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Tuesday, August 5, 2025

निपुण प्लस एप में विसंगतियों को लेकर बेसिक शिक्षक परेशान, विभाग से की सुधार की मांग

निपुण प्लस एप में विसंगतियों को लेकर बेसिक शिक्षक परेशान, विभाग से की सुधार की मांग


उत्तर प्रदेश में बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों की दक्षता जांचने के लिए 'निपुण लक्ष्य प्लस' नामक मोबाइल एप्लिकेशन लांच किया गया है। इस ऐप को डिजिटल नवाचार के रूप में प्रस्तुत किया गया है, लेकिन ज़मीनी स्तर पर कार्य कर रहे शिक्षकों और छात्रों के अनुभव इसके ठीक उलट कहानी बयान कर रहे हैं। प्रदेश के विभिन्न जिलों से प्राप्त शिक्षकीय फीडबैक के अनुसार इस ऐप में कई तकनीकी और संरचनात्मक खामियाँ हैं, जो इसके उद्देश्य और प्रभावशीलता दोनों को ही प्रश्नों के घेरे में खड़ा कर रही हैं।


शिक्षकों की सबसे बड़ी शिकायत यह है कि ऐप बच्चों द्वारा दिए गए सही उत्तरों को भी गलत बता देता है, जिससे बच्चे का आत्मविश्वास प्रभावित होता है। एक भी उत्तर गलत होने पर बच्चे को 'प्रगतिशील' श्रेणी में डाल दिया जाता है, चाहे उसने अन्य सभी उत्तर सही दिए हों। इससे छात्र के वास्तविक स्तर का मूल्यांकन नहीं हो पाता और न ही उसकी मेहनत का समुचित सम्मान होता है। इससे बड़ी विडंबना यह है कि ऐप में पूछे जा रहे सवाल अक्सर उस कक्षा के उन पाठों से होते हैं जिन्हें अभी पढ़ाया ही नहीं गया होता। बच्चों से ऐसे पाठों पर आधारित सवाल पूछना जिनसे वे अभी परिचित ही नहीं हैं, एक अव्यावहारिक और अवैज्ञानिक पद्धति प्रतीत होती है, जो केवल आँकड़ों के पीछे की होड़ को दर्शाती है, न कि बच्चे की वास्तविक समझ को।


एक अन्य बड़ी समस्या संयुक्त विषय मूल्यांकन की है, जहाँ कई विषयों को एक साथ जोड़कर बच्चे का स्तर निर्धारित किया जाता है। यदि बच्चा किसी एक विषय में गलती करता है तो वह पूरे मूल्यांकन को प्रभावित कर देता है, भले ही बाकी विषयों में उसका प्रदर्शन उत्कृष्ट हो। यह तरीका न केवल अन्यायपूर्ण है, बल्कि अधिगम मनोविज्ञान के बुनियादी सिद्धांतों के भी विरुद्ध है। शिक्षक इस बात को लेकर भी असंतुष्ट हैं कि मूल्यांकन की प्रक्रिया में कोई लचीलापन नहीं रखा गया है। स्वाभाविक है कि कोई भी बच्चा यदि 12 में से 1 या 2 सवाल गलत कर देता है, तो उसकी दक्षता को पूरी तरह खारिज नहीं किया जाना चाहिए।


शिक्षकों का कहना है कि इस ऐप को बिना फील्ड ट्रायल या उपयोगकर्ता फीडबैक के ही लागू कर दिया गया, जिससे जमीनी कठिनाइयों की पहचान ही नहीं हो सकी। निपुण प्लस ऐप के संचालन में तकनीकी खामियों की सूचना मिलने के बावजूद विभाग द्वारा अभी तक कोई स्पष्ट समाधान या दिशानिर्देश जारी नहीं किए गए हैं। 


