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Wednesday, June 11, 2025

विवि-कॉलेज में हर हाल में नई शिक्षा नीति के हिसाब से लागू करें पाठ्यक्रम, उच्च शिक्षा विभाग ने दिया निर्देश, जारी किया नए सत्र का शैक्षिक कैलेंडर

विवि-कॉलेज में हर हाल में नई शिक्षा नीति के हिसाब से लागू करें पाठ्यक्रम, उच्च शिक्षा विभाग ने दिया निर्देश, जारी किया नए सत्र का शैक्षिक कैलेंडर

प्रवेश में देरी पर कुलसचिव और परीक्षा के लिए परीक्षा नियंत्रक की होगी जिम्मेदारी


लखनऊ। राज्य विश्वविद्यालयों व महाविद्यालयों में नई शिक्षा नीति 2020 लागू हुए चार साल से ज्यादा हो गए हैं, लेकिन कई संस्थानों में अब भी इसे पूरी तरह से प्रभावी नहीं बनाया गया है। इसे देखते हुए उच्च शिक्षा विभाग ने निर्देश दिया है कि नए सत्र 2025-26 से हर हाल में एनईपी के अनुसार पाठ्यक्रम का संचालन किया जाए।

नए सत्र 2025-26 का शैक्षिक कैलेंडर जारी करते हुए विभाग ने कहा है कि सभी पाठ्यक्रमों (विधि, चिकित्सा व नियामक संस्थाओं के पाठ्यक्रम को छोड़कर) में सत्र 2022-23 तक एनईपी लागू करने के निर्देश दिए गए थे। रजिस्ट्रार यह सुनिश्चित करेंगे कि विवि व कॉलेजों में एनईपी के अनुसार पाठ्यक्रम चल रहे हैं। जो पाठ्यक्रम एनईपी के अनुसार न चल रहा हो, उसका संचालन सुनिश्चित कराया जाए। 


उच्च शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव एमपी अग्रवाल ने कहा है कि विवि व कॉलेजों में प्रवेशित नए विद्यार्थियों की 26 जुलाई से पढ़ाई शुरू की जाए। साथ ही एक सप्ताह का (26 से 30 जुलाई तक) दीक्षारंभकार्यक्रम कराएं। इसमें यूजीसी के नियमों के अनुसार विद्यार्थियों के लिए अलग-अलग सत्र आयोजित कर पठन-पाठन व कॅरिअर संबंधी जानकारी दी जाए।

उन्होंने बताया कि पहले सेमेस्टर का शिक्षण कार्य एक नवंबर तक, सेमेस्टर की प्रयोगात्मक परीक्षाएं 10 नवंबर तक और लिखित परीक्षाएं 11 नवंबर से 10 दिसंबर के बीच होंगी। जाड़े की छुट्टियां 21 दिसंबर से पांच जनवरी तक और परीक्षा परिणाम पांच जनवरी को घोषित किया जाएगा। ऐसे ही आगे की भी शैक्षिक कार्ययोजना बनाने को कहा गया है। उन्होंने शैक्षिक कैलेंडर का कड़ाई से पालन सुनिश्चित कराने को कहा है।


प्रवेश में देरी पर कुलसचिव और परीक्षा के लिए परीक्षा नियंत्रक की होगी जिम्मेदारी

प्रमुख सचिव ने यह भी निर्देश दिया है कि प्रवेश कार्य निर्धारित समय में पूरा कराना कुलसचिव की जिम्मेदारी होगी। किसी भी प्रकार की देरी के लिए कुलसचिव को जवाबदेह मानते हुए प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी। विवि साल में दो बार परीक्षा कराएंगे। कॉलेज को केंद्र बनाए जाने के कारण वहां पढ़ाई प्रभावित होती है। इसलिए परीक्षाएं निर्धारित समय में ही कराई जाएं। निर्धारित समय के बाद विवि की परीक्षा चलने पर संबंधित परीक्षा नियंत्रक की व्यक्तिगत जिम्मेदारी तय करते हुए प्रतिकूल प्रविष्टि दी जाएगी।

Monday, January 6, 2025

उच्च शिक्षण संस्थानों में NEP के अमल को परखेगा UGC, यूजीसी ने जारी किया मसौदा, 49 बिंदुओं पर देना होगा जवाब

उच्च शिक्षण संस्थानों में NEP के अमल को परखेगा UGC, यूजीसी ने जारी किया मसौदा, 49 बिंदुओं पर देना होगा जवाब

• रैंकिंग जारी होगी इसी आधार पर संस्थानों को वित्तीय मदद देने में दी जाएगी प्राथमिकता


