लखनऊ का अमीनाबाद इंटर कालेज हो या फिर उसी जिले का बाबूगंज स्थित रामाधीन इंटर कालेज जहां पिछले साल इंटरमीडिएट की प्रायोगिक परीक्षा कराने फर्जी शिक्षक पहुंचे। यह फर्जीवाड़ा इसलिए हो सका, क्योंकि दोनों जगहों पर प्रदेश के वित्तविहीन महाविद्यालयों के शिक्षकों को इम्तिहान लेने जाना था। एक जगह पहुंचा शिक्षक अपना विद्यालय छोड़ चुका था और दूसरी जगह पहचान छिपाकर दूसरे शिक्षक ने परीक्षा लेने का प्रयास किया। अब यूपी बोर्ड की इंटरमीडिएट प्रायोगिक परीक्षा में ऐसा नहीं हो सकेगा, बोर्ड प्रशासन ने वित्तविहीन महाविद्यालयों के शिक्षकों को परीक्षक न बनाने का अहम निर्णय लिया है।
माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 की तैयारियां तेज हैं। बोर्ड परीक्षा समिति ने प्रायोगिक परीक्षा एवं उत्तरपुस्तिकाएं जांचने वाले मौजूदा व पूर्व शिक्षकों को लेकर अहम निर्णय किया है। दरअसल प्रदेश के वित्तविहीन महाविद्यालयों के शिक्षक भी लंबे समय से हाईस्कूल व इंटर की प्रायोगिक परीक्षाएं कराने का जिम्मा निभा रहे थे। इधर उनकी कार्यशैली पर लगातार अंगुलियां उठ रही थी, मसलन परीक्षा के नाम पर अवैध वसूली, स्कूल न जाकर घर-बैठे अंक बांटना एवं अपनी जगह किसी और को परीक्षक बनाकर भेज देना आदि। बोर्ड प्रशासन चाहकर भी उन पर अंकुश नहीं लगा पा रहा था। ऐसे में अफसरों ने एकमत होकर निर्णय लिया कि ऐसे शिक्षकों को परीक्षा कार्य मुक्त कर दिया जाए, क्योंकि अब परिषद में पर्याप्त मानव संसाधन है जो परीक्षक बन सकता है। इस निर्णय के बाद बड़ी संख्या में वित्तविहीन डिग्री कालेज शिक्षक परीक्षकों की सूची से हटाए जा रहे हैं। अशासकीय एवं राजकीय महाविद्यालयों के शिक्षक कार्य करते रहेंगे। इनकी जगह माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को नया परीक्षक बनाया जाएगा। परिषद सचिव शैल यादव ने बताया कि परीक्षा समिति के निर्णय पर इसी सत्र से अनुपालन होगा। 170 साल से अधिक आयु वाले पूर्व शिक्षक भी नहीं बनेंगे परीक्षक : यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा हो या फिर उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन, इसमें मौजूदा एवं पूर्व शिक्षकों को साथ-साथ मौका दिया जाता है। पिछले साल तक किसी भी आयु का पूर्व शिक्षक परीक्षक बनने का दायित्व निभा सकता था, लेकिन इस साल परीक्षा समिति ने इसकी भी आयु सीमा तय कर दी है। अब 70 से अधिक आयु का पूर्व शिक्षक परीक्षक नहीं बन सकेगा। इससे परीक्षकों की सूची में बड़ा उलटफेर होने की उम्मीद है।
लिखित पत्र नहीं, उसी विद्यालय से करना होगा ऑनलाइन आवेदन : यूपी बोर्ड की प्रायोगिक परीक्षा या फिर उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के लिए पिछले साल तक उन्हीं पूर्व शिक्षकों को परीक्षक बनाया जाता था, जिनके लिखित आवेदन बोर्ड मुख्यालय को मिल जाते थे। परीक्षा समिति ने इसमें बदलाव करते हुए पूर्व शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन करने का निर्देश दिया है। रिटायर शिक्षकों को उसी विद्यालय से बोर्ड की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन कराना होगा, जहां से वह सेवानिवृत्त हुए हैं
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