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Tuesday, August 22, 2119

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    Thursday, May 2, 2024

    छात्र औसत और विषय के आधार पर की जाएगी शिक्षकों की तैनाती, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अनुदानित विद्यालयों से मांगा डाटा

    छात्र औसत और विषय के आधार पर की जाएगी शिक्षकों की तैनाती, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अनुदानित विद्यालयों से मांगा डाटा


    लखनऊ। राजधानी के अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में छात्र औसत के आधार पर शिक्षकों की तैनाती होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग इसके लिए सभी विद्यालयों से छात्र और शिक्षकों का डाटा जुटा रहा है, ताकि छात्रों की संख्या व विषय के आधार पर शिक्षकों की तैनाती हो सके।


    राजधानी में इस समय 99 माध्यमिक शिक्षा विभाग के जबकि दो नगर निगम से जुड़े अनुदानित विद्यालय संचालित हैं। 101 विद्यालयों में करीब 60 हजार छात्रों के सापेक्ष 2600 से अधिक शिक्षक तैनात हैं। 


    माध्यमिक शिक्षक संगठन के अनुसार, राजधानी में करीब 30 ऐसे विद्यालय हैं, जहां गणित या विज्ञान वर्ग के शिक्षक नहीं हैं। छात्रों के अनुपात में विषयवार शिक्षकों की तैनाती हो, इसके लिए विभाग ने सभी अनुदानित विद्यालय के प्रधानाचार्यों को पत्र लिखकर डाटा मांगा है। 


    विभाग से जारी अधिसूचना के अनुसार, माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा छह से आठवीं तक 55 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन होना अनिवार्य है। इसी तरह नौवीं से दसवीं कक्षा तक 65 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन और 11वीं से 12वीं कक्षा के लिए 72 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन होना जरूरी है। जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि अनुदानित विद्यालयों से छात्रों और शिक्षकों की जानकारी मांगी गई है।


    वहीं माध्यमिक शिक्षक संघ, एकजुट के प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा ने बताया कि शिक्षकों का समायोजन करना ठीक नहीं है। भले ही जहां किसी विद्यालय में शिक्षकों कमी हो वहां किसी अन्य विद्यालय के शिक्षक से शिक्षण कार्य ले लिया जाए, लेकिन शिक्षकों का स्थानांतरण न किया जाए। क्योंकि, छात्रों की संख्या बढ़ने पर पुनः उस विद्यालय में शिक्षकों की कमी होगी।

    छात्र औसत और विषय के आधार पर की जाएगी शिक्षकों की तैनाती, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अनुदानित विद्यालयों से मांगा डाटा

    छात्र औसत और विषय के आधार पर की जाएगी शिक्षकों की तैनाती, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अनुदानित विद्यालयों से मांगा डाटा


    लखनऊ। राजधानी के अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों में छात्र औसत के आधार पर शिक्षकों की तैनाती होगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग इसके लिए सभी विद्यालयों से छात्र और शिक्षकों का डाटा जुटा रहा है, ताकि छात्रों की संख्या व विषय के आधार पर शिक्षकों की तैनाती हो सके।


    राजधानी में इस समय 99 माध्यमिक शिक्षा विभाग के जबकि दो नगर निगम से जुड़े अनुदानित विद्यालय संचालित हैं। 101 विद्यालयों में करीब 60 हजार छात्रों के सापेक्ष 2600 से अधिक शिक्षक तैनात हैं। 


    माध्यमिक शिक्षक संगठन के अनुसार, राजधानी में करीब 30 ऐसे विद्यालय हैं, जहां गणित या विज्ञान वर्ग के शिक्षक नहीं हैं। छात्रों के अनुपात में विषयवार शिक्षकों की तैनाती हो, इसके लिए विभाग ने सभी अनुदानित विद्यालय के प्रधानाचार्यों को पत्र लिखकर डाटा मांगा है। 


    विभाग से जारी अधिसूचना के अनुसार, माध्यमिक विद्यालयों में कक्षा छह से आठवीं तक 55 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन होना अनिवार्य है। इसी तरह नौवीं से दसवीं कक्षा तक 65 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन और 11वीं से 12वीं कक्षा के लिए 72 विद्यार्थियों पर एक सेक्शन होना जरूरी है। जिला विद्यालय निरीक्षक राकेश कुमार ने बताया कि अनुदानित विद्यालयों से छात्रों और शिक्षकों की जानकारी मांगी गई है।


    वहीं माध्यमिक शिक्षक संघ, एकजुट के प्रदेश अध्यक्ष सोहनलाल वर्मा ने बताया कि शिक्षकों का समायोजन करना ठीक नहीं है। भले ही जहां किसी विद्यालय में शिक्षकों कमी हो वहां किसी अन्य विद्यालय के शिक्षक से शिक्षण कार्य ले लिया जाए, लेकिन शिक्षकों का स्थानांतरण न किया जाए। क्योंकि, छात्रों की संख्या बढ़ने पर पुनः उस विद्यालय में शिक्षकों की कमी होगी।

    कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में पहली बार होगी बोर्ड परीक्षा

    कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में पहली बार होगी बोर्ड परीक्षा


    लखनऊ । कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अभी तक छात्राओं को कक्षा आठ तक की शिक्षा मिलती थी। अब केजीबीवी को कक्षा 12 तक उच्चकृत किया जा रहा है। ये पहला मौका होगा जब केजीबीवी की छात्राएं अगले सत्र में हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा देंगी।

    पहले चरण में सिर्फ विज्ञान वर्ग में आगे की पढ़ाई करने वाली छात्राओं के प्रवेश कक्षा नौ में मिले गए थे। जो कि अब कक्षा दस की परीक्षा में शामिल होंगी। हाईस्कूल की परीक्षा में 1916 छात्राएं शामिल होंगी। बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों को लगभग पूरा कर लिया गया है। 

    कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय कक्षा 8 तक संचालित होते थे। पिछले दो साल से इन्हें एकेडमिक और आवासीय विद्यालयों के रूप में उच्चीकृत किया जा रहा है। सत्र 2023-24 में कस्तूरबा में बालिकाओं के लिए कक्षा 9 से 12 की शिक्षा शुरू हुई है। इसके तहत सत्र 2024-25 में कुल 1916 बालिकाएं इस बार बोर्ड परीक्षा में बैठेंगी।

     बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्राओं का कक्षा 9 में माध्यमिक शिक्षा विभाग में रजिस्ट्रेशन कराया गया है। जिसके बाद छात्राएं बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग के नियमों के तहत छात्राओं को ओएमआर शीट पर परीक्षा भी दिलाई गई है। 10 वीं बोर्ड परीक्षाएं में छात्राएं अब 20 नंबर की परीक्षा ओएमआर शीट पर देंगी। प्रदेश में कुल 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हैं।


    केजीबीवी की छात्राओं को बोर्ड परीक्षा में शामिल कराने की तैयारियां हो गई हैं। केजीबीवी की छात्राओं की ये पहली बोर्ड परीक्षा होगी। बोर्ड परीक्षा में शामिल छात्राओं की तैयारियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। –कंचन वर्मा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा

    कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में पहली बार होगी बोर्ड परीक्षा

    कस्तूरबा गांधी विद्यालयों में पहली बार होगी बोर्ड परीक्षा


    लखनऊ । कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में अभी तक छात्राओं को कक्षा आठ तक की शिक्षा मिलती थी। अब केजीबीवी को कक्षा 12 तक उच्चकृत किया जा रहा है। ये पहला मौका होगा जब केजीबीवी की छात्राएं अगले सत्र में हाईस्कूल की बोर्ड परीक्षा देंगी।

    पहले चरण में सिर्फ विज्ञान वर्ग में आगे की पढ़ाई करने वाली छात्राओं के प्रवेश कक्षा नौ में मिले गए थे। जो कि अब कक्षा दस की परीक्षा में शामिल होंगी। हाईस्कूल की परीक्षा में 1916 छात्राएं शामिल होंगी। बोर्ड परीक्षाओं की तैयारियों को लगभग पूरा कर लिया गया है। 

    कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय कक्षा 8 तक संचालित होते थे। पिछले दो साल से इन्हें एकेडमिक और आवासीय विद्यालयों के रूप में उच्चीकृत किया जा रहा है। सत्र 2023-24 में कस्तूरबा में बालिकाओं के लिए कक्षा 9 से 12 की शिक्षा शुरू हुई है। इसके तहत सत्र 2024-25 में कुल 1916 बालिकाएं इस बार बोर्ड परीक्षा में बैठेंगी।

     बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय की छात्राओं का कक्षा 9 में माध्यमिक शिक्षा विभाग में रजिस्ट्रेशन कराया गया है। जिसके बाद छात्राएं बोर्ड परीक्षा में शामिल होंगी। माध्यमिक शिक्षा विभाग के नियमों के तहत छात्राओं को ओएमआर शीट पर परीक्षा भी दिलाई गई है। 10 वीं बोर्ड परीक्षाएं में छात्राएं अब 20 नंबर की परीक्षा ओएमआर शीट पर देंगी। प्रदेश में कुल 746 कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय हैं।


    केजीबीवी की छात्राओं को बोर्ड परीक्षा में शामिल कराने की तैयारियां हो गई हैं। केजीबीवी की छात्राओं की ये पहली बोर्ड परीक्षा होगी। बोर्ड परीक्षा में शामिल छात्राओं की तैयारियों पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। –कंचन वर्मा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा

    आगामी यूपी बोर्ड परीक्षा-2025 के परीक्षाफल में सुधार के सम्बन्ध में

    आगामी यूपी बोर्ड परीक्षा-2025 के परीक्षाफल में सुधार के सम्बन्ध में 



    राजकीय और अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए अब हर सप्ताह समीक्षा


    लखनऊ। राजकीय और अनुदानित माध्यमिक विद्यालयों की शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए अब हर सप्ताह समीक्षा होगी। समग्र शिक्षा के तहत जिला विद्यालय की ओर से इसके लिए सभी प्रधानाचार्यों को निर्देशित किया गया है।


    यूपी बोर्ड के परिणाम में निजी शिक्षण संस्थानों के सापेक्ष में सरकारी और अनुदानित यूपी बोर्ड परीक्षा में सरकारी व विद्यालयों का प्रदर्शन इस बार काफी निराशाजनक रहा। इसे देखते हुए नए अनुदानित विद्यालयों के खराब प्रदर्शन के बाद कवायद सिरे से यहां न केवल शिक्षा व्यवस्था की समीक्षा होगी बल्कि शिक्षकों के पढ़ाने के ढंग को भी परखा जाएगा। शिक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा। विभाग के अनुसार, आधुनिक लाइब्रेरी, कंप्यूटर कक्ष व साइंस लैब की व्यवस्था को बेहतर बनाया जाएगा।


    कम उपस्थिति वाले छात्रों के अभिभावकों से करेंगे संपर्क : विभाग के अनुसार, लगातार तीन दिन तक अनुपस्थित रहने वाले छात्रों के अभिभावकों से संपर्क किया जाएगा। विद्यालयों में यूथ व इको क्लब, साइंस मैथ्स क्लब गठित होंगे। समय-सारिणी में स्मार्ट कक्षा कक्ष, प्रयोगशालाओं व संसाधनों को बेहतर बनाने पर कार्य होगा। कमजोर विद्यार्थियों के लिए अतिरिक्त कक्षाएं चलेंगी। प्रत्येक शनिवार प्रयोगात्मक कार्यक्रम होंगे। मानव संपदा पोर्टल से ही शिक्षकों के अवकाश स्वीकृत होंगे, अन्यथा विभागीय कार्रवाई होगी। शिक्षकों की ओर से पंख पोर्टल के जरिये विद्यार्थियों के लिए कॅरिअर काउंसिलिंग पर कार्यशाला का आयोजन किया जाएगा। 

    Wednesday, May 1, 2024

    अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को सिखाया जाएगा संगीत के गुर, लोक संगीत पर रहेगा मुख्य फोकस

    अब सरकारी स्कूलों में बच्चों को सिखाया जाएगा संगीत के गुर, लोक संगीत पर रहेगा मुख्य फोकस
     

    सरकारी स्कूलों में बच्चों को अब संगीता सिखाया जाएगा। संगीत नाटक अकादमी के कलाकार बच्चों को विभिन्न माध्यमों से संगीत के गुर सिखाएंगे। भारतीय संगीत और संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए परिषदीय व माध्यमिक शिक्षा विभाग के सरकारी विद्यालयों में छात्र-छात्राओं को संगीत सिखाने की पहल की जा रही है।

    बच्चों को करीब दो घंटे की कक्षा में विभिन्न माध्यमों से संगीत सिखाया जाएगा। जिस बच्चे की रूचि संगीत में दिखेगी, उसे आगे बढ़ाया जाएगा। लोक संगीत पर विशेष ध्यान रहेगा। इसमें सुरों की शिक्षा के साथ बच्चों को वाद्य यंत्रों के बारे में बताया जाएगा। पहले चरण में सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे शामिल होंगे। दूसरे चरण में अर्द्धसरकारी स्कूलों के बच्चों व उसके बाद गैर सरकारी स्कूलों के बच्चों को शामिल किया जाएगा।