शिक्षकों की राय है कि किसी भी ऐप के निर्माण और लांच से पहले उसका सीमित स्तर पर परीक्षण आवश्यक होता है, जिसमें विभिन्न सामाजिक, भौगोलिक और मानसिक पृष्ठभूमियों के छात्र-छात्राओं को शामिल किया जाना चाहिए। इसके साथ ही सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शिक्षक, जो इस पूरी प्रक्रिया के सबसे निकटवर्ती और अनुभवी प्रयोक्ता हैं, उनके फीडबैक को नजरअंदाज कर देना दूरदर्शिता नहीं बल्कि शिक्षा की गुणवत्ता के साथ खिलवाड़ है।


वर्तमान परिप्रेक्ष्य में यह स्पष्ट है कि डिजिटल नवाचार का उद्देश्य केवल ऐप लांच करना नहीं होना चाहिए, बल्कि यह नवाचार तब ही सार्थक होगा जब वह व्यवहारिक, मानवीय और शिक्षाशास्त्रीय दृष्टिकोण से उपयुक्त हो। शिक्षकों की समस्याएँ, छात्रों की मानसिक स्थिति और स्थानीय शैक्षिक वास्तविकताओं को ध्यान में रखे बिना किया गया कोई भी डिजिटल हस्तक्षेप शिक्षा के उद्देश्यों को पूर्ण करने के बजाय उन्हें भटका सकता है। 


अतः विभाग को चाहिए कि वह निपुण प्लस जैसे किसी भी तकनीकी उपक्रम को एक निर्देश नहीं, बल्कि सुधार की एक सतत प्रक्रिया के रूप में देखे, जिसमें शिक्षक और छात्र दोनों की सहभागिता अनिवार्य हो। तभी 'निपुण भारत मिशन' की संकल्पना सच्चे अर्थों में साकार हो पाएगी।


Sunday, July 27, 2025

nipun plus app : हफ्ते में पांच बच्चों का निपुण एप से करना होगा मूल्यांकन, हर बच्चे के लिए अलग-अलग रैंडम आधार पर पूछे जाएंगे प्रश्न, विषयवार बनाया गया है प्रश्न बैंक

हफ्ते में पांच बच्चों का निपुण एप से करना होगा मूल्यांकन, हर बच्चे के लिए अलग-अलग रैंडम आधार पर पूछे जाएंगे प्रश्न, विषयवार बनाया गया है प्रश्न बैंक




लखनऊ । परिषदीय स्कूलों के शिक्षक को हर हफ्ते अपनी कक्षा के कम से कम पांच बच्चों का मूल्यांकन निपुण एप से करना  होगा। इससे शिक्षकों, अभिभावकों  और शैक्षिक अधिकारियों को बच्चों ' के पढ़ाई के स्तर की रियल टाइम जानकारी मिल सकेगी। 

परिषदीय स्कूलों में बच्चों के सीखने का स्तर बेहतर करने के लिए समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से निपुण एप को अपग्रेड किया गया है। एप अपग्रेड होने के बाद राज्य परियोजना की ओर से बीएसए को निर्देश मिले हैं। परियोजना से मिले निर्देशों से बीएसए ने बीईओ को अवगत कराया है। साथ ही पालन कराने का आदेश दिया है।


परिषदीय स्कूलों के शिक्षकों को निपुण एप पर 25 सप्ताह की शिक्षण योजना का मूल्यांकन करना होगा। एआरपी, डायट मेंटर और स्टेट रिसोर्स ग्रुप को 10 से 30 स्कूलों में सहयोगात्मक पर्यवेक्षण करना होगा। इन निरीक्षणों के दौरान कक्षा एक और दो के 40 प्रतिशत, कंक्षा तीन से पांच के 30 प्रतिशत और कक्षा छह और आठ के 20 प्रतिशत बच्चों का मूल्यांकन किया जाएगा। निपुण एप' रविवार और छुट्टियों में बंद रहेगा। एक बार में दो विद्यालयों का मूल्यांकन होने के बाद एप स्वतः ही लाक हो जाएगा।


