DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Wednesday, November 16, 2016

लखनऊ : बिना ड्रेस के स्कूल जा रहे हैं बच्चे, प्राथमिक व उच्च प्राथमिक संबद्ध विद्यालयों में नहीं मिली स्कूल ड्रेस, किताबों की सप्लाई भी आधी-अधूरी

राजधानी के सरकारी स्कूलों में आधे सत्र के बाद भी बच्चों को स्कूल डेस नहीं मिल पाई है। हाल यह है कि बच्चे बिना डेस के स्कूल आने को मजबूर हैं। अभी तक कई स्कूलों में पूरी किताबें तक नहीं पहुंच पाई हैं। इस वजह से बच्चों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

राजधानी के संबद्ध प्राथमिक और जूनियर हाई स्कूलों में आधा सत्र बीत जाने के बाद भी स्कूल ड्रेस नहीं मिल पाई है। बच्चे स्कूल में बिना यूनिफॉर्म के आ रहे हैं, इसके चलते स्कूल में अनुशासन बनाने में दिक्कत आ रही है। स्कूल प्रशासन का कहना है कि कुछ बच्चे अपनी पुरानी डेस से काम चला रहे हैं। वहीं कुछ बच्चों को मनचाही डेस में आने की छूट मिल रही है। डेस नहीं होने की वजह से शिक्षक बच्चों पर सख्ती भी नहीं कर पा रहे हैं। स्कूल की समदृश्यता भी भंग हो रही है और अनुशासन में भी दिक्कत हो रही है। जहां स्कूल प्रशासन का दावा है कि उन्हें डेस नहीं मिली है और न ही डेस के लिए पैसे मिले हैं, वहीं बेसिक शिक्षा अधिकारी का दावा है कि स्कूलों को पैसे पहुंचा दिए गए हैं।

जियामऊ प्रथामिक स्कूल में बिना ड्रेस के स्कूल आए बच्चेजागरणडीआइओएस ने जो सूची जारी की है वहां सब जगह डेस पहुंचा दी गई है। वहीं संबद्ध प्राथमिक विद्यालयों में स्कूल डेस के लिए पैसे पहुंचा दिए गए हैं। केवल कक्षा पांच की अभ्यास पुस्तिकाओं की प्रिंटिंग नहीं हो पाई है, वह भी जल्द उपलब्ध हो जाएगी।1- प्रवीण मणि त्रिपाठी1बेसिक शिक्षा अधिकारी1आधे सत्र के बाद छपी नई पुस्तकें कुछ ही स्कूलों तक पहुंच पाई हैं। अभी भी कक्षा एक से लेकर पांच तक में चलने वाली अभ्यास पुस्तिकाएं प्रिंटिंग सेंटर तक नहीं पहुंच पाई है। कक्षा आठ तक की लगभग चार पुस्तकें अभी भी कई स्कूलों तक नहीं पहुंच पाई हैं। स्कूल प्रशासन का कहना है कि पिछली बार जब वह सप्लाई सेंटर गए थे तो उन्हें आठवीं कक्षा की चार किताबें नहीं मिल पाई थी। इस वजह से बच्चों को पढ़ाने में दिक्कतें आ रही हैं। पिछले सत्र में तो नोट्स के जरिए बच्चों को पढ़ाया गया था।

No comments:
Write comments