इलाहाबाद वरिष्ठ संवाददाताउत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड दस साल से ¨प्रसिपल की भर्ती नहीं कर सका है। बोर्ड की इस नाकामी के कारण प्रदेश के हजारों सहायता प्राप्त माध्यमिक स्कूल कार्यवाहक प्रधानाचार्यों के भरोसे चल रहे हैं। पूर्व सपा सरकार की मनमानी के कारण 2014 में हाईकोर्ट ने भर्ती पर रोक लगाई तो आज तक शुरू नहीं हो सकी।2008 की ¨प्रसिपल भर्ती के बाद चयन बोर्ड ने तकरीबन एक हजार पदों के लिए जून 2011 में प्रक्रिया शुरू की थी। इन पर नियुक्ति के साक्षात्कार शुरू होते कि इससे पहले हरिश्चन्द्र दीक्षित समेत 19 अन्य ने हाईकोर्ट में अध्यक्ष व सदस्यों की योग्यता को लेकर याचिका कर दी। सबसे अधिक आपत्ति सदस्य के रूप में नियुक्त एलटी ग्रेड शिक्षक और प्रवक्ता को लेकर थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि एलटी ग्रेड और प्रवक्ता शिक्षक से बड़ा पद प्रधानाचार्य का है। लिहाजा प्रधानाचार्यों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों का साक्षात्कार एलटी ग्रेड शिक्षक या प्रवक्ता नहीं ले सकते। इस पर हाईकोर्ट ने तीन फरवरी 2014 को ¨प्रसिपल भर्ती के परिणाम पर रोक लगा दी। इसके बावजूद सरकार ने अयोग्य सदस्यों को बाहर नहीं किया। चयन बोर्ड हाईकोर्ट में प्रभावी पैरवी नहीं कर पा रहा और नियुक्ति फंसी हुई है। प्रदेश के तकरीबन ढाई हजार सहायता प्राप्त हाईस्कूल और इंटर कॉलेजों में प्रधानाचार्य के पद खाली हैं।
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