पर्यवेक्षण के बाद शिक्षकों को जरूरी फीडबैक और रेमेडियल प्लान देना भी अनिवार्य किया गया है। एप का डाटा बेसिक शिक्षा अधिकारी और खंड शिक्षा अधिकारियों की बैठकों में समीक्षा का आधार बनेगा। 


विषयवार बनाया गया है प्रश्न बैंक

निपुण एप पर परिषदीय शिक्षकों को हर हफ्ते पांच बच्चों का मूल्यांकन करना होगा। मूल्यांकन के लिए कक्षा एक से आठ तक के बच्चों के लिए विषयवार प्रश्न बैंक बनाया गया है, जिसमें बच्चों की समझ और सीखने की क्षमता आंकने के लिए प्रश्न शामिल हैं। एप में शिक्षक, पर्यवेक्षक और मास्टर ट्रेनर शामिल किए गए हैं। इसमें हर बच्चे के लिए अलग-अलग रैंडम आधार पर प्रश्न पूछे जाएंगे और उसके प्रदर्शन के आधार पर तुरंत सहयोग भी किया जाएगा।

Wednesday, October 23, 2024

वाराणसी में राज्य स्तरीय शिक्षक कार्यशाला का आयोजन

वाराणसी में राज्य स्तरीय शिक्षक कार्यशाला का आयोजन


वाराणसी, 22 अक्टूबर 2024: बेसिक शिक्षा विभाग वाराणसी और एडुस्टफ उत्तर प्रदेश समूह के सहयोग से आगामी 27 अक्टूबर 2024 को एक महत्वपूर्ण राज्य स्तरीय कार्यशाला आयोजित की जाएगी। यह कार्यशाला निपुण भारत मिशन के अंतर्गत शिक्षकों के नवाचारी प्रयासों पर केंद्रित होगी और इसका आयोजन सनबीम वरुणा स्कूल में किया जा रहा है। 

कार्यशाला में शिक्षकों को अपने अनुभव साझा करने और नए शैक्षिक नवाचारों पर चर्चा करने का अवसर मिलेगा। विभिन्न जिलों से चयनित शिक्षकों की सूची जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी द्वारा संबंधित जिलों को भेज दी गई है, और उनसे प्रतिभागियों को इस कार्यक्रम में सम्मिलित होने की अनुमति प्रदान करने का अनुरोध किया गया है।

कार्यशाला का प्रमुख उद्देश्य शिक्षकों को नवीनतम शिक्षण तकनीकों से अवगत कराना और निपुण भारत मिशन के उद्देश्यों को मजबूत करना है।  कार्यशाला का आयोजन 27 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजे से शुरू होगा, जिसमें विभिन्न जिलों के शिक्षक सम्मिलित होंगे। 

Thursday, September 19, 2024

निपुण लक्ष्य हासिल करने में जुटे बेसिक शिक्षकों को BLO ड्यूटी से मुक्त करने के सम्बन्ध में RSM का सीएम योगी को ज्ञापन

निपुण लक्ष्य हासिल  करने में जुटे बेसिक शिक्षकों को BLO ड्यूटी से मुक्त करने के सम्बन्ध में RSM का सीएम योगी को ज्ञापन


Monday, March 18, 2024

नई श‍िक्षा नीति का असर : स्‍कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्‍चे की पर्सनैलिटी

नई श‍िक्षा नीति का असर : स्‍कूलों में अब नहीं बनेगा रिपोर्ट कार्ड, होलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड से झलकेगी बच्‍चे की पर्सनैलिटी


एक क्लास की पढ़ाई पूरी करने के बाद आता है रिजल्ट. मम्मी-पापा से लेकर फ्रेंड्स तक सभी रिजल्ट के तौर मिलने वाले रिपोर्ट कार्ड देखना चाहते हैं. किस विषय में कितने नंबर आए, क्लास में क्या पोजिशन आई जैसे सवालों का जवाब इसी से मिलता है. लेकिर नई श‍िक्षा नीति में इस पुरानी धारणा को तोड़ने की संस्तुति की गई है. ताकि बच्चों के बीच नंबर्स को लेकर कोई भेदभाव न पनपे. आने वाले सालों में बच्चों को रिपोर्ट कार्ड की जगह स्कूल हॉलिस्ट‍िक प्रोग्रेस कार्ड देंगे. जानिए- ये क्या है. 




