DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Monday, July 25, 2016

रामपुर : बिना पढ़े ही परीक्षा पास करेंगे नौनिहाल, सत्र परीक्षा के बाद ही बच्चों को मिल पाएंगी किताबें

शैक्षिक सत्र पहली अप्रैल से शुरू हो गया है, इसके बावजूद अब तक प्राइमरी स्कूलों के बच्चों को किताबें नहीं मिल सकी हैं। पांच अगस्त से जिले में पुस्तकें पहुंचनी शुरू होंगी, जबकि इसके बाद वितरण होगा। वहीं, पहली सत्र परीक्षाएं आठ और नौ अगस्त को होनी है। ऐसे में इस बार बच्चों को पाठ्य पुस्तकों के अभाव में बिना पढ़े ही सत्र परीक्षा देनी होगी।प्रदेश सरकार की ओर से भले ही प्राथमिक शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए तमाम प्रयास किए जा रहे हों। स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति से लेकर शिक्षण कार्य की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जा रहा हो, लेकिन सिस्टम की सुस्ती के चलते जमीनी स्तर पर इसका असर नहीं दिख रहा है। आलम यह है कि प्राइमरी स्कूलों में ठीक से पढ़ाई भी शुरू नहीं हो सकी है। दरअसल, सरकार की ओर से सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक विद्यालयों के बच्चों को पुस्तकें उपलब्ध कराई जाती हैं। किन्तु, इस बार अब तक पुस्तकें उपलब्ध नहीं कराई जा सकी हैं। वहीं, विभाग की ओर से हर तीन माह में कराई जाने वाली सत्र परीक्षाओं की भी घोषणा कर दी गई है, लेकिन परीक्षा से पूर्व बच्चों तक पाठ्य पुस्तकें पहुंचने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। विभाग को पांच अगस्त तक पुस्तकें मिलनी शुरू होंगी, जिसके बाद पुस्तकों का वितरण किया जाएगा। ऐसे में आठ और नौ अगस्त को होने वाली पहली सत्र परीक्षा बच्चों को बिना पाठ्य पुस्तकों के पढ़े ही देनी होगी। इस सबके बीच बच्चों के कोर्स पिछड़ने के साथ ही शिक्षा का स्तर भी गिर रहा है। हालांकि, बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों की ओर से पुस्तकों के अभाव में अध्य्यन प्रभावित न होने के तमाम दावे किए जा रहे हैं, लेकिन उन्हीं के शिक्षकों की मानें तो जब बच्चों के पास किताबें ही नहीं हैं तो उन्हें पढ़ाएं क्या। ऐसे में शैक्षिक गुणवत्ता प्रभावित होना स्वभाविक है।प्राइमरी स्कूलों में पुस्तकों की उपलब्ध को लेकर शासन स्तर से देरी हुई है। वहीं, पुस्तकों के बिना पढ़ाई प्रभावित होना सही नहीं है। शिक्षक चाहें तो पुरानी किताबों के सहारे पढ़ाई करा सकते हैं। शिक्षकों का जितना जोर अवकाश और अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ने पर होता है, यदि उतनी ही सजगता से शिक्षण कार्य पर ध्यान दिया जाए तो शिक्षा का स्तर भी सुधर जाएगा और प्राथमिक शिक्षा की दशा भी बेहतर हो जाएगी।

No comments:
Write comments