जिलाधिकारी प्रीति शुक्ला ने परिषदीय स्कूलों की शिक्षा व्यवस्था में सुधार के लिए पूरे जिले की मशीनरी को जांच में लगाकर वास्तविक स्थिति की रिपोर्ट तलब की है। उन्होंने स्वयं सदर विकास खंड के कई स्कूलों की जांच लिया जहां गड़बड़ी मिलने पर संबंधित शिक्षकों से जवाब तलब किया और बीएसए व डीएसओ को जांच अधिकार नियुक्त कर रिपोर्ट मांगी है। कहा कि रिपोर्ट के आधार पर दोषियों पर प्रभावी कार्रवाई की जाएगी। प्राथमिक विद्यालय हरवंशपुर में बुधवार को सुबह साढ़े दस पहुंचे पहुंची जिलाधिकारी को प्रधानाचार्य एकता सोनकर व सहायक शिक्षक भावना श्रीवास्तव मिली, लेकिन यहां न तो एमडीएम बन रहा था और न ही फल व दूध आदि का वितरण ही बच्चों के बीच किया गया है। बताया गया कि राशन न मिलने पर एमडीएम नहीं बन रहा। डीएम ने शिक्षकों से जवाब तलब करते हुए बीएसए व जिला पूर्ति निरीक्षक को प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट मांगी है जिससे दोषी पर कार्रवाई हो सके। यहीं के उच्च प्राथमिक स्कूल में भी यही हाल था। तीन शिक्षिकाएं मौजूद थीं, लेकिन पढ़ने के लिए महज आठ बच्चे थे। इस पर नाराजगी जताते हुए जवाब तलब किया और दोनों अधिकारियों का जांच की जिम्मेदारी सौंपी। जूनियर हाईस्कूल नंदनगर अचानकपुर में 80 के सापेक्ष 16 बच्चे थे। चार शिक्षकों में दो मुस्लिम होने के कारण अवकाश पर थे। यहां डीएम ने खुद बच्चों से अंग्रेजी के बारे में जानकारी की। बच्चे से किताब पढ़वाया तो स्थिति बेहतर दिखी। हालांकि एमडीएम रजिस्टर में छात्रों की संख्या में बाद में दर्ज करने पर नाराजगी जताई। यहां तहरी बनी थी, दूध मिला था, लेकिन फल वितरण न करने की बात स्वयं प्रधानाचार्य माधुरी मिश्र ने दी। डीएम ने जिन स्कूलों का निरीक्षण किया वहां बच्चों उपस्थिति व शिक्षा का स्तर बेहतर करने की हिदायत दी। निरीक्षण में खंड शिक्षा अधिकार एमपी सिंह भी थे। डीएम ने कहा कि बीएसए के अलावा सभी एसडीएम, बीडीओ, खंड शिक्षा अधिकारी आदि को निरीक्षण का निर्देश दिया गया है। सभी लोग सीडीओ को रिपोर्ट करेंगे
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