परिषदीय विद्यालयों में बच्चों को केला और अमरूद खिला खाना पूर्ति करने वाले प्रधानाध्यापकों की जुगाड़ अब काम नहीं देगी। माह के अंत में उन्हें सेब, अनार आदि खिलाने होंगे और ऐसा करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को सघन निरीक्षण का आदेश दिया है।
मिड-डे मील में बच्चों को हर सोमवार को मौसमी फल खिलाने का आदेश है। प्रति बच्चा चार रुपये के हिसाब से धनराशि भेजी गई है। वैसे व्यवस्था को मौसमी फल खिलाने की है लेकिन कुछ विद्यालयों को छोड़ दें तो अधिकांश में केवल जुगाड़ से ही काम चलाया जाता है। बच्चों को केला और सस्ते अमरूद खिलाकर खाना पूर्ति कर दी जाती जबकि धनराशि अधिक होती है। वैसे हर सप्ताह नहीं लेकिन महीने में एक बार तो बच्चों को सेब, संतरा आदि खिलाए जा सकते हैं। जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी ने इसके लिए व्यवस्था भी बनाई थी। जिसमें साफ कहा गया था कि जिन विद्यालयों में केला और अमरूद आदि खिलाए जाते हैं। उन विद्यालयों में बची हुई धनराशि को जोड़कर अंतिम सप्ताह में सेब, संतरा, मौसमी आदि खिलाए जाएं, लेकिन ऐसा नहीं हो रहा है और अभी भी बच्चों को फलों के नाम पर खाना पूर्ति हो रही है। जिस पर अब कड़ा रुख अख्तियार किया गया है। जिलाधिकारी के आदेश पर बीएसए मसीहुज्जमा सिद्दीकी ने सभी खंड शिक्षा अधिकारियों को आदेश जारी किया कि वह माह के अंतिम सोमवार या अवकाश की स्थिति में अगले जिस दिन फल खिलाए जाएं उस दिन सघन निरीक्षण करें। जहां पर भी बच्चों को सेब आदि न खिलाने की जानकारी मिले वहां के प्रधानाध्यापक या प्रभारी प्रधानाध्यापक के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाए।
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