जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय में मंगलवार को बीएसए कक्ष में सपा महासचिव वीरेंद्र सिंह यादव के बीच हुए विवाद पर पूरी तरह से पर्दा डाल दिया गया है। अब कौन किसकी कहे। बीएसए कुछ कह नहीं रहे और सपा नेता का कहना है कि उनका कोई विवाद हुआ ही नहीं। जो हुआ वह तो वही जाने पर यह कोई नया मामला नहीं है। आए दिन बीएसए कार्यालय में विवाद की स्थितियां पैदा होती रहती हैं। जिनके पास दम है वह विवाद करते नहीं तो मायूस होकर लौट जाते हैं।
सपा महासचिव वीरे यादव और बीएसए मसीहुज्जमा सिद्दीकी के बीच किसी काम को लेकर कहासुनी हो गई। मौके पर मौजूद लोगों के अनुसार सपा नेता की चिट्ठी पर बीएसए ने काम करने से मना कर दिया तो सपा नेता का पारा चढ़ गया। सपा नेता ने सत्ता की धमक दिखाते हुए धमकाया तो बीएसए ने नियमों का पाठ पढ़ाया। हालांकि मौके पर मौजूद लोगों ने विवाद शांत कर दिया, दोनों पक्षों की तरफ से कोई शिकायत नहीं की गई। बीएसए का कहना है कि कोई खास बात नहीं थी, सपा महासचिव ने एक काम के लिए कहा था जिसे वह नहीं कर सके। वहीं सपा नेता का कहना है कि उन्होंने कोई धमकाया नहीं था और न ही कोई विवाद हुआ। चिट्ठी पर काम नहीं हुआ तो वह चले आए। अब दोनों तरफ से मामला सुलझा लिया गया। लेकिन यह पहला मामला नहीं है। आए दिन विवाद होते रहते हैं। बकाया वेतन भुगतान को लेकर शिक्षक शिक्षिकाएं दर दर भटक रहे हैं। बिना कमीशन काम नहीं होता तो सीसीएल के लिए शिक्षिकाएं परेशान हैं। मातृत्व अवकाश के लिए उन्हें दौड़ाया जाता है। जिसके पास जुगाड़ है या दम है उसका तो काम हो जाता लेकिन जिनके पास कुछ नहीं है वह मायूस होकर लौट जाते हैं। ऐसा एक दिन हीं आए दिन सामने आता रहता है। अधिकारियों तक शिकायतें भी जाती हैं लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया जाता।
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