इलाहाबाद : अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षक भर्ती में एक प्रश्न का पुनमरूल्यांकन न हो पाने का प्रकरण मुकाम पर पहुंचने को है। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड की अनसुनी पर पहले हाईकोर्ट और अब शीर्ष कोर्ट में इसकी सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट ने दो साल में दोबारा मूल्यांकन न होने पर सख्त नाराजगी है और प्रदेश के माध्यमिक शिक्षा सचिव व माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र की सचिव को एक नवंबर को तलब किया है।
प्रदेश के अशासकीय माध्यमिक विद्यालयों में स्नातक शिक्षक, प्रवक्ता व प्रधानाचार्य का चयन माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड उप्र करता है। चयन बोर्ड ने पिछले वर्षो में 2009 स्नातक शिक्षक सामाजिक विज्ञान का परिणाम जारी किया। इसमें इतिहास व नागरिक शास्त्र के सात प्रश्नों के गलत मूल्यांकन हुआ। अभ्यर्थियों ने चयन बोर्ड को प्रत्यावेदन सौंपा, लेकिन उनकी अनसुनी हुई। अभ्यर्थी इस मामले को लेकर हाईकोर्ट पहुंचे। हाईकोर्ट ने रंजीत कुमार व अन्य के प्रकरण की सुनवाई करते हुए सात प्रश्नों का पुनमरूल्यांकन करके रिजल्ट जारी करने का आदेश दिया। इस पर चयन बोर्ड ने दोबारा मूल्यांकन करके नए सिरे से परिणाम जारी किया, लेकिन नागरिक शास्त्र के एक प्रश्न का उत्तर नहीं बदला गया। इससे नाखुश अभ्यर्थी रामशरण वर्मा व चार अन्य ने हाईकोर्ट में फिर याचिका दायर की। सुनवाई के दौरान ही हाईकोर्ट ने रिव्यू के तहत दो नवंबर 2015 को एक्सपर्ट कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर फाइनल रिजल्ट घोषित करने का आदेश दिया।
प्रभावित अभ्यर्थी हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ शीर्ष कोर्ट पहुंचे हैं। न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर व न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने दो साल में एक प्रश्न का पुनमरूल्यांकन न हो पाने पर नाराजगी जताई है।
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