नोबल पुरस्कार विजेता पाकिस्तानी छात्र मलाला यूसुफजई के नाम पर जिले में एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आ रहा है। ‘बाल विकास एवं शोध संस्थान’ ने मलाला की संस्था ‘नेम्ड मी मलाला’ से जुड़कर जिले में दो सौ बालिकाओं के स्कूलों में दाखिला कराने का दावा किया है। शिक्षा विभाग की जांच में ये पूरा दावा फर्जी पाया गया है। माना जा रहा है कि विदेशों से अनुदान पाने के लिए ये फर्जीवाड़ा किया गया। शिक्षा विभाग अब इस संस्थान के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की तैयारी में है।1शिक्षा विभाग के अफसरों को हाल ही में पता चला कि एक संस्था ‘नेम्ड मी मलाला’ अभियान के नाम पर कोरांव ब्लाक के दस गांवों में स्कूल न जाने वाली लड़कियों के सर्वे का दावा कर रही है, जिसमें स्कूल न जाने वाली 720 लड़कियां मिली हैं। ‘बाल विकास एवं शोध संस्थान’ संस्था का दावा है कि उसने इन्हीं दस गांवों कोसफरा, बदौर, बसुही, महादेव, सेमरी, रत्योरा, उमरी, जादीपुर, नथऊपुर व सिकरो के सरकारी स्कूलों में इनमें से दो सौ बच्चियों का एडमिशन भी करवाया है।बेसिक शिक्षा अधिकारी ने खंड शिक्षा अधिकारी कोरांव से इसकी जांच कराई तो फर्जीवाड़ा सामने आया। पता चला कि संस्था की ओर से किए जा रहे दावे झूठे हैं। ऐसे में बीएसए ने संस्था के निदेशक को कई बार फोन करके अपने डाटा पेश करने को कहा, लेकिन संस्था निदेशक राजनाथ ने कोई रिपोर्ट बीएसए को नहीं दी। बीएसए का कहना है कि संस्था को नोटिस भेजी जा रही है। इसके बाद विधिवत एफआइआर दर्ज कराई जाएगी। उधर, संस्था निदेशक का दावा है कि उसने सर्वे कराया है, बस अधिकारियों को जानकारी नहीं दी है। इस मामले की जांच करने वाले खंड शिक्षा अधिकारी कोरांव ने बताया कि संस्था बिना काम किए नोबल विजेता मलाला के नाम का इस्तेमाल कर खुद को चर्चित करने का प्रयास कर रही है। जांच में सभी प्रधानाध्यापकों ने लिखकर दिया है कि उनके यहां इस संस्था ने न तो कभी संपर्क किया और न ही किसी छात्र का प्रवेश करवाया है।
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