सरकारी स्कूलों में 80 प्रतिशत तो प्राइवेट स्कूलों में अब तक 50 प्रतिशत छात्रों की ही बन पाई अपार आइडी, जिम्मेदार निजी स्कूलों में नहीं बना पा रहे बड़ा दबाव
12 फरवरी 2025
लखनऊ : आटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आइडी बनाने के लिए मंगलवार को भी विद्यालयों में कैंप लगाए गए। अभी तक सरकारी स्कूलों में 80% विद्यार्थियों की आइडी बनाई जा चुकी है लेकिन निजी विद्यालयों में अभी तक केवल 50% विद्यार्थियों की ही आइडी बन पाई है। ऐसे में अब इन विद्यालयों के खिलाफ शिकंजा कसा जाएगा। सभी जिलों के बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) व जिला विद्यालय निरीक्षकों (डीआइओएस) को इनकी नियमित निगरानी करने के निर्देश दिए गए हैं।
12 अंकों की अपार आइडी में विद्यार्थियों की प्री-प्राइमरी से लेकर उच्च शिक्षा तक की शैक्षिक प्रगति का पूरा ब्योरा होगा। नाम, लिंग, जन्मतिथि, अभिभावक का नाम, चरित्र प्रमाणपत्र, टीसी, स्कालरशिप व जीते गए अवार्ड इत्यादि का पूरा ब्योरा आनलाइन उपलब्ध रहेगा।
महानिदेशक स्कूल शिक्षा कंचन वर्मा के मुताबिक सरकारी प्राइमरी व माध्यमिक स्कूलों में 80% तक विद्यार्थियों की अपार आइडी बनाई जा चुकी है। कई जगह विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों के आधार कार्ड न होने के कारण कठिनाई आई है। फिलहाल निजी स्कूलों में अपार आइडी के काम में तेजी लाने के लिए सभी जिलों में बीएसए व डीआइओएस को समन्वय करने के निर्देश दिए गए हैं।
बीते सोमवार व मंगलवार को विद्यालयों में कितने विद्यार्थियों की अपार आइडी बनाई गईं और अभी तक कितना कार्य हो चुका है, इसकी विस्तृत जानकारी मांगी गई है। फिर जिलावार अभियान चलाकर स्कूलों से जवाब-तलब किया जाएगा। प्रदेश में 1.33 लाख परिषदीय स्कूलों में 1,48,46,636 छात्र हैं। 77,816 निजी प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूलों में 94,64,290 विद्यार्थी हैं। वहीं 2,441 राजकीय माध्यमिक स्कूलों व 4,500 अशासकीय सहायताप्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में 1,40,45,921 तथा 25,346 निजी माध्यमिक स्कूलों में 99,98,470 विद्यार्थी हैं।
अपार आईडी की राह में कमियां बेशुमार, 3.92 करोड़ में से दो करोड़ छात्रों की ही बनी आईडी, कमियां दुरुस्त करने के लिए शिक्षा मंत्रालय से संपर्क करेगा विभाग
08 फरवरी 2025
लखनऊ। प्रदेश में बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने को लेकर की जा रही सख्ती पर कमियां भारी पड़ रही हैं। हालत यह है कि अभी तक लगभग 49 फीसदी छात्रों की ही आईडी बनी है। क्योंकि आधार और स्कूल में नामांकन के नाम में अंतर समेत कई कमियां हैं। इसे दुरुस्त कराने के लिए विभाग की ओर से पहल शुरू कर दी गई है।
शिक्षा मंत्रालय की पहल पर प्रदेश में बेसिक व माध्यमिक के सरकारी व निजी विद्यालयों के सभी छात्रों की अपार आईडी बनाने की कार्यवाही चल रही है। राज्य परियोजना निदेशालय की ओर से छह फरवरी को जारी डाटा के अनुसार सत्र 2024-25 में प्रदेश के 262784 बेसिक व माध्यमिक स्कूलों में कुल नामांकन 3.92 करोड़ है। इसके सापेक्ष लगभग दो करोड़ विद्यार्थियों की अपार आईडी जनरेट हुई है। जबकि अभी भी 51.03 फीसदी की आईडी नहीं बनी है।
इसके अनुसार अपार आईडी सर्वाधिक विलंबित (पेंडेंसी) 73.36 फीसदी कानपुर नगर, 63.57 फीसदी आगरा, 62.71 फीसदी मुरादाबाद, 62.30 फीसदी मेरठ, 62.16 फीसदी गाजीपुर, 61.45 फीसदी बलिया, 60.49 फीसदी आजमगढ़, 60.33 फीसदी फिरोजाबाद, 60.04 फीसदी कन्नौज में है। वहीं पीलीभीत, चित्रकूट, बहराइच, महोबा, हमीरपुर, सीतापुर, ललितपुर की स्थिति बेहतर है।
