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Tuesday, August 22, 2119

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    Sunday, November 9, 2025

    बेसिक शिक्षा में कई ऐप्स होने से काम हुआ जटिल, चाहिए एक प्लेटफॉर्म, निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोग सब पर करनी होती है रिपोर्टिंग

    ऐप में उलझे शिक्षक, पढ़ाने से ज्यादा रिपोर्टिंग में अटके, विभाग की मंशा डिजिटल सुविधा बढ़ाने की, पर उलझन में शिक्षक

    शिक्षक बोले, कई ऐप्स होने से काम हुआ जटिल, चाहिए एक प्लेटफॉर्म, निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोग सब पर करनी होती है रिपोर्टिंग

    बिल्डथान प्रतियोगिता बनी नई चुनौती, छात्र को 24 वीडियो दिखने के बाद उनके आइडिया को यूट्यूब पर करना है अपलोड


    सुबह के आठ बजते ही परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की चहक और मासूम हंसी गूंज उठती है। कहीं प्रार्थना की ध्वनि, तो कहीं बच्चों की गुड मॉर्निंग, सर की सामूहिक पुकार वातावरण में गूंजती है, लेकिन इस खुशनुमा माहौल के बीच प्रधानाध्यापक और शिक्षक मोबाइल स्क्रीन में उलझे रहते हैं। कोई प्रेरणा ऐप न खुलने से परेशान है, तो कोई निपुण लक्ष्य ऐप पर छात्रों की प्रगति रिपोर्ट भरने में जूझ रहा है। कभी नेटवर्क कमजोर पड़ता है, तो कभी डेटा अपलोड अधूरा रह जाता है। 


    डिजिटल युग की यह तस्वीर अब शिक्षण व्यवस्था की नई हकीकत बन चुकी है, जहां बच्चों के बीच खड़ा शिक्षक अब किताबों से ज्यादा ऐप्स में व्यस्त दिखाई देता है। शिक्षकों का कहना है कि उनके फोन में अब तक 40 से अधिक ऐप इंस्टॉल हैं। निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोगी भारत, पीएफएमएस, ई-कवच, यू-डायस, शारदा, समर्थ, खेलो इंडिया, फिट इंडिया, निष्ठा, परख, प्रेरणा डीबीटी, ज्ञान समीक्षा, किताब वितरण, स्वच्छ विद्यालय, हरितिमा अमृत वन और कई अन्य ऐप इन सभी पर हर दिन रिपोर्टिंग करनी होती है।


    वर्तमान में शिक्षकों के लिए चुनौती 'बिल्डथान प्रतियोगिता' बन गई है। इसके तहत कक्षा छह से आठ तक के सभी छात्रों को 24 अंग्रेजी वीडियो दिखाने हैं। वीडियो देखने के बाद क्विज कराना, 60 प्रतिशत पासिंग के बाद उनके इनोवेशन आइडिया लेना, फिर उस आइडिया का मॉडल बनवाना, उसका वीडियो तैयार कर यूट्यूब पर अपलोड करना यह सब शिक्षकों को ही करना पड़ता है। एक शिक्षक ने कहा कि छात्रों के पास मोबाइल नहीं होते, इसलिए हमें अपने फोन से वीडियो चलाकर दिखाने पड़ते हैं।


    डिजिटल सुधार की मंशा, पर उलझन में शिक्षक

    शिक्षा विभाग का कहना है कि ये सभी ऐप शिक्षण व्यवस्था को पारदर्शी और परिणाममूलक बनाने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। शिक्षक कहते हैं कि ऐप्स की अधिकता से शिक्षण और प्रशिक्षण दोनों प्रभावित हुए हैं। अब तो दीक्षा ऐप के दो संस्करण हो गए हैं, प्रेरणा और निपुण लक्ष्य अलग हैं, कर्मयोगी ऐप पर ट्रेनिंग लेनी है और अब नया टीचर ऐप भी आ गया है।

    Fee Refund Policy by the UGC : फीस वापसी नियम का पालन न करने पर कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी : यूजीसी

    Fee Refund Policy by the UGC : फीस वापसी नियम का पालन न करने पर कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी : यूजीसी

    राज्यों के मुख्य सचिवों और विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र


    डाउनलोड करें 



    नई दिल्ली। छात्रों और अभिभावकों के लिए राहत की खबर है। अगर कोई छात्र छात्र किसी भी कारण से दाखिला लेने के बाद कालेज छोड़ता है तो कॉलेज प्रबंधन को उसकी फीस वापस करनी अनिवार्य है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा है।

    इसमें कहा गया कि कोई उच्च शिक्षण संस्थान किसी छात्र की फीस और उसके अकादमिक सर्टिफिकेट को नहीं रख सकता है। नियम न मानने पर मान्यता रदद, सभी प्रकार की ग्रांट रोकने, किसी प्रोग्राम में एक साल या उससे अधिक समय तक दाखिले पर रोक, जुर्माना से लेकर राज्य सरकारों के संस्थानों के खिलाफ स्टेट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

    यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने इस संबंध में सभी राज्य सरकारों और विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि यूजीसी के बार-बार निर्देशों के बाद कई शिक्षण संस्थान छात्र के कॉलेज छोड़ने पर फीस वापस नहीं कर रहे हैं।

    इसके अलावा दाखिले के बाद मूल सर्टिफिकेट तक वापस नहीं किए जा रहे हैं। राज्य सरकारों से आग्रह है कि वे अपने उच्च शिक्षण संस्थानों में फीस वापसी के नियमों को लागू करवाएं। 

    दो शैक्षणिक सत्र में 22 जिलों ने स्कूल जीर्णोद्धार के लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत नहीं मांगी धनराशि, योजना में में अफसर नहीं ले रहे रुचि

    दो शैक्षणिक सत्र में 22 जिलों ने स्कूल जीर्णोद्धार के लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत नहीं मांगी धनराशि, योजना में में अफसर नहीं ले रहे रुचि


    प्रयागराज । प्रोजेक्ट अलंकार के तहत प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के जीर्णोद्धार की योजना में अफसर रुचि नहीं ले रहे। प्रदेश के कानपुर समेत 22 जिले ऐसे हैं जिन्होंने पिछले दो शैक्षणिक सत्र में एक भी प्रस्ताव नहीं भेजा है। इसे लेकर शासन की सख्ती पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन 22 जिलों के अधिकारियों से तत्काल प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं। इनमें कानपुर के 113 स्कूल शामिल हैं। शासन की सख्ती पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन 22 जिलों के अधिकारियों से तत्काल प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।


    इस योजना के तहत चयनित एडेड कॉलेजों में आधारभूत सुविधाओं के लिए अनुमानित बजट का 75 प्रतिश सरकार देती है और 25 प्रतिशत संस्था प्रबंधन को देना होता है। कॉलेज 25 प्रतिशत की धनराशि सांसद-विधायक निधि से, बड़ी कंपनियों के कारपोरेट सोशल लोगों, रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के मद से और पुरा छात्रों, क्षेत्र के गणमान्य/प्रतिष्ठित जनप्रतिधियों, किसी व्यक्ति या संस्था से प्राप्त कर सकते हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने डिफाल्टर 22 जिलों के अफसरों से जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है।


    कानपुर नगर, आगरा में 100 से अधिक कॉलेज

    जिन 22 जिलों से जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव नहीं मिला है उनमें सबसे ऊपर कानपुर नगर का नाम है क्योंकि यहां सर्वाधिक 113 स्कूल हैं। आगरा में 109, हरदोई व फतेहपुर में 72-72, बागपत व मुजफ्फरनगर में 71.71, कन्नौज 59, सुल्तानपुर 58, मैनपुरी 53, गौतमबुद्धनगर व हापुड़ 45-45, संभल 37, चंदौली 34 समेत अन्य जिलों के नाम है।

    उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

    लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध हुआ तेज

    प्रयागराज। लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध तेज हो गया है। यह फैसला वापस लेने के लिए कर्मचारियों ने स्थानीय मंत्रियों, विधायकों एवं अन्य नेताओं को पत्र लिखा है। सोमवार को संघ की आमसभा में आंदोलन की रणनीति तय होगी।

     कर्मचारियों का यह भी कहना है कि कैंप कार्यालय के लिए जो स्थान चिह्नित किया गया है वह सचिवालय से 35 से 40 किमी दूर है। पूरा रास्ता जाम वाला है। ऐसे में कैंप कार्यालय वहां ले जाने का भी कोई औचित्य नहीं है। 

    इसके विरोध में उत्तर प्रदेश शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा। संघ के मंत्री सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक में बात रखी जाएगी। इसमें फैसले को आमसभा में रखा जाएगा। 


    उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

    मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

    प्रयागराज । उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोलने का विरोध मुखर हो गया है। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी हस्तक्षेप किया है। साथ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र लिखा है।

    कार्यालय लखनऊ ले जाने से संबंधित निदेशालय के एक पत्र का हवाला देते हुए भी कर्मचारी शासन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। शासन की ओर से उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ शिफ्ट करने का फैसला लिया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इसकी प्रक्रिया रोक दी गई लेकिन विवाद थमा नहीं है।

    लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश जारी किया गया जिसके लिए निदेशालय स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के अनुसार, मार्च में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भी कार्यालय लखनऊ ले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया गया था। इसके बाद कैंप कार्यालय का मुद्दा शांत रहा लेकिन शुक्रवार को अचानक लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी हो गया।

    इसके विरोध में कर्मचारी संघ के महामंत्री ने लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय में मांग पत्र सौंपकर इस आदेश को निरस्त करने की मांग की। संघ के पदाधिकारियों ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेताओं को भी इस बाबत मांग पत्र सौंपा।

    संघ के मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उप मुख्यमंत्री का जवाब भी आया है। उन्होंने कर्मचारियों की मांग पत्र पर प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिए हैं। सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।




    उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खुलेगा, शासनादेश जारी

    फिलहाल लखनऊ के राजकीय महाविद्यालय से कार्यालय संचालन की तैयारी, निदेशक पूरी करेंगे आवश्यक कार्रवाई

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। शासन की ओर से आदेश जारी कर उच्च शिक्षा निदेशक से इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। फिलहाल कैंप कार्यालय सरोजनी नगर के लतीफ नगर में नवनिर्मित राजकीय महाविद्यालय परिसर में खोला जाएगा।

    माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में है। अब उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। पूर्व में भी इस बाबत आदेश जारी किया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया था। शासन की ओर से अब एक बार फिर लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी किया गया है। इसे लेकर विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से उच्च निदेशक को पत्र लिखा गया है। पत्र के अनुसार पिछले दिनों समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया ताकि प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ शासकीय कार्यों को त्वरित और प्रभावी तरीके से निस्तारित किया जा सके।

    नया भवन मिलने तक कैंप कार्यालय लखनऊ में सरोजनी नगर स्थित राजकीय महाविद्यालय परिसर से संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशक को आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया है। 


    मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा : शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का विरोध किया गया। संघ की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपकर यह आदेश निरस्त करने की मांग की गई। कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री प्रयागराज के गौरव के लिए लगातार प्रयासरत हैं लेकिन यह आदेश शिक्षा नगरी की गरिमा के साथ अन्याय है। लय. उत्तर प्रदेश उनका कहना था कि निदेशालय में एक करोड़ रुपये की लागत से ई-कंटेंट स्टूडियो स्थापित किया गया है। इसके माध्यम से निदेशालय के अधिकारी और शासन के अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीधे जुड़कर कार्यों को निस्तारित कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से लखनऊ में निदेशालय का कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश निरस्त करने की मांग की।



    शासन से मांगी गाइडलाइन

    शासन से आदेश आने के बाद कैंप कार्यालय के स्वरूप, इसमें किन-किन अफसरों और कर्मचारियों की तैनाती होगी, जरूरी कागजातों की शिफ्टिंग आदि बिंदुओं पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए शासन से गाइडलाइन भी मांगी गई है। अफसरों का कहना है कि जरूरी कार्रवाई कर जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर कैंप कार्यालय के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।


    उठने लगे कर्मचारियों के विरोध के स्वर

    लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने के आदेश से निदेशालय में हलचल तेज होने के साथ कर्मचारियों के विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोले जाने का तीव्र विरोध किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा का भी कैंप कार्यालय लखनऊ में है लेकिन धीरे-धीरे निदेशालय के ज्यादातर काम वहीं चले गए। यहां महज औपचारिकता भर रह गई है। 

    आशंका है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय खुलने से उच्च शिक्षा निदेशालय का भी यही अंजाम होगा। धीरे-धीरे सभी काम वहीं चले जाएंगे। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि शासन की मंशा है कि सभी विभागों के मुख्यालय लखनऊ में शिफ्ट कर दिए जाएं। पुलिस मुख्यालय, निबंधन कार्यालय, राजस्व परिषद समेत कई विभागों के ज्यादातर काम लखनऊ शिफ्ट हो चुके हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोला जाना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

    Saturday, November 8, 2025

    टीईटी अनिवार्यता को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने एनसीटीई से की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग

    टीईटी अनिवार्यता को लेकर अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ ने एनसीटीई से की सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग 


    अखिल भारतीय राष्ट्रीय शैक्षिक महासंघ (ABRSM) ने राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (NCTE) के अध्यक्ष के नाम एक ज्ञापन भेजते हुए हाल ही में आए सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय पर हस्तक्षेप की मांग की है, जिसमें कहा गया है कि सभी कार्यरत शिक्षकों के लिए टीईटी (TET) अनिवार्य होगा। 


    महासंघ का कहना है कि यह निर्णय देशभर में लगभग 20 लाख शिक्षकों की सेवा सुरक्षा को प्रभावित करता है। ज्ञापन में स्पष्ट किया गया है कि 23 अगस्त 2010 की NCTE अधिसूचना के अनुसार, टीईटी न्यूनतम योग्यता केवल नियुक्ति के समय के लिए निर्धारित की गई थी, और जिन शिक्षकों की नियुक्ति इससे पहले या इसी नियम के अनुरूप हुई, उन्हें सेवा जारी रखने और पदोन्नति के लिए अलग से टीईटी अनिवार्य नहीं होना चाहिए।


    महासंघ ने आग्रह किया कि सर्वोच्च न्यायालय का आदेश भविष्य के लिए लागू किया जाए, न कि पिछली नियुक्तियों पर। विभिन्न राज्यों में आरटीई कानून अलग-अलग समय पर लागू हुआ था, इसलिए टीईटी से जुड़े प्रावधान भी राज्य-स्तरीय अधिसूचनाओं के अनुसार ही तय किए जाने चाहिए। संगठन ने यह भी कहा कि लंबे समय तक सेवाएं देने वाले अनुभवी और योग्य शिक्षकों की वरिष्ठता और गरिमा की रक्षा की जानी चाहिए। ज्ञापन में यह चेतावनी भी दी गई है कि यदि निर्णय को बिना स्पष्टता और समायोजन के लागू किया गया तो भारी संख्या में शिक्षक न केवल पदोन्नति से वंचित होंगे बल्कि नौकरी की असुरक्षा की स्थिति भी पैदा हो जाएगी।


    महासंघ ने सरकार और NCTE से अपील की है कि शिक्षा की गुणवत्ता बनाए रखने के साथ-साथ शिक्षकों के अधिकारों और आजीविका की रक्षा भी उतनी ही महत्वपूर्ण है। संगठन ने हस्तक्षेप कर शिक्षकों को राहत देने वाले दिशानिर्देश जारी करने की मांग की है।




    शिक्षामित्रों का न बढ़ा मानदेय, न हुआ तबादला, बेसिक शिक्षा विभाग जारी कर रहा आदेश पर आदेश


    शिक्षामित्रों ने की जल्द मानदेय बढ़ाने की मांग

    लखनऊ। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से जल्द शिक्षामित्रों के लिए न्यायसंगत मानदेय बढ़ाने की मांग की है। संघ के प्रदेश मंत्री कौशल कुमार सिंह ने कहा कि प्रदेश में कार्यरत लगभग 1.46 लाख शिक्षामित्र आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। पांच सितंबर शिक्षक दिवस पर मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षामित्रों को जल्द ही मानदेय वृद्धि का आश्वासन दिया गया था किंतु इसे लेकर कोई निर्देश नहीं जारी हुआ है। वहीं आर्थिक तंगी व धन के अभाव में इलाज नहीं करवा पाने के कारण कई शिक्षामित्र काल के गाल में समा रहे हैं। सिर्फ अक्तूबर में ही विभिन्न कारणों से प्रदेश भर में 18 शिक्षामित्रों का निधन हुआ है। 



    शिक्षामित्रों का न बढ़ा मानदेय, न हुआ तबादला, 
    बेसिक शिक्षा विभाग जारी कर रहा आदेश पर आदेश


    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत 1.46 लाख शिक्षामित्रों को जहां मानदेय वृद्धि मामले में झटका लगा है। वहीं उनकी गृह जनपद में तैनाती भी नहीं की जा रही है। इसे लेकर शिक्षामित्रों ने नाराजगी जताते हुए जल्द कार्यवाही की मांग की है। उत्तर प्रदेश प्राथमिक शिक्षामित्र संघ ने कहा है कि तीन जनवरी 2025 को तत्कालीन प्रमुख सचिव ने उनका समायोजन आदेश जारी किया था। इसके बाद विभाग की ओर से मांगे गए निर्देश के क्रम में 12 जून 2025 को भी शासन ने समायोजन प्रक्रिया करने का आदेश दिया। किंतु बेसिक शिक्षा विभाग इस पर कोई कार्यवाही नहीं कर रहा है। इससे शिक्षामित्रों में नाराजगी है।


    संघ के प्रदेश महामंत्री सुशील कुमार ने मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री से कहा है कि आर्थिक संकट के चलते प्रतिदिन किसी न किसी जिले में शिक्षामित्र की असमय मौत हो रही है। आर्थिक समस्या के चलते वह उचित इलाज नहीं करा पा रहे हैं। इसके कारण सभी शिक्षामित्र अवसाद से ग्रस्त हैं। पांच सितंबर को मुख्यमंत्री द्वारा शिक्षामित्रों के मानदेय वृद्धि व कैशलेस योजना में शामिल किए जाने की घोषणा की गई।


    लेकिन दो महीने बाद भी अभी तक इस संबंध में कोई आदेश नहीं जारी हुआ है। उल्टे मानदेय बढ़ाने के लिए बनाई समिति ने हाथ खड़े कर दिए हैं। मात्र 10 हजार मानदेय में वे अपने घर से 80 से 90 किमी दूर शिक्षण कार्य करने को मजबूर हैं। मानदेय बढ़ाने व समायोजन के संबंध में संगठन के पदाधिकारियों ने कई बार बेसिक शिक्षा मंत्री, प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा, महानिदेशक स्कूल शिक्षा व निदेशक बेसिक शिक्षा से मिलकर मांग कर चुके हैं। जल्द ही इस संबंध में कोई आदेश जारी नहीं हुआ तो संगठन बैठक कर अग्रिम कार्यवाही के लिए बाध्य होगा। 

    चार पेज की लागत से तय होगा यूपी बोर्ड की पाठ्यपुस्तक का मूल्य, प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे

    चार पेज की लागत से तय होगा यूपी बोर्ड की पाठ्यपुस्तक का मूल्य, प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे

    प्रयागराजः यूपी बोर्ड की कक्षा नौ से 12 तक के शैक्षिक सत्र 2026-27 के लिए पाठ्यपुस्तकों का मूल्य तय करने को लेकर बड़ा बदलाव किया गया है। नई व्यवस्था में प्रकाशक अपनी मर्जी से पुस्तकों का मूल्य नहीं तय कर सकेंगे। नए शैक्षिक सत्र की पाठ्यपुस्तकों के लिए यूपी बोर्ड ने जो टेंडर जारी किया है, उसमें प्रकाशकों को चार पेज की कीमत बताने की शर्त जोड़ी है। इसी आधार पर प्रत्येक विषय की पूरी पुस्तक का मूल्य निर्धारित हो जाएगा। इसके अलावा पाठ्यपुस्तक प्रकाशित होकर आने के पहले प्रकाशकों को बताना होगा कि किस जिले में किस पुस्तक विक्रेता के यहां पाठ्यपुस्तक मिलेगी, ताकि विद्यार्थियों को आसानी से पाठ्यपुस्तक उपलब्ध हो सके।