    स्कूूलों की सूची संगीत नाटक अकादमी पहुंचने पर प्रशिक्षित कलाकार स्कूल में आकर संगीत की शिक्षा देंगे। संगीत नाटक अकादमी के निदेशक शोभित नाहर की ओर से सभी डीआईओएस व बीएसए को पत्र भेजा गया है और कहा गया है कि इस येाजना को वृहद स्तर पर शुरू किया जाएगा। इसके तहत डीआईओएस व बीएसए से सरकारी स्कूलों की सूची मांगी गई है। 



    सरकारी स्कूलों के बच्चे भी सीखेंगे संगीत के गुर, संगीत नाटक अकादमी ने मांगी स्कूलों से सूची, यूपी के कुशल संगीत कलाकार देंगे प्रशिक्षण

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश के सरकारी स्कूलों के बच्चों को कुशल कलाकार संगीत की शिक्षा देंगे। संगीत नाटक अकादमी की ओर से यह पहल जल्द ही शुरू की जा रही है। अकादमी के पंजीकृत कलाकार बच्चों को भाषण के जरिये, रचना और अंग संचालन के माध्यम से कई विधाएं सिखाएंगे। भारतीय संगीत व संस्कृति को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस योजना को जल्द अमलीजामा पहनाया जाएगा। इसके लिए स्कूलों व कॉलेजों की सूची मांगी गई है।


    संगीत नाटक अकादमी के निदेशक शोभित नाहर ने बताया कि इस योजना को वृहद स्तर पर शुरू करने की कोशिश की जा रही है। इसके तहत डीआईओएस और बीएसए से सरकारी स्कूलों की सूची मांगी गई है। पहले चरण में सरकारी स्कूलों के बच्चों को सिखाया जाएगा और इसके बाद अर्धसरकारी स्कूलों के बच्चों को व उसके बाद गैरसरकारी स्कूलों के बच्चों को संगीत की शिक्षा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि हमने कुछ समय पहले भी संगीत के होनहारों को खोजने की कोशिश की थी लेकिन वह 2023 तक उतना सफल नहीं पाई थी। अब यूपी के होनहारों को खोजने की वृहद स्तर पर योजना बनाई गई है। जल्द ही इसे सफल बनाया जाएगा।


    ■ दो घंटे चलेगी संगीत की क्लास

    शोभित नाहर ने बताया कि प्रदेश के कुशल कलाकार इन स्कूलों के बच्चों को दो घंटे की कक्षा में विभिन्न माध्यमों से संगीत के गुर सिखाएंगे। अभी हमारा प्रयास रहेगा कि एक साल में ज्यादा से ज्यादा बच्चों को संगीत सिखा सकें। जिन बच्चों में रुचि दिखेगी उन्हें आगे भी ले जाएंगे। जहां-जहां से सूची आती जाएगी वहां-वहां हमारे कलाकार जा जाकर योजना को आगे बढ़ाते जाएंगे।


    ■ लोक संगीत पर रहेगा मुख्य फोकस
    शोभित नाहर ने बताया कि शुरुआत में हमारा फोकस लोक संगीत पर ही रहेगा। इसके तहत सुरों की शिक्षा के साथ ही बच्चों को वाद्ययंत्रों के बारे में भी बताया जाएगा।

    भीषण गर्मी के चलते एक और एमएलसी ने की परिषदीय विद्यालयों में समय परिवर्तन की मांग, 7 से 11 बजे तक करने की मांग

    भीषण गर्मी के चलते एक और एमएलसी ने की परिषदीय विद्यालयों में समय परिवर्तन की मांग




    प्राथमिक विद्यालयों का समय सुबह सात से 11 बजे तक करने की मांगसपा एमएलसी ने सीएम को लिखा पत्र


    लखनऊ। सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का समय सुबह सात से 11 बजे तक किए जाने की मांग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से की है। सीएम को पत्र लिखकर उन्होंने कहा है कि परिषद के स्कूल इस भीषण गर्मी में दोपहर दो बजे तक चल रहे हैं। बच्चे कड़ी धूप और गर्म हवा के थपेड़े सहते हुए घर पहुंचते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा है। एमएलसी ने कहा कि गर्मी को देखते हुए कुछ जिलों में बीएसए ने अपने स्तर से स्कूलों का समय घटाया भी तो बेसिक शिक्षा निदेशक ने इसे अनुचित बताते हुए फिर से दो बजे तक स्कूल चलाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि इस संदर्भ में प्रमुख सचिव को भी पत्र भेजा था, किंतु विभाग ने सिर्फ एक ही दिन समय घटाया। 



    एमएलसी ने सीएम योगी को पत्र लिखकर की मांग, भीषण गर्मी में झुलस रहे छात्रों के दृष्टिगत परिषदीय विद्यालयों का समय प्रातः 7 से 11 बजे तक हो।


    वाराणसी। सपा एमएलसी आशुतोष सिन्हा ने बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों का समय सुबह 7 से 11 बजे तक किए जाने हेतु मा0 मुख्यमंत्री जी को पत्र लिखा है।

    उन्होंने अपने पत्र में लिखा है कि उ0प्र0 में बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल इस भीषण गर्मी में दोपहर दो बजे तक संचालित हो रहे हैं, जिससे 40 डिग्री सेल्सियस तापमान के बीच बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में दोपहर दो बजे तक बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। बच्चे कड़ी धूप और गर्म हवा के थपेड़े सहते हुए घर पहुंचते हैं, जिससे उनका स्वास्थ्य प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है। 

    इस प्रचंड गर्मी को देखते हुए कुछ जिलों में बीएसए ने अपने स्तर से छुट्टी का समय घटाया भी था परन्तु बेसिक शिक्षा निदेशक ने इसे अनुचित बताते हुए पुनः दो बजे छु‌ट्टी करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने आगे लिखा है कि इस सन्दर्भ में मैंने पूर्व में भी प्रमुख सचिव - बेसिक शिक्षा को संबोधित पत्र  के माध्यम से विद्यालय के समय में परिवर्तन किए जाने की मांग की थी, जिसपर विद्यालय का समय 7.30 बजे से 1.00 बजे तक किया गया था, जो कि छात्रहित में उचित नही है।

    इसके साथ ही शिक्षा निदेशक (बेसिक), उ0प्र0 निशातगंज, लखनऊ के द्वारा प्रेषित पत्र दिनांक - 26 अप्रैल, 2024 के माध्यम से विभाग के अधीनस्थों को आदेशित किया गया था कि दिनांक- 25 अप्रैल, 2024 से 28 अप्रैल, 2024 तक, उ0प्र0 बेसिक शिक्षा परिषद के नियंत्रणाधीन कक्षा-1 से 8 तक परिषदीय / मान्यता प्राप्त समस्त विद्यालयों का संचालन प्रातः 7.30 बजे से 11.30 बजे तक तथा दिनांक 29 अप्रैल, 2024 से अग्रिम आदेश तक प्रातः 7.30 बजे से अपरान्ह 1.00 बजे तक होगा। 

    उक्त आदेश के क्रम में उन्होंने मा0 मुख्यमंत्री जी से व्यंग्यात्मक लहजे में पूछा भी है कि क्या यह प्रचण्ड गर्मी केवल 25 अप्रैल से 28 अप्रैल, 2024 तक ही रहेगी? उन्होंने कहा कि छोटे बच्चों के बिगड़ते स्वास्थ्य के कारण उनके अभिभावकों द्वारा अब बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में भी दोपहर 11 बजे तक छुट्टी करने की मांग भी निरंतर की जा रही है, जिसको ध्यान में रखते हुए विद्यालय का समय 7 बजे से 11 बजे तक किया जाना छात्रहित में न्यायसंगत है।


    कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में आज से मासिक परीक्षा, नए सत्र 2024-25 में नई पहल

    कस्तूरबा बालिका विद्यालयों में आज से मासिक परीक्षा, नए सत्र 2024-25 में नई पहल


    लखनऊ। प्रदेश के कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों में नए सत्र 2024-25 में एक नई पहल शुरू की गई है। इसके तहत यहां पर मासिक परीक्षाओं का आयोजन करने का निर्णय लिया गया है। पूर्व में ही इसको लेकर विभाग की ओर से निर्देश जारी किए गए थे।


    इसी क्रम में पहली मासिक परीक्षा एक मई को आयोजित की जाएगी। इसे लेकर सभी कस्तूरबा विद्यालयों को आवश्यक तैयारी करने के निर्देश दिए गए थे। विभाग ने कहा है कि मासिक पाठ्यक्रम विभाजन के अनुसार पहले माह में हुई पढ़ाई के अनुसार परीक्षा का आयोजन किया जाए। 

    नई किताबें पढ़ाने से पहले शिक्षक खुद कर रहे पढ़ाई, सीमैट में एनसीईआरटी की नई किताबों हेतु मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण शुरू


    नई किताबें पढ़ाने से पहले शिक्षक खुद कर रहे पढ़ाई, सीमैट में एनसीईआरटी की नई किताबों हेतु मास्टर ट्रेनरों का प्रशिक्षण शुरू


    प्रयागराज । राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) व समग्र शिक्षा राज्य परियोजना कार्यालय की ओर से नवीन पाठ्यपुस्तकों पर आधारित शिक्षक- प्रशिक्षण के लिए राज्य व जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनरों के पांच दिनी प्रशिक्षण का उ‌द्घाटन बुधवार को सीमैट एलनगंज में हुआ। निदेशक सोमैट दिनेश सिंह ने कहा कि हमें बच्चों को निपुण बनाने के लिए सर्वप्रथम शिक्षकों को नवाचारी शिक्षण में दक्ष करने की आवश्यकता होगी। जिससे वह नई तकनीकियों का ज्ञान प्राप्त कर बच्चों का सर्वांगीण विकास कर सकें।

    सभी शिक्षक अकादमिक वर्ष 2024-25 में एनसीईआरटी आधारित हिन्दी, गणित और अंग्रेजी की नवीन पाठ्यपुस्तकों को समग्रता में समझते हुए यह समझ पाएंगे की अकादमिक रणनीतियों में पाठ्यपुस्तकों, कार्यपुस्तिकाओं व अन्य शिक्षण सामग्रियों का उपयोग बच्चों के पठन- पाठन में हम किस प्रकार करें। प्रदेश सरकार का लक्ष्य 2025 तक सभी बच्चों को निपुण बनाने का है। इसके लिए आवश्यक है कि हम सभी प्राथमिक विद्यालय के सभी शिक्षकों को अकादमिक रणनीतियों के निर्धारण में प्रवीण करें।

    राज्य स्तरीय मास्टर ट्रेनरों का यह कर्तव्य है कि यह जिला स्तरीय मास्टर ट्रेनरों को अच्छी तरह प्रशिक्षित करें, जिससे कि वे शिक्षक-प्रशिक्षण कार्यक्रम को जमीनी स्तर पर अच्छी तरह क्रियान्वित करा सके।



    SIEMAT में पांच दिन कक्षा 1 और 2 की नई किताबों के साथ साथ शिक्षक संदर्भिका और कार्य पुस्तिका से रूबरू होगें मास्टर ट्रेनर

    प्रयागराज। बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में कक्षा एक और दो की किताबें बदल दी गईं हैं। यह किताबें मई में आ सकती हैं। 30 अप्रैल से चार मई तक 20 मास्टर ट्रेनर को प्रशिक्षित किया जाएगा। फिर वह सभी जिलों के शिक्षकों को प्रशिक्षण देंगे।


    नई शिक्षा नीति के अंतर्गत बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूलों में राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी) की किताबें चलनी है। उन किताबों को उत्तर प्रदेश के परिवेश में राज्य शिक्षा संस्थान से बदला गया है। किताबों में बदलाव के बाद उनकी छपाई का काम चल रहा है। किताबें अब तक बच्चों को उपलब्ध नहीं हुई हैं। नया शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। उन किताबों के बारे में शिक्षकों को प्रशिक्षित करने की प्रक्रिया राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) में बुधवार से शुरू होगी।


    सीमैट निदेशक दिनेश सिंह ने बताया कि पहले चरण में पांच दिन मास्टर ट्रेनर को नई किताबों के अलावा शिक्षक संदर्भिका और कार्य पुस्तिका की जानकारी दी जाएगी। अगले चरण में जिले स्तर से शिक्षकों को बुलाकर प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि निपुण भारत अभियान के तहत पांच दिवसीय प्रशिक्षण होगा। 

    आज से बीएड प्रवेश परीक्षा का फॉर्म भरने के लिए देना होगा विलंब शुल्क, सात मई तक फॉर्म भरा जा सकेगा

    आज से बीएड प्रवेश परीक्षा का फॉर्म भरने के लिए देना होगा विलंब शुल्क, सात मई तक फॉर्म भरा जा सकेगा


    झांसी। उत्तर प्रदेश संयुक्त बीएड प्रवेश परीक्षा के लिए ऑनलाइन आवेदन करने पर आज से विलंब शुल्क लगेगा। बुंदेलखंड विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर सात मई तक फॉर्म भरा जा सकेगा। प्रवेश परीक्षा के लिए अब तक 2.01 लाख छात्र-छात्राएं आवेदन कर चुके हैं।