नई दिल्ली: उच्च शिक्षण संस्थानों को नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के अमल में ढुलमुल रवैया अपनाना अब महंगा पड़ेगा। इसका असर आने वाले दिनों में न सिर्फ उनकी रैंकिंग पर पड़ेगा बल्कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से मिलने वाली वित्तीय मदद पर भी इसका असर दिख सकता है। उन्हें दी जाने वाली वित्तीय मदद में कटौती या फिर वित्तीय मदद की प्राथमिकता से बाहर रखा जा सकता है। 


फिलहाल यूजीसी ने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों में नीति के अमल को परखने को लेकर एक मसौदा जारी किया है। इसके तहत सभी संस्थानों को नीति से जुड़े 49 बिंदुओं पर जवाब देना होगा। यूजीसी ने यह कदम तब उठाया है, जब कई संस्थानों में एनईपी के अमल को लेकर अपेक्षा अनुरूप प्रगति नहीं दिख रही थी। 


इससे देश में उच्च शिक्षण संस्थानों के बीच एकरूपता प्रभावित हो रही है। यानी कोई एनईपी के तहत क्रेडिट फ्रेमवर्क वाले कोर्स को शुरू कर रहा है तो कोई यूजीसी के बार-बार के निर्देशों के बाद अभी भी पुराने ढर्रे पर ही चल रहा है। इसका असर छात्रों पर पड़ रहा है क्योंकि उन्हें शिक्षा से जुड़े सुधारों का लाभ समय से नहीं मिल रहा है। इस मसौदे के आधार पर उच्च शिक्षण संस्थानों को राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ग्रेड प्रदान करने में भी मदद मिलेगी। 


फिलहाल यूजीसी नीति के अमल से जुड़े इस मसौदे पर सभी उच्च शिक्षण संस्थानों से 30 दिनों के भीतर सुझाव देने को कहा गया है। इसके बाद इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। यूजीसी के मुताबिक नीति को परखने के लिए इस क्रम में संस्थानों से कुल 49 बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है। इस दौरान 30 बिंदु सभी उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए, 13 बिंदु विश्वविद्यालय और स्वायत्त कालेजों के लिए व छह बिंदु सिर्फ विश्वविद्यालयों के लिए हैं।



नीति से जुड़े इन प्रमुख बिंदुओं पर उच्च शिक्षण संस्थानों की होगी परख

यूजीसी ने उच्च शिक्षण संस्थानों में नीति के अमल को परखने का जो फार्मूला तैयार किया है, उनमें उच्च शिक्षण संस्थानों को बताना है कि उन्होंने इसे लागू किया है या नहीं? लागू करने वाले को एक अंक मिलेगा। फिलहाल अमल में जिन प्रमुख बिंदुओं को शामिल किया गया है, वह हैं- क्या संस्थान में शिक्षकों के 75 प्रतिशत स्थायी पद भरे हुए हैं या नहीं? 

शिक्षक-छात्र अनुपात का क्या वह पालन कर रहे हैं? प्रोफेसर आफ प्रैक्टिस के तहत पद भरे गए हैं या नहीं? क्या नई नीति के तहत किसी भी कोर्स में कभी भी दाखिला लेने और छोड़ने की व्यवस्था को लागू किया गया है? संस्थान ने क्या नीति  के तहत क्रेडिट फ्रेमवर्क को लागू किया है? संस्थान ने क्या अपने यहां एनईपी सारथी की नियुक्ति की है? उद्योगों के साथ मिलकर उन्होंने क्या कोई इंटर्नशिप और अप्रेंटिसशिप प्रोग्राम शुरू किया है?

Thursday, August 8, 2024

अब बच्चे पढ़ेंगे देश पर गर्व करने वाली कहानियां

अब बच्चे पढ़ेंगे देश पर गर्व करने वाली कहानियां


नई दिल्लीः बच्चों को पढ़ाई के दबाव से निकालने और उन्हें खेल-खेल में पढ़ाने का जो सपना नई राष्ट्रीय  शिक्षा नीति (एनईपी) के जरिये देखा गया था, अब वह आकार - लेने लगा है। स्कूली शिक्षा के स्तर  पर तीसरी और छठी कक्षा के लिए - एनईपी के तहत नई पाठ्य पुस्तकें बाजार में उतार दी गई हैं जिसमें बच्चों को चंद्रयान अभियान से जुड़ी रोचक कहानी से लेकर देश पर गर्व करने वाली कविताएं, जीवन मूल्यों और पारिवारिक जुड़ाव को बढ़ाने  वाले पाठ के साथ भारत को अच्छी तरह से जानने-समझने वाली विषय  वस्तु पढ़ने को मिलेगी।