    पाठ्यपुस्तकों का मूल्य निर्धारित करने की नई व्यवस्था से प्रकाशकों की मनमर्जी नहीं चल पाएगी। पेज की लागत निश्चित होने से जितने पेज की जिस विषय के लिए पाठ्यपुस्तक होगी, उसी अनुपात में पूरी पुस्तक का मूल्य निश्चित हो जाएगा। वर्तमान सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें अप्रैल में नया सत्र आरंभ होने के तीन महीने बाद विक्रय के लिए बाजार में उपलब्ध हो पाई थीं। विलंब के कारण अधिकांश छात्र-छात्राओं ने बाजार में उपलब्ध अनधिकृत प्रकाशकों की पाठ्यपुस्तकें खरीदकर पढ़ाई शुरू कर दी थी। 




    अनाधिकृत किताबों से पढ़ाया तो स्कूलों पर होगी कार्रवाई, एनसीईआरटी किताबों के लिए टेंडर जारी होते ही यूपी बोर्ड की सख्ती 
     
    यूपी बोर्ड के स्कूलों में अनाधिकृत किताबों से पढ़ाई कराने पर प्रधानाचार्य और शिक्षकों के खिलाफ कार्रवाई होगी। बोर्ड ने 2026-27 शैक्षिक सत्र के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। एनसीईआरटी किताबों के लिए जारी टेंडर से ही सख्ती शुरू कर दी है।

    सचिव भगवती सिंह ने साफ किया है कि यदि कोई प्रकाशक पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन अनुबंध के पहले किताबें छापता है और उससे संबंधित गाइड आदि प्रकाशित करते हुए पाया जाता है तो उसे तीन साल के लिए पाठ्यपुस्तकों के प्रकाशन से वंचित कर दिया जाएगा। इसके अलावा विधिक कार्रवाई भी की जा सकती है।

     चूंकि इस साल बोर्ड ने अक्तूबर में ही किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया शुरू कर दी है और एक अप्रैल को नया सत्र शुरू होने से पहले बाजार में कक्षा नौ से 12 तक की एनसीईआरटी की 36 विषयों की 70 पाठ्यपुस्तकों तथा यूपी बोर्ड की हिन्दी, संस्कृत तथा उर्दू विषय की 12 पाठ्यपुस्तकें बिक्री के लिए उपलब्ध हो जाएंगी। पिछले सालों में बोर्ड के स्तर से देरी के कारण अधिकृत और सस्ती किताबें जुलाई तक पहुंच पाती थी और तब तक बच्चे अनाधिकृत महंगी किताबें और गाइड वगैरह खरीद लेते थे।

    इस साल समय से प्रक्रिया शुरू होने के कारण बोर्ड ने भी सख्त रुख अपनाया है, ताकि बच्चों को सस्ती और अधिकृत किताबें मिल सकें। सचिव भगवती सिंह का कहना है कि स्कूलों में अधिकृत किताबों से पढ़ाने के निर्देश हैं। यदि किसी स्कूल में अनाधिकृत किताबों से पढ़ाई होते पाई गई तो नियमानुसार कार्रवाई होगी।



    41 लाख पुस्तकों की रायल्टी जमा, नए सत्र में अप्रैल से पहले आएंगी NCERT की पाठ्यपुस्तकें, टेंडर जारी करने की यूपी बोर्ड की तैयारी

    प्रयागराज : नए शैक्षिक सत्र 2026-27 के लिए कक्षा नौ से 12 तक की पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति देने से पहले राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद द्वारा मांगी गई रायल्टी का भुगतान बोर्ड ने कर दिया है। 41 लाख पुस्तकों की रायल्टी के भुगतान के बाद अब पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित करने की अनुमति मिलने से पूर्व यूपी बोर्ड निविदा (टेंडर) आमंत्रित करने की तैयारी कर रहा है, ताकि अनुमति मिलने पर टेंडर प्रक्रिया में अधिक समय न लगे।

     शैक्षिक सत्र 2025-26 में पाठ्यपुस्तकें जुलाई में बाजार में उपलब्ध हुई थीं, जिसके कारण यूपी बोर्ड वर्ष 2026-27 के लिए पाठ्यपुस्तकें अप्रैल में शैक्षिक सत्र आरंभ होने से पहले बाजार में उपलब्ध कराने का कार्य कर रहा है।

    शैक्षिक सत्र 2025-26 में बकाया रायल्टी जमा करने में देरी और पुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति मिलने में देरी के कारण तीन महीने विलंब से एनसीईआरटी की पाठ्यपुस्तकें बाजार में उपलब्ध हो पाई थीं। इसके कारण विद्यार्थियों ने शैक्षिक सत्र शुरू होने पर बाजार में उपलब्ध अनधिकृत एवं निजी प्रकाशकों को पुस्तकें खरीदकर पढ़ाई शुरू कर दी थी। 

     ऐसे में यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह ने आगामी सत्र के लिए पाठ्यपुस्तकें प्रकाशित कराने की अनुमति पिछले दिनों एनसीईआरटी से मांगी, लेकिन उसने पिछले वर्ष की स्थितियों को ध्यान में रखकर पहले शैक्षिक सत्र 2025-26 की रायल्टी जमा करने को कहा। इस पर बोर्ड ने बिकी 41 लाख पुस्तकों की रायल्टी का भुगतान कर दिया है। अब अनुमति मांगने से पूर्व टेंडर आमंत्रित करने की तैयारी शुरू कर दी है।



    यूपी बोर्ड ने पहली बार किया इस तरह का प्रावधान, करोड़ से अधिक विद्यार्थियों को लाभ

    दस साल में पहली बार समय से मिलेंगी सस्ती किताबें, बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड, सभी जिलों में एनसीईआरटी की किताबें पहुंचाएंगे प्रकाशक

    दुकानदारों को प्रकाशकों से मंगानी पड़ती थी किताबें, फुटकर दुकानदारों को मिलेगा 20 प्रतिशत कमीशन


    प्रयागराज। यूपी बोर्ड से जुड़े प्रदेश के 28 हजार से अधिक स्कूलों में पढ़ने वाले कक्षा नौ से 12 तक के एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राओं को 2026-27 सत्र में एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबों के लिए भटकना नहीं पड़ेगा। पिछले सालों की तुलना में बोर्ड ने किताबों के प्रकाशन की प्रक्रिया पांच महीने पहले ही शुरू कर दी है और एक अप्रैल को सत्र शुरू होने से पहले ही किताबें बाजार में उपलब्ध हो जाएंगी। खास बात यह है कि बोर्ड ने इस साल जारी टेंडर में यह शर्त रखी है कि प्रकाशक ही किताबों को प्रदेश के सभी 75 जिलों में उपलब्ध कराएंगे।


    साथ ही फुटकर विक्रेताओं के लिए 20 प्रतिशत कमिशन का प्रावधान भी किया गया है। इसका फायदा यह होगा कि फुटकर विक्रेता एनसीईआरटी आधारित यूपी बोर्ड की अधिकृत किताबें बेचने में रुचिलेंगे और बच्चों को महंगी किताबें खरीदने के लिए कई गुना अधिक कीमत नहीं चुकानी होगी। पिछले सालों में प्रकाशक किताबें तो छाप लेते थे लेकिन मार्जिन बहुत कम होने के कारण जिलों तक किताब नहीं पहुंचाते थे। जिलों के फुटकर दुकानदार दूसरे जिलों के प्रकाशकों से किताबें नहीं लेने जाते थे क्योंकि कमिशन नहीं मिलता था। कक्षा नौ से 12 तक की एनसीईआरटी नई दिल्ली से कॉपीराइट प्राप्त 36 विषयों की 70 पाठ्यपुस्तकों तथा यूपी बोर्ड की हिन्दी, संस्कृत तथा उर्दू विषय की 12 पाठ्यपुस्तकों का प्रकाशन होगा। यूपी बोर्ड के सचिव

    भगवती सिंह का कहना है कि इस साल पहली बार प्रकाशकों को हर जिले में किताबें उपलब्ध कराने की शर्त टेंडर में शामिल की गई है। इसका फायदा बच्चों को होगा और उन्हें एनसीईआरटी आधारित सस्ती किताबें मिल सकेंगी। 

    यूपी बोर्ड के छात्र-छात्राओं को दस साल में पहली बार एनसीईआरटी की किताबें एक अप्रैल से पहले मिल जाएगी। यूपी बोर्ड के स्कूलों में 2016 में एनसीईआरटी की किताबें लागू होने के बाद कोई ऐसा साल नहीं रहा जब छात्र-छात्राओं को समय से किताबें मिल सकी हों।


    बेसिक शिक्षा विभाग से आगे निकला यूपी बोर्ड

    प्रयागराज। इस साल यूपी बोर्ड के किताबों की प्रकाशन की प्रक्रिया बेसिक शिक्षा विभाग से भी पहले शुरू हो गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सवा लाख से अधिक स्कूलों में अध्ययनरत कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को निःशुल्क किताबें उपलब्ध कराने के लिए हर साल नवंबर-दिसंबर में ही टेंडर जारी हो जाता है। वहीं यूपी बोर्ड के अधिकारी हर साल फरवरी-मार्च में टेंडर निकालते थे और बाजार में किताबें पहुंचते-पहुंचते जुलाई आ जाती थी। चूंकि सत्र एक अप्रैल से ही शुरू होता है तो अधिकांश बच्चे पहले ही अनाधिकृत महंगी किताबें खरीद लेते थे और बच्चों को सस्ती और अधिकृत किताबें उपलब्ध कराने की सरकार की मंशा पूरी नहीं हो पाती थी।

    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षक संघर्ष मोर्चा दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में जुटा, 24 नवंबर को देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे शिक्षक

    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षक संघर्ष मोर्चा दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में जुटा, 24 नवंबर को देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे शिक्षक

    लखनऊ। देशभर के प्राथमिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में अलग-अलग शिक्षक संगठनों ने दिल्ली कूच का एलान कर रखा है। इसी क्रम में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर घोषित प्रदर्शन को सफल बनाने की तैयारी में जुटा है।

    मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि इस प्रदर्शन में प्रदेश ही नहीं देशभर से बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल होकर टीईटी अनिवार्यता का विरोध करेंगे। वे एनसीटीई द्वारा देशभर के शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्य किए जाने का हर स्तर पर विरोध करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय 2011 से पहले कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय है। मोर्चा किसी भी दशा में इस काले कानून को लागू नहीं होने देगा।

    मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि जरूरत पड़ी तो शिक्षक संसद का घेराव भी करेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों की सरकारों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। हालांकि अभी इस पर सुनवाई नहीं हुई है। 



    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच के लिए जिलों में शुरू होगा जनसंपर्क, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को करेगा दिल्ली में प्रदर्शन

    लखनऊ। देशभर के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षकों का विरोध तेज हो रहा है। कई शिक्षक संगठनों के मोर्चे ने 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। इसके लिए 25 अक्तूबर से देशभर के सभी जिलों में जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू होगा।

    शिक्षक संगठनों के संयुक्त मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले आंदोलन की तैयारी तेज कर दी है। इसमें लाखों शिक्षक शामिल होंगे। दिवाली आदि त्योहारों के बाद शिक्षकों ने इसके लिए तैयारी तेज कर दी है। इसी क्रम में 25 से 31 अक्टूबर तक पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर मोर्चे में शामिल सभी घटक संगठन शिक्षकों की बैठकें करेंगे।

    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने बताया कि बैठक कर अधिक से अधिक शिक्षकों को दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंचने के लिए तैयार करेंगे। इसके लिए स्कूलों में जनसंपर्क भी किया जाएगा। उन्होंने कहा की दिल्ली जाने वालों की संख्या और तैयारी की जानकारी शीर्ष नेतृत्व को 10 नवंबर तक सभी प्रदेशों द्वारा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देशभर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।


    संयुक्त मोर्चा की मांगें

    केंद्र सरकार टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे
    शिक्षकों की सेवा सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं
    केंद्र सरकार संसद में अध्यादेश लाकर देश के शिक्षकों के हितों की रक्षा करे




    टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन 24 नवंबर को, संयुक्त मोर्चा में शामिल प्रदेश के 12 शिक्षक संगठनों ने बैठक कर तय की रणनीति

    शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता के खिलाफ अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक 

    शिक्षकों के अलग-अलग संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन की रणनीति तैयार की 


     लखनऊ: कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के खिलाफ देश भर के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। बुधवार को लखनऊ में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक में शिक्षकों ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आर-पार के संघर्ष का एलान किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया, तो पूरे देश से करीब 10 लाख शिक्षक दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करेंगे जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 1.86 लाख शिक्षक भी होंगे।

    बैठक में सोचा के राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी, सह-संयोजक विनय तिवारी, अनिल यादव और संतोष तिवारी ने कहा कि 23 अगस्त 2010 से पहले कार्यरत शिक्षकों पर किसी भी दशा में टीईटी लागू नहीं होने दिया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो संसद का घेराव भी किया जाएगा। बैठक में तय किया गया कि 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशभर के सभी जिलों में शिक्षकों की बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि 24 नवंबर के आंदोलन की पूरी तैयारी की जा सके।


    नेताओं ने कहा कि एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन) का आदेश शिक्षकों की वर्षों की मेहनत और योग्यता पर सवाल खड़ा करता है। 55 वर्ष का शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाए या खुद परीक्षा की तैयारी करें? शिक्षक नेताओं उत्तर प्रदेश सरकार भी मांग की कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू पिटीशन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल तैयार करे और केंद्र सरकार से बातचीत कर 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी आदेश के पालन की दिशा में पहल करे।

    बैठक में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री उमाशंकर सिंह, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के महामंत्री नरेश कौशिक, उत्तर प्रदेश बीटीसी संघ के अध्यक्ष अनिल यादव, टीएससीटी के अध्यक्ष विवेकानंद आर्य, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम प्रकाश साहू, एससी/एसटी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुंदर सिंह शास्त्री, यूटा के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर, महामंत्री ओम पोरवाल, अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष सुशील सिंह, अखिल भारतीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समर बहादुर सिंह और बेसिक शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र यादव प्रमुख रूप से शामिल हुए।



    टेट के अनिवार्यता के खिलाफ 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर जुटेंगे शिक्षक

    लखनऊ : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) अनिवार्यता कानून में संशोधन और पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे। रविवार को अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की आनलाइन बैठक में इसे लेकर राज्यवार जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं। 

    राष्ट्रीय अध्यक्ष वासवराज गुरिकर और महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम और टेट परीक्षा व्यवस्था अस्तित्व में नहीं थी, उस समय नियुक्त शिक्षकों पर वर्तमान नियम लागू करना अन्याय है। प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर गठित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के तहत सभी संगठनों को एक मंच पर लाने की तैयारी चल रही है।




    अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक में टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का एलान

    लखनऊ। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार को मदुरई तमिलनाडु में हुई। इसमें टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान किया गया।

    राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में टीईटी अनिवार्यता, विभिन्न प्रांत के शिक्षकों से संबंधित समस्याओं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक विरोधी मुद्दों, संविदा शिक्षको के नियमितीकरण, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा हुई। वर्किंग कमेटी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सभी ने एक स्वर में संघर्ष की सहमति दी। 

    उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षक को टीईटी से छूट दी गई थी। इस पर एनसीटीई को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।

    बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ मजबूत आंदोलन व सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करने की रणनीति बनी। बैठक में उत्तर प्रदेश से ठाकुरदास यादव, आलोक मिश्रा, अनुज त्यागी, नरेश कौशिक, योगेश शुक्ला, संजय पांडेय आदि उपस्थित थे।




    टीईटी अनिवार्यता के मामले में तमिलनाडु में आज बैठक कर रणनीति बनाएंगे शिक्षक प्रतिनिधि

    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद देश भर के शिक्षक आंदोलन तेज करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 12 अक्तूबर को तमिलनाडु के मदुरई में बैठक होगी। इसमें देश के सभी राज्यों के शिक्षक प्रतिनिधि भाग लेंगे।

    राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। टीईटी अनिवार्यता से जुड़ी जटिलताओं पर केंद्र सरकार को कैसे समाधान निकालने के लिए तैयार जाए, इस पर भी मंथन होगा। बैठक में विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली आदि पर भी चर्चा होगी। 

    इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली विभिन्न राज्यों में खाली पदों को भरने, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्यवाही के लिए चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक में इन सभी मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन की रणनीति व तिथि भी तय की जाएगी।




    टीईटी अनिवार्यता के मामले को लेकर लखनऊ में शिक्षक मोर्चा की बैठक में बनेगी रणनीति

    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के मामले में चल रहा आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। इस क्रम में प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों - के मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली - बैठक 15 अक्तूबर को लखनऊ में होगी। इसमें आंदोलन - की अगली रणनीति तय की जाएगी। 

    मोर्चा के राष्ट्रीय सह - संयोजक अनिल यादव ने बताया कि राजधानी के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ हाल, लोक निर्माण विभाग में सुबह 11 बजे - से बैठक आहूत की गई है। इसमें सभी शिक्षक संगठनों के - प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं जो शिक्षक संगठन मोर्चा में नहीं - भी हैं, वे भी इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई शिक्षक हित की है। इसके लिए सभी का एकजुट होना जरूरी है। 




    टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी

    लखनऊ । टीईटी मुद्दे पर देश भर के प्राइमरी शिक्षक दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी में हैं। आगामी 15 अक्टूबर को इसके लिए प्रत्येक राज्य की राजधानियों में उस राज्य के शिक्षकों की बैठक बुलाई गई है। यूपी सबसे अधिक शिक्षकों वाला राज्य होने के कारण प्रस्तावित आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है।

    यही कारण है कि टीईटी मामले को लेकर हाल ही में देश भर के शिक्षक संगठनों को मिलाकर बना संयुक्त मंच अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की अगुवाई भी यूपी के ही जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी को सौंपी गई है। योगेश मोर्चा के संयोजक बनाए गए हैं।

    लखनऊ में 15 अक्तूबर को बड़े स्तर पर मोर्चा से जुड़े यूपी के सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली में नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित बैठक के एजेण्डे को अन्तिम रूप दिया जाएगा।


    नौकरी पर संकट गहरा गया है: शिक्षक संगठन

    बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी देनी होगी अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश को शिथिल कराने के लिए हम सरकार पर कानून में संशोधन करने का दबाव बना रहे हैं।


    यूपी के एक संगठन ने निर्णय को दी है चुनौती

    यूपी के यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिक दाखिल कर केन्द्र सरकार के वर्ष 2017 के अधिनियम को चुनौती दी है, जिसमें संबंधित अधिनियम संशोधन को मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दिया गया है।




    टीईटी के मुद्दे पर केंद्र का रुख अब तक स्पष्ट न होने से शिक्षकों की बढ़ रही नाराजगी 

    विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने बैठक कर जताई नाराजगी


    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट से टीईटी की अनिवार्यता के आदेश के एक महीने बाद भी केंद्र सरकार द्वारा अपना पक्ष स्पष्ट न करने पर प्रदेश के शिक्षकों ने नाराजगी जताई है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शनिवार को बैठक कर केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और ठोस निर्णय न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

    प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश भर के शिक्षक नौकरी को लेकर चिंतित हैं। विभिन्न संगठनों ने प्रधानमंत्री व शिक्षामंत्री को हजारों पत्र भेजे हैं, लेकिन अब तक इस पर केंद्र सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा, केंद्र सरकार को इसका समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए।

    प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने कहा, अगर जल्द ही केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो एसोसिएशन शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा। बैठक में विधि

    सलाहकार आमोद श्रीवास्तव, विनीत सिंह, शशि प्रभा सिंह, राकेश तिवारी, सुशील रस्तोगी, धर्मेंद्र शुक्ला, तुलाराम गिरी, सुशील यादव आदि शामिल हुए।




    कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुटे शिक्षक संघ, टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच की तैयारी

    15 अक्टूबर तक कालीपट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं शिक्षक

    परिषदीय विद्यालयों में 1.86 लाख शिक्षक बगैर टीईटी के सेवारत


    लखनऊ: कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए सेवा में बने रहने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी) पास करना अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। वहीं, राज्य सरकार भी शिक्षकों के पक्ष में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है। अब शिक्षक संगठन कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुट गए हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर नरना-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि सरकार पर बाव बनाया जा सके। वहीं, बहुत वे शिक्षक टीईटी की तैयारियों में भी जुटे हैं।