    शासन ने इस बार भी बीयू को बीएड संयुक्त प्रवेश परीक्षा कराने की जिम्मेदारी दी है। 10 फरवरी से बीएड के लिए ऑनलाइन आवेदन शुरू किए गए थे। इसके बाद दो बार फॉर्म भरने की तिथि बढ़ाई गई। चार अप्रैल को शासन ने सात मई तक फॉर्म भरने की समय सीमा बढ़ा दी थी। इसमें बिना विलंब शुल्क के आवेदन करने की अंतिम तिथि 30 अप्रैल निर्धारित की। ऐसे में एक से सात मई तक फॉर्म भरने पर विलंब शुल्क अदा करना होगा।

     बीयू कुलसचिव विनय कुमार सिंह ने बताया कि अब तक सामान्य और ओबीसी वर्ग के छात्रों को आवेदन करने 1400 रुपये फीस जमा करनी पड़ती थी।

    Tuesday, April 30, 2024

    पढ़ाई संग अनुशासन का प्रबंधन सीखेंगे गुरुजी, कोर्स के लिए प्रदेश भर से 30 माध्यमिक शिक्षकों का चयन

    पढ़ाई संग अनुशासन का प्रबंधन सीखेंगे गुरुजी, 
     कोर्स के लिए प्रदेश भर से 30 माध्यमिक शिक्षकों का चयन


    प्रयागराज। माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के लिए छह महीने का डिप्लोमा इन एजुकेशनल मैनेजमेंट (डीईएम) कोर्स एक मई से राज्य शैक्षिक प्रबंधन एवं प्रशिक्षण संस्थान (सीमैट) में शुरू होगा। इसके लिए तैयारी पूरी हो चुकी है। इस कोर्स के लिए प्रदेशभर से 30 शिक्षकों का चयन किया गया है। इसमें तीन महीने की पढ़ाई होगी और तीन महीने का शोध कार्य होगा।


    विद्यालयीय प्रशासन और प्रबंधन के परिवर्तनशील संरचनात्मक स्वरूप की समझ विकसित करने के लिए इसको शुरू किया गया था। इसमें प्रशिक्षणार्थियों को शैक्षिक नियोजन, तकनीकों के प्रयोग, क्रियान्वयन, प्रदेश में शिक्षा के विकास, वर्तमान सामाजिक परिवेश में शैक्षिक चुनौतियों की पहचान और समाधान ढूंढ़ने में समर्थ बनाना सिखाया जाता है।

    विद्यालय सुधार कार्यक्रमों में प्रभावी योगदान के लिए दक्षता विकसित की जाती है। सीमैट निदेशक दिनेश सिंह ने बताया कि एक मई से ऑनलाइन प्रशिक्षण होगा। इसमें तीन महीने का ऑफलाइन प्रशिक्षण होता है, लेकिन चुनाव के चलते एक महीने का ऑनलाइन प्रशिक्षण होगा। जून और जुलाई में सभी प्रतिभागी यहीं रहकर प्रशिक्षण लेंगे।

    इस दौरान उनको 16 विषय पढ़ाए जाएंगे। इस कोर्स के लिए दिसंबर में आवेदन लिया गया था। प्रशिक्षण समन्वयक पवन सावंत और सरदार अहमद ने बताया कि प्रशिक्षण पूरा होने पर उन्हें प्रमाण पत्र दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण प्रतिभागियों की पदोन्नति में सहायक होता है।

    मांग : परिषदीय विद्यार्थियों को सिली सिलाई यूनिफॉर्म मिले तो खत्म हों कई दिक्कतें

    मांग : परिषदीय विद्यार्थियों को सिली सिलाई यूनिफॉर्म मिले तो खत्म हों कई दिक्कतें


    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में नया सत्र 2024-25 शुरू हो चुका है। चुनाव आचार संहिता समाप्त होने के साथ ही विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म, बैग, जूते-मोजे के लिए उनके अभिभावकों को डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये पैसे भेजा जाएगा। पर, अभी ही विद्यार्थियों को यूनिफॉर्म व बैग आदि देने की मांग उठने लगी है, क्योंकि अभिभावक पैसे का सही इस्तेमाल नहीं करते हैं। इससे शिक्षकों की दिक्कतें बढ़ जाती हैं। 


    सरकार परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को जहां निशुल्क किताबें देती है। वहीं यूनिफॉर्म, बैग, जूता-मोजा और स्वेटर के पैसे डीबीटी के जरिये अभिभावकों के खातों में ट्रांसफर किए जाते हैं। 


    उप्र बीटीसी शिक्षक संघ ने प्रदेश सरकार से मांग की है कि यूनिफॉर्म के लिए पैसे नहीं, बच्चों को यूनिफॉर्म ही दी जाए। इसके लिए बेसिक शिक्षा विभाग निविदा कर जेम पोर्टल से मानक के अनुसार यूनिफॉर्म लेकर पाठ्य-पुस्तकों की तरह वितरित करे।


     संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने कहा कि अभिभावकों के खातों में जो पैसा भेजा जा रहा है, उसका शतप्रतिशत इस्तेमाल नहीं किया जा रहा है। इससे आधे ही बच्चे यूनिफार्म में आते हैं। वहीं, शिक्षकों को बार-बार अभिभावकों को यूनिफॉर्म खरीदने के लिए कहा जाता है। इसे लेकर कई जगह विवाद भी हो रहा है।

    छूट गए सवा लाख SC विद्यार्थियों को अगले महीने मिलेगी छात्रवृत्ति, समाज कल्याण विभाग ने दिया तीन मई तक कमियां सुधारने का मौका

    छूट गए सवा लाख SC विद्यार्थियों को अगले महीने मिलेगी छात्रवृत्तिसमाज कल्याण विभाग ने दिया तीन मई तक कमियां सुधारने का मौका


    लखनऊ। अनुसूचित जाति (एससी) के करीब सवा लाख छूटे विद्यार्थियों को अगले माह शुल्क भरपाई के साथ छात्रवृत्ति दी जाएगी। इन छात्रों को उनके डाटा की कमियों में सुधार के लिए तीन मई तक का समय दिया गया है। इसके बाद समाज कल्याण विभाग भुगतान की प्रक्रिया शुरू करेगा।


    प्रदेश में ढाई लाख रुपये तक सालाना आमदनी वाले अनुसूचित जाति के परिवारों को छात्रवृत्ति के साथ शुल्क प्रतिपूर्ति की सुविधा मिलती है। पिछले वित्त वर्ष में 18 जनवरी तक आवेदन करने वाले एससी विद्यार्थियों को 31 मार्च तक भुगतान कर दिया गया था। लेकिन जिन विद्यार्थियों ने 19 जनवरी से 31 मार्च तक आवेदन किया है या जो डाटा में खामी के कारण योजना का लाभ नहीं पा सके थे, उनके खातों में 15 मई तक राशि भेजने की तैयारी है। 

    समाज कल्याण विभाग का कहना है कि जिन विद्यार्थियों के डाटा में खामी है, उसे छात्रवृत्ति के पोर्टल पर प्रदर्शित कर दिया गया है। ये विद्यार्थियों तीन मई तक अपने डाटा को सुधार सकते हैं। उसके बाद डाटा लॉक करके भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ की जाएगी।

    बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार के साथ सीबीआई जांच पर फिलहाल रोक

    हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को एक राहत जरूर दी है। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर फिलहाल रोक लगा दी है।

    बंगाल शिक्षक भर्ती घोटाला: ममता सरकार को सुप्रीम कोर्ट से झटका, हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार के साथ सीबीआई जांच पर फिलहाल रोक 


    याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, "हम उस निर्देश पर फिलहाल रोक लगा रहे हैं जिसमें कहा गया है कि सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ आगे की जांच करेगी."

    सुप्रीम कोर्ट से ममता बनर्जी सरकार को झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षक भर्ती घोटाला मामले में हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच पर फिलहाल रोक लगा दी है. दरअसल, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में 24,000 शिक्षकों और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों को रद्द करने और भर्ती प्रक्रिया को अवैध बताने के बाद बंगाल सरकार ने शीर्ष अदालत का दरवाजा खटखटाया था.


    सोमवार को याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने कहा, "हम उस निर्देश पर फिलहाल रोक लगा रहे हैं जिसमें कहा गया है कि सीबीआई (केंद्रीय जांच ब्यूरो) राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ आगे की जांच करेगी."

    सीबीआई ने राज्य के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी और कुछ पदाधिकारियों को गिरफ्तार किया था, जो कथित घोटाला होने के समय डब्ल्यूबीएसएससी में पद पर थे. अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट 6 मई को सुनवाई करेगा.


    CJI ने भर्ती प्रक्रिया पर उठाए सवाल

    CJI ने सुनवाई करते हुए कहा कि जो लोग पैनल में नहीं थे, उन्हें भर्ती कर लिया गया. यह पूरी तरह से धोखाधड़ी है। एक बार जब उन्हें पता चला कि ये नियुक्तियाँ अवैध थीं तो अन्य पद क्यों बनाए गए? हां ओएमआर शीट नष्ट कर दी गई हैं. यह मिरर सर्वर में भी नहीं है. इस पर वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि नियम यह प्रावधान करते हैं कि ओएमआर को 1 या 2 साल के लिए रखा जाना चाहिए, आठ साल के लिए नहीं।

    Monday, April 29, 2024

    न जिले के अंदर और न पारस्परिक अंतर जनपदीय तबादला हो रहा, बेसिक शिक्षा का हाल ए बेहाल

    न जिले के अंदर और न पारस्परिक अंतर जनपदीय तबादला हो रहा, बेसिक शिक्षा का हाल ए बेहाल


    ■ पारस्परिक तबादले के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट करा रहा विभाग

    ■ सत्र बीतने के बाद स्थानांतरण को लेकर शिक्षक भी संशकित

    ■ जिले के अंदर सालों से नहीं हुए तबादले, इंतजार में हजारों शिक्षक

    ■ पिछले साल आदेश आने के बावजूद नहीं किया सका ट्रांसफर


    प्रयागराज । परिषदीय शिक्षकों का न तो जिले के अंदर ओपन तबादला हो सका और न ही अंतर जनपदीय पारस्परिक तबादले की ही कार्यवाही पूरी हो सकी। 27 जुलाई 2022 को जिले के अंदर स्थानांतरण और समायोजन की नीति जारी हुई थी, लेकिन 2022-2023 और 2023-24 सत्र बीतने के बाद भी कुछ नहीं हो सका। शिक्षकों का कहना है कि जिले के अंदर परिषदीय शिक्षकों के खुले स्थानांतरण 2017 के बाद से नहीं हुए हैं जबकि इस दौरान जिले के अंदर पारस्परिक एवं अंतर्जनपदीय स्थानांतरण तीन बार हो चुके हैं।


    चूंकि शिक्षक का पद जिला कैडर का है इसलिए जिले के अंदर स्थानांतरण में पहले से सेवारत वरिष्ठ शिक्षकों को वरीयता दी जानी चाहिए थी। हालांकि 2017 से अब तक तीन बार हुए अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के चलते दूसरे जिलों से आए शिक्षक शिक्षिकाओं को जिला मुख्यालय के अपेक्षाकृत करीब तैनाती नियमावली 2010 के विपरीत विद्यालय आवंटित कर दिए गए हैं।


    जबकि उसी जनपद में पांच साल की सेवा पूरी कर चुके शिक्षक शिक्षिकाओं को खुले स्थानांतरण वंचित रखा गया है। इसके चलते सैकड़ों वरिष्ठ शिक्षक-शिक्षिकाएं जिला मुख्यालय से 70 से 100 किमी दूर के स्कूल में सेवा देने के लिए विवश हैं। वहीं दूसरी ओर हाईकोर्ट से शिक्षकों के पक्ष में निर्णय होने के बावजूद पारस्परिक तबादला भी नहीं हो सका है। बेसिक शिक्षा परिषद के उपसचिव


    राजेन्द्र सिंह की ओर से 20 अप्रैल को सुल्तानपुर के शिक्षक निर्भय सिंह को भेजे पत्र में लिखा है कि ट्रांसफर के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट किया जा रहा है। ऐसे में शिक्षकों में यह भी आशंका है कि सत्र बीतने के कारण तबादला होगा भी या नहीं क्योंकि तबादला नीति पिछले सत्र के लिए ही थी।


    Sunday, April 28, 2024

    शिकायतों के निस्तारण के लिए यूपी बोर्ड ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर

    शिकायतों के निस्तारण के लिए यूपी बोर्ड ने जारी किया हेल्पलाइन नंबर


    प्रयागराज। हाईस्कूल व इंटर के परीक्षार्थियों की शिकायतों के निस्तारण के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने हेल्पलाइन नंबर 18001805310 और 18001805312 जारी किया है। इस पर फोन करके विद्यार्थी समस्याओं का समाधान पा सकते हैं। 

    यूपी बोर्ड के सचिव दिब्यकांत शुक्ल ने बताया कि 20 अप्रैल को जारी परिणाम से संबंधित किसी भी समस्या के लिए विद्यार्थी इस हेल्पलाइन नंबर पर फोन करके नोट करा सकते हैं। सुबह 9:30 से शाम छह बजे तक यह नंबर क्रियाशील रहेगा। 



