विधानसभा चुनाव के चलते जिस तरह से चालू सत्र की पढ़ाई लिखाई चौपट हो गई है, उसको संज्ञान में लेते हुए शासन स्तर में सत्र बदलाव के लिए कवायद चल रही है। 1 अप्रैल से चालू होने वाले सत्र को जुलाई माह में करने की व्यवस्था शासन स्तर पर लंबित है। शिक्षकों का मानना है कि इसबार की परिस्थिति को देखते हुए बदलाव जरूरी हो गया है। सचिव स्तर पर पत्रवली भी चल रही है। जल्द घोषणा होने की संभावनाएं हैं।
माध्यमिक व बेसिक शिक्षा के स्कूलों में मार्च माह में सत्र हो जाएगा पूरा, गुरुजी के चुनावी कार्यक्रम में व्यस्त होने से पढ़ाई ठप
चुनावी वर्ष में नेताओं को गद्दी और राजगद्दी भले ही मिल जाए, लेकिन विधानसभा चुनाव गुरुजी के व्यस्त हो जाने से पठन-पाठन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। सत्र के अंतिम दिनों में जब वार्षिक परीक्षा के लिए दोहराने की तैयारी होती है तब गुरुजी चुनावी ड्यूटी में चले गए हैं। जिले में खुले बेसिक एवं माध्यमिक स्कूलों में गुरुजी की उपस्थिति न होने से शैक्षिक माहौल पूरी तरह से ध्वस्त हो गया है। स्कूल आने वाले बच्चे गुरुजी की उपस्थिति न होने से बिना पढ़े बैरंग लौटने को मजबूर हैं।
शासन ने दो साल पहले जुलाई से शुरू होने वाले शिक्षा सत्र को परिवर्तित करते हुए एक अप्रैल से कर दिया था। 31 मार्च को खत्म हो रहे शिक्षासत्र की पड़ताल करें तो तमाम स्कूलों का कोर्स अभी पूरा तक नहीं हो पाया है। स्कूलों का शैक्षिक माहौल बुरी तरह से प्रभावित हो गया है। गुरुजी के चुनाव में ड्यूटी में होने से दिनभर छात्र-छात्रएं मटरगस्ती करके बैरंग घर लौटने को मजबूर हो रहे हैं। साल भर स्कूलों में शैक्षिक माहौल बनाने के तमाम शासनादेश जारी हुए, लेकिन धरातल पर स्थिति इतर ही रही है। माध्यमिक स्कूलों में शिक्षक-विधायक के चुनाव के चलते बीते कई माहों से शिक्षक चुनाव में व्यस्त रहे हैं। बेसिक स्कूलों में मतदाता सूची बनाने जैसे कामों में खासा समय गुरुजी का लग गया है। जिसके चलते भी स्कूलों में पढ़ाए जाने वाले कोर्स को पूरा नहीं किया जा सका है। माध्यमिक स्कूलों में पहले से ही शिक्षकों का टोटा है। विकल्प तलाश करके पहले ही पढ़ाई कराने का सपना भी धराशाई नजर आ रहा है। शासनादेश में पाठ्यक्रम को कैलेंडर के अनुसार विभाजित करके पठन-पाठन की जिम्मेदारी दी गई है। यह जिम्मेदारी केवल कागजों में दिखाई दे रही है। खासबात यह है कि कोई भी जिम्मेदार इस समस्या को मानने को तैयार नहीं है। डीआईओएस नंदलाल यादव ने कोर्स पिछड़ने के दावे से इंकार करते हुए कहाकि शैक्षिक कैलेंडर की जांच करा ली जाए। परिस्थितियों को देखते हुए पहले से ही तैयारी करके पाठ्यक्रम को पूरा कराने में ताकत लगाई गई थी। जिसके चलते कोर्स पूरा हो गया है। चुनाव जैसे राष्ट्रीय कार्यक्रम में सभी का योगदान होता है इसलिए शिक्षक-शिक्षिकाएं व्यस्त हैं। 23 फरवरी के बाद पूरी शिद्दत के साथ अभियान चलाकर कोर्स का रिवीजन कराया जाएगा।
कोचिंग बने सहारा : विभिन्न कक्षाओं में पढ़ रहे छात्र-छात्रओं के सामने बड़ी दिक्कत है कि किसी भी तरह से कोर्स पूरा होता नहीं दिख पा रहा है। जिससे समस्या से निजात पाने के लिए अभिभावकों ने अपने पाल्यों को बचे कोर्स के लिए कोचिंग संस्थानों की ओर मोड़ दिया है। स्कूल में समय गंवाने के बजाए वह स्कूल समय में कोचिंग भेजना पसंद कर रहे हैं। जिससे स्कूलों में और भी सन्नाटा शिक्षण संस्थानों में दिखाई दे रहा है। एएस इंटर कालेज के मैदान में बैठे बच्चे ’ जागरण
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