    प्रदेश में प्राथमिक व उच्च ाथमिक विद्यालयों में चार लाख ० हजार शिक्षक कार्यरत हैं, इनमें करीब एक लाख 86 हजार शिक्षक बगैर टीईटी के हैं। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो चुकी है।


    15 अक्टूबर तक काली पट्टी बांधकर शिक्षक आपत्ति जताते हुए शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इसके बाद दिल्ली कूच किया जाएगा। उधर, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार से मांग की है कि प्राथमिक विद्यालयों में 25 वर्षों से काम कर रहे बीटीसी, सीटीईटी और यूपी टीईटी पास शिक्षामित्रों को नई नियमावली बनाकर सुपर-टीईटी से मुक्त करते हुए सहायक अध्यापक पद पर स्थायी किया जाए।


    प्रदेश में करीब 70 हजार ऐसे शिक्षामित्र हैं, जिनके पास बीटीसी प्रशिक्षण और टीईटी या सीटीईटी की पात्रता है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 1.48 लाख से अधिक शिक्षामित्र परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हैं। इनमें से अधिकतर ने दो वर्षीय दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। खास बात यह है कि करीब 70 हजार शिक्षामित्र बीटीसी के साथ टीईटी या सीटीईटी भी पास कर चुके हैं। जिस तरह उत्तराखंड सरकार ने 29 जुलाई 2019 को नियमावली जारी कर योग्य शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त किया था, उसी तरह यूपी सरकार को भी आदेश जारी करना चाहिए। जब तक सभी शिक्षामित्रों को स्थायी नियुक्ति नहीं दी जाती, तब तक उनके मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि की जानी चाहिए।


    टीईटी की तैयारी में जुटे कई शिक्षक

    कई शिक्षक किसी भी स्थिति में रिस्क नहीं लेना चाहते। उन्होंने टीईटी के सैंपल पेपर खरीदकर तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही वे माक टेस्ट भी दे रहे है। कई वाट्सएप ग्रुप पर शिक्षक आपस में आनलाइन लिंक शेयर कर टीईटी का सिलेबस और माक टेस्ट उपलब्ध करा रहे हैं। यानी एक तरफ टीईटी की अनिवार्यता को लेकर विरोध और आंदोलन की तैयारी है, तो दूसरी तरफ कई शिक्षक भविष्य सुरक्षित करने के लिए परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।
     

    Friday, November 7, 2025

    माध्यमिक में राज्य अध्यापक व सीएम अध्यापक पुरस्कार के आवेदन 15 नवंबर से, संशोधित समय सारिणी जारी

    माध्यमिक में राज्य अध्यापक व सीएम अध्यापक पुरस्कार के आवेदन 15 नवंबर से, संशोधित समय सारिणी जारी 


    लखनऊ। माध्यमिक शिक्षा विभाग की ओर से शैक्षिक सत्र 2025-26 के लिए राज्य अध्यापक व मुख्यमंत्री अध्यापक पुरस्कार के लिए 15 नवंबर से 5 दिसंबर तक आवेदन किए जा सकेंगे। चयन प्रक्रिया जनवरी तक पूरी कर ली जाएगी। 


    विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने इसके लिए संशोधित समय सारिणी जारी की है। अब अपर मुख्य सचिव ने निर्देश दिया है कि जिला समिति द्वारा आवेदनों का परीक्षण व स्थलीय सत्यापन कर पात्र शिक्षकों का नाम छह से 15 दिसंबर के बीच मंडलीय समिति को भेजा जाएगा। 


    मंडलीय समिति पात्र शिक्षकों का चयन कर 16 से 25 दिसंबर तक निदेशालय स्तरीय चयन समिति को भेजेगी। निदेशालय की समिति 26 दिसंबर से चार जनवरी तक पात्र शिक्षकों के नाम राज्य स्तरीय समिति को ऑनलाइन भेजेगी। वहीं पांच से 14 जनवरी तक राज्य स्तरीय समिति इनके चयन की कार्यवाही पूरी करेगी। 14 जनवरी के बाद चयनित शिक्षकों को पुरस्कार दिए जाएंगे। 


    विभाग के अपर मुख्य सचिव पार्थसारथी सेन शर्मा की ओर से जारी आदेश में सभी मंडलायुक्तों, जिलाधिकारियों, पुलिस अधिकारियों, महानिदेशक स्कूल शिक्षा और शिक्षा निदेशकों को निर्देश दिए गए हैं कि पुरस्कार चयन से जुड़ी सभी प्रक्रिया तय समय सीमा के भीतर पूरी की जाएं। इस वर्ष शिक्षकों को अपने अभिलेखों के साथ-साथ उत्कृष्ट कार्यों का विवरण और पांच मिनट का वीडियो भी आनलाइन अपलोड करना अनिवार्य होगा। 


    जिला विद्यालय निरीक्षक को निर्देश दिए गए हैं कि राज्य समिति के लिए प्रस्तावित शिक्षकों के चरित्र सत्यापन, सामान्य ख्याति प्रमाणपत्र और आपराधिक पृष्ठभूमि की जांच स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआइयू) से कराकर उपलब्ध कराई जाए।

    ट्रांसजेंडर को शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का सांविधानिक अधिकार – हाईकोर्ट

    ट्रांसजेंडर को शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का सांविधानिक अधिकार – हाईकोर्ट 

    याची ने माध्यमिक शिक्षा परिषद बरेली के क्षेत्रीय सचिव के आदेश को इलाहाबाद हाईकोर्ट में दी थी चुनौती


    संविधान में समानता की गारंटी केवल किताबों में नहीं, बल्कि जीवन के अनुभवों में मूर्त होनी चाहिए। ट्रांसजेंडर को शैक्षिक और रोजगार अवसरों तक समान पहुंच देना राज्य का सांविधानिक दायित्व है। - हाईकोर्ट


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर को शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन कराने का सांविधानिक अधिकार है। इसे नकारना ट्रांसजेंडर के अधिकारों का व्यवस्थित बहिष्कार है। इस टिप्पणी संग न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने माध्यमिक शिक्षा परिषद को आठ हफ्ते में शाहजहांपुर निवासी ट्रांसजेंडर के शैक्षिक दस्तावेज में नाम और लिंग परिवर्तन करने का आदेश दिया है।


    महिला से पुरुष बने याची ने शैक्षिक प्रमाणपत्रों में नाम और लिंग परिवर्तन के लिए माध्यमिक शिक्षा परिषद बरेली में आवेदन किया था। क्षेत्रीय सचिव ने आठ अप्रैल 2025 को यह कहते हुए आवेदन खारिज कर दिया कि विलंब से नाम परिवर्तन का कोई प्रावधान नहीं है। इसके खिलाफ याची ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।


    याची की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एचआर मिश्रा, राजेश कुमार यादव, अश्वनी कुमार शर्मा ने दलील दी कि ट्रांसजेंडर व्यक्ति (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम-2019 ट्रांसजेंडर के लिए विशेष अधिकार प्रदान करता है। इसे नकारना संविधान के समानता और गरिमा के अधिकार का उल्लंघन है। कोर्ट ने याचिका मंजूर करते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से पारित आदेश को रद्द कर दिया।

    फर्जी विश्वविद्यालयों को बंद कराएगी सरकार, शिक्षा मंत्रालय ने फर्जी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई

    फर्जी विश्वविद्यालयों को बंद कराएगी सरकार, शिक्षा मंत्रालय ने फर्जी संस्थानों के खिलाफ कार्रवाई की योजना बनाई

    शिक्षा मंत्रालय ने पहचान के बाद भी ऐसे विश्वविद्यालयों को बंद कराने में ढिलाई पर जताई नाखुशी

    ऐसे विश्वविद्यालयों की पहचान के बाद इनकी सूची जारी करके जिम्मेदारी से यूजीसी मुक्ति पा लेता है


    नई दिल्ली: पहचान के बाद भी देशभर में सक्रिय फर्जी विश्वविद्यालयों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होने और उन्हें बंद नहीं कराए जाने पर शिक्षा मंत्रालय ने कड़ी आपत्ति जताई है। मंत्रालय इस मामले पर स्वतः संज्ञान लेते हुए अब राज्यों के मुख्य सचिवों से इस मामले में हस्तक्षेप करने को कहेगा। देश में मौजूदा समय में 22 फर्जी विश्वविद्यालयों की पहचान की गई है। इनमें 10 फर्जी विश्वविद्यालय अकेले दिल्ली में मौजूद हैं। शिक्षा मंत्रालय इन संस्थानों को बंद कराकर इसकी रिपोर्ट भी लेगा।


    शिक्षा मंत्रालय ने फर्जी विश्वविद्यालयों को लेकर यह सख्ती तब दिखाई है, जब पहचान के बाद भी इनके खिलाफ कार्रवाई के नाम पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से एक सूची जारी करने की औपचारिकता भर निभाई जाती है। सूची जारी होने के बाद भी ये फर्जी संस्थान सक्रिय रहते हैं। साथ ही हर साल बड़ी संख्या में छात्रों को अपना शिकार बनाते हैं।

    मंत्रालय ने छात्रों के हितों को देखते हुए ऐसे फर्जी संस्थानों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की योजना बनाई है। राज्यों से इनके खिलाफ कार्रवाई करने और इन्हें बंद कराकर इसकी रिपोर्ट भी ली जाएगी। चौंकाने वाली बात यह है कि दिल्ली में मौजूद 10 फर्जी विश्वविद्यालयों में से कई तो ऐसे हैं, जो यूजीसी से सिर्फ एक किमी की दूरी पर मौजूद है। इसके बावजूद बेधड़क होकर चल रहे हैं।


    यूजीसी के मुताबिक, राज्यों को इसको लेकर लिखा जाता है। ऐसे में सवाल उठता है कि राज्य इनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं करते हैं? यूजीसी ने अब तक देशभर फर्जी विश्वविद्यालय 22 हैं अभी देश में,  जिन 22 फर्जी विश्वविद्यालयों की पहचान की है, उनमें दिल्ली में 10, उत्तर प्रदेश में चार और आंध्र प्रदेश, बंगाल तथा केरल में दो-दो फर्जी विश्वविद्यालय मौजूद हैं। महाराष्ट्र, पुडुचेरी में एक-एक फर्जी विश्वविद्यालय पाए गए हैं। गौरतलब है अभी यूजीसी हर साल विश्वविद्यालयों में दाखिला प्रक्रिया शुरू होने के समय इनकी एक सूची जारी कर देता है। साथ ही छात्रों-अभिभावकों से इनमें दाखिला नहीं लेने का अनुरोध करके अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है।

