गरीबों के सपने पूरे करने के लिए सरकार ने खजाना तो खोला पर जिम्मेदारों की झोली ही छोटी निकली। नि:शुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार में निजी विद्यालयों में प्रवेश पाने वाले बच्चों के लिए शासन ने प्रति बच्चे को पांच हजार रुपये जारी किए हैं लेकिन जिले में मात्र 11 बच्चे ही खोजे जा सके थे जिन्हें लाभ मिलेगा। जानकारों का कहना है अगर शुरू में लापरवाही न होती तो अन्य बच्चों को भी लाभ मिल जाता। फिलहाल विभाग ने जिन बच्चों को लाभ मिल रहा है उन्हें धनराशि भेजने की तैयारी शुरू कर दी है।
शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के बाद निजी विद्यालयों में 25 फीसद सीटों पर गरीब बच्चों का प्रवेश लेने की व्यवस्था बनाई गई थी। योजना तो कई सालों से चल रही है पर बच्चों को लाभ नहीं दिलाया जा सका था। कहीं पर बच्चे नहीं मिले तो कहीं शासनादेश आड़े आया। शैक्षिक सत्र 2016-17 के लिए शासन स्तर से सख्ती की गई तो पूरे जिले में बच्चों की खोजबीन शुरू हुई। आवेदन तो काफी आए लेकिन जांच और अन्य प्रक्रिया पूरी करने के बाद 11 बच्चे ही पात्र मिले हैं। वैसे पूर्व में इन बच्चों को मात्र 400 रुपये प्रति माह दिए जाने की व्यवस्था चल रही थी जिसमें स्कूल भी रुचि नहीं ले रहे थे। अभिभावक भी परेशान थे कि बच्चों की फीस और किताबों का कैसे इंतजाम होगा लेकिन अब सरकार ने बच्चों का इंतजाम कर दिया है और प्रति बच्चा पांच हजार रुपये जारी हो रहे हैं। जिसके लिए बच्चे या उसके माता पिता का खाता नंबर मांगा गया है। इस खाते में धनराशि भेजी जाएगी और उससे बच्चे का पूरा इंतजाम हो जाएगा। जिला समन्वयक सामुदायिक सहभागिता राजीव मिश्र कहते हैं कि खातों की संख्या भेजी जा रही है।
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