प्रतिभा
जिस स्कूल में मिली तैनाती, बच्चों व अभिभावकों पर छाप छोड़ने में रहे सफल
परिषदीय विद्यालय के एक साधारण रहन-सहन वाले अध्यापक का शिक्षा के प्रति जुनून अलग पहचान दिला रहा है। जहां भी रहे, जिस स्कूल में तैनाती रही, अपनी अलग छाप छोड़ने में सफल रहे। सरकारी स्कूल को कान्वेंट विद्यालय से टक्कर देते रहे। हंिदूी, गणित विषय में दक्षता हासिल, तो बच्चों के शारीरिक स्वास्थ्य व खेलकूद पर भी विशेष ध्यान देते हैं। मेहनत-लगन का ही नतीजा रहा है कि स्कूल के बच्चे प्रदेश स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में कई बार भाग ले चुके हैं और तो और राष्ट्रीय खोज प्रतियागिता में भाग लेकर बच्चे विद्यालय व जनपद नाम रोशन कर चुके हैं।
जी हां, इन सारी खूबी के धनी हैं डुमरियागंज पूर्व माध्यमिक विद्यालय में तैनात शिक्षक राम बिलास सिंह। मूलत: गाजीपुर जनपद के निवासी शिक्षक की पहली तैनाती पांच जुलाई 1993 में भनवापुर विकास खंड अन्तर्गत प्राथमिक विद्यालय साहेपारा में हुई। करीब छह साल तक इसी स्कूल में एक अध्यापक के रूप में तैनात रहे। 1कक्षा तीन, चार व पांच के बच्चों की रात्रि कालीन कक्षा चलाकर तैयारी कराते थे। शिक्षा के प्रति इस तरह के लगाव का परिणाम रहा कि इस स्कूल में बच्चों की संख्या 200 तक पहुंच गई। अभिभावक कान्वेंट स्कूल के बजाए इनके यहां अपने बच्चों का नामांकन कराने लगे। इसी तरह प्राथमिक विद्यालय डेंगहा जोत कस्तूरी, पूर्व माध्यमिक विद्यालय अमौना पाण्डेय आदि की दशा सुधारने के बाद वर्तमान में राम बिलास की तैनाती बीआरसी प्रांगण स्थित जूनियर स्कूल में हैं। राम बिलास की मेहनत का नतीजा था कि यहां के बच्चे पीटी, विशेष प्रदर्शन, योग जिमनास्टिक आदि खेलों में विजयी हुए। स्काउट गाइड में जनपद व मंडल स्तरीय प्रतियोगिता में डुमरियागंज के बच्चे अपने संवर्ग में प्रथम स्थान पर रहे। शिक्षक के साथ यही प्रशिक्षक भी हैं। कहना गलत न होगा कि यदि राम बिलास जैसे अध्यापक हर विद्यालय को मिल जाएं, तो परिषदीय स्कूलों की दिशा व दशा में भी व्यापक सुधार आएगा।गणित के सूत्र बताते शिक्षक राम बिलास ’
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