    Thursday, November 6, 2025

    UP Board Date Sheet: वर्ष 2026 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम जारी, देखें

    यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से 12 मार्च 2026 तक

    प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने बुधवार को वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम घोषित कर दिए। दोनों परीक्षाएं एक साथ 18 फरवरी 2026 से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2026 को समाप्त होंगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह के अनुसार, परीक्षाएं पूर्ववत दो पालियों में होंगी। पहली पाली सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक व दूसरी पाली दोपहर 2:00 से शाम 5:15 बजे तक होगी।

    हाईस्कूल की परीक्षा 18 फरवरी को हिंदी विषय से शुरू होकर 12 मार्च को कृषि विषय के साथ समाप्त होगी। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा 18 फरवरी को सामान्य हिंदी से आरंभ होकर 12 मार्च को कंप्यूटर विषय की परीक्षा के साथ संपन्न होगी। बोर्ड के अनुसार, इस बार विद्यार्थियों को मुख्य विषयों की तैयारी के लिए परीक्षा के दौरान पर्याप्त अंतराल मिलेगा। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की परीक्षाएं कुल 15 कार्य दिवसों में पूरी की जाएंगी। 


    52 लाख से अधिक परीक्षार्थी हैं पंजीकृत

    इस वर्ष कुल 52,30,297 विद्यार्थी यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। हाईस्कूल में 27,50,945 (बालक 14,38,682 व बालिका 13,12,263) तथा इंटर में 24,79,352 विद्यार्थी (बालक 13,03,012 और बालिका 11,76,340) शामिल हैं। बोर्ड ने सभी विद्यालयों को समय से तैयारी पूर्ण करने तथा प्रैक्टिकल्स के आयोजन के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।



    UP Board Date Sheet: वर्ष 2026 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम जारी, देखें 
     

    एडेड माध्यमिक विद्यालयों के 1549 शिक्षकों अंततः हुआ तबादला, जून से ऑफलाइन तबादले के इंतजार में थे शिक्षक

    एडेड माध्यमिक विद्यालयों के 1549 शिक्षकों अंततः हुआ तबादला, जून से ऑफलाइन तबादले के इंतजार में थे शिक्षक


    लखनऊ। प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के 1549 शिक्षकों को अंततः तबादला मिल गया। यह शिक्षक जून से ऑफलाइन तबादलों का इंतजार कर रहे थे। बुधवार को इनके तबादला आदेश जारी कर दिए गए। शिक्षक इसे विभाग की वेबसाइट पर देख सकते हैं।

    एडेड माध्यमिक विद्यालयों में इस साल पहले ऑफलाइन तबादले के लिए आवेदन ले लिए गए। इसके तहत 1641 शिक्षकों ने आवेदन किया था। जबकि बाद में यह तय हुआ कि ऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों माध्यम से तबादले किए जाएंगे। इसके बाद जून में ऑनलाइन आवेदन वाले तबादले तो हो गए लेकिन ऑफलाइन हुए आवेदन वाले तबादले फंस गए। इसके लिए शिक्षकों ने कई बार माध्यमिक शिक्षा निदेशालय पर धरना दिया।

    अंत में पिछले दिनों माध्यमिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) गुलाब देवी के आवास के सामने भी धरना दिया। इसके बाद विभाग ने 1641 में से 1549 शिक्षकों को तबादला मिला है। कुछ शिक्षकों के ऑनलाइन आवेदन के बाद तबादले हो गए हैं या उनके कागज आदि अपूर्ण रहे हैं। इसकी वजह से वे बच गए। बता दें कि विभाग ने नए सत्र 2026-27 के लिए पहले ही निर्देश जारी कर दिया है कि शिक्षकों के तबादले ऑनलाइन ही होंगे। ताकि शिक्षकों के बीच इसे लेकर किसी तरह का कोई भ्रम की स्थिति न रहे। 


    शासन ने विशेष व्यवस्था के तहत दिए थे निर्देश

    विशेष परिस्थितियों में इन ऑफलाइन तबादले करने का निर्णय लिया। इसी क्रम में आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर बुधवार को तबादले जारी कर दिए गए। माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने बताया कि एडेड माध्यमिक विद्यालयों के प्रधानाचार्य, प्रधानाध्यापक, प्रवक्ता, सहायक अध्यापकों के तबादले वेबसाइट पर जारी कर दिए गए हैं।


    अब निशातगंज में बनेगा संस्कृत निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा संशोधित प्रस्ताव

    अब निशातगंज में बनेगा संस्कृत निदेशालय, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शासन को भेजा संशोधित प्रस्ताव,  निदेशालय के साथ ही यहां संस्कृत परिषद का होगा कार्यालय


    लखनऊ। राजधानी लखनऊ में मेट्रो के दूसरे चरण का काम स्वीकृत होने से संस्कृत निदेशालय व परिषद कार्यालय अब कॉलेज ऑफ टीचर एजुकेशन (सीटीई) कैसरबाग परिसर में नहीं बनेगा। काफी जद्दोजहद के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए निशातगंज जीआईसी के पीछे की जगह तय की है। संशोधित प्रस्ताव शासन को स्वीकृति के लिए भेजा गया है।


    प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को बढ़ावा देने व उसके कामकाज को सुचारु रखने के लिए राजधानी में संस्कृत निदेशालय व परिषद का नया भवन प्रस्तावित किया गया है। वर्तमान में निदेशालय प्रयागराज में चल रहा है। परिषद का राजधानी स्थित भवन काफी जर्जर होने से नया बनाने और उसकी जमीन को केजीएमयू को देने का निर्णय लिया गया था। 


    माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए आवश्यक बजट की पहली किस्त जारी करते हुए कार्यदायी संस्था भी नामित कर दी थी, लेकिन काम शुरू होने से पहले ही राजधानी में मेट्रो के दूसरे चरण के काम को मंजूरी मिल गई। इसके तहत सीटीई परिसर के एक हिस्से में मेट्रो स्टेशन बनना है। इससे यहां पर नया भवन बनाया जाना संभव नहीं था।


    लंबी कवायद के बाद माध्यमिक शिक्षा विभाग ने निशातगंज जीआईसी में पीछे की तरफ खाली पड़ी जमीन पर इसके निर्माण का निर्णय लिया है। विभाग ने यहां की मिट्टी आदि की जांच-पड़ताल के बाद 42.42 करोड़ से बनने वाले चार मंजिला संस्कृत निदेशालय व संस्कृत परिषद भवन के निर्माण का संशोधित प्रस्ताव शासन को भेज दिया है। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद जल्द ही इसका काम शुरू होगा। इससे प्रदेश में संस्कृत के पठन-पाठन को बढ़ावा देने के साथ ही 1200 से अधिक कॉलेजों के संचालन व देखरेख में भी काफी सहूलियत मिलेगी।


    नागर शैली में बनेगा भवन

    यह सीएम योगी आदित्यनाथ का महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है। शासन ने लंबी कवायद के बाद सीटीई कैसरबाग परिसर में निदेशालय व परिषद कार्यालय के निर्माण को हरी झंडी दी थी। सीएम ने खुद इसके भवन की डिजाइन फाइनल कर इसका भवन नागर शैली में बनाने के निर्देश दिए हैं। चार मंजिला (जी प्लस श्री) यह भवन मंदिर नुमा होगा और ऊपर शिखर भी बनाया जाएगा ताकि यहां आने वालों को संस्कृत से जुड़ाव महसूस हो।

    Wednesday, November 5, 2025

    देशभर में आरएफआईडी से ट्रैक होंगी स्कूल बसें, माता-पिता को मिलेगी पल-पल की जानकारी

    देशभर में आरएफआईडी से ट्रैक होंगी स्कूल बसें, माता-पिता को मिलेगी पल-पल की जानकारी

    बच्चों की सुरक्षा पर फोकस लेकिन साइबर विशेषज्ञों ने उठाए डेटा गोपनीयता को लेकर सवाल

    नई दिल्ली। अब जल्द ही देशभर में आरएफआईडी से स्कूल बसों को ट्रैक किया जाएगा। इससे माता-पिता को बच्चों स्कूल पहुंचने व घर वापसी तक पल-पल की जानकारी मिलेगी। भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) एक इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आईओटी) आधारित मॉडल तैयार कर रहा है। इससे माता-पिता और स्कूल प्रशासन बच्चों की बस को हर पल ट्रैक कर सकेंगे। परियोजना उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय की देखरेख में चल रही है।


    देश के 1.47 लाख स्कूलों में पढ़ने वाले 24.8 करोड़ छात्रों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह पहल की जा रही है। स्कूल बसों में आरएफआईडी टैग, जीपीएस, जीएसएम मॉड्यूल और कैमरे लगाए जाएंगे। इससे बच्चों की आवाजाही का पूरा रिकॉर्ड रहेगा। दरअसल, अमेरिका, चीन और सिंगापुर की तर्ज पर भारत भी अब स्कूल बसों के लिए आरएफआईडी आधारित ट्रैकिंग प्रणाली विकसित करने की तैयारी कर रहा है।


     सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता और साइबर कानून विशेषज्ञ पवन दुग्गल ने हालांकि चिंता जताई है कि यह प्रणाली बच्चों के लोकेशन डाटा से जुड़ी होगी जिसका गलत हाथों में जाने पर दुरुपयोग हो सकता है। कहा-सभी सेवा प्रदाताओं को डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 और आईटी नियम 2021 के तहत सुरक्षा उपाय अपनाने होंगे। विशेषज्ञों के अनुसार इसमें डाटा सुरक्षा के मजबूत प्रावधान का होना जरूरी है।

    यूपी बोर्ड के खिलाड़ियों को तीन विषयों में बोनस अंक देने की तैयारी, माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव भगवती सिंह बोले- जल्द हो सकता है निर्णय

