पूरे देश में स्वच्छ भारत अभियान को सफल बनाने का प्रयास हो रहा है। केंद्र व प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में शामिल इस अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। सरकार और महत्वपूर्ण संस्थाओं के काफी प्रयास के बाद भी अभियान को अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है। इसका उदाहरण सुकरौली विकास खंड का पूर्व माध्यमिक विद्यालय मोतीपाकड़ कविलसहा है। विद्यालय परिसर में फैली गंदगी के बीच बच्चों को स्वच्छता की शिक्षा कैसे दी जा सकती है। कुछ माह पूर्व जिले के एक बड़े अधिकारी इस विद्यालय की जांच भी किए, लेकिन गंदगी को साफ कराने की जरूरत उन्होंने भी नहीं समझी। विद्यालय के शौचालय की स्थिति देखने लायक नहीं है। रसोईघर देखकर लगता है कि यहां भोजन बनाना बीमारियों को निमंत्रण देना है। इंडिया मार्क हैंडपंप से दूषित पानी निकलता है, रसोइए बगल के टोले से पानी लाते हैं। अगर समय रहते समस्याओं पर ध्यान न दिया गया तो स्थिति और खराब होगी। क्षेत्र के लोगों ने शीघ्र समाधान कराने की मांग की है।
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