शिक्षकों ने बताया कि अपार आईडी न बन पाने की सबसे बड़ी समस्या आधार तो है ही। इसके साथ ही यू-डायस पोर्टल पर डाटा अपडेट न होने, आधार और स्कूल में दर्ज जन्मतिथि में अंतर, जन्म प्रमाणपत्र व आधार बनने में आ रही दिक्कतें भारी पड़ रही है। वहीं जब शिक्षकों का वेतन रोका जाने लगा तो कुछ शिक्षकों ने आधार में लिखी जन्मतिथि से आईडी बना दी। जबकि स्कूल के रिकॉर्ड में जन्मतिथि कुछ और है। इससे बच्चों को आगे दिक्कत हो सकती है।
सीतापुर, बहराइच, बाराबंकी बलरामपुर की स्थिति बेहतर
अपार आईडी बनाने में सीतापुर, बहराइच, बाराबंकी, बलरामपुर की स्थिति काफी बेहतर है। बहराइच में 34.19 फीसदी, सीतापुर में 36.60 फीसदी, बाराबंकी में 38.87 फीसदी, बलरामपुर में 40.21 फीसदी ही पेंडेंसी है।
आधार और यू-डायस में संशोधन के अधिकार केंद्रीय मंत्रालय से जुड़े हैं। अपार बनाने में आ रही दिक्कतों की जानकारी शिक्षा मंत्रालय को दी जा रही है। सरकारी विद्यालयों में 80 फीसदी तक आईडी बन गई हैं, निजी की प्रगति धीमी है। इसे भी बेहतर करने का प्रयास कर रहे हैं। कंचन वर्मा, महानिदेशक, स्कूल शिक्षा
आधार की कमियों की वजह से नहीं बन पा रही हैं अपार आईडी, जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत, शिक्षक परेशान और जिम्मेदार नहीं दे पा रहे समाधान
04 फरवरी 2025
बेसिक व माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री (अपार) आईडी बनाने के लिए स्कूलों पर काफी दबाव है। इसके लिए रविवार को भी स्कूल व कार्यालय खोले गए, लेकिन अपार आईडी बनाने में सबसे बड़ी बाधा छात्रों व उनके अभिभावकों के आधार कार्ड हैं। इनमें कुछ के आधार नहीं हैं तो कुछ के आधार में कमियां हैं। इससे अपार आईडी बनने में दिक्कत आ रही है।
प्रदेश में चार फरवरी तक शत-प्रतिशत छात्रों की अपार आईडी बनाने का लक्ष्य है, लेकिन इसकी प्रगति ठीक नहीं है। शिक्षकों के मुताबिक छात्र के आधार में दर्ज नाम व पते से स्कूल के रिकॉर्ड में थोड़ा भी अंतर है तो अपार आईडी नहीं बन रही है।
उप्र माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) के प्रदेश मंत्री संजय द्विवेदी ने कहा कि अपार आईडी बनाने से पहले आधार में संशोधन के लिए कैंप लगाना चाहिए जिससे ऐसी दिक्कतें न हों। उप्र. बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि आधार न होने व इसमें कमियों से काफी दिक्कतें हो रही हैं। इसके लिए भी शिक्षक पर ही दबाव बनाया जाता है।
यू-डायस में डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को नहीं
विद्यालयों में एक दिक्कत यह भी आ रही है कि स्कूल स्तर पर यू-डायस में डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को नहीं है। इसके लिए आवेदन भेजा जाता है और निदेशालय स्तर पर इसमें सुधार किया जाता है। इसमें काफी समय भी लगता है।
उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के निर्भय सिंह ने कहा कि बच्चों का नामांकन सिर्फ पहले क्लास में होता है। दूसरी व तीसरी क्लास में बच्चे का पुराना ही डाटा लिया जाता है। किसी भी तरह के संशोधन के लिए मैनुअल प्रस्ताव लिया जाता है और फिर निदेशालय इस पर कार्यवाही करता है। डाटा संशोधन का अधिकार प्रधानाचार्य को दिया जाना चाहिए।
जन्म प्रमाण पत्र बनने में भी दिक्कत
प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक एसोसिएशन के प्रांतीय अध्यक्ष विनय कुमार सिंह ने महानिदेशक स्कूल शिक्षा को पत्र लिखकर कहा है कि तहसील व खंड विकास अधिकारी कार्यालय से छात्रों के जन्म प्रमाणपत्र समय से नहीं जारी हो रहे हैं। इससे अपार आईडी बनने में भी दिक्कत आ रही है। आधार कार्ड न होने से छात्रों को डीबीटी का लाभ भी नहीं मिल रहा है। बच्चों व अभिभावकों के आधार कार्ड व स्कूल डाटा में भी अंतर है। इन समस्याओं की तरफ ध्यान दिया जाए।
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