    यूपी बोर्ड के खिलाड़ियों को तीन विषयों में बोनस अंक देने की तैयारी, माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव भगवती सिंह बोले- जल्द हो सकता है निर्णय


    प्रयागराज। मदन मोहन मालवीय स्टेडियम में सोमवार को 69वीं प्रदेशीय विद्यालयीय एथलेटिक्स प्रतियोगिता के पुरस्कार वितरण समारोह में माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने कहा कि खिलाड़ियों के खेलों में समय देने से उनकी पढ़ाई प्रभावित होती है, इसलिए उनको बोर्ड की परीक्षाओं में बोनस अंक दिया जाना चाहिए। इस पर जल्द निर्णय हो सकता है। सूत्रों के मुताबिक, किन्हीं तीन विषयों में 10 अंक बतौर बोनस दिए जाने की तैयारी है।


    सचिव ने कहा कि स्कूल गेम्स फेडरेशन में खिलाड़ियों के प्रोत्साहन के लिए नकद पुरस्कार राशि दी जा रही है। साथ ही व्यायाम शिक्षकों को राज्य पुरस्कार की श्रेणी में लाने का काम भी किया गया है। उन्होंने बताया कि पहली बार वॉलीबॉल का अंतरराष्ट्रीय स्तर की स्कूल प्रतियोगिता होने जा रही है। इसमें उत्तर प्रदेश के छह खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। शारीरिक शिक्षकों को प्रेरित करते हुए उन्होंने कहा कि अपने जीवन में कम से कम एक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी तैयार करें। हर विद्यालय से कम से कम एक ओलंपियन देश को मिलना चाहिए।

    वहीं, जिला विद्यालय निरीक्षक पीएन सिंह ने बताया कि जिला, राज्य, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खेलने वाले खिलाड़ियों को परीक्षा में बोनस अंक देने विचार किया जा रहा है। 

    Tuesday, November 4, 2025

    टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान

    टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान  


    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षण सेवा में बने रहने व पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने नवंबर-दिसंबर में दिल्ली कूच का एलान किया है। लेकिन नवंबर अंत में होने वाले एक बड़े कार्यक्रम से अब इसकी संभावना नहीं है। यही वजह है कि नौ राज्यों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने अब पांच दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है।

    टीएफआई ने पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक कर 21 नवंबर को महारैली की घोषणा की थी। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि नवंबर के अंत में सिख समाज ने एक राष्ट्रीय आयोजन किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। इससे दिल्ली प्रशासन ने नवंबर में रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इसे देखते हुए हमने पांच दिसंबर को महारैली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। महारैली के माध्यम से हम 27 जुलाई 2011 को टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखने की मांग करेंगे ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।


    शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी कर रहा तैयारी

    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी 24 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। मोर्चा पदाधिकारियों के अनुसार इसमें यूपी से दो लाख से अधिक शिक्षक जाएंगे। इसके लिए सभी संघटक संगठनों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। मोर्चा ने टीईटी लागू होने से पहले शिक्षकों पर इसे थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।

    सभी प्रस्तावित कार्यक्रम

    🔴 अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का 24 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन
    🔴 अटेवा का 25 नवंबर को दिल्ली कूच मामले को लेकर पुरानी पेंशन व टीईटी का विरोध
    🔴 अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का जंतर मंतर पर धरना 11 दिसंबर को



    टीईटी को लेकर देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में करेंगे महारैली, नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने चुने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी

    दिल्ली की बैठक में यूपी के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा बने टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष

    कहा, 27 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता न्याय के खिलाफ


    लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी गई है। इसके विरोध में देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेंगे। इसके माध्यम से 27 जुलाई 2011 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की मांग करेंगे।


    यह निर्णय नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों द्वारा टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पहले संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड के राम मूर्ति ठाकुर महासचिव, संजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शिवशंकर पांडेय कोषाध्यक्ष व देवेंद्र श्रीवास्तव संयुक्त महासचिव चुने गए। 

    राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने कहा कि 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू करना न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। पूरे देश का शिक्षक इसके खिलाफ हैं इसलिए 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने के लिए देश भर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में महारैली कर केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे। महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी कानून बनने की तिथि से लागू होता है किंतु शिक्षकों पर पूर्व से लागू करके लाखों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।


    ये पदाधिकारी भी चुने गए
    उपाध्यक्ष पद पर अनूप केसरी, केदार जैन, मुनीष मिश्रा, विनोद यादव, राधेरमण त्रिपाठी, राजेश धर दुबे, मेघराज भाटी, बालेंद्र चौधरी, दीपक शर्मा, वंदना सक्सेना चुने गए। सचिव पद पर संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा, अनुज कुमार, त्रिवेंद्र कुमार, राजेश लिटौरिया, देवेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अर्चना तिवारी, कल्पना रजौरिया चुने गए। अरुणेंद्र वर्मा व अजय सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।




    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ आंदोलन के लिए साथ आए नौ राज्यों के शिक्षक, बनाया नया संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) 

    दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में तय होगी रैली की तिथि, पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा


    लखनऊ। देशभर के लाखों स्कूली शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए यूपी समेत नौ राज्यों के शिक्षक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने आंदोलन के लिए नए संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) का गठन किया है। इसके माध्यम से आगे का आंदोलन संचालित किया जाएगा।


    टीईटी मामले में आंदोलन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षक संगठन एक साथ एक मंच पर आए हैं। इसी क्रम में टीएफआई की पहली बैठक 25 नवंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें दिल्ली रैली के लिए तिथि तय की जाएगी। साथ ही इसमें संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा।

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर के संयोजन में टीएफआई का गठन हुआ है। 25 अक्टूबर की बैठक में फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिर नई कमेटी टीईटी के विरुद्ध दिल्ली में होने वाली रैली की तिथि की घोषणा करेगी। 

    उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने के पहले राज्य सरकारों व एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्त किया गया है। अब 20-25 साल पहले नियुक्त शिक्षक को वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता अर्जित करने को विवश करना कैसा न्याय है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं होता इसके विरुद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा।

    अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 'पंख पोर्टल' से जुड़ेंगे विद्यार्थी, मिलेगी करियर काउंसिलिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन

    अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में 'पंख पोर्टल' से जुड़ेंगे विद्यार्थी, मिलेगी करियर काउंसिलिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन 

    हर छात्र को करियर काउंसिलिंग व मार्गदर्शन का मिलेगा अवसर


     लखनऊ : प्रदेश के सभी 4516 अशासकीय सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के विद्यार्थियों को 'पंख पोर्टल' से जोड़ा जाएगा। इस पोर्टल के माध्यम से कक्षा नौ से 12 तक के विद्यार्थियों को करियर काउंसिलिंग, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और भविष्य के लिए मार्गदर्शन की सुविधा मिलेगी। यह पोर्टल माध्यमिक शिक्षा विभाग की एक विशेष पहल है। इस पर विद्यार्थी अपनी यूनीक आइडी और पासवर्ड से लागिन कर सकते हैं।

    यहां उन्हें करियर विकल्प, वोकेशनल कोर्स, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी और कौशल विकास से जुड़ी जानकारी आसानी से मिलती है। अधिकांश छात्रों को बोर्ड परीक्षा के बाद सही मार्गदर्शन नहीं मिल पाता, जिससे कालेज या कोर्स चुनने में दिक्कत होती है। 'पंख' पोर्टल के जरिये विद्यार्थी अपनी रुचि के अनुसार आगे की दिशा तय कर सकेंगे। विभाग का लक्ष्य है कि हर विद्यालय में आनलाइन और आफलाइन काउंसिलिंग सत्र आयोजित किए जाएं ताकि कोई भी छात्र करियर को लेकर असमंजस में न रहे। 

    अपर मुख्य सचिव (माध्यमिक शिक्षा) पार्थ सारथी सेन शर्मा ने निर्देश दिए हैं कि सभी माध्यमिक विद्यालयों में करियर काउंसिलिंग सत्र नियमित रूप से आयोजित किए जाएं। इन सत्रों में विशेषज्ञ काउंसलर आनलाइन जुड़कर छात्रों को विभिन्न क्षेत्रों में उपलब्ध अवसरों की जानकारी देंगे। इसके साथ ही पंख पोर्टल से विद्यार्थियों को जोड़ने के लिए कहा गया है। अपर राज्य परियोजना निदेशक (समग्र शिक्षा-माध्यमिक), संयुक्त शिक्षा निदेशक और सभी जिला विद्यालय निरीक्षकों को इस संबंध में आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।



    माध्यमिक विद्यालयों में रोज होगा कॅरिअर काउंसलिंग सत्र, विभाग ने भेजा निर्देश, वार्षिक गतिविधि कैलेंडर में भी किया जाएगा शामिल

    लखनऊ। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास पर विशेष ध्यान दिया जाएगा। इसके लिए सभी माध्यमिक विद्यालयों में नियमित कॅरिअर काउंसलिंग सत्र आयोजित किया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।

    माध्यमिक विद्यालयों में अभी करियर काउंसलिंग का सत्र विशेष रूप से बोर्ड परीक्षा के दौरान आयोजित किया जाता है। किंतु अब इसे नियमित करने के निर्देश दिए गए हैं। ताकि छात्रों को उनकी रुचि और क्षमता के अनुसार सही करियर चुनने में सहायता मिल सके। सभी विद्यालयों को प्रभावी तरीके से काउंसलिंग सत्र आयोजित करने के लिए कहा गया है। 

    विभाग का कहना है कि स्कूल स्तर से कॅरिअर की सही जानकारी मिलने पर छात्र भ्रम और अनिश्चितता से मुक्त होंगे। साथ ही सही दिशा में आगे बढ़ेंगे, इससे उनको अपना लक्ष्य पाने में आसानी होगी। विभाग ने कहा है कि विद्यालय विशेषज्ञों और पेशेवर काउंसलर को बुलाकर या आनलाइन संवाद कराए।

    इसको वार्षिक कैलेंडर में भी शामिल किया जाए। इसमें छात्रों को प्रतियोगी विकल्पों, परीक्षाओं, कॅरिअर तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा, कौशल विकास के बारे में विस्तृत जानकारी दी जाए। इससे विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, निर्णय लेने क्षमता और भविष्य की तैयारी का भी विकास होगा। करियर को लेकर स्थिति स्पष्ट होने से छात्र व उनके अभिभावक भी आवश्यकतानुसार तैयारी कर सकेंगे।



