DISTRICT WISE NEWS

अंबेडकरनगर अमरोहा अमेठी अलीगढ़ आगरा इटावा इलाहाबाद उन्नाव एटा औरैया कन्नौज कानपुर कानपुर देहात कानपुर नगर कासगंज कुशीनगर कौशांबी कौशाम्बी गाजियाबाद गाजीपुर गोंडा गोण्डा गोरखपुर गौतमबुद्ध नगर गौतमबुद्धनगर चंदौली चन्दौली चित्रकूट जालौन जौनपुर ज्योतिबा फुले नगर झाँसी झांसी देवरिया पीलीभीत फतेहपुर फर्रुखाबाद फिरोजाबाद फैजाबाद बदायूं बरेली बलरामपुर बलिया बस्ती बहराइच बागपत बाँदा बांदा बाराबंकी बिजनौर बुलंदशहर बुलन्दशहर भदोही मऊ मथुरा महराजगंज महोबा मिर्जापुर मीरजापुर मुजफ्फरनगर मुरादाबाद मेरठ मैनपुरी रामपुर रायबरेली लखनऊ लख़नऊ लखीमपुर खीरी ललितपुर वाराणसी शामली शाहजहाँपुर श्रावस्ती संतकबीरनगर संभल सहारनपुर सिद्धार्थनगर सीतापुर सुलतानपुर सुल्तानपुर सोनभद्र हमीरपुर हरदोई हाथरस हापुड़

Wednesday, August 26, 2020

उच्च शिक्षा : सत्यापन के फरमान के खिलाफ शिक्षकों ने उठाई आवाज, शिक्षक संगठनों ने की उप मुख्यमंत्री से जांच स्थगित करने की मांग

उच्च शिक्षा : सत्यापन के फरमान के खिलाफ शिक्षकों ने उठाई आवाज।

महाविद्यालयों के पास नहीं है सत्यापन शुल्क का बजट




राज्य मुख्यालय : प्रदेश के राज्य विश्वविद्यालयों व सहायता प्राप्त महाविद्यालयों के शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन कराने के फरमान के खिलाफ आवाज मुखर होने लगी है। शिक्षक संगठनों ने उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा से यह जांच स्थगित कराने की मांग की है। उनका कहना है कि पूर्व में जारी शासनादेश के विपरीत जाकर अब सत्यापन की कार्रवाई शुरू कराई जा रही है। यह कार्रवाई शिक्षकों के उत्पीड़न का जरिया बन रही है।





शिक्षक संगठनों का यह आक्रोश क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों के उस पत्र के बाद मुखर हुआ है, जिसमें विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों से अपने सभी शिक्षकों के शैक्षिक अभिलेखों का उसे निर्गत करने वाले बोर्ड या विश्वविद्यालय से सत्यापन कराने को कहा गया है। इससे पहले शासन के आदेश पर जिले स्तर पर गठित कमेटी ने शिक्षकों की जांच की थी। इसमें शैक्षिक अभिलेखों के साथ-साथ सेवा अभिलेखों की भी जांच की गई थी।




लखनऊ विश्वविद्यालय संबद्ध महाविद्यालय शिक्षक संघ (लुआक्टा) ने उप मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर कहा है कि शासनादेश में कहीं भी शैक्षणिक अभिलेखों की जांच संबंधित संस्थान द्वारा कराने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इस तरह क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारियों द्वारा शासनादेश का उल्लंघन किया जा रहा है। लुआक्टा ने यह तथ्य भी संज्ञान में लाया है कि अभिलेखों की जांच के लिए शुल्क की अदायगी करनी पड़ती है। महाविद्यालयों के पास किसी तरह का कोई कोष नहीं है जिससे अभिलेखों के सत्यापन के लिए शुल्क जमा कर सके। कतिपय महाविद्यालयों द्वारा शिक्षकों से शैक्षणिक अभिलेखों की जांच के नाम पर धनउगाही की जा रही है।


लुआक्टा ने ज्ञापन में कहा है कि उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना की गई है और जांच के लिए निर्धारित 31 जुलाई 2020 की तिथि तक जांच कार्य पूर्ण नहीं की गई। इस कारण अब जांच कार्य स्थगित कर दिया जाना चाहिए और शासनादेश के विपरीत क्षेत्रीय कार्यालयों से जारी पत्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त किया जाना चाहिए।


 व्हाट्सप के जरिये जुड़ने के लिए क्लिक करें।

No comments:
Write comments