सब पढ़े, सब बढ़े के स्लोगन के साथ सरकार हर निरक्षर को साक्षर बनाने का हरसंभव प्रयास कर रही है, लेकिन व्यवस्था में लापरवाही होने से यह परवान नहीं चढ़ पा रही है। परिषदीय स्कूलों में शैक्षिक सत्र शुरू हो गया, लेकिन अभी तक छात्रों के पढ़ने के लिए किताबें नहीं पहुंची है। ऐसे में छात्र-छात्रएं बिना किताबों के ही ज्ञान लेकर स्कूलों से घर जा रहे है। छात्र-छात्रएं स्कूल का समय पहाड़े-गिनती कहने और खेलकूद कर ही घर वापस हो जाते हैं। जनपद 1796 प्राइमरी और 756 जूनियर हाईस्कूल स्कूल संचालित हो रहे है। इन परिषदीय स्कूलों में लाखों छात्र-छात्रएं पढ़ने आते हैं। सरकार शिक्षा की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए तमाम प्रयास कर रही है। पढ़ने वाले बच्चों को शिक्षा के साथ उनके स्वाथ्य का भी ध्यान दिया जा रहा है। कुपोषण दूर करने के लिए स्कूलों में मिड-डे-मील के साथ सप्ताह में एक दिन फल व एक दिन दूध दिया जा रहा है, लेकिन अफसर व सिस्टम की लापरवाही से सरकार की मंशा परवान चढ़ने से पहले ही विकलांग हो जाती है। शैक्षिक सत्र एक अप्रैल को आरंभ हो गया था। ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद दो जुलाई को फिर से स्कूल खुल गए हैं। हैरत की बात है कि इतनी बड़ी संख्या में अधिकतर बच्चों के पास पढ़ने को किताबें नहीं। बिना किताबें यह स्कूल जाने को मजबूर हैं। स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों की बस्ते में किताबें नहीं दिखाई देती है। कुछ छात्र जरूर पुरानी किताब लेकर स्कूल आ रहे है। बोले अफसर किताबें जल्द आने वाली है। फिलहाल छात्र-छात्रएं पुरानी किताबों से पढ़ रहे है। पुरानी किताबें लेकर नए छात्रों को देने में शुरुआत में दिक्कत आई है पर अब काफी छात्रों पर है। शासन को किताबें जल्द भेजने के लिए पत्र भेजा गया है।
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