प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालय पातेपुर में बीते दिसंबर से ही भोजन न बनने के कारण बच्चे भूखे पेट लौटने के लिए विवश हैं। विद्यालय में खेत खाये गदहा मारल जाए जोलहा का कहावत चरितार्थ हो रही है। ग्राम प्रधान और अध्यापकों के बीच चल रहे तकरार का खामियाजा यहां बच्चे भुगत रहे हैं। इस समस्या से विभागीय उच्चाधिकारी भी अवगत हैं। इसके बावजूद समस्या का निराकरण नहीं हो पा रहा है और बच्चे भूखे पेट लौट रहे हैं। यह बातें ग्रामीणों के मन में खटक रही है।
एमडीएम न बनने से इसका असर बच्चों की उपस्थिति पर भी पड़ रही है। इतना ही नहीं बच्चों को नई किताबें अभी नहीं मिली हैं। वे पुरानी किताबों से ही पढ़ते मिले। उच्च प्राथमिक मे पंजीकृत बच्चे 48 हैं जिसमें 15 नया नामांकन है वहीं तीन अध्यापक है जो उपस्थित मिले।
प्रधानाध्यापक मंगलेश राम ने बताया कि प्रधान मिड डे मिल के लिए खाद्यान्न नहीं उपलब्ध करा रहे हैं। इससे उच्चाधिकारीगण भलीभांति अवगत हैं। वहीं प्राथमिक विद्यालय में 78 पंजीकृत बच्चे हैं इसमें 40 बच्चे मौजूद रहे। नये नौ बच्चों का नामांकन किया गया है। अध्यापकों की संख्या चार है जिसमें दो महिला अध्यापक है। विद्यालय में कार्यरत पांच रसोइया में चार मौके पर मौजूद मिलीं।
बताया कि ग्राम प्रधान राशन उपलब्ध नहीं करा पा रहे हैं। विद्यालय भवन का फर्श टूट चुका है। शौचालय खराब पड़ा है। हैण्डपंप कहने के लिए दो हैं पर पानी गंदा आता है। सफाईकर्मी न होने के कारण परेशानी का सामना करना पड़ता है। खंड शिक्षा अधिकारी अखिलेश कुमार झा ने बताया कि भोजन नहीं बनता है इससे बीएसए को अवगत करा चुके हैं।’अब तक नहीं हुई है पुस्तकों की व्यवस्था, भविष्य से खिलवाड़ परिषदीय विद्यालयों के हाल-हवाल की एक बानगी है यह हाल
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