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Tuesday, August 22, 2119

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    Sunday, November 2, 2025

    NMMSEUP Admit Card 2025: राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी, 9 नवंबर को परीक्षा

    NMMSEUP Admit Card 2025: राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी, 9 नवंबर को परीक्षा


    🔴 NMMS के एडमिट कार्ड एक क्लिक में करें डाउनलोड 


    यूपी एनएमएमएस प्रवेश पत्र में किसी भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोई भी परिवर्तन न करें, यदि ऐसा पाया जाता है कि आपने प्रवेश पत्र में किसी भी प्रकार की छेड़खानी की है तो आपको परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। सभी अभ्यर्थियों को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने प्रवेश पत्र का साफ