बदलेगा रिपोर्ट कार्ड का पैटर्न 

अब सिर्फ एग्जाम में मिले ग्रेड और विषयों में मिले नंबरों के आधार पर रिपोर्ट कार्ड नहीं बनाए जाएंगे. नये बदलाव के तहत स्कूल में बच्चे को पढ़ाने वाले टीचर्स, सहपाठी और यहां तक कि पेरेंट्स का फीडबैक भी रिपोर्ट कार्ड में शामिल किया जाएगा. यह कहलाएगा HPC जिसका फुल फॉर्म है हॉलिस्टिक प्रोग्रेस कार्ड. 


बता दें कि बीते तीन सालों से नेशनल काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च एंड ट्रेनिंग (NCERT) की बॉडी PARAKH के अंतर्गत विशेषज्ञों की टीम नए पैटर्न के रिपोर्ट कार्ड तैयार करने पर काम रही है. इसके तहत पहली से 8वीं कक्षा तक के लिए रिपोर्ट कार्ड का नया पैटर्न तैयार कर लिया गया है. वहीं, 9 से 12 तक के स्टूडेंट्स के लिए नये रिपोर्ट कार्ड बनाए जा रहे हैं. 


HPC में क्या होगा नया 

नए हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड को नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क फॉर स्कूल एजुकेशन (NCFSE) की संस्तुत‍ि के अनुसार तैयार किया जा रहा है. इस रिजल्ट में नबंरों की जगह लर्निंग पर फोकस किया गया है. बच्चे ने कितने सवाल हल करके कितने नंबर पाए से ज्यादा इस बात पर जोर रहेगा कि बच्चे ने पूरे साल कितना सीखा. इससे न सिर्फ स्टूडेंट्स का एकेडमिक रिकॉर्ड रखने में मदद मिलेगी बल्कि स्टूडेंट्स खुद भी रिपोर्ट कार्ड मेकिंग प्रोसेस का हिस्सा बन सकेंगे. 


एक्टिविटी बेस्ड टेस्ट से परखी जाएगी स्किल

स्कूल में स‍िखाई जाने वाली स्किल्स का एक्टिविटी बेस्ड टेस्ट लिया जाएगा और हर स्टूडेंट को एक्टिविटी को परखा जाएगा. उन्हें नंबर देने के लिए ये एक्ट‍िविटी इस्तेमाल होगी. 

मुझे कुछ नया सीखने का मौका मिला

मैं अपनी क्रिएटिविटी व्यक्त कर पाया

मैंने दूसरों की मदद की


एक्टिविटी पूरी हो जाने के बाद स्टूडेंट को खुद इनमें से किसी भी एक ऑप्शन को टिक करना होगा. इसके अलावा कोई स्टूडेंट चाहे तो किसी और तरीके से भी खुद को रिमार्क दे सकता है. इसके लिए मुझे अपना किया काम पसंद आया, मैंने अपने टीचर के इंस्ट्रक्शन अच्छी तरह फॉलो किए जैसे वाक्यों के आगे हां, नहीं, पता नहीं जैसे रिमार्क भी दे सकते हैं. 


एक्टिविटी पूरी होने के बाद स्टूडेंट्स एक दूसरे को भी फीडबैक दे सकेंगे. इसे एक्टिविटी समझ में आई, मेरे क्लासमेट या टीचर ने एक्टिविटी में मेरी मदद की, एक्टिविटी जीतने में मैंने मदद की जैसे इंडिकेटर से खुद को ग्रेड कर सकेंगे. 


स्टूडेंट्स को मिलेगा एम्बिशन कार्ड
इस हॉलिस्टिक रिपोर्ट कार्ड के साथ स्टूडेंट्स को एक एम्बिशन कार्ड भी दिया जाएगा. इस कार्ड में स्टूडेंट्स अपने साल भर के गोल सेट करेंगे और इन गोल को पूरा करने के लिए जरूरी आदतें या स्किल्स की लिस्ट भी बनाएंगे. इसके अलावा क्लास 6 से 8 तक के बच्चों को खुद अपने पर्सनल और प्रोफेशनल गोल सेट करने का मौका भी मिलेगा. 
 

16 राज्यों के CBSE स्कूलों में बनेगा HPC

PARAKH CEO इंद्राणी भादुड़ी ने इस बारे में स्पष्ट किया है कि मार्च 2023 में कुछ स्कूलों के साथ पायलट टेस्ट किया गया. अब स्कूलों को हमनें HPC रिपोर्ट कार्ड को अपनाने के निर्देश दिए हैं. स्कूल चाहें तो अपने हिसाब से इसमें जरूरी बदलाव भी कर सकते हैं. अब 15-16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के स्कूलों और CBSE स्कूलों में HPC लागू हो चुका है और जल्द ही सभी स्कूलों में इसी पैटर्न के साथ रिपोर्ट कार्ड तैयार किए जाएंगे. 

Friday, March 8, 2024

परिषदीय स्कूलों में शिक्षक नहीं, बच्चे कैसे बनें निपुण ? यूपी बोर्ड परीक्षा ड्यूटी और बीआरसी प्रशिक्षणों ने बिगाड़ी निपुणता की लय

परिषदीय स्कूलों में शिक्षक नहीं, बच्चे कैसे बनें निपुण ? यूपी बोर्ड परीक्षा ड्यूटी और बीआरसी प्रशिक्षणों ने बिगाड़ी निपुणता की लय 


लखनऊ: यूपी बोर्ड की परीक्षाएं चल रही है। उनमें कक्ष निरीक्षण के लिए माध्यमिक के अलावा बेसिक शिक्षको की ड्यूटी भी लगाई जा रही है। ज्यादातर जिलों में बेसिक स्कूलों के लगभग आधे शिक्षको की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगा दी गई है। जो शिक्षक बचे है, उनको फाउडेशनल लिट्रेसी ऐंड न्यूमरेसी (FLN) ट्रेनिंग के लिए आदेश कर दिए गए है। स्कूलो में पढ़ाने के लिए शिक्षक बचे नही है। 


यह तब है जब 16 मार्च से बेसिक स्कूलो में परीक्षा भी होनी है। दरअसल, यूपी बोर्ड परीक्षा में कक्ष निरीक्षण के लिए बड़ी संख्या में शिक्षको की जरूरत होती है। इसमे राजकीय और एडेड इंटर कॉलेजो के शिक्षको की ड्यूटी लगाई जाती है। एडेड इंटर कॉलेजो के शिक्षक प्रबंधतंत्र के अधीन होते है। वे परीक्षा ड्यूटी करने से बचते हैं। ऐसे में कमी पूरी करने के लिए बेसिक शिक्षको की ड्यूटी लगा दी जाती है। 


शिक्षकों का कहना है कि एक ओर बच्चों को निपुण बनाने का अभियान चल रहा है। अब बेसिक स्कूलों की परीक्षा से पहले ज्यादातर शिक्षकों की ड्यूटी बोर्ड परीक्षा में लगा दी गई। इसी समय FLN ट्रेनिंग शुरू कर दी गई। 


वही, प्रमुख सचिव-बेसिक शिक्षा एमकेएस सुंदरम का कहना है कि बोर्ड परीक्षाओ में चार-पांच दिन ही ड्यूटी रहेगी। FLN ट्रेनिंग लगभग पूरी हो रही है। जो नही कर पाएंगे, उनको बाद में करवा दी जाएगी। स्कूलों में पढ़ाई बाधित न हो इसका पूरा ध्यान रखा जाएगा।