    छात्रों के लिए भविष्य की राह चुनना होगा आसान, राजकीय और सहायताप्राप्त माध्यमिक स्कूलों में नियमित करियर काउंसिलिंग का निर्देश

    विशेषज्ञ और पेशेवर काउंसलर्स विद्यार्थियों को देंगे करियर विकल्पों की जानकारी


    लखनऊ : प्रदेश के राजकीय और सहायताप्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में अब विद्यार्थियों के लिए भविष्य की राह चुनना आसान होगा। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसके लिए सभी राजकीय और सहायताप्राप्त विद्यालयों में नियमित करियर काउंसिलिंग सत्र आयोजित करने का निर्देश दिया है। विभाग ने इस संबंध में सभी जिलों में आवश्यक दिशा-निर्देश भेजे हैं। 


    विशेषज्ञों का कहना है कि स्कूली स्तर से करियर मार्गदर्शन मिलने पर छात्र भ्रम और अनिश्चितता से मुक्त होकर लक्ष्य की ओर स्पष्ट दिशा में आगे बढ़ेंगे, जिससे शिक्षा व्यवस्था में भी सकारात्मक बदलाव लाएगा।


    विभागीय निर्देशों में कहा गया है कि विद्यालय स्तर पर विशेषज्ञों और पेशेवर काउंसलर्स को बुलाकर या आनलाइन माध्यम से छात्रों के साथ संवाद कराया जाए। इन सत्रों में छात्रों को विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाओं, करियर विकल्पों, तकनीकी और व्यावसायिक शिक्षा, तथा कौशल विकास के अवसरों की विस्तृत जानकारी दी जाएगी। इसका उद्देश्य छात्रों को उनकी रुचि, योग्यता और क्षमताओं के अनुरूप सही दिशा चुनने में मार्गदर्शन प्रदान करना है। 


    अपर मुख्य सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने अभी सभी माध्यमिक शिक्षा अधिकारियों को स्पष्ट किया है कि शिक्षा केवल पुस्तकीय ज्ञान तक सीमित नहीं रहनी चाहिए, बल्कि विद्यार्थियों में आत्मविश्वास, निर्णय क्षमता और भविष्य की तैयारी की योजना का भी विकास होना चाहिए। उन्होंने सभी विद्यालयों को निर्देश दिया है कि करियर काउंसिलिंग को विद्यालयी गतिविधियों का नियमित हिस्सा बनाया जाए और इसे वार्षिक कार्यक्रम कैलेंडर में शामिल किया जाए। 


    विभाग का मानना है कि इस पहल से छात्रों को न केवल भविष्य की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता पाने में मदद मिलेगी, बल्कि वे पसंद के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर आत्मनिर्भर बन सकेंगे।

    Monday, November 3, 2025

    यूपी बोर्ड में उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन में आनलाइन भी अंक देंगे परीक्षक, 2026 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा को लेकर बदलाव की तैयारी

    यूपी बोर्ड में उत्तरपुस्तिका मूल्यांकन में आनलाइन भी अंक देंगे परीक्षक, 2026 की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा को लेकर बदलाव की तैयारी

    पोर्टल पर आनलाइन अंक प्रदान करने से परिणाम घोषित करने में आएगी तेजी

    प्रयागराजः हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा-2026 की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन में यूपी बोर्ड बड़ा बदलाव करने की तैयारी में है। परीक्षक पूर्व की तरह उत्तरपुस्तिकाओं का मूल्यांकन करने के साथ अवार्ड ब्लैंक (परीक्षार्थी को मिले अंकों के विवरण का अभिलेख) पर अंक तो अंकित करेंगे ही, साथ ही उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद के पोर्टल पर पहली बार अंक प्रदान करेंगे।


    पोर्टल पर अंक अंकित करने से परीक्षाफल तैयार करने में तेजी आएगी। वर्ष 2025 की प्रायोगिक परीक्षा में यूपी बोर्ड सचिव भगवती सिंह आनलाइन अंक प्रदान करने का सफल प्रयोग कर चुके हैं। अब लिखित परीक्षा में आनलाइन अंक प्रदान किए जाने से अवार्ड ब्लैंक पर निर्भरता को अगली परीक्षा तक खत्म करने की योजना है।


    परीक्षा संपन्न कराने के लिए यूपी बोर्ड क्षेत्रीय कार्यालयों के माध्यम से प्रत्येक जिले में नामावली और अवार्ड ब्लैंक भेजता है। नामावली में प्रत्येक परीक्षार्थी की संपूर्ण जानकारी (अनुक्रमांक, नाम, जन्मतिथि, विषय आदि) अंकित रहती है, जबकि अवार्ड ब्लैंक पर परीक्षार्थियों को परीक्षक अंक प्रदान करते हैं। इसी अवार्ड ब्लैंक के माध्यम से परीक्षाफल तैयार किया जाता है, लेकिन पहली बार लिखित परीक्षा की उत्तरपुस्तिकाओं के मूल्यांकन के बाद परीक्षार्थियों को विषयवार मिले अंक परिषद के पोर्टल पर अंकित कराए जाने की योजना बोर्ड ने तैयार की है। इसके लिए परीक्षकों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।


    वर्ष 2025 की प्रायोगिक परीक्षा के अंक पोर्टल पर आनलाइन अंकित कराने के बाद 2026 में अवार्ड ब्लैंक की व्यवस्था खत्म करने का निर्णय लिया गया था। इसी तरह लिखित परीक्षा में भी पोर्टल पर अंक प्रदान करने की योजना फलीभूत होने पर वर्ष 2027 की परीक्षा की उत्तरपुस्तिका के मूल्यांकन में अवार्ड ब्लैंक की छुट्टी करने पर निर्णय लिया जा सकता है।

    वर्ष 2026 की हाईस्कूल परीक्षा में सम्मिलित होने के लिए 27,50,945 तथा इंटरमीडिएट की परीक्षा के लिए 24,79,352 छात्र-छात्राएं पंजीकृत हैं। इस तरह कुल 52,30,297 छात्र-छात्राएं बोर्ड परीक्षा देंगे।

    राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एलटी ग्रेड के शिक्षकों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू, चल-अचल संपत्ति मानव संपदा पर अपलोड होने का प्रमाणपत्र और गोपनीय आख्या गई मांगी

    2,621 एलटी ग्रेड शिक्षकों की प्रवक्ता पर होगी पदोन्नति, हाईकोर्ट के निर्देश पर खत्म हुआ वरिष्ठता सूची का विवाद

    2000 के बाद की सूची जारी न होने से फंसी थी 2343 पदोन्नति

    आठ विषय के 278 शिक्षकों की पदोन्नति के लिए सूची जल्द जारी करने की तैयारी

    प्रयागराज । प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत 2621 एलटी ग्रेड (पुरुष वर्ग) के सहायक अध्यापकों की जल्द ही प्रवक्ता पद पर पदोन्नति होगी। शिक्षा निदेशालय ने पदोन्नति की प्रक्रिया तेज कर दी है। इससे पहले 2022 में पुरुष वर्ग की पदोन्नति हुई थी। उस समय उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग की आपत्ति के कारण आठ विषयों जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, हिन्दी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, उर्दू एवं वाणिज्य विषय के 278 पदों की पदोन्नति नहीं हो सकी थी।

    इन विषयों की आपत्ति का निराकरण करते हुए अपर शिक्षा निदेशक (राजकीय) अजय कुमार द्विवेदी ने 30 अक्तूबर को सभी मंडलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि इन सहायक अध्यापकों की मानव सम्पदा पोर्टल पर अपलोड चल अचल सम्पत्ति का प्रमाणपत्र स्वयं सत्यापित करते हुए उपलब्ध कराने का कष्ट करें। साथ ही सभी सहायक अध्यापकों की गोपनीय आख्या भी निदेशालय को भेजने के निर्देश दिए हैं।

     इसके अलावा 2343 पदों पर सहायक अध्यापकों की वरिष्ठता का विवाद भी निस्तारित कर लिया गया है और जल्द इनकी सूची भी जारी होगी। वर्ष 2000 के बाद नियुक्त एलटी ग्रेड शिक्षकों की वरिष्ठता सूची को लेकर कुछ शिक्षकों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट के निर्देश पर शिक्षा निदेशालय के अफसरों ने वरिष्ठता सूची का विवाद दूर कर लिया है और सूची भी तैयार कर ली गई है।



    राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एलटी ग्रेड के शिक्षकों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू, चल-अचल संपत्ति मानव संपदा पर अपलोड होने का प्रमाणपत्र और गोपनीय आख्या गई मांगी 

    प्रयागराज, 30 अक्टूबर 2025
    उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एल.टी. ग्रेड के शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) कार्यालय, प्रयागराज से जारी पत्र के अनुसार जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, हिन्दी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, उर्दू एवं वाणिज्य विषय के पात्र सहायक अध्यापकों (पुरुष शाखा) की प्रवक्ता संवर्ग में पदोन्नति की कार्यवाही अंतिम चरण में है।

    पत्र में सभी मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया गया है कि संबंधित पात्र सहायक अध्यापकों की चल-अचल संपत्ति का प्रमाणपत्र मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड कर उसकी स्वयं सत्यापित प्रति तीन दिवस के भीतर निदेशालय को उपलब्ध कराई जाए। यह प्रमाणपत्र पदोन्नति प्रकरण की अनिवार्य औपचारिकता के रूप में मांगा गया है।

    शिक्षा निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि संलग्न सूची में दर्शाए गए किसी भी सहायक अध्यापक की गोपनीय आख्या यदि अब तक निदेशालय को नहीं भेजी गई है, तो उसे तत्काल प्रेषित किया जाए।

    सहायक शिक्षा निदेशक (सेवा-1) जगदीश प्रसाद शुक्ल द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश को अत्यंत महत्वपूर्ण और तात्कालिक बताया गया है। पदोन्नति प्रक्रिया को शीघ्र और पारदर्शी रूप से पूरा करने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।

    यह कदम उन शिक्षकों के लिए राहत भरा माना जा रहा है जो वर्षों से प्रवक्ता पद की पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे थे।