    यूपी बोर्ड: परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू

    परीक्षा देने के बावजूद अनुपस्थित ग्रीवांस सेल में की शिकायत

    • सेल में परीक्षार्थियों से शिकायत लेकर बोर्ड करेगा समाधान

    • पहले दिन अनुपस्थित सहित विषय आदि की आईं शिकायतें


    प्रयागराजः यूपी बोर्ड ने वर्ष 2024 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का परिणाम 20 अप्रैल को घोषित करने के बाद परीक्षार्थियों की परीक्षा से जुड़ी समस्याओं का समाधान करने के लिए सहायता कक्ष (ग्रीवांस सेल) शुरू किया है। यूपी बोर्ड मुख्यालय सहित सभी पांच क्षेत्रीय कार्यालयों मेरठ, बरेली, प्रयागराज, वाराणसी और गोरखपुर में बुधवार से शुरू हुए ग्रीवांस सेल में परीक्षार्थियों की ओर से अंकपत्र में त्रुटि से जुड़ी समस्याएं आनी शुरू हो गई हैं। कुछ परीक्षार्थियों ने शिकायती पत्र दिया है कि वह परीक्षा में सम्मिलित थे, लेकिन उन्हें अनुपस्थित दर्शाया गया है। इसके अलावा कुछ और शिकायतें भी मिली हैं।


    बोर्ड ने परीक्षार्थियों को आनलाइन मिले अंकपत्र में नाम, जन्मतिथि, विषय, अंक एवं उपस्थिति के बावजूद अनुपस्थित होने की समस्या होने पर ग्रीवांस सेल में शिकायत दर्ज कराने के निर्देश दिए हैं। प्रयागराज क्षेत्रीय कार्यालय में पहले दिन एक दर्जन से ज्यादा परीक्षार्थियों की शिकायतें आई हैं। इनमें कुछ में नाम में त्रुटि है तो कुछ परीक्षा देने के बाद भी अनुपस्थित दर्शाए गए हैं। 


    यूपी बोर्ड की अपर सचिव (प्रशासन) विभा मिश्रा ने बताया कि परीक्षार्थियों की प्रत्येक शिकायतों का संबंधित अनुभाग से सत्यापन कराकर त्रुटियां ठीक करने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। जिन परीक्षार्थियों की शिकायत है कि उन्होंने परीक्षा दी है, लेकिन अनुपस्थित हैं तो एवार्ड ब्लैंक तथा जरूरत पड़ने पर उत्तरपुस्तिका निकलवाकर उपस्थिति प्रमाणित की जाएगी। उसके बाद संशोधन कर अंकपत्र जारी किया जाएगा। इसी तरह अन्य समस्याओं का समाधान कर छात्र-छात्राओं को राहत दी जाएगी।

    वर्षों बाद बदलेगी बेसिक शिक्षा परिषद के मुख्यालय की सूरत, रंगाई, पुताई और मरम्मत का कार्य शुरू

    वर्षों बाद बदलेगी बेसिक शिक्षा परिषद के मुख्यालय की सूरत, रंगाई, पुताई और मरम्मत का कार्य शुरू


    प्रयागराज। धूल, गंदगी और सीलनभरी दीवारों से बेसिक शिक्षा परिषद के मुख्यालय को अब मुक्ति मिलने वाली है। पिछले कई दिनों से परिषद भवन की रंगाई, पुताई और मरम्मत का कार्य चल रहा है। साथ ही सामने के पार्क का भी सौंदर्याकरण कराया जा रहा है।


    प्रदेशभर के प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों की व्यवस्था बेहतर करने के लिए 1972 में बेसिक शिक्षा परिषद का गठन किया गया था। शिक्षा निदेशालय प्रयागराज के परिसर में इसका भवन बनाया गया। लेकिन, पिछले कुछ वर्षों से देखरेख के अभाव में भवन जर्जर हो गया था। दीवारों में सीलन और छत टपकती थी। 2006 के बाद पुताई और मरम्मत का कार्य नहीं हुआ था। 


    2020 में प्रताप सिंह बघेल को सचिव बनाया गया। कार्यभार ग्रहण करने के बाद वह प्रयागराज के बजाय लखनऊ में बैठते थे। उनके यहां न बैठने से अन्य अधिकारी और कर्मचारी भी नहीं बैठते थे।

    इसलिए कार्यालय उपेक्षित था। पिछले महीने सचिव का अतिरिक्त कार्यभार अपर निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र तिवारी को सौंपा गया। कार्यभार ग्रहण करने के बाद उन्होंने परिषद भवन के रंगाई, पुताई और मरम्मत का कार्य शुरू कराया। उन्होंने बताया कि इसके लिए अतिरिक्त बजट नहीं लिया गया। भवन मरम्मत के लिए आने वाले वार्षिक बजट से यह कार्य कराया जा रहा है। अगले महीने मरम्मत का काम पूरा हो जाएगा।

    Saturday, April 27, 2024

    यूपी बोर्ड परीक्षा : उत्तर पुस्तिकाओं की खुद जांच कर सकेंगे परीक्षार्थी, 14 मई तक कर सकेंगे ऑनलाइन आवेदन

    यूपी बोर्ड परीक्षा : उत्तर पुस्तिकाओं की खुद जांच कर सकेंगे परीक्षार्थी, 14 मई तक कर सकेंगे ऑनलाइन आवेदन


    यूपी बोर्ड का परीक्षा परिणाम जारी हो चुका है। ऐसे में कई परीक्षार्थी परीक्षा परिणाम को लेकर संतुष्ट नहीं रहते हैं। ऐसे परीक्षार्थियों की शिकायतों को दूर के लिए बोर्ड की तरफ से परीक्षार्थियों को उत्तर पुस्तिकाओं की खुद जांच करने का मौका दिया जा रहा है। परीक्षार्थी इसके लिए 14 मई तक ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इसके बाद कोई आवेदन नहीं लिया जाएगा।


     यदि कोई परीक्षार्थी परीक्षा परिणाम को लेकर संतुष्ट नहीं तो वह खुद उत्तर पुस्तिकाओं की जांच कर सकता है। इसके लिए परीक्षार्थियों को 500 रुपये प्रति विषय के हिसाब से जमा करने होंगे।

    यूपी बोर्ड के लिए विज्ञान और गणित का Question Bank तैयार, बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा छह से आठ तक के स्कूलों में भी जल्द होगा उपलब्ध

    यूपी बोर्ड के लिए विज्ञान और गणित का Question Bank तैयार, बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा छह से आठ तक के स्कूलों में भी जल्द होगा उपलब्ध


    • यूपी बोर्ड ने कक्षा नौ और 10 के छात्र-छात्राओं लिए की जा रही तैयारी

    • बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा छह से आठ तक के स्कूलों में भी होगा उपलब्ध


    प्रयागराज : विज्ञान और गणित के वर्तमान दौर को देखते हुए यूपी बोर्ड ने भी कक्षा नौ व दस के छात्र-छात्राओं के लिए प्रश्न बैंक तैयार किया है। इसे पुस्तक के रूप में प्रकाशित कराया जाएगा। प्रश्न बैंक को बेसिक शिक्षा परिषद के कक्षा छह से आठ तक के विद्यालयों के पुस्तकालय में भी उपलब्ध कराया जाएगा। यह शिक्षकों के लिए होगा, जिसके माध्यम से वह विद्यार्थियों को विज्ञान और गणित की अवधारणा समझा सकेंगे तथा विद्यार्थियों में इसके प्रति समझ बढ़ेगी।


    शासन के निर्देश पर राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान (एसआइएसई) ने नई शिक्षा नीति-2020 के तहत यूपी बोर्ड के कक्षा नौ और दस के छात्र-छात्राओं में विज्ञान और गणित के प्रति रुचि पैदा करने के लिए अलग-अलग प्रश्न बैंक तैयार किया है। इसको गणित व विज्ञान के अलग-अलग अध्यायों से तैयार किया गया है। कक्षा नौ के लिए विज्ञान के प्रश्न बैंक में कुल 12 तथा कक्षा 10 के लिए कुल 13 अध्यायों को सम्मिलित किया गया है। इस तरह कक्षा नौ में 840 तथा कक्षा 10 में 910 प्रश्नों का संकलन किया गया है। इसमें ज्ञानात्मक, कौशलात्मक एवं बोधात्मक प्रकार के बहुविकल्पीय, अति लघु, लघु उत्तरीय तथा दीर्घ उत्तरीय प्रश्न रखे गए हैं।


    इसके अलावा गणित के प्रश्न बैंक में कक्षा नौ के लिए 12 अध्यायों का समावेश कर 912 प्रश्न रखे गए हैं, जबकि कक्षा 10 के लिए 14 अध्यायों के समावेश के साथ 1064 प्रश्नों को संकलित किया गया है। प्रत्येक प्रकार के प्रश्नों के प्रारंभ में विद्यार्थियों में प्रश्नों को हल करने की रुचि उत्पन्न करने के लिए लर्निंग आउटक्रम के क्रम में अलग से प्रश्न दिए गए हैं। 


    प्रश्न बैंक राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (एनसीईआरटी), राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान, विश्वविद्यालयों एवं माध्यमिक विद्यालयों के विषय विशेषज्ञों के सहयोग से राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान के निदेशक अनिल भूषण चतुर्वेदी के निर्देशन में तैयार किए गए हैं। विज्ञान का समन्वयन एसआइएसई की प्रवक्ता मंजूषा गुप्ता, डा. ममता दुबे तथा शिव नारायण ने किया, जबकि गणित के प्रश्न बैंक का समन्वयन अरविंद कुमार गौतम ने किया।

    निदेशक, राज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान अनिल भूषण चतुर्वेदी ने बताया कि विद्यार्थियों में विज्ञान और गणित के प्रति रुचि और सोच उत्पन्न कराया जाना समय की मांग है। इसकी अवधारणाएं विद्यार्थियों को आसानी से समझाने और पुष्ट करने के उद्देश्य से प्रश्न बैंक तैयार कराया गया है। पुस्तक प्रकाशित होने पर विद्यालयों के पुस्तकालयों में शिक्षकों व विद्यार्थियों के लिए उपलब्ध कराई जाएगी।

    CBSE : सेमेस्टर प्रणाली शुरू करने की योजना खारिज, साल में दो बार बोर्ड परीक्षा किस तरह आयोजित हो, इस पर हो रहा विचार

    सीबीएसई : सेमेस्टर प्रणाली शुरू करने की योजना खारिज, साल में दो बार बोर्ड परीक्षा किस तरह आयोजित हो, इस पर हो रहा  विचार 

    ■ नई व्यवस्था अगले सत्र से लागू करने की तैयारी

    ■ छात्रों का प्रदर्शन बेहतर करने के लिए कवायद


    नई दिल्ली । शिक्षा मंत्रालय ने केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) से शैक्षणिक सत्र 2025-26 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं कराने की तैयारी करने को कहा है। वहीं, सूत्रों ने कहा कि सेमेस्टर प्रणाली शुरू करने की योजना को खारिज कर दिया गया है।


    सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय और सीबीएसई साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने के लिए अगले महीने स्कूलों के प्रधानाध्यापकों के साथ चर्चा करेंगे। सीबीएसई वर्तमान में इस बात पर काम कर रहा है कि स्नातक प्रवेश कार्यक्रम को प्रभावित किए बिना एक और बोर्ड परीक्षा को समायोजित करने के लिए अकादमिक कैलेंडर को कैसे तैयार किया जाएगा। एक सूत्र ने बताया, मंत्रालय ने सीबीएसई से इस बात पर काम करने को कहा है कि साल में दो बार बोर्ड परीक्षा किस तरह आयोजित की जाएगी।


    सूत्र ने बताया, शैक्षणिक सत्र 2025-26 से वर्ष के अंत में बोर्ड परीक्षाओं के दो संस्करण आयोजित करने का विचार किया जा रहा है, लेकिन तौर-तरीकों पर अभी भी काम करने की जरूरत है। यह निर्णय छात्रों के पास अच्छा प्रदर्शन करने के लिए पर्याप्त समय और अवसर हो, इसके मद्देनजर लिया गया है। हालांकि, सेमेस्टर प्रणाली को लागू करने की कोई योजना नहीं है।



    साल में दो बार बोर्ड परीक्षा की तैयारी करे सीबीएसई : मंत्रालय

    नई दिल्ली । अगले शैक्षणिक सत्र 2025-26 से साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं हो सकती हैं। शिक्षा मंत्रालय ने सीबीएसई से इसके लिए तैयारी करने को कहा है। हालांकि सेमेस्टर सिस्टम शुरू करने की योजना नहीं है।

    सूत्रों के अनुसार मंत्रालय और सीबीएसई के अधिकारी साल में दो बार बोर्ड परीक्षा आयोजित करने को लेकर अगले महीने स्कूलों के प्राचार्यों के साथ परामर्श करेंगे। सीबीएसई फिलहाल तौर तरीके पर काम कर रहा है कि स्नातक पाठ्यक्रमों में एडमिशन के शेड्यूल को प्रभावित किए बिना एक और परीक्षा को समायोजित करने के लिए अकादमिक कैलेंडर में किस तरह बदलाव किया जाए। सूत्र ने कहा, 2025-26 शैक्षणिक सत्र से बोर्ड परीक्षाओं के दो संस्करण आयोजित करने का विचार किया जा रहा है, लेकिन तौर-तरीकों पर

