एक ओर जिलाधिकारी परिषदीय स्कूलों की शिक्षा गुणवत्ता को सुधारने सह समन्वयकों की चयन प्रक्रिया को हरी झंडी दिखा चुके है। लेकिन बीएसए की लापरवाही के चलते एबीआरसी चयन प्रक्रिया अधर में लटकती दिख रहीं है। जिससे कारण परिषदीय स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार नहीं हो पा रहा है। जबकि एबीआरसी की परीक्षा में शामिल होने के लिए सैकड़ों शिक्षक आवेदन भी कर चुके है। जिससे एबीआरसी चयन प्रक्रिया डीएम के आदेशों के बाद भी फाइलों में कैद होकर रह गई है।
जनपद में 27 सौ प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों का संचालन किया जा रहा है। स्कूलों में शिक्षा समेत अन्य व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए सभी बीआरसी पर पांच-पांच एबीआरसी की तैनाती होना आवश्यक है। लेकिन वर्तमान में किसी बीआरसी पर दो तो कहीं एक ही एबीआरसी है। जिससे डीएम के निर्देशों का पालन भी ठीक तरह से नहीं हो पा रहा है। इन स्थितियों के बाद भी बीएसए जीएस निरंजन ने एबीआरसी पदों के लिए आवेदन करने वाले शिक्षकों की चयन प्रक्रिया अब प्रारंभ नहीं की है। एबीआरसी चयन प्रक्रिया सुस्त होने के कारण परिषदीय स्कूलों की नवाचार प्रक्रिया पूरी तरह से गड़बड़ा रही है। बीआरसी केंद्रों पर एबीआरसी के 30 पद रिक्त होने से डीएम के निर्देशों का पालन नहीं हो पा रहा है। वहीं गणित, अंग्रेजी और विज्ञान के शिक्षकों को एबीआरसी से मिलने वाल प्रशिक्षण सुस्त दिख रहा है। बीएसए बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करते दिख रहे है। 1अगर आवेदन के बाद भी एबीआरसी भर्ती प्रक्रिया शुरू नहीं की जा रही है तो बीएसए से जवाब मांगा जाएगा। चयन प्रक्रिया को शीघ्र पूरा करने के निर्देश दिए जाएंगे, जिससे स्कूलों की शिक्षा को और सुधारा जा सके।
महेंद्र सिंह राणा, एडी बेसिक, लखनऊ मंडल।
‘इस मामले में बीएसए को तलब किया जाएगा। आवेदन के बाद भी एबीआरसी चयन प्रक्रिया क्यों नहीं शुरू की जा रही है इस बात की जाएगी। अगर लापरवाही सामने आती है तो कार्रवाई भी की जाएगी।
अनुज कुमार झा, जिलाधिकारी, रायबरेली।
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