☀ माडल स्कूल पर अभिभावकों ने किया प्रदर्शन
प्रतापगढ़ : समस्याओं से जूझ रहे बच्चों के मद्देनजर सोमवार को अभिभावकों ने माडल प्राइमरी स्कूल राजगढ़ पर प्रदर्शन किया। बता दें कि माडल स्कूल राजगढ़ के बच्चे इस समय संकट से जूझ रहे हैं। आधा शिक्षण सत्र बीतने के बाद भी जहां अभी तक किताबें नहीं मिल सकी हैं, वहीं कनवर्जन कास्ट न आने से 9 अगस्त से मिड डे मील बंद हो गया है। पहले से ही दो शिक्षकों की कमी स्कूल में थी, इस बीच अचानक दो और शिक्षकों को पदोन्नति देकर दूसरे स्कूल में भेज दिया गया। अब यहां सिर्फ हेडमास्टर अजय दुबे ही बचे हैं।
प्रतापगढ़ : अपनी मनमानी जारी रखते हुए बीएसए ने माडल स्कूलों का यूनीफार्म ही बदल दिया। अन्य प्राइमरी स्कूलों के बच्चों से अलग दिखने के लिए पिछले साल शर्ट को सफेद कर दिया गया था लेकिन इस बार खाकी रंग का ही यूनीफार्म बांटा गया।
परिषदीय प्राथमिक विद्यालयों के प्रति लोगों को आकर्षित करने के लिए मुख्यमंत्री ने पिछले साल हर जिले में दो-दो माडल स्कूल अंग्रेजी माध्यम से चलाने का निर्णय लिया था। इसके पीछे मंशा यह थी कि प्रयोग के तौर पर माडल प्राइमरी स्कूल चलाए जाएं, अगर यह प्रयोग बेहतर रहा तो माडल स्कूलों की संख्या और बढ़ाई जा सकती है। उसी के तहत प्रतापगढ़ में भी राजगढ़ और भुवालपुर डोमीपुर में अप्रैल 2015 में माडल स्कूल संचालित किए गए और वहां पर हेड मास्टर के अलावा चार-चार अंग्रेजी विषयों के शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई।
यह प्रयोग सफल रहा, जहां राजगढ़ में पहले साल 163 बच्चों ने दाखिला लिया, वहीं भुवालपुर डोमीपुर में यह संख्या 250 रही। तत्कालीन बीएसए एसटी हुसैन ने दोनों स्कूलों के हेड मास्टर से कहा कि जब अंग्रेजी माध्यम का स्कूल संचालित किया जा रहा है तो वहां के बच्चे भी अन्य प्राइमरी स्कूलों के बच्चों से अलग दिखने चाहिए। उन्होंने शर्ट को खाकी की तरह सफेद कर दिया और पिछले साल छात्रों को सफेद शर्ट व खाकी पैंट, छात्रओं को सफेद शर्ट व खाकी ट्यूनिक बांटा गया।
इस साल शिक्षण सत्र की शुरुआत में रहे बीएसए अजय कुमार सिंह ने माडल स्कूलों के यूनीफार्म को बदल दिया। उन्होंने निर्देश दिया कि अन्य प्राइमरी स्कूलों की तरह खाकी रंग का ही यूनीफार्म माडल स्कूलों के बच्चों में वितरित किया जाए। हेडमास्टरों ने माडल स्कूलों के बच्चों का यूनीफार्म कुछ अलग रखने की बात कही तो उन्हें घुड़की देकर बीएसए ने चुप करा दिया। वैसे माडल स्कूलों को बदहाल करने में बीएसए ने कोई कसर नहीं छोड़ी है। कभी इस बात की चिंता नहीं की कि कनवर्जन कास्ट न भेजे जाने की वजह से माडल स्कूलों में मिड डे मील नहीं बन पा रहा है। इससे एक कदम आगे बढ़ कर सहायक अध्यापकों की तैनाती किए बिना ही माडल स्कूलों के शिक्षकों पदोन्नति देकर दूसरे स्कूलों में भेज दिया।
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