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Monday, November 14, 2016

हरदोई : स्वच्छता पर जोर अव्यवस्थाएं घनघोर, विद्यालयों में शौचालयों के नाम पर हुई खानापूर्ति

वाह रे व्यवस्था। स्वच्छ शौचालयों पर केंद्र और राज्य सरकार गंभीर है। सरकारें शौचालयों को बनवाने पर जोर दे रहे हैं। खुले में शौच मुक्त गांव बनाए जा रहे हैं, लेकिन परिषदीय विद्यालयों में पूरी तरह से अव्यवस्थाएं छाई हुई हैं। कहने को तो विद्यालयों में साफ सुथरे शौचालय रखने वालों को पुरस्कार दिया जा रहा है, लेकिन कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो अधिकांश विद्यालयों में शौचालयों के नाम पर केवल खाना पूर्ति हो रही है। कहीं टूटे पड़े हैं और कहीं कंडे लगाए जा रहे हैं। ऐसा नहीं कि अधिकारियों को कोई जानकारी नहीं है। सब कुछ जानते हुए भी अधिकारी आंख बंद किए हुए हैं। परिषदीय विद्यालयों में न केवल शौचालयों की साफ सफाई पर जोर है बल्कि बालक और बालिकाओं के अलग अलग शौचालय होने की व्यवस्था है। शासन स्तर से इसके लिए कड़े आदेश भी जारी हैं और समय समय पर धनराशि भी जारी होती रहती है लेकिन व्यवस्था पूरी तरह से उल्टी है। जिले के करीब 3850 प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में से 80 फीसद में शौचालयों नाम मात्र के बने हुए हैं। न कोई साफ सफाई का इंतजाम है और न ही कोई अन्य व्यवस्थाएं और तो और सैकड़ों विद्यालयों में तो ऐसे शौचालय हैं जिसमें दरवाजे तक नह ं हैं। छात्रओं के साथ शिक्षिकाएं भी रहती परेशान शौचालयों का इंतजाम न होने से न केवल विद्यालय की छात्रओं को परेशानी उठानी पड़ती है बल्कि शिक्षिकाएं भी परेशान रहती हैं। अधिकांश विद्यालय तो गांवों के बाहर हैं और ऐसे में शौचालयों का इंतजाम न होना छात्रओं की सुरक्षा से भी खिलवाड़ है वहीं कुछ शिक्षिकाओं का कहना है कि उन्हें रोजाना दिक्कत उठानी पड़ती है लेकिन विभाग कोई ध्यान नहीं देता है।सरकारी विद्यालयों में ही नहीं हो रहा नियमों का पालनवैसे तो विद्यालयों की मान्यता के नियमों में विद्यालय में शौचालय और पेयजल का इंतजाम शामिल है लेकिन सरकारी विद्यालयों में ही इसका पालन नहीं हो रहा है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम में भी बच्चों को उनका पूरा हक द ने का प्राविधान है लेकिन उसके बाद भी जिम्मेदार कोई ध्यान नहीं देते हैं। हां अगर किसी निजी विद्यालय में कुछ गड़बड़ी मिलती हैं तो कार्रवाई की बात कही जाती है लेकिन परिषदीय विद्यालयों में ही नियमों का पालन नहीं हो रहा है।आयोग के आदेश पर भी नहीं दे रहे ध्यानविधान सभा चुनाव में अधिकांश मतदान केंद्र विद्यालयों में हैं और मतदान केंद्रों पर पेयजल के साथ ही शौचालयों पर जोर दिया जा रहा है। आयोग से न जाने कितने फरमान आ चुके, जिला प्रशासन से लेकर शासन तक आख्याएं जा चुकी हैं। हालांकि इसमें महज करीब 800 विद्यालयों में शौचालय खराब बताए गए लेकिन जिन विद्यालयों में खराब बताए गए हैं वहां पर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है और आयोग को भी अधिकारी गुमराह कर रहे हैं।

ग्रामीणों की मनमानी भी जिम्मेदार
शौचालयों की दुर्दशा पर विभाग को जिम्मेदार है ही ग्रामीणों की मनमानी भी सुधार नहीं होने देती है। कई शिक्षक शिक्षिकाओं ने बताया कि उनके विद्यालयों में तो ग्रामीणों ने ही शौचालय तोड़ डाले। किसी का गेट तोड़ दिया गया तो किसी की सीट उखाड़ दी गई। शिकायत के बाद भी कोई ध्यान नहीं दिया गया वह लोग परेशान हैं कि आखिर करें तो क्या करें।

बीएसए बोले

जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने बताया कि विद्यालयों में शौचालयों की साफ सफाई पर पूरा ध्यान है। जहां खराबी मिलती कार्रवाई होती है। जांच में जहां जहां शौचालय सही नहीं पाए गए उनकी रिपोर्ट संबंधित विभाग को दी गई है और आगे की कार्रवाई कराई जा रही है।विद्यालय के शौचालय का यह है हाल।

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