एनईपी के तहत हालांकि अभी सिर्फ तीसरी व छठवीं कक्षा की - पाठ्य पुस्तकें ही तैयार होकर आई हैं। बाकी अन्य कक्षाओं की पाठ्य पुस्तकें भी चरणबद्ध तरीके से अगले दो वर्षों में लाई जानी हैं।  एनसीईआरटी की मानें तो इनमें से सभी किताबों को तैयार करने का काम अंतिम चरण में चल रहा है।


 इस बीच, जिन दो कक्षाओं की पाठ्यपुस्तकें सामने आई हैं, उसमें तीसरी कक्षा के गणित विषय की  पाठ्य पुस्तक सबसे रोचक है। जिसका नाम 'गणित मेला' दिया गया है। वह बच्चों के कौतूहल को ठीक वैसे ही बढ़ाने वाली है, जैसे मेले में बच्चे हर खिलौने को देखकर इतराने लगते हैं। इनमें वैसे तो 14 पाठ हैं, लेकिन प्रत्येक पाठ का नाम रोचक है। पहले पाठ का नाम है 'नाम में क्या है' तो वहीं अन्य पाठों के नाम दोहरा शतक, नानी मां के साथ छुट्टियां, कुछ लेना कुछ देना, सूरजकुंड मेला जैसे नाम हैं। इतना ही नहीं, तीसरी कक्षा के बच्चों को चंद्रयान मिशन की कहानी को जिस अंदाज में परोसा गया है, वह बच्चों के मन-मस्तिष्क पर सदैव के लिए छप जाने वाली है।


 शिक्षा मंत्रालय के अनुसार एनसीईआरटी की तीसरी और छठवीं कक्षा की सभी पाठ्य पुस्तकें बाजार में आ गई हैं। जिन्हें छात्र इस सत्र से ही पढ़ सकते हैं।


भारत को क्यों इंडिया नाम दिया

भारत और इंडिया नाम को लेकर अब अक्सर राजनीति होती रहती है। ऐसे में छठवीं कक्षा के सामाजिक विज्ञान की नई पाठ्य पुस्तक में एनसीईआरटी ने 'इंडिया, दैट इज भारत' नाम से एक पाठ रखा गया है। इसमें बताया है कि देश का प्राचीन नाम क्या था। साथ ही देश का इंडिया नाम कैसे विदेशी लोगों ने रखा। इसके साथ ही इनमें देश की संस्कृति और इसके इतिहास की भी पूरी जानकारी दी गई है।

Saturday, May 18, 2024

राज्य विवि में कर सकेंगे चार वर्षीय स्नातक एवं एक साल का पीजी कोर्स, नई शिक्षा नीति के तहत एक वर्ष में सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद भी मिलेगा डिप्लोमा

राज्य विवि में कर सकेंगे चार वर्षीय स्नातक एवं एक साल का पीजी कोर्स

नई शिक्षा नीति के तहत एक वर्ष में सर्टिफिकेट, दूसरे साल के बाद भी मिलेगा डिप्लोमा


प्रयागराज। प्रोफेसर राजेंद्र सिंह रज्जू भय्या विश्वविद्यालय में नई शिक्षा नीति के तहत दाखिले एवं डिग्री देने की पूरी व्यवस्था बदल दी गई है। इसके तहत स्नातक में दाखिला लेने वाले विद्यार्थी बीच में पढ़ाई छोड़ते हैं तब भी डिप्लोमा एवं सर्टिफिकेट दिए जाएंगे। इतना ही नहीं स्नातक तीन वर्षीय पाठ्यक्रम के विद्यार्थी चार वर्षीय पाठ्यक्रम में भी दाखिला ले सकेंगे। साथ ही इसके बाद एक साल की पढ़ाई करके परास्नातक की डिग्री पा सकेंगे।


नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत स्नातक एवं परास्नातक पाठ्यक्रमों में बहु प्रवेश एवं बहु निकास की व्यवस्था लागू की गई है। इसके तहत स्नातक में दाखिला लेने वाला विद्यार्थी एक साल में पढ़ाई छोड़ देता है तो सर्टिफिकेट दिया जाएगा। वहीं दो साल पर डिप्लोमा दिया जाएगा। तीन साल पर डिग्री दी जाएगी। विद्यार्थी चार साल की पढ़ाई करके ऑनर्स की डिग्री हासिल कर सकेंगे। इसके बाद एक साल की पढ़ाई करके परास्नातक की डिग्री ले सकेंगे।


