उच्च शिक्षा : अब प्रदेश में गुरुजी पढ़ेंगे "नेतृत्व" का पाठ, डिग्री कॉलेज शिक्षकों को व्यक्तित्व विकास के लिए मिलेगा प्रशिक्षण।
अब प्रदेश में गुरुजी पढ़ेंगे ‘नेतृत्व’ का पाठ
August 19, 2019
राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का व्यक्तित्व विकास करके उनमें विभाग से जुड़ी प्रशासनिक जिम्मेदारी संभालने का जज्बा पैदा किया जाएगा। शिक्षक अधिकारी के रूप में सोचें, सार्थक निर्णय लेने का जज्बा स्वयं के अंदर पैदा कर सकें, उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
हर तीन से चार माह के बीच विशेषज्ञों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा जो उनमें पठन-पाठन के साथ शिक्षा विभाग से जुड़े कार्यो में आ रहे बदलाव, नई तकनीक से जुड़ने का जज्बा पैदा करेंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय शिक्षकों को प्रशिक्षित कराने का प्रस्ताव तैयार करके जल्द शासन को भेजेगा, जिसके बाद प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
कार्यो में बेहतरी के लिए हर विभाग साल-दो साल में प्रशिक्षण कराता है। इसके जरिये संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के व्यक्तित्व का विकास करके कार्यो में गुणवत्ता लायी जाती है, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग में प्रशिक्षण का प्रावधान नहीं है, जबकि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग से उच्चतर शिक्षा सेवा समूह ‘क’ के तहत राजकीय डिग्री कॉलेजों के सहायक प्रोफेसर पद का चयन होता है।
सहायक प्रोफेसर बनने वाले कॉलेज में पढ़ाते हैं। फिर पदोन्नति पाकर यही प्राचार्य व उच्च शिक्षा विभाग में निदेशक, संयुक्त निदेशक, संयुक्त सचिव, सहायक निदेशक, अपर सचिव, उपसचिव, मंडलीय उच्च शिक्षाधिकारी, उपसचिव जैसे प्रशासनिक पदों पर आसीन होते हैं। प्रशासनिक पद शैक्षणिक कार्य से भिन्न होता है।
प्रशासनिक पद पर बैठने वाला ही उच्च शिक्षा का नीति निर्धारण करता है, लेकिन उसके मद्देनजर उन्हें प्रशिक्षित नहीं कराया जाता। इससे अधिकतर अधिकारी खुद को शिक्षक की मानसिकता से उबार नहीं पाते। इसके मद्देनजर विभागीय अधिकारियों व डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करके उनके व्यक्तित्व का विकास करने का निर्णय लिया गया है।

अब प्रदेश में गुरुजी पढ़ेंगे ‘नेतृत्व’ का पाठ
August 19, 2019
राज्य ब्यूरो, प्रयागराज : प्रदेश के डिग्री कॉलेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का व्यक्तित्व विकास करके उनमें विभाग से जुड़ी प्रशासनिक जिम्मेदारी संभालने का जज्बा पैदा किया जाएगा। शिक्षक अधिकारी के रूप में सोचें, सार्थक निर्णय लेने का जज्बा स्वयं के अंदर पैदा कर सकें, उन्हें इसके लिए प्रशिक्षित किया जाएगा।
हर तीन से चार माह के बीच विशेषज्ञों द्वारा उन्हें प्रशिक्षित किया जाएगा जो उनमें पठन-पाठन के साथ शिक्षा विभाग से जुड़े कार्यो में आ रहे बदलाव, नई तकनीक से जुड़ने का जज्बा पैदा करेंगे। उच्च शिक्षा निदेशालय शिक्षकों को प्रशिक्षित कराने का प्रस्ताव तैयार करके जल्द शासन को भेजेगा, जिसके बाद प्रशिक्षण की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
कार्यो में बेहतरी के लिए हर विभाग साल-दो साल में प्रशिक्षण कराता है। इसके जरिये संबंधित अधिकारी व कर्मचारी के व्यक्तित्व का विकास करके कार्यो में गुणवत्ता लायी जाती है, लेकिन उच्च शिक्षा विभाग में प्रशिक्षण का प्रावधान नहीं है, जबकि उत्तर प्रदेश लोकसेवा आयोग से उच्चतर शिक्षा सेवा समूह ‘क’ के तहत राजकीय डिग्री कॉलेजों के सहायक प्रोफेसर पद का चयन होता है।
सहायक प्रोफेसर बनने वाले कॉलेज में पढ़ाते हैं। फिर पदोन्नति पाकर यही प्राचार्य व उच्च शिक्षा विभाग में निदेशक, संयुक्त निदेशक, संयुक्त सचिव, सहायक निदेशक, अपर सचिव, उपसचिव, मंडलीय उच्च शिक्षाधिकारी, उपसचिव जैसे प्रशासनिक पदों पर आसीन होते हैं। प्रशासनिक पद शैक्षणिक कार्य से भिन्न होता है।
प्रशासनिक पद पर बैठने वाला ही उच्च शिक्षा का नीति निर्धारण करता है, लेकिन उसके मद्देनजर उन्हें प्रशिक्षित नहीं कराया जाता। इससे अधिकतर अधिकारी खुद को शिक्षक की मानसिकता से उबार नहीं पाते। इसके मद्देनजर विभागीय अधिकारियों व डिग्री कॉलेजों के शिक्षकों को प्रशिक्षित करके उनके व्यक्तित्व का विकास करने का निर्णय लिया गया है।

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