    • 2025-26 से साल में दो बार हो सकती है बोर्ड परीक्षा

    • सेमेस्टर सिस्टम को लागू करने की कोई योजना नहीं

    अभी भी काम करने की जरूरत है। हालांकि, सेमेस्टर सिस्टम को लागू करने की योजना नहीं है। मंत्रालय की प्रारंभिक योजना 2024-25 शैक्षणिक सत्र से साल में दो बार बोर्ड परीक्षाएं शुरू करने की थी, हालांकि इस योजना को एक साल के लिए टाल दिया गया था। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अनुरूप तैयार न्यू करिकुलम फ्रेमवर्क में 11वीं- 12 वीं कक्षा के छात्रों के लिए सेमेस्टर प्रणाली का प्रस्ताव है। एनसीएफ में यह भी कहा गया है कि बोर्ड परीक्षाएं साल में दो बार हों ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि छात्रों के पास प्रदर्शन सुधारने के लिए पर्याप्त समय हो।

    Friday, April 26, 2024

    यूपी बोर्ड: मई के पहले सप्ताह में अंकपत्र वितरण की तैयारी

    यूपी बोर्ड: मई के पहले सप्ताह में अंकपत्र वितरण की तैयारी

    यूपी बोर्ड के स्कूलों में अंकपत्र पहुंचाने की तैयारी अंतिम चरण में


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटर के विद्यार्थियों का अंकपत्र मई के पहले सप्ताह में स्कूलों में पहुंचाने की तैयारी है। उसके बाद उसका वितरण शुरू हो जाएगा। बोर्ड की ओर से विद्यालयों में अंक पत्र पहुंचाने की तैयारी अंतिम चरण में है।


    इस बार यूपी बोर्ड ने परिणाम जारी करने में पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नया कीर्तिमान रचा था। परीक्षा समापन के करीब डेढ़ माह बाद परिणाम जारी कर दिया गया। जो सक्रियता परीक्षा, मूल्यांकन और परिणाम जारी करने में दिखाई गई थी, उसी तरह अंकपत्र विद्यार्थियों तक पहुंचाने की तैयारी है।


    परीक्षा में हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के 55,25,342 छात्र-छात्राओं ने पंजीकरण कराया था। परीक्षा में हाईस्कूल 27.49,364 और इंटर के 24,52,830 अभ्यर्थी शामिल हुए थे। परीक्षा के बाद हाईस्कूल के 24,62,026 और इंटर के 20,26,067 परीक्षार्थी सफल हुए हैं। बोर्ड में पंजीकृत सभी विद्यार्थियों के अंक पत्र जारी किए जाएंगे। अंकपत्रों की छपाई का काम अंतिम दौर में है।


    बोर्ड के सचिव दिव्यकांत शुक्ल ने बताया कि इस महीने के आखिर तक क्षेत्रीय कार्यालयों प्रयागराज, वाराणसी, गोरखपुर, मेरठ और बरेली में अंक पत्र पहुंचाने की योजना है। उसके बाद उसे डीआइओएस के माध्यम से स्कूलों में भेजा जाएगा। मई के पहले सप्ताह तक विद्यालयों में अंकपत्र पहुंचाने का प्रयास है। 

    Thursday, April 25, 2024

    मौसम विभाग की भीषण हीटवेव की चेतावनी के बीच यूपी में कक्षा आठ तक के बच्चों को यह कैसी राहत?

    मौसम विभाग की भीषण हीटवेव की चेतावनी के बीच यूपी में कक्षा आठ तक के बच्चों को यह कैसी राहत? 

    छोटे बच्चों के स्कूल का समय बड़े बच्चों के स्कूल से ज्यादा रखने पर समाज का जागरूक वर्ग उठा रहा सवाल


    मौसम विभाग में यूपी में अगले कुछ दिन भीषण हीट वेव यानी लू चलने की चेतावनी जारी की है। कई जिलों के लिए यलो अलर्ट भी जारी किया गया है। इस बीच शासन ने भीषण गर्मी और लू को देखते हुए बेसिक बेसिक शिक्षा परिषद के नियंत्रण वाले कक्षा 1 से 8 तक के स्कूलों का समय बदल दिया है। शासन की ओर से बुधवार को जारी आदेश के अनुसार बेसिक शिक्षा परिषद के अधीन संचालित और मान्यता प्राप्त सभी विद्यालय सुबह 7.30 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक संचालित किये जाएंगे। पहले स्कूल दो बजे तक चलते थे।


    वहीं, प्रदेश के मदरसों में पढ़ाई का समय बदल दिया गया है। यू.पी.मदरसा बोर्ड की रजिस्ट्रार डा.प्रियंका अवस्थी की ओर से जारी आदेश के अनुसार अब मदरसों में सुबह सात बजे से दोपहर 12:30 बजे तक पठन पाठन का कार्य होगा।


    परिषदीय स्कूलों के समय को लेकर शासन के निर्णय पर सवाल उठ रहे हैं। अभिभावक पूछ रहे हैं कि दोपहर एक बजे सबसे ज्यादा तेज धूप औऱ लू का प्रकोप होता है। ऐसे समय पर छुट्टी होने से क्या बच्चों को किसी तरह की राहत मिल सकती है? 


     प्रदेश में पड़ रही भीषण गर्मी और लू को देखते हुए तमाम माता-पिता व अभिभावकों के साथ-साथ शिक्षक संगठनों की ओर से भी स्कूलों के समय में बदलाव की अपील की जा रही थी। सभी की ओर से मौसम विभाग द्वारा जारी ग्रीष्म लहर की चेतावनियों का भी हवाला दिया जा रहा था।


    इन अपीलों को आधार बनाकर कुछ जिलों में जिलाधिकारी स्तर से स्कूलों के समय में बदलाव भी किया जाने लगा था। इस बीच मौसम विभाग ने भी बुधवार को प्रदेश के 32 जिलों में लू चलने की चेतावनी जारी की है। साथ ही पूर्वानुमान जारी करते हुए कहा है कि आने वाले 5 दिनों में 2-3 डिग्री सेल्सियस तापमान में वृद्धि होगी और लू के साथ धूल भरी गर्म हवाएं चलेंगी।


    मौसम विज्ञान विभाग की एडवाइजरी के मद्देनजर शासन की ओर से विशेष सचिव यतीन्द्र कुमार ने बुधवार की शाम को आदेश जारी कर स्कूलों के समय में बदलाव की सूचना सभी परिषदीय स्कूलों को दिये जाने के निर्देश बेसिक शिक्षा निदेशक के नाम जारी कर दिया। अभिभावकों का कहना है कि अगर समय बदलना ही है तो सुबह 11 बजे तक छुट्टी हो जानी चाहिए। कई जिलों में सुबह नौ बजे ही पारा 40 डिग्री पर पहुंच जा रहा है। दोपहर दो बजे छुट्टी हो या एक बजे हो, बच्चों या उनके अभिभावकों को किसी तरह से राहत की कोई उम्मीद नहीं है।

    राजकीय के साथ ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर सख्ती शुरू

    राजकीय के साथ ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर सख्ती शुरू 

    विद्या समीक्षा केंद्र में देनी होगी पूरी जानकारी, निदेशालय करेगा मॉनिटरिंग


    लखनऊ। प्रदेश में राजकीय के साथ ही एडेड माध्यमिक विद्यालयों में पठन-पाठन की व्यवस्था बेहतर करने को लेकर सख्ती शुरू कर दी गई है। नया सत्र 2024-25 शुरू होने के साथ ही माध्यमिक शिक्षा विभाग ने राजकीय इंटर कॉलेजों की तरह अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक (एडेड) विद्यालयों को भी कक्षा की समयसारिणी बनाने के निर्देश दिए हैं। इनकी निदेशालय से मॉनिटरिंग होगी।


    जानकारी के अनुसार राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में तो समयसारिणी के अनुसार कक्षाएं चलती थीं लेकिन एडेड कॉलेजों में इसे लेकर स्थायित्व नहीं था। विद्यार्थी भी इसकी शिकायत करते थे। इसे देखते हुए माध्यमिक शिक्षा विभाग ने अब इन विद्यालयों को भी समयसारिणी बनाने और जानकारी विद्या समीक्षा केंद्र में देने के निर्देश दिए हैं। इसमें कौन शिक्षक, किस क्लास में कब पढ़ाएगा, इसकी भी डिटेल देनी होगी।


    माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेंद्र देव ने राजकीय व एडेड विद्यालयों के प्रधानाचार्यों को इसे जल्द पूरा कराने के निर्देश दिए हैं। इस संदर्भ में 29 अप्रैल को सुबह 11 बजे से एक ऑनलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया जाएगा। 


    Wednesday, April 24, 2024

    हीटवेव के चलते मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा संचालित सभी मदरसों में शिक्षण अवधि में बदलाव, प्रातः 7 बजे से 12:30 तक होगा संचालन

    हीटवेव के चलते मदरसा शिक्षा परिषद द्वारा  संचालित सभी मदरसों में शिक्षण अवधि में बदलाव, प्रातः 7 बजे से 12:30 तक होगा संचालन 


    बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर –हाईकोर्ट

    बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर –हाईकोर्ट 


    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि बेसिक शिक्षा परिषद शासन के अधीन अधीनस्थ निकाय होने के कारण शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए 2 जून एवं 29 जून 2023 के शासनादेशों में प्रतिपादित नीति से अक्षरक्षः बाध्य है। सहायक अध्यापकों के अंतर्जनपदीय स्थानांतरण के लिए आवेदन पत्रों पर विचार करते समय बेसिक शिक्षा अधिकारी या बेसिक शिक्षा परिषद मनमाने तरीके से आवेदन या स्थानांतरण निरस्त नहीं कर सकता। न ही रिलीव हो चुकी शिक्षिका को ज्वाइन कराने से मना कर सकता है।


    यह महत्वपूर्ण टिप्पणी न्यायमूर्ति एम.सी. त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने शाहजहांपुर में तैनात सहायक अध्यापिका खुशबू चौधरी की अपील पर उनके अधिवक्ता रजत ऐरन एवं राजकुमार सिंह को सुनकर की। एडवोकेट रजत ऐरन ने दलील दी कि केवल 29 जून 2023 के शासनादेश में निहित आधारों पर ही अपीलार्थी का स्थानांतरण निरस्त किया जा सकता है।

    केंद्रीय पोर्टल पर होगा राज्य विवि का डाटा, समर्थ पोर्टल वन नेशन वन डाटा की ओर एक अहम पहल

    केंद्रीय पोर्टल पर होगा राज्य विवि का डाटा,  समर्थ पोर्टल वन नेशन वन डाटा की ओर एक अहम पहल


    लखनऊ। शिक्षा मंत्रालय की ओर से समर्थ पोर्टल को प्रदेश में लागू करने की कवायद का सबसे बड़ा फायदा राज्य विश्वविद्यालयों को सुरक्षित डाटा के रूप में मिलेगा। विश्वविद्यालय का डाटा केंद्रीय पोर्टल पर होगा और एक क्लिक पर यह उपलब्ध होगा। इसके लिए उन्हें कोई अतिरिक्त शुल्क भी नहीं देना है। दो दिवसीय प्रशिक्षण सत्र के बाद इसे लागू करने की कवायद तेज हो गई है।


    राज्य विश्वविद्यालयों के सामने सबसे बड़ी चुनौती उनके विद्यार्थियों का डाटा सुरक्षित रखना है। अभी विश्वविद्यालयों का परीक्षा से जुड़ा कम होगा विश्वविद्यालयों का आर्थिक बोझ, भटकना भी नहीं पड़ेगा

    काम किसी न किसी एजेंसी के पास होता है। एजेंसी के जाने के साथ ही विश्वविद्यालयों का हाथ डाटा के मामले में खाली होता है। इससे उन्हें काफी दिक्कत उठानी पड़ती है। यही वजह है कि इस तरह के केंद्रीयकृत पोर्टल की जरूरत महसूस की जा रही है ताकि विश्वविद्यालय डाटा के लिए एजेंसियों पर न निर्भर हों।

    जानकारी के विश्वविद्यालय समर्थ पोर्टल पर जो क्लाउड सर्वर पर सेव होगा। वे इसका प्रयोग अपनी लॉगिन आईडी से कर सकेंगे। ऐसे में एक तरफ जहां उनकी किसी एजेंसी पर निर्भरता नहीं होगी, वहीं उन्हें इसके लिए अलग से कोई शुल्क भी नहीं देना पड़ेगा। विद्यार्थियों के साथ-साथ इस पोर्टल पर शिक्षकों का डाटा व अन्य कामकाज भी ऑनलाइन किए जा सकेंगे। वह अपने शोध, पेटेंट, प्रशासन को अपडेट कर सकेंगे। साथ ही कहीं से भी छुट्टी आदि के लिए आवेदन कर सकेंगे। विश्वविद्यालय प्रशासन फाइलों की ट्रैकिंग भी कर सकेगा।


    समर्थ लागू करने के लिए बनाई कमेटी

    एकेटीयू के कुलपति प्रो. जेपी पांडेय ने बताया कि विश्वविद्यालय में समर्थ पोर्टल को लागू करने के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है। परीक्षा नियंत्रक प्रो. राजीव कुमार की अध्यक्षता वाली कमेटी में एक डीआर, एक एआर व तकनीकी टीम के सदस्य शामिल हैं। इसकी पहली बैठक हो चुकी है और सभी संबंधितों को डेमो लॉगिन भी दे दिया गया है। वह 30 अप्रैल तक इस पर अपना डाटा अपलोड करेंगे और एक से दस मई तक इसकी टेस्टिंग करेंगे। पहले चरण में हम इसका काम 10 मई तक शुरू कर देंगे।

