लखनऊ : माध्यमिक शिक्षा विभाग में ग्रेच्युटी भुगतान में खेल किए जाने का मामला सामने आया है। उप शिक्षा निदेशक (षष्ठ मंडल) लखनऊ कार्यालय स्तर से नॉन टीचिंग स्टाफ का ग्रेच्युटी भुगतान मंडलीय ऑडिट इकाई से परीक्षण कराए बिना ही कर दिया गया। प्रकरण का खुलासा सीतापुर के शिक्षक रामसहाय द्वारा संयुक्त निदेशक को गई शिकायत के दौरान हुआ।
मामला हरदोई जनपद के नेहरू म्युनिसिपल इंटर कॉलेज साहाबाद के कर्मचारी सफायतुल्ला का है। सफायतुल्ला की ग्रेच्युटी भुगतान का प्रकरण विभाग तक पहुंचा था। जिसे परीक्षण के लिए मंडलीय ऑडिट इकाई नहीं भेजा गया। रामसहाय के मुताबिक यह इकलौता मामला नहीं है। पड़ताल करने पर ऐसे कई मामलों का परत दर परत खुलासा संभव है।
ग्रेच्युटी भुगतान की प्रक्रिया
दरअसल, एक कर्मचारी नियत संगत यदि 33-34 साल की सेवा पूरी करता है तो उसके ग्रेच्युटी भुगतान की रकम करीब 4-5 लाख रुपये बनती है। जिसे उप शिक्षा निदेशक द्वारा परिक्षण के लिए मंडलीय आडिट इकाई में भेजा जाता। यहां वास्तविक आगणन कर निर्धारित धनराशि के भुगतान की संस्तुति की जाती है।
प्रक्रिया में कहां लगाई सेंध: मंडल के प्रत्येक जनपद के रिटायर शिक्षक एवं कर्मियों की पेंशन / जीपीएफ के प्रकरण मंडल स्तर पर उप शिक्षा निदेशक कार्यालय भेजे जाते हैं। उपशिक्षा निदेशक कार्यालय प्रकरण को परीक्षण के लिए मंडलीय ऑडिट इकाई को भेजता है। मगर सफायतुल्ला के भुगतान के प्रकरण को उपनिदेशक ने मंडलीय ऑडिट इकाई न भेज कार्यालय स्तर से ही भुगतान कर दिया गया।
सीतापुर के शिक्षक रामसहाय द्वारा की गई शिकायत के दौरान खुलासाइस संबंध में शिकायत मिली है। मामले की जांच कराई जाएंगी। अगर गलत प्रक्रिया के तहत किसी को भुगतान किया गया है तो संबंधित व्यक्ति पर कार्रवाई की जाएगी।- दीपचंद्र, संयुक्त शिक्षा निदेशक (षष्ठ मंडल), लखनऊ
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