राप्ती की बाढ़ में दो साल पहले जमींदोज हो गया था विद्यालय
दो शिक्षकों के जिम्मे है 119 बच्चों के शिक्षा की जिम्मेदारी
शिक्षा का हाल
इस तस्वीर को जरा गौर से देखिए! ये टेंट किसी समारोह के लिए नहीं लगा है, बल्कि मनिकाचौक प्राथमिक विद्यालय का है। इसी तंबू-कनात में पिछले दो साल से नौनिहालों का भविष्य संवारा जा रहा है। शिक्षा विभाग स्कूल के लिए एक अदद भवन का इंतजाम नहीं कर पा रहा है। ऐसे में ज्यादातर बच्चों को पेड़ के नीचे अपनी शिक्षा पूरी करनी पड़ रही है। 2014 में राप्ती नदी में आई भीषण बाढ़ के दौरान हरिहरपुररानी ब्लॉक के मानिकाचौक गांव का प्राथमिक विद्यालय भवन भी नदी के आगोश में समा गया था। कटान की भेंट चढ़े इस स्कूल के बच्चों के पठन-पाठन के लिए भवन का कोई इंतजाम अब तक नहीं हो पाया। ऐसे में यहां पंजीकृत 119 बच्चों को दो शिक्षकों के मार्गदर्शन में खुले में पढ़ना पड़ रहा है। तंबू-कनात तो विद्यालय अभिलेख व फर्नीचर को सुरक्षित रखने के लिए लगाए गए हैं। यही नहीं छात्र, शिक्षकों व अधिकारियों के लिए तंबू-कनात की भूमि केवल स्कूल की पहचान सुनिश्चित कराने तक ही सीमित है। तंबू-कनात का इंतजाम तत्कालीन प्रधान शिक्षक जगदीश प्रसाद वर्मा ने किया था। यही हाल राजावीरपुर गांव पंचायत के प्राथमिक विद्यालय बरंगा व प्राथमिक विद्यालय सुजानडीह का भी है। ये विद्यालय भी लंबे समय से भवन विहीन है।1बेसिक शिक्षा अधिकारी शाहीन ने कहा कि प्राथमिक विद्यालय के पास भवन न होने की जानकारी है। इस संबंध में पत्रचार किया गया है। सुरक्षित स्थान पर जमीन की तलाश की जा रही है। बजट की व्यवस्था होने के बाद विद्यालय भवन का निर्माण कराया जाएगा।
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