अलीगढ़ : तमाम प्रशासनिक जिद्दोजहद के बाद भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों की ड्रेस अनफिट ही रही। इस बार बच्चों को ड्रेस वितरण से पहले शासन-प्रशासन ने नियमों का जाल बुना था। इसमें डीएम कार्यालय में कपड़े की साबुन से धुलाई, हर बच्चे की दर्जी के पास नाप दिलाकर मजबूत सिलाई जैसे मानक तय किए गए। मगर, ड्रेस का सूरत-ए-हाल नहीं बदला। स्कूलों में पैंट की मुड़ी हुई मोहरी, शर्ट की मुड़ी हुई बांह नाप वाली सिलाई की पोल खोल देते हैं। उत्तर प्रदेशीय जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष डॉ. प्रशांत शर्मा ने आरोप लगाया कि अधिकारियों की मिलीभगत से रेडीमेड ड्रेस बांटी जा रही हैं। डेस की सिलाई तो दूर, कपड़े की गुणवत्ता भी परख लें तो मानकों के विपरीत ही मिलेगी। बीएसए धीरेंद्र यादव का कहना है कि खंड शिक्षा अधिकारियों की लापरवाही की शिकायत मिली हैं। डीएम को भी जानकारी दे दी है। गड़बड़ी करने वालों के नाम नोटिस जारी करूंगा।


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