिक्षकों को बैठक में बुलाए जाने का विरोध
बैठक में पूर्व शिक्षकों को आमंत्रित किए जाने पर मदरसा शिक्षक मोहम्मद हसन रजा, नूरुल हसन अजहरी, अंजुम कादरी आदि ने विशेष सचिव अल्पसंख्यक कल्याण को पत्र भेजकर आपत्ति जताई। उनका कहना है कि अनुदानित मदरसों में करीब 10 हजार शिक्षकों के कार्यरत होने के बावजूद सेवानिवृत्त शिक्षकों को बुलाया जाना मुख्यमंत्री के विचारों और शिक्षकों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ है।
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