बेहतर प्रयासदादा-दादी की कहानियों और व्यवहारिक जीवन के प्रसंग को शामिल करती हैं शिक्षिका आरतीसांस्कृतिक क्रियाकलापों में रही है रुचि
कठपुतलियां हमेशा से संदेश देने वाली रहीं हैं। मनोरंजन कराने के साथ सीख देने वाली रही हैं। यह अलग बात है कि नई तकनीक के दौर में इनकी पहचान कम हो गई है, बावजूद इसके जिले की एक महिला शिक्षक आरती श्रीवास्तव ने इन कठपुतलियों को बच्चों को सुचारू व बेहतर ढंग से शिक्षा देने का सशक्त माध्यम साबित किया है। विशेष तौर पर तैयार कराया गया कठपुतली का पाठ बच्चों को खूब भा भी रहा है।
आरती श्रीवास्तव कठपुतली के माध्यम से गणित और विज्ञान समेत हर विषय में शिक्षण का कार्य करती हैं। पाठ को खंडों में बांटकर पढ़ाने के लिए कठपुतली का संवाद बनाती हैं और रोचक बनाने के लिए दादा-दादी की कहानियों के साथ व्यावहारिक जीवन के प्रसंग को शामिल करती हैं। उनकी तैनाती तो खलीलाबाद ब्लाक के ग्राम मिश्रवलिया स्थित प्राथमिक विद्यालय में बतौर प्रधानाध्यापक के रूप में है लेकिन वह समय मिलने पर दूसरे विद्यालयों के बच्चों को भी पढ़ाने पहुंचती हैं। वह प्रतिदिन बच्चों को एक घंटे कठपुतली के माध्यम से शिक्षा देती हैं। विभाग के अधिकारी मानते हैं कि आरती के प्रयास से बच्चों में सीखने की स्थिति में तेजी से सुधार हुआ है। यही कारण है कि बच्चों के बीच उनकी पहचान कठपुतली वाली मैम की बन गई हैं।इस संबंध में प्रताप सिंह बघेल, प्राचार्य-जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान, संतकबीर नगर ने बताया कि आरती का यह प्रयास सराहनीय है। कठपुतली से बच्चे जल्दी बात समझ रहे हैं। नि:संदेह इससे गणित, विज्ञान की जटिल भाषा को समझने में सुविधा हो रही है।’
बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति में तेजी से हो रहा सुधारधनघटा तहसील के ग्राम गोपियापुर की रहने वाली आरती श्रीवास्तव संगीत में प्रभाकर हैं। आरंभिक समय से ही आरती की रुचि शैक्षिक और सांस्कृतिक क्रिया कलापों में रही है। 2009 में विशिष्ट बीटीसी के माध्यम से उनका चयन सहायक अध्यापक के पद पर हुआ। 2011 में मिश्रवलिया में प्रधानाध्यापक बनकर आने के बाद उन्होंने अपने स्तर से विद्यालय की शैक्षिक व्यवस्था में नवाचार का प्रयोग करने का निर्णय लिया।
जिला शिक्षा और प्रशिक्षण संस्थान का इसमें सहयोग मिला। उन्हें राज्य शैक्षिक और अनुसंधान परिषद में कला, कठपुतली और क्राफ्ट की ट्रेनिंग के लिए भेजा गया। वहां से उन्होंने कठपुतली संचालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। आरती कहती हैं कि इससे उन्हें सुकून मिलता है और चाहती हैं कि बेसिक शिक्षा विभाग उनके सहयोग से कोई ऐसी कार्ययोजना तय करें जिससे पूरे जिले के विद्यालयों के बच्चों को इस माध्यम से शिक्षा मिल सके।
दादा लाए आम, बताओ कितने हुए दाम : कठपुतली के माध्यम से पढ़ाने के लिए आरती द्वारा संवाद अपने स्तर से बनाए जाते हैं। जोड़ घटाना आदि पढ़ाने के लिए उनका संवाद ‘दादा जी लाए आम, बच्चों बताओ कितना हुआ दाम। ‘बारह मिले अनार, आपकी संख्या चार, बताओ कितने मिले अनार’ जैसे व्यावहारिक जीवन से जुड़े संवादों से वह विषय वस्तु को आत्मसात कराती हैं।
कठपुतली के माध्यम से बच्चों को पढाती आरती
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