यूपी के शिक्षामित्रों की दुश्वारियों का कब होगा अंत?
उत्तर प्रदेश में परिषदीय विद्यालयों में शिक्षण कार्य करने वाले शिक्षामित्रों की स्थिति दिन-ब-दिन खराब होती जा रही है। एक समय था जब समायोजन के दौरान उन्हें वेतन और सुविधाओं में वृद्धि की उम्मीद जगी थी, लेकिन समायोजन रद्द होने के बाद उनकी स्थिति फिर से दयनीय हो गई।
जिसकों लेकर शिक्षामित्र काफी परेशान हैं। इसको लेकर कई बाद आंदोलन भी किए गए, लेकिन नतीजा शून्य है। आज शिक्षामित्रों को मात्र 10 हजार रुपये मासिक मानदेय मिलता है, जो महंगाई के इस दौर में जीविका चलाने के लिए अपर्याप्त है। इसके बावजूद उन्हें आयुष्मान योजना का लाभ नहीं मिलता, न ही उनके लिए ईएसआई (कर्मचारी राज्य बीमा योजना) की सुविधा लागू है। इतना ही नहीं, अब तो राशन कार्ड भी नहीं बनाए जा रहे।
जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और ज्यादा खराब हो गई है। शिक्षामित्रों को वर्ष में दो बार शीतकालीन एवं ग्रीष्मकालीन अवकाश के दौरान 15-15 दिनों का मानदेय नहीं मिलता। इससे लगभग एक महीने तक वे बेरोजगार हो जाते हैं। पहले केवल जून में ऐसा होता था, तब कम से कम उस दौरान वे अन्य कार्य करके कुछ कमा सकते थे, लेकिन अब यह भी संभव नहीं रहा।
छुट्टियों के मामले में शिक्षामित्रों को स्थायी शिक्षकों की तरह आकस्मिक अवकाश, चिकित्सीय अवकाश और बाल्यकाल देखभाल अवकाश जैसी सुविधाएं नहीं मिलतीं। उन्होंने कई बार मानदेय बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन किए, लेकिन अब तक कोई ठोस परिणाम नहीं निकला।
शिक्षामित्रों ने बजट में मानदेय बढ़ाने की उठाई मांग
लखनऊ। प्रदेश में विधानमंडल का सत्र 18 फरवरी से शुरू हो रहा है। इसमें नए वित्तीय वर्ष 2025-26 का बजट पेश किया जाएगा। उप्र. प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने नए वित्तीय वर्ष के बजट में शिक्षामित्रों का मानदेय बढ़ाने की घोषणा करने की मांग की है।
संघ ने कहा है कि प्राथमिक विद्यालयों में लगभग 24 साल से कार्यरत शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। 10 हजार रुपये महीने में, इस मंहगाई में शिक्षामित्र के घर का खर्च नहीं चल पा रहा है। उनकी यह भी चिंता है कि वे अपनी बेटियों की शादियां कैसे करेंगे?
संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि बहुत से शिक्षामित्रों के पास इसके अलावा आय का कोई और स्रोत नहीं है। हालांकि संगठन की जिला इकाइयां शिक्षामित्रों की बेटियों की शादी में मदद कर रही हैं, लेकिन पर्याप्त व्यवस्था न होने से शिक्षामित्रों को बेटियों की शादी की चिंता सता रही है। उन्होंने मुख्यमंत्री से शिक्षामित्रों की समस्याओं के संदर्भ में ठोस कदम उठाने की मांग की है।
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