विश्वविद्यालय एवं संबद्ध कॉलेजों में यह व्यवस्था इसी सत्र से लागू कर दी गई है। खास यह कि यह सुविधा वर्तमान में पंजीकृत विद्यार्थी भी ले सकते हैं। तीन साल की पढ़ाई के बाद उन्हें एक विषय के साथ चौथे वर्ष में दाखिला लेना होगा। पढ़ाई पूरी करने के बाद ऑनर्स की डिग्री दी जाएगी। इसके बाद परास्नातक की पढ़ाई पूरी कर सकेंगे। 


चार साल के स्नातक के बाद कर सकेंगे नेट-पीएचडी : यूजीसी की गाइडलाइन के अनुसार चार वर्षीय स्नातक कोर्स करने के बाद सीधे नेट कर सकेंगे। इसके अलावा पीएचडी में भी दाखिला ले सकेंगे। हालांकि, इसके बाद उन्हें एक वर्ष का कोर्स वर्क करना होगा।


वहीं परास्नातक की पढ़ाई के बाद पीएचडी पाठ्यक्रम में प्रवेश लेने वालों को कोर्स वर्क से छूट दी जाएगी। राज्य विश्वविद्यालय में इसकी नियमावली तैयार कर ली गई है। एकेडमिक काउंसिल की अगली बैठक में इसे रखा जाएगा। काउंसिल से अनुमति के बाद दाखिले की प्रकिया शुरू की जाएगी।

Monday, March 18, 2024

नई श‍िक्षा नीति का असर : स्‍कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्‍चे की पर्सनैलिटी

नई श‍िक्षा नीति का असर : स्‍कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्‍चे की पर्सनैलिटी


एक क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद आता है रिजल्ट. मम्मी-पापा से लेकर फ्रेंड्स तक सभी रिजल्ट के तौर मिलने वाले रिपोर्ट कार्ड देखना चाहते हैं. किस विषय में कितने नंबर आए, क्लास में क्या पोजिशन आई जैसे सवालों का जवाब इसी से मिलता है. लेकिर नई श‍िक्षा नीति में इस पुरानी धारणा को तोड़ने की संस्तुति की गई है. ताकि बच्चों के बीच नंबर्स को लेकर कोई भेदभाव न पनपे. आने वाले सालों में बच्चों को रिपोर्ट कार्ड की जगह स्कूल हॉलिस्ट‍िक प्रोग्रेस कार्ड देंगे. जानिए- ये क्या है. 




बदलेगा रिपोर्ट कार्ड का पैटर्न 

अब सिर्फ एग्जाम में मिले ग्रेड और विषयों में मिले नंबरों के आधार पर रिपोर्ट कार्ड नहीं बनाए जाएंगे. नये बदलाव के तहत स्कूल में बच्चे को पढ़ाने वाले टीचर्स, सहपाठी और यहां तक कि पेरेंट्स का फीडबैक भी रिपोर्ट कार्ड में शामिल किया जाएगा. यह कहलाएगा HPC जिसका फुल फॉर्म है हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड. 


बता दें कि बीते तीन सालों से नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की बॉडी PARAKH के अंतर्गत विशेषज्ञों की टीम नए पैटर्न के रिपोर्ट कार्ड तैयार करने पर काम रही है. इसके तहत पहली से 8वीं कक्षा तक के लिए रिपोर्ट कार्ड का नया पैटर्न तैयार कर लिया गया है. वहीं, 9 से 12 तक के स्टूडेंट्स के लिए नये रिपोर्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं. 


HPC में क्या होगा नया 

नए हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (NCFSE) की संस्तुत‍ि के अनुसार तैयार किया जा रहा है. इस रिजल्ट में नबंरों की जगह लर्निंग पर फोकस किया गया है. बच्चे ने कितने सवाल हल करके कितने नंबर पाए से ज्यादा इस बात पर जोर रहेगा कि बच्चे ने पूरे साल कितना सीखा. इससे न सिर्फ स्टूडेंट्स का एकेडमिक रिकॉर्ड रखने में मदद मिलेगी बल्कि स्टूडेंट्स खुद भी रिपोर्ट कार्ड मेकिंग प्रोसेस का हिस्सा बन सकेंगे. 


एक्टिविटी बेस्ड टेस्ट से परखी जाएगी स्किल

स्कूल में स‍िखाई जाने वाली स्किल्स का एक्टिविटी बेस्ड टेस्ट लिया जाएगा और हर स्टूडेंट को एक्टिविटी को परखा जाएगा. उन्हें नंबर देने के लिए ये एक्ट‍िविटी इस्तेमाल होगी. 

मुझे कुछ नया सीखने का मौका मिला

मैं अपनी क्रिएटिविटी व्यक्त कर पाया

मैंने दूसरों की मदद की


एक्टिविटी पूरी हो जाने के बाद स्टूडेंट को खुद इनमें से किसी भी एक ऑप्शन को टिक करना होगा. इसके अलावा कोई स्टूडेंट चाहे तो किसी और तरीके से भी खुद को रिमार्क दे सकता है. इसके लिए मुझे अपना किया काम पसंद आया, मैंने अपने टीचर के इंस्ट्रक्शन अच्छी तरह फॉलो किए जैसे वाक्यों के आगे हां, नहीं, पता नहीं जैसे रिमार्क भी दे सकते हैं. 


एक्टिविटी पूरी होने के बाद स्टूडेंट्स एक दूसरे को भी फीडबैक दे सकेंगे. इसे एक्टिविटी समझ में आई, मेरे क्लासमेट या टीचर ने एक्टिविटी में मेरी मदद की, एक्टिविटी जीतने में मैंने मदद की जैसे इंडिकेटर से खुद को ग्रेड कर सकेंगे. 


स्टूडेंट्स को मिलेगा एम्बिशन कार्ड
इस हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड के साथ स्टूडेंट्स को एक एम्बिशन कार्ड भी दिया जाएगा. इस कार्ड में स्टूडेंट्स अपने साल भर के गोल सेट करेंगे और इन गोल को पूरा करने के लिए जरूरी आदतें या स्किल्स की लिस्ट भी बनाएंगे. इसके अलावा क्लास 6 से 8 तक के बच्चों को खुद अपने पर्सनल और प्रोफेशनल गोल सेट करने का मौका भी मिलेगा. 
 

16 राज्यों के CBSE स्कूलों में बनेगा HPC

PARAKH CEO इंद्राणी भादुड़ी ने इस बारे में स्पष्ट किया है कि मार्च 2023 में कुछ स्कूलों के साथ पायलट टेस्ट किया गया. अब स्कूलों को हमनें HPC रिपोर्ट कार्ड को अपनाने के निर्देश दिए हैं. स्कूल चाहें तो अपने हिसाब से इसमें जरूरी बदलाव भी कर सकते हैं. अब 15-16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों और CBSE स्कूलों में HPC लागू हो चुका है और जल्द ही सभी स्कूलों में इसी पैटर्न के साथ रिपोर्ट कार्ड तैयार किए जाएंगे. 

Wednesday, October 18, 2023

नए पाठ्यक्रम का रोडमैप तैयार दो चरणों में होगा लागू

नए पाठ्यक्रम का रोडमैप तैयार दो चरणों में होगा लागू : केंद्रीय शिक्षा मंत्री 

• शिक्षा मंत्री बोले- अगले शैक्षणिक सत्र से इस पर अमल शुरू 

• पहले आएगा तीसरी, चौथी, पांचवीं, छठी, नौवीं व 11वीं का पाठ्यक्रम


नई दिल्ली । नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार किए जा रहे नए पाठ्यक्रम को स्कूली शिक्षा में बड़े गेमचेंजर के रूप में देखा जा रहा है। यह कब से और कैसे लागू होगा, इसको लेकर लोगों में काफी उत्सुकता है। 


केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने स्कूलों में इसके अमल का पूरा रोडमैप सामने रखा। उन्होंने बताया कि वैसे तो अगले शैक्षणिक सत्र यानी 2024-25 से अमल शुरू हो जाएगा। यह दो चरणों में लागू होगा। पहले चरण में इसे छह कक्षाओं तीसरी, चौथी, पांचवीं छठी, नौवीं और ग्यारहवीं में लागू किया जाएगा। दूसरे चरण में 2025 - 26 के शैक्षणिक सत्र में इसे बाकी चार कक्षाओं सातवीं, आठवीं, दसवीं और बारहवीं में लागू किया जाएगा।


उन्होंने कहा कि पाठ्यक्रम तैयार किया जा रहा है। अगले दो वर्षों में इसे पूरी तरह से लागू कर दिया जाएगा। नए पाठ्यक्रम को लागू करने की शुरूआत केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से होगी । इसे राज्य भी लागू कर सकते हैं।


नए पाठ्यक्रम के तैयार होते ही राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) तुरंत ही इसे राज्यों के राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) को भेज देगा। बड़ी संख्या में पुस्तकें तैयार करने के सवाल पर प्रधान ने कहा कि एनसीईआरटी यह काम हर साल करती है। नई पाठ्यपुस्तकें तैयार करने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।