प्रमोद सिंह, हाथरस 1नौकरी के दौरान निष्ठा और ईमानदारी से देश की रक्षा करने वाले सैनिक रिटायरमेंट के बाद विभिन्न क्षेत्रों में बेहतर कार्य कर रहे हैं। हाथरस में भी करीब दो दर्जन रिटायर्ड सैनिक बेसिक शिक्षा विभाग के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में नौनिहालों का भविष्य संवार रहे हैं। देश सेवा का जज्बा दिखा चुके हमारे जाबांजों से उन शिक्षकों को समाजसेवा की सीख भी लेनी चाहिए जो हर साल लाखों रुपये वेतन तो पाते हैं, मगर अपनी भूमिका ठीक से नहीं निभाते हैं। 1सर्व शिक्षा अभियान के तहत प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के निर्देश शासन स्तर से दिए जाते रहे हैं, लेकिन ज्यादातर सरकारी विद्यालयों में शिक्षा का स्तर इतना गिर चुका है कि लोग मजबूरी में ही इन स्कूलों में अपने बच्चों को भेजते हैं। देहात क्षेत्र के तमाम विद्यालयों में शिक्षा का स्तर सुधारने के प्रयास भी नहीं हो रहे हैं। ऐसा इसलिए भी हो रहा है कि हमारे शिक्षकों को अध्यापन की भूमिका से ज्यादा, अन्य कार्यो में लगा दिया जाता है। इसके बावजूद यदि वे अपनी ऊर्जा का समुचित इस्तेमाल करते और ईमानदारी और सेवा के भाव से गरीब बच्चों को पढ़ाते तो स्कूलों की ऐसी दुर्दशा शायद न होती। बहरहाल जिले के करीब दो दर्जन विद्यालयों में रिटायर्ड फौजी बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद अब शिक्षक की भूमिका में हैं। हमारे जांबाज अपने विद्यालयों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के अलावा देशभक्ति और अनुशासन का पाठ भी पढ़ाने में जुटे हैं। इन गांवों के लोग भी इस बात से बेहद खुश हैं कि उनके बच्चों का भविष्य राष्ट्र सेवकों के हाथ में है। शायद इससे सरकारी स्कूलों के प्रति बन चुकी धारणा टूटे। बाकी स्कूलों में तैनात शिक्षक भी इनसे कुछ सीखें और गरीब बच्चों का भविष्य संवारने में आगे आएं।प्राथमिक विद्यालय तिलौठी में पढ़ाते शिक्षक। जागरण
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