    ऑनलाइन मूक कोर्स से पढ़ाई का लाभ उठा सकते हैं 11वीं-12वीं के विद्यार्थी, एनसीईआरटी के स्वयं पोर्टल पर जारी है नामांकन

    ऑनलाइन मूक कोर्स से पढ़ाई का लाभ उठा सकते हैं 11वीं-12वीं के विद्यार्थी, एनसीईआरटी के स्वयं पोर्टल पर जारी है नामांकन


    नई दिल्ली। ग्यारहवीं व बारहवीं के छात्र ऑनलाइन मैसिव ओपन ऑनलाइन कोर्सेज (मूक) के माध्यम से पढ़ाई का लाभ ले सकते हैं। एनसीईआरटी ने स्वयं पोर्टल पर 11 विषयों के 28 कोर्सेज को ऑफर किया है। यह एनसीईआरटी के पाठ्यक्रम पर आधारित हैं। पोर्टल पर ही छात्र ई सामग्री, ई-ट्यूटोरियल कर सकते हैं, वहीं चर्चा व स्व मूल्यांकन भी यहीं हो जाएगा। कोर्सेज में नामांकन करने की प्रक्रिया जारी है जो कि एक सितंबर को समाप्त होगी। 


    सीबीएसई ने सभी स्कूलों को छात्रों व शिक्षकों के बीच इनकी जानकारी प्रसारित करने को कहा है जिससे कि वह इन पाठ्यक्रमों से अधिकतम लाभ उठा सकें। सीबीएसई ने स्कूलों को कहा है कि यह ऑनलाइन कोर्स छात्रों के लिए बिल्कुल फ्री हैं। एनसीईआरटी की ओर से पोर्टल पर जिन विषयों को ऑफर किया गया है उनमें एकाउंटेंसी, बिजनेस स्टडी, बॉयोलॉजी, केमिस्ट्री, इकोनॉमिक्स, जियोग्राफी, गणित, फिजिक्स, साइकोलॉजी, इंग्लिश, सोशियोलॉजी शामिल है।


     यह पाठ्यक्रम स्वयं पोर्टल और मोबाइल ऐप के माध्यम से उपलब्ध हैं। इस संबंध में https://ciet.ncert.gov.in/initiative/moocs-on-swayam से प्राप्त की जा सकती है। 

    अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, शिक्षकों के अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का मामला

    शासकीय अधिवक्ता शासन से 30 दिन में लें निर्देश


    हमीरपुर । पिछले एक वर्ष से अंतरजनपदीय पारस्परिक (म्यूचुअल) स्थानांतरण की प्रक्रिया का इंतजार कर रहे शिक्षकों की याचिका पर हाईकोर्ट ने शासकीय अधिवक्ता से प्रक्रिया के पूर्ण न हो पाने पर शासन से 30 दिन में निर्देश लेने को आदेशित करते हुए अगली सुनवाई 29 मई को नियत की है।

    याचिकाकर्ता शिक्षक अनुराग तिवारी ने बताया कि उच्च न्यायालय ने निर्भय सिंह और अदर्स की याचिका में 12 फरवरी 2024 के आदेश में 2023-24 के अंत में स्थानांतरण करने का आदेश पारित किया था लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश का पालन न होने पर उन्होंने उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की थी। इस याचिका की 22 अप्रैल की सुनवाई में उच्च न्यायालय ने शासकीय अधिवक्ता से इस प्रक्रिया के पूर्ण न हो पाने पर शासन से 30 दिन में निर्देश लेने को आदेशित करते हुए अगली सुनवाई 29 मई को नियत की है।

    बता दें कि बेसिक शिक्षा विभाग के दो जून 2023 के शासनादेश में अंतर्जनपदीय सामान्य एवं पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया समानांतर रूप से चलनी थी। सामान्य स्थानांतरण की प्रकिया लगभग एक माह में पूर्ण कर ली गई, किन्तु पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी तक अधर में लटकी है। शिक्षक पिछले एक वर्ष में कई बार विभागीय अधिकारियों एवं मंत्रियों से इस प्रक्रिया को पूर्ण करने के लिए मिले किन्तु उन्हें मायूस होना पड़ा।


    अवमानना याचिका पर हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, शिक्षकों के अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का मामला


    हमीरपुर। अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण को लेकर उच्च न्यायालय का आदेश शासन द्वारा न मानने पर आवेदन करने वाले शिक्षकों ने अवमानना याचिका दायर की। जिसमें उच्च न्यायालय ने शासन से 30 दिन में पक्ष मांगते हुए अगली सुनवाई के लिए 29 मई की तिथि तय की है।

    मुख्यालय के रमेड़ी मोहल्ला निवासी याचिकाकर्ता शिक्षक अनुराग तिवारी ने बताया कि दो जून 2023 को बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतरजनपदीय सामान्य व पारस्परिक स्थानांतरण के आदेश जारी किए।  जिसमें दोनों प्रक्रियाएं समानांतर चलने का भी उल्लेख किया गया। लेकिन सामान्य स्थानान्तरण की प्रक्रिया को लगभग एक माह में पूर्ण कर लिया गया और पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी भी पूर्ण नहीं हो सकी।

    अंतर जनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया के लिए आवेदकों द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व पेयर बनाने की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। लेकिन सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने नौ जनवरी 2024 के आदेश में इस प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण की कार्रवाई को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया। इस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्भय सिंह व अन्य के नाम से याचिका दाखिल की थी।

    उच्च न्यायालय ने 12 फरवरी 2024 को सत्र के अंत मे स्थानांतरण करने का आदेश दिया। लेकिन शासन द्वारा कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल की गई। जिसमें बीते 22 अप्रैल को उच्च न्यायालय ने सुनवाई करते हुए 30 दिन में शासन से पक्ष मांगा है।



    अंतर्जनपदीय म्यूचुअल स्थानांतरण पर फंसा पेंच,  उच्च न्यायालय का आदेश न मानने पर दायर हुई अवमानना याचिका

    ■ बेसिक शिक्षा विभाग में सामान्य और म्यूचुअल स्थानांतरण का मामला

    ■ शिक्षक ने दोबारा हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया अवमानना की याचिका


    बेसिक शिक्षा विभाग में स्थानांतरण नीति पर कोर्ट के आदेश की अनदेखी की जा रही है। सामान्य स्थानांतरण प्रक्रिया होने के बाद भी अभी तक पारस्परिक (म्यूचुअल) स्थानांतरण का पेंच फंसा हुआ है। विभाग की हीलाहवाली से नाराज होकर याचिकाकर्ता शिक्षक ने हाईकोर्ट में अवमानना की रिट दायर की है।


    याचिकाकर्ता शिक्षक अनुराग तिवारी ने बताया कि बेसिक शिक्षा विभाग ने शिक्षकों के अंतरजनपदीय सामान्य एवं पारस्परिक (म्यूचुअल) स्थानांतरण 2023-24 के लिए दो जून 2023 को शासनादेश जारी हुआ था। उल्लेख था कि दोनों प्रक्रियाएं समानांतर चलेंगी। सामान्य स्थानांतरण की प्रक्रिया को लगभग एक माह में पूरा किया गया और पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी भी लटकी है। प्रक्रिया के लिए आवेदकों द्वारा ऑनलाइन


    रजिस्ट्रेशन एवं पेयर बनाने की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है लेकिन सचिव बेसिक शिक्षा परिषद के नौ जनवरी 2024 के आदेश में इस प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण की कार्यवाही को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया। शिक्षकों ने 11 से 14 जनवरी तक निशातगंज लखनऊ में स्थानांतरण के लिए महायाचना कार्यक्रम किया। जिसमें विभागीय अधिकारियों एवं मंत्रियों से गुहार लगाई किंतु शिक्षकों को मायूसी ही हाथ लगी। 


    उन्होंने बताया कि शिक्षकों ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्भय सिंह एंड अदर्स के नाम से पारस्परिक स्थानांतरण के लिए एक याचिका दाखिल की, जिसमें उच्च न्यायालय द्वारा 12 फरवरी 2024 को सत्र 2023-24 के अंत में स्थानांतरण करने का आदेश पारित किए। न्यायालय द्वारा पारित आदेश के अंतर्गत इस प्रक्रिया के शिक्षक कई बार विभागीय अधिकारियों से मुलाकात कर स्थानांतरण के लिए अनुरोध कर चुके हैं, किंतु अभी तक शासन द्वारा कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया है।


    याचिकाकर्ता शिक्षक ने बताया कि कोर्ट के आदेश का निर्धारित समय में पालन न हो पाने के कारण उच्च न्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल कर दी गई है, जिसकी सुनवाई अगले सप्ताह संभावित है। उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया के पूर्ण न होने से पूरे प्रदेश में लगभग चार से पांच हजार शिक्षक प्रभावित है।



    उच्च न्यायालय का आदेश न मानने पर दायर की अवमानना याचिका

    बीते वर्ष दो जून को बेसिक शिक्षा विभाग ने जारी किया था आदेश

    शिक्षकों के अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण का मामला



    अंतरजनपदीय  पारस्परिक स्थानांतरण को लेकर  उच्च न्यायालय का आदेश न मानने पर आवेदन करने वाले शिक्षकों ने अवमानना याचिका दायर की है।

    बीते वर्ष दो जून को बेसिक शिक्षा  विभाग ने शिक्षकों के अंतर्जनपदीय सामान्य व पारस्परिक स्थानांतरण के - लिए शासनादेश जारी किया था। जिसमें सामान्य स्थानांतरण प्रक्रिया पूर्ण करने के बाद पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया स्थगित कर दी गई थी।

    जिसमें उच्च न्यायालय ने सत्र के अंत में उनके स्थानांतरण के आदेश - दिए थे। इसके बाद भी विभाग ने इस - पर कोई कार्रवाई नहीं की। मुख्यालय के रमेड़ी मोहल्ला निवासी याचिकाकर्ता शिक्षक - अनुराग तिवारी ने बताया कि दो जून - 2023 को बेसिक शिक्षा विभाग ने अंतरजनपदीय सामान्य व पारस्परिक स्थानांतरण के आदेश जारी किए थे।

    जिसमें दोनों प्रक्रियाएं समानांतर चलने का भी उल्लेख किया गया। लेकिन सामान्य स्थानांतरण की प्रक्रिया को लगभग एक माह में पूर्ण कर लिया गया और पारस्परिक स्थानांतरण की प्रक्रिया अभी भी पूर्ण नहीं हो सकी।

    बताया कि अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण प्रक्रिया के लिए आवेदकों द्वारा ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन व पेयर बनाने की कार्यवाही पूर्ण की जा चुकी है। लेकिन सचिव बेसिक शिक्षा परिषद ने नौ जनवरी 2024 के आदेश में इस प्रक्रिया के तहत स्थानांतरण की कार्रवाई को अग्रिम आदेशों तक स्थगित कर दिया।

    जिस पर इलाहाबाद उच्च न्यायालय में निर्भय सिंह व अन्य के नाम से याचिका दाखिल की। इसमें उच्च न्यायालय ने 12 फरवरी 2024 को सत्र के अंत में स्थानांतरण करने का आदेश दिया। आदेश के क्रम में कई बार विभागीय अधिकारियों से मुलाकात कर स्थानांतरण का अनुरोध किया।

    लेकिन अभी तक शासन द्वारा कोर्ट के आदेश का अनुपालन नहीं किया गया। जिस पर आदेश का निर्धारित समय में पालन न हो पाने के कारण उच्चन्यायालय में अवमानना याचिका दाखिल कर दी गई है। इसकी सुनवाई अगले सप्ताह संभावित है। बताया कि शिक्षक अब न्याय पाने को न्यायालय की शरण में है, जिससे उनकी स्थानांतरण नीति सुरक्षित रहे व उनके अंतरजनपदीय पारस्परिक स्थानांतरण शीघ्र हो सके।

    Tuesday, April 23, 2024

    गलत तरीके से नियुक्त शिक्षकों के हाथों में बच्चों को सौंपना जनहित के खिलाफ, हाईकोर्ट ने कहा-ऐसे शिक्षकों की जरूरत जो ईमानदार हों, भर्ती बेदाग होनी चाहिए

    गलत तरीके से नियुक्त शिक्षकों के हाथों में बच्चों को सौंपना जनहित के खिलाफ

    हाईकोर्ट ने कहा-ऐसे शिक्षकों की जरूरत जो ईमानदार हों, भर्ती बेदाग होनी चाहिए


    कोलकाता। पश्चिम बंगाल में हजारों शिक्षकों की भर्ती रद्द करने हुए कलकत्ता हाईकोर्ट ने कहा, संदिग्ध तरीके से की गई भर्ती को बनाए रखा गया तो यह जनहित के खिलाफ होगा। इन शिक्षकों से शिक्षा हासिल करने वाली विद्यार्थियों की कई पीढ़ियां इस तरह के तत्वों से प्रभावित होंगी और यह जनता और देश के हित में नहीं होगा। हमें ऐसे लोगों को शिक्षक के रूप में नियुक्त करने की जरूरत है जो ईमानदार हों और चयन की प्रक्रिया बेदाग हो न कि छात्रों को ऐसे शिक्षकों के हाथों में सौंप दिया जाए जो गलत तरीके अपना कर नियुक्त हुए हैं। खंडपीठ ने यह भी कहा कि इस मामले में अवैध लाभार्थियों की कितनी संख्या है इसका अभी पता लगाना बाकी है।


    पीठ ने कहा, यह देखना सदमे जैसा था कि राज्य मंत्रिमंडल ने फर्जी तरीके से नियुक्ति हासिल करने वालों को बचाने का फैसला किया। वह भी तब जब उसे पता था कि इन लोगों ने पैनल की अवधि खत्म होने के बाद नियुक्ति हासिल की। जब तक साजिशकर्ताओं और सरकार में शामिल निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल लोगों के बीच गहरा संबंध न हो तब तक ऐसा संभव नहीं था। 



    बंगाल में 24 हजार शिक्षकों की नियुक्ति रद्द, जांच सीबीआई को, कलकत्ता हाईकोर्ट ने सुनाया फैसला, 2016 में हुई थी भर्ती

    कोलकाता। कलकत्ता हाईकोर्ट ने पश्चिम बंगाल के सरकारी वित्त पोषित स्कूलों में भर्ती के लिए आयोजित 2016 की राज्य स्तरीय शिक्षक चयन परीक्षा (एसएलएसटी) के जरिये चुने गए 24 हजार से ज्यादा शिक्षकों के पूरे पैनल को रद्द कर दिया है। अनियमितता के आरोप सावित होने पर सोमवार को हाईकोर्ट ने यह फैसला सुनाया।


    जस्टिस देवांशु बसाक व जस्टिस शब्बार रशीदी की खंडपीठ ने प. बंगाल स्कूल सर्विस कमीशन (एसएससी) को नियुक्ति की प्रक्रिया लोकसभा चुनाव के नतीजे घोषित होने के 15 दिन में फिर शुरू करने का आदेश दिया। साथ ही, सीबीआई को जांच कर तीन महीने में रिपोर्ट देने को कहा है। एसएससी व सीएम ममता बनर्जी ने फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने की बात कही है।


    कोर्ट ने निर्देश दिया, जिन लोगों की नियुक्ति पैनल की अवधि खत्म होने के बाद हुई व जिन्होंने खाली ओएमआर शीट जमा की, पर नियुक्ति हासिल कर ली, उन सभी को पूरा वेतन 12 फीसदी सालाना व्याज के साथ चार सप्ताह में लौटाना होगा। 2016 की परीक्षा के दौरान 23 लाख अभ्यर्थी शामिल थे और इनमें से कुछ ने चयन पैनल तैयार करने में अनियमितता का आरोप लगाकर इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। याचिकाकर्ताओं में से एक के वकील फिरदौस शमीम ने कहा, इस परीक्षा के जरिये 24,640 पदों की रिक्ति के मुकाबले 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे। कई अभ्यर्थियों को पैनल की अवधि समाप्त होने के बाद अतिरिक्त पद सृजित कर नियुक्त किया गया, जबकि कई ऐसे अभ्यर्थी भी नियुक्त हुए, जिन्होंने खाली ओएमआर शीट जमा की थी।


    साजिशकर्ताओं और सरकार में बैठे लोगों में गहरा संबंध

    पीठ ने कहा, यह सदमे जैसा था कि राज्य कैबिनेट ने फर्जी तरीके से नियुक्ति हासिल करने वालों को बचाने का फैसला किया। जबकि उसे पता था, इन्होंने पैनल की अवधि खत्म होने के बाद नियुक्ति हासिल की। जब तक साजिशकर्ताओं व सरकार में शामिल लोगों में गहरा संबंध न हो तब तक ऐसा होना संभव नहीं था।


    हमारे पास कोई विकल्प नहीं था : हाईकोर्ट

    कोर्ट ने 282 पन्नों के फैसले में चयन प्रक्रिया के जरिये हुई नियुक्तियों को समानता के अधिकार व सरकारी नौकरी में भेदभाव पर प्रतिबंध का उल्लंघन बताया। खंडपीठ ने एसएससी व कुछ अभ्यर्थियों के फैसले को स्थगित रखने के अनुरोध को ठुकरा दिया। पीठ ने कहा, हमने उन आवेदनों पर बहुत विचार किया जिनमें कहा गया है कि यदि पूरी चयन प्रक्रिया रद्द कर दी तो उनके साथ पक्षपात हो जाएगा, जिन्होंने वैध तरीके से नियुक्ति हासिल की, पर हमारे पास कोई विकल्प नहीं था।


    बंगाल में स्कूल शिक्षकों की भर्ती रद्द

    24 हजार से अधिक नियुक्तियां उच्च न्यायालय ने निरस्त की

    25 हजार से अधिक नियुक्ति पत्र जारी कर दिए गए थे

    पीठ ने तीन माह में सीबीआई को जांच रिपोर्ट देने के लिए कहा 

    एसएससी को नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का भी निर्देश


    कोलकाता । कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल के सरकारी और सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में वर्ष 2016 में हुईं शिक्षकों सहित सभी 24,640 नियुक्तियां रद्द कर दीं। यह नियुक्तियां राज्य स्तरीय चयन परीक्षा-2016 के जरिए हुई थीं जिसे हाईकोर्ट ने 'अमान्य' करार दे दिया। इस पर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि वे फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देंगी।

    पीठ ने सीबीआई को नियुक्ति प्रक्रिया के संबंध में और जांच करने तथा तीन महीनों में रिपोर्ट देने का निर्देश दिया। पीठ ने पश्चिम बंगाल विद्यालय सेवा आयोग (एसएससी) को नई नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश भी दिया। इस मामले में एक अपवाद का उल्लेख अदालत ने कैंसर पीड़ित सोमा दास के मामले में किया है। कोर्ट ने कहा, दास की नौकरी सुरक्षित रहेगी।


    वेतन लौटाना होगा : अधिवक्ता विक्रम बनर्जी ने बताया कि इस अवैध प्रक्रिया के लाभार्थियों को वेतन लौटाना होगा। पश्चिम बंगाल के सभी जिलों के जिला कलेक्टरों को चार सप्ताह में वसूली प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है।


    बता दें कि 24,640 रिक्त पदों के लिए 23 लाख से अधिक अभ्यथिर्यों ने 2016 एसएलएसटी परीक्षा दी थी। कुछ याचिकाकर्ताओं के वकील फिरदौस शमीम ने बताया कि इन रिक्तियों के लिए कुल 25,753 नियुक्ति पत्र जारी किए गए थे।

    परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले का नया नियम बना मुसीबत, कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश पर गुरूजनों को छूट रहा पसीना

    परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले का नया नियम बना मुसीबत, कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश पर गुरूजनों को छूट रहा पसीना

    इसके विपरीत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी व केजी में इससे कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। 


     परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में दाखिले के नए नियम शिक्षकों के लिए मुसीबत बन गए हैं। ऐसे में शिक्षकों को लक्ष्य हासिल कर पाना और स्कूल में नामांकन बढ़ाना चुनौती पूर्ण हो गया है। परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक में बच्चों के प्रवेश करने में शिक्षक स्टॉफ को पसीना छूट रहा है। परिषदीय विद्यालयों में शिक्षा का अधिकार अधिनियम जारी की गई गाइड लाइन के तहत छह वर्ष तक के बच्चों का प्रवेश होता है। वहीं दूसरी निजी स्कूल प्री-नर्सरी कक्षा पांच व इससे कम उम्र के बच्चों को प्रवेश दे रहे है।


    निजी स्कूलों की भरमार के कारण परिषदीय स्कूलों में हर साल नामांकन में कमी देखने को मिल रही थी। इस कारण शिक्षकों को एक-एक नामांकन के लिए जोर लगाना होता था। शैक्षिक सत्र 2024-25 शुरू होते ही इससे नए शिक्षा सत्र में भी अपेक्षित प्रवेश होना मुश्किल लग रहा है। परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की प्रवेश प्रक्रिया तो शुरू गई है। लेकिन शिक्षक शिक्षिकाओं को कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के उम्र वाले बच्चे ढूंढे नहीं मिल पा रहे है। इसको लेकर शिक्षक व ग्राम प्रधानों के सम्पर्क में रहकर अभिभावकों से मिलकर नामांकन अधिक से अधिक बढ़ाने का प्रयास कर रहे है। 


    वहीं परिषदीय विद्यालय में पहुँचने पर छह वर्ष की आयु पूरी होने पर ही बच्चों  को प्रवेश दिए जाने की बाध्यता बताकर शिक्षक हाथ खड़े कर देते है। इसके विपरीत निजी स्कूलों में प्री-नर्सरी, नर्सरी व केजी में इससे कम उम्र के बच्चों को भी प्रवेश दे दिया जाता है। जिससे परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक के बच्चों की संख्या पूरी कर पाना शिक्षकों के लिए सीधे टेढी खीर बनता जा रहा है।


    वहीं शिक्षकों के मुताबिक की पिछले सत्र में छह वर्ष से कम उम्र वाले बच्चों के प्रवेश कर लिए गए थे। जिससे इस बार भी निर्धारित उम्र के बच्चे गाँवो में नहीं मिल पा रहे है। अभिभावक भी चिंतित है की पांच वर्ष की उम्र पूरी होते ही हरहाल में बच्चों को विद्यालय भेजना चाहते है। लेकिन नए सत्र में जारी हुई गाइडलाइन के तहत बच्चों की उम्र पांच से बढ़ाकर छह वर्ष तक उम्र वाले बच्चों के परिषदीय विद्यालयों प्रवेश करने के दिशा निर्देश जारी कर दिए गए। इसको लेकर पूरी कर चुके पांच वर्ष की आयु वाले बच्चों का अभिभावक परिषदीय विद्यालयों में प्रवेश न कराकर प्राइवेट विद्यालयों में प्रवेश करा रहे है। ताकि बच्चों की एक वर्ष की पढ़ाई बाधित न हो।



    कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका

    🔴 परिषदीय स्कूलों से 'रिटर्न गिफ्ट' पा रहे निजी विद्यालय !

    🔴 आंगनबाड़ी केंद्रों के प्रति लोगों में विश्वास नहीं

    🔴 कक्षा एक में प्रवेश के लिए उम्र छह से कम न हो

    🔴 बच्चों के निजी स्कूलों में जाने की संभावना


    कक्षा एक में छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन नहीं करने के आदेश से परिषदीय स्कूलों में इस सत्र में छात्र संख्या कम होने की आशंका है। छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का निजी स्कूल धड़ल्ले से नामांकन कर रहे हैं। इन स्कूलों में नर्सरी, एलकेजी और यूकेजी जैसी कक्षाओं के विकल्प मौजूद हैं लेकिन आंगनबाड़ी केन्द्रों जिसे बाल वाटिका भी कहा जा रहा है, के प्रति अधिक विश्वास नहीं है।


    स्कूल शिक्षा महानिदेशक एवं शिक्षा निदेशक बेसिक ने नई शिक्षा नीति के परिप्रेक्ष्य में आदेश दिया है कि परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए बच्चे की आयु छह वर्ष से कम नहीं होनी चाहिए। किसी भी दशा में इनका प्रवेश नहीं हो सकता है। शिक्षक बताते हैं कि ऐसे तमाम बच्चों को वापस भेज दिया गया जिनकी उम्र छह वर्ष से चाहे कुछ दिन ही कम क्यों न रही हो। लोग कहते हैं कि जब तक जिम्मेदार चेतेंगे तब तक बड़ी संख्या में बच्चे निजी स्कूलों में दाखिला करा चुके होंगे।


    इन आदेशों ने बढ़ाई शिक्षकों की मुश्किलेंः बिडंबना यह है कि नए सत्र के पहले सप्ताह में शिक्षकों ने गत वर्ष जारी आदेश के अनुसार उन बच्चों को कक्षा एक में प्रवेश दे दिया जिनकी आयु एक जुलाई 2024 को छह वर्ष पूरी हो रही थी लेकिन 9 अप्रैल को सामने आए बेसिक शिक्षा निदेशक के आदेश में छह वर्ष की आयु पूरी होने की आधार तिथि एक जुलाई की बजाए एक अप्रैल कर दी गई। इससे असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है। शिक्षकों का कहना है कि एक जुलाई के आधार पर जिन बच्चों का नामांकन कर लिया गया है, उन बच्चों के अभिभावकों को क्या जवाब दिया जाएगा।


    अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र ! 

    सरकार आंगनबाड़ी केन्द्रों को बाल वाटिका केन्द्र के रूप में विकसित कर रही है लेकिन लोगों के बीच आंगनबाड़ी केन्द्र अब भी पंजीरी बांटने वाले केन्द्र के रूप में ही चर्चित हैं।

    निजी स्कूल जहां प्री प्राइमरी कक्षाओं को प्ले ग्रुप, एलकेजी व यूकेजी के रूप में संचालित करते हैं तो वहीं आंगनबाड़ी केन्द्रों में सिर्फ एक कार्यकत्री इतनी कक्षाओं को कैसे संचालित करेगी, इस पर भी सवाल हैं।

    प्राइमरी स्कूलों के नोडल शिक्षक अपनी कक्षा देखेंगे या आंगनबाड़ी केन्द्र, इस पर भी सवाल खड़े हैं। बहरहाल, अब देखना यह कि शिक्षा प्रशासन इस समस्या से कैसे निपटता है। यदि इस समस्या को बढ़ने दिया गया तो स्थिति काफी गंभीर हो जाएगी और इसका खामियाजा सरकारी शिक्षा तंत्र को भुगतना पड़ेगा। सरकारी शिक्षा जगत में लोगों का विश्वास भी धीरे-धीरे कम होता जाएगा।



    प्री प्राइमरी क्लासेज के संचालन न होने से परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, प्राइवेट स्कूलों को मिलेगा लाभ

    सरकारी परिषदीय स्कूलों में घटेगा बच्चों का नामांकन,  निदेशक के आदेश पर शिक्षकों की नाराजगी


    लखनऊ : बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित प्राथमिक विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए एक अप्रैल को बच्चा 6 साल का होना अनिवार्य है। इससे नीचे है तो उसका प्रवेश आंगनबाड़ी या फिर प्री- नर्सरी स्कूलों में लिया जायेगा।

    इस बारे में आदेश आने के बाद शिक्षकों ने नाराजगी जाहिर की है। शिक्षकों का कहना है कि सरकारी स्कूलों में प्री नर्सरी कक्षाओं का संचालन नहीं होता है। ऐसे में ये बच्चे अगर प्राइवेट स्कूल में प्री नर्सरी में प्रवेश लेकर पढ़ने जाते हैं तो इस बात की कोई गारंटी नहीं है कि वह लौटकर उनके यहां कक्षा-एक में प्रवेश लेंगे। 

    इसके बाद सरकारी सरकारी स्कूलों में नामांकन संख्या तेजी से घटेगी और इसका असर शैक्षिक सत्र 2024-25 में पंजीकृत होने वाले बच्चों का यू डायस पर डाटा फीडिंग के बाद दिखाई पड़ेगा। हालांकि, शिक्षक 2023 में जारी शासनादेश क भी हवाला दे रहे हैं। वहीं विभाग भी अपने निर्णय पर कायम है।

    शिक्षकों का कहना है कि 1 अप्रैल की जगह 31 जुलाई तक 6 साल पूरा करने वाले बच्चे को कक्षा-एक में प्रवेश लेने की अनुमति दी जानी चाहिए नहीं नामांकन संख्या स्कूलों में घटेगी। शिक्षक कहते हैं कि निदेशक के आदेश के मुताबिक, यदि कोई बच्चा जुलाई मई माह में भी 6 साल पूरा करता है तो नये आदेश के मुताबिक, उसके कक्षा-एक में प्रवेश लेने के लिए पूरे एक साल का इंतजार करना होगा।


    नौ अप्रैल को हटाई गई एक अप्रैल से प्रवेश आयु में मिली छूट

    • आठ अप्रैल तक छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में हुए प्रवेश से दुविधा में प्रधानाध्यापक

    • निदेशक बेसिक शिक्षा ने छह वर्ष से कम आयु पर कक्षा एक में प्रवेश नहीं लेने के दिए हैं निर्देश


    प्रयागराज : शैक्षिक सत्र 2024-25 के लिए बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में कक्षा एक में प्रवेश को लेकर दो आदेश से प्रधानाध्यापक एवं असमंजस में हैं। प्रधानाध्यापकों ने एक अप्रैल से शुरू हुए शैक्षिक सत्र में निर्धारित छह वर्ष की आयु के नियम को आदेशानुसार शिथिल करते हुए इससे कम आयु पर भी बच्चों के - प्रवेश लेने शुरू कर दिया है।

     कुछ बेसिक शिक्षा अधिकारियों (बीएसए) ने आयु शिथिल करते हुए - प्रवेश लेने के निर्देश अलग से जारी - किए। यह प्रक्रिया चल रही थी कि नौ अप्रैल को बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने आदेश जारी किया कि कक्षा एक में एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष आयु पूर्ण कर चुके बच्चों को ही प्रवेश दिया जाए। इससे कम आयु पर प्रवेश न किया जाए। अब प्रधानाध्यापक असमंजस में हैं कि आठ अप्रैल तक आयु सीमा शिथिल कर जिन बच्चों के प्रवेश ले लिए हैं, उनका क्या होगा।

    राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 एवं निपुण भारत मिशन के परिपेक्ष्य में कक्षा एक में न्यूनतम आयु छह वर्ष निर्धारित की गई है। वर्तमान शैक्षिक सत्र में एक अप्रैल से 31 जुलाई 2024 के बीच जो बच्चे छह वर्ष की आयु पूर्ण कर रहे हैं, उन्हें निर्धारित आयु सीमा में शिथिलता प्रदान करते हुए सत्र के प्रारंभ में ही प्रवेश लेने की अनुमति प्रदान की गई है।

     कुछ बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को यह निर्देश दिए हैं। इस निर्देश के क्रम में परिषदीय स्कूलों में प्रवेश प्रक्रिया गतिमान होने के बीच बेसिक शिक्षा निदेशक ने प्रदेश के सभी बीएसए को नौ अप्रैल को आदेश जारी किया। इसमें निर्देश हैं कि एक अप्रैल 2024 को छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन किसी भी दशा में न किया जाए। इसमें यह भी कहा कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का नामांकन बाल वाटिका में किया जाए। इस आदेश से प्रधानाध्यापक दोहरे संकट में हैं।

    एक तो यह कि छह वर्ष से कम आयु के बच्चों के हो चुके प्रवेश को लेकर क्या करें। फिलहाल, छह वर्ष से कम आयु के बच्चों का प्रवेश लेना प्रधानाध्यापकों ने बंद कर दिया है। दूसरा, यह कि निजी स्कूलों में छह वर्ष से कम आयु में प्रवेश पर अभिभावकों का रुझान उस ओर होने से परिषदीय स्कूलों में छात्र संख्या पर असर पड़ सकता है।



    परिषदीय स्कूलों में दाखिले में बच्चों की उम्र बन रही बाधा, नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

    लखनऊ : सूबे के प्राइमरी स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश के लिए छह वर्ष के आयु की बाध्यता होने से दाखिला प्रभावित हो रहा है। जबकि निजी स्कूलों में तीन वर्ष के बच्चे का नामांकन हो जाता है। शहर और गांव के प्राइमरी स्कूलों के शिक्षक घर-घर जाकर छह वर्षीय बच्चे खोज रहे हैं।


    बेसिक शिक्षा विभाग के प्राइमरी स्कूलों में एक अप्रैल 2024 को छह साल की आयु पूरा करने वाले बच्चों का कक्षा एक में नामांकन किया जा रहा है। उम्र की पुष्टि के लिए उनके पास आधार नंबर होना चाहिए। यदि यह नहीं है तो परिजनों का आधार कार्ड लगेगा। यदि बच्चे की उम्र छह साल से कम मिलती है तो उसका नामांकन नहीं होगा। ऐसे में परिजनों को परेशान होना पड़ रहा है।


    वहीं निजी स्कूलों में तीन साल की उम्र में ही बच्चों का नामांकन हो जाता है। कॉन्वेंट स्कूलों में पीजी, यूकेजी और एलकेजी में पढ़ाई करने के बाद कक्षा एक में प्रवेश लिया जाता है। जबकि प्राइमरी स्कूलों में सिर्फ बालवाटिका की ही कक्षाएं संचलित की जा रही हैं। 


    नियमों में छूट नहीं दी गई तो घट जाएगी छात्र संख्या

    बेसिक शिक्षा विभाग ने प्री प्राइमरी स्कूल (आंगनबाड़ी) में दाखिले की न्यूनतम उम्र तीन साल और कक्षा एक में प्रवेश की न्यूनतम उम्र छह वर्ष निर्धारित की है। इस नियम के चलते अभिभावकों को निजी स्कूलों का रुख करना पड़ रहा है। अगर नियमों में ढील नहीं दी गई, तो सरकारी स्कूलों में छात्र संख्या में गिरावट आ जाएगी। 



    सत्र शुरू होने के बाद जिले से लेकर प्रदेश स्तर से जारी आदेशों के बाद भी परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक में प्रवेश की उम्र को लेकर शिक्षक परेशान, जानिए क्यों हैं ऐसे हाल?

    कुछ बीएसए ही करवा रहे 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला, अभिभावकों की परेशानी कौन दूर करेगा?

    नया सत्र शुरू होने के बाद भी जारी हो रहे आदेेश 


    UP School Admission Age Row: यूपी के स्कूलों में दाखिले को लेकर विवाद गहरा रहा है। केंद्र और राज्य सरकार की ओर से 6 साल से कम उम्र के बच्चों का स्कूलों में एडमिशन कराने पर रोक है। इसके बाद भी बीएसए की ओर कम उम्र के बच्चों का दाखिला कराया जा रहा है। कड़े आदेश के बाद अभिभावकों की परेशानी बढ़ी हुई है।


    लखनऊ: कक्षा एक में छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाना है। इस बाबत केंद्र सरकार और राज्य सरकार की ओर से लगातार निर्देश दिए जा रहे हैं। इसके बावजूद प्रदेश के कुछ जिलों में बीएसए ने 6 साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला लेने के आदेश जारी कर दिए हैं। स्कूलों में दाखिले ले भी लिए गए हैं। अब शिक्षक और छात्र परेशान हैं कि जिनके दाखिले हो गए, उनका क्या होगा। पहले राइट टु एजुकेशन (आरटीई) में यही नियम था कि छह साल से कम उम्र के बच्चों का दाखिला नहीं किया जाएगा। अब नई शिक्षा नीति में एक बार फिर से इसे सख्ती से लागू करने के निर्देश दिए गए हैं।


    स्कूलों में दाखिले को लेकर लगातार जारी हो रहे आदेशों ने अभिभावकों को कंफ्यूज कर दिया है। पिछले साल भी केंद्र सरकार ने इस तरह के आदेश जारी किए थे। तब यह कहते हुए प्रदेश में छूट दे दी गई थी कि बच्चों का दाखिला हो चुका है। ऐसे में अगले साल से इसे सख्ती से लागू किया जाए। इस साल तो केंद्र सरकार ने फरवरी में ही इस बाबत आदेश जारी करके सभी राज्यों को सचेत कर दिया था कि छह साल से कम के बच्चों के दाखिले कक्षा एक में न किए जाएं। उसके बाद डीजी स्कूल शिक्षा ने भी इस बारे में आदेश जारी किए थे।


    एक अप्रैल से शुरू हुए एडमिशन
    प्रदेश में 1 अप्रैल से स्कूल खुले और स्कूल चलो अभियान शुरू हुआ। इसके बाद अलग-अलग जिलों में बीएसए ने अलग-अलग आदेश जारी कर दिए। बाराबंकी के बीएसए ने स्कूलों को आदेश दिए कि 1 अप्रैल से 31 जुलाई के बीच जिन बच्चों की उम्र 6 साल हो रही है, उनका दाखिला ले लिया जाए। वहीं अयोध्या के बीएसए ने आदेश दिया है कि 5 वर्ष से अधिक उम्र के सभी बच्चों का अनिवार्य तौर पर स्कूल में दाखिला करवाया जाए। कोई भी बच्चा छूटने न पाए। अब एक बार फिर बेसिक शिक्षा निदेशक ने स्पष्ट किया है कि उन बच्चों का दाखिला ही कक्षा एक में किया जाए, जिनकी उम्र 1 अप्रैल को छह साल पूरी हो चुकी है।


    1 अप्रैल को 6 साल की उम्र पूरी करने वाले बच्चों का ही कक्षा एक में दाखिला लिया जाएगा। यह स्पष्ट निर्देश हैं। यदि कहीं बीएसए ने गलत आदेश दिए हैं तो उनसे स्पष्टीकरण लेकर कार्रवाई की जाएगी। –प्रताप सिंह बघेल, निदेशक-बेसिक शिक्षा


    बढ़ेगी छात्रों और शिक्षकों की परेशानी

    बीएसए के इन आदेशों के चलते ज्यादातर जिलों में स्कूल ऐसे बच्चों का दाखिला ले चुके हैं जिनकी उम्र 1 अप्रैल को 6 साल पूरी नहीं हुई है। इस बारे में बाराबंकी के शिक्षक निर्भय सिंह कहते हैं कि सत्र की शुरुआत से पहले ही यह बात स्पष्ट हो जानी चाहिए थी। अब जिनका दाखिला लो चुका है, उनको लेकर असमंजस है। इससे बच्चे, अभिभावकों और शिक्षकों की परेशानी बढ़ेगी। 

    प्राथमिक शिक्षक प्रशिक्षित स्नातक असोसिएशन के अध्यक्ष विनय कुमार सिंह भी कहते हैं कि जिनका दाखिला ले लिया है, उनको निकालते हैं तो विवाद होगा। अफसर कुछ तय नहीं कर पाते और बाद में दोष शिक्षकों पर मढ़ दिया जाता है। कई स्कूलों में आगनबाड़ी केंद्र भी हैं। उनके बच्चों की उम्र कक्षा 6 में दाखिले के लिए पूरी नहीं हुई है तो उसका क्या करेंगे, इस बारे में भी स्पष्ट होना चाहिए।