परिषदीय विद्यालयों में बजट मिल गया पर बाजार में नहीं मिल रही पुस्तकें, बीईओ को पुस्तकों के भौतिक सत्यापन के निर्देश।
बजट मिल गया पर बाजार में पुस्तकें नहीं
August 19, 2019
जासं,प्रयागराज: परिषदीय स्कूलों के बच्चों में पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के मकसद से पहली बार विद्यालयों में पुस्तकालय की व्यवस्था की गई। इसके लिए बजट जारी हुए पांच महीने हो गए, लेकिन जिस प्रकाशक की पुस्तकें तय की गई हैं, उसमें से ज्यादातर बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। लिहाजा, बच्चों को पुस्तकें पढ़ने के लिए नहीं मिल पा रही हैं।
समग्र शिक्षा अभियान के तहत नए शिक्षा सत्र के शुरू होने से पहले (मार्च) ही प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पुस्तकालय की व्यवस्था करने के निर्देश राज्य परियोजना निदेशक की ओर से दिए गए थे। पुस्तकें खरीदने के लिए प्रत्येक प्राथमिक विद्यालयों को पांच और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 10 हजार रुपये भी जारी किए गए थे। निदेशालय से उपलब्ध कराई गई सूची में सैकड़ों पुस्तकों के नाम हैं, पर उपलब्ध धनराशि में जितनी किताबें मिल सकेंगी, उतनी खरीदनी थी। पुस्तकें नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) और एनसीईआरटी की ही खरीदनी हैं, जो ज्यादातर बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।
किस तरह की खरीदनी थीं किताबें : महापुरुषों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, समाज सुधारकों, रोचक और ऐतिहासिक कहानियों, रंगमंच, नाटक, पर्यावरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, बोध और पौराणिक कथाओं, विज्ञान, खेल, नक्षत्र, रोजगार, लोककथाओं, संगीत, रोमांचक कारनामों आदि से संबंधित किताबें खरीदनी थीं।

बजट मिल गया पर बाजार में पुस्तकें नहीं
August 19, 2019
जासं,प्रयागराज: परिषदीय स्कूलों के बच्चों में पढ़ने की क्षमता बढ़ाने के मकसद से पहली बार विद्यालयों में पुस्तकालय की व्यवस्था की गई। इसके लिए बजट जारी हुए पांच महीने हो गए, लेकिन जिस प्रकाशक की पुस्तकें तय की गई हैं, उसमें से ज्यादातर बाजार में उपलब्ध नहीं हैं। लिहाजा, बच्चों को पुस्तकें पढ़ने के लिए नहीं मिल पा रही हैं।
समग्र शिक्षा अभियान के तहत नए शिक्षा सत्र के शुरू होने से पहले (मार्च) ही प्राथमिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में पुस्तकालय की व्यवस्था करने के निर्देश राज्य परियोजना निदेशक की ओर से दिए गए थे। पुस्तकें खरीदने के लिए प्रत्येक प्राथमिक विद्यालयों को पांच और उच्च प्राथमिक विद्यालयों को 10 हजार रुपये भी जारी किए गए थे। निदेशालय से उपलब्ध कराई गई सूची में सैकड़ों पुस्तकों के नाम हैं, पर उपलब्ध धनराशि में जितनी किताबें मिल सकेंगी, उतनी खरीदनी थी। पुस्तकें नेशनल बुक ट्रस्ट (एनबीटी) और एनसीईआरटी की ही खरीदनी हैं, जो ज्यादातर बाजार में उपलब्ध नहीं हैं।
किस तरह की खरीदनी थीं किताबें : महापुरुषों, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, समाज सुधारकों, रोचक और ऐतिहासिक कहानियों, रंगमंच, नाटक, पर्यावरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, बोध और पौराणिक कथाओं, विज्ञान, खेल, नक्षत्र, रोजगार, लोककथाओं, संगीत, रोमांचक कारनामों आदि से संबंधित किताबें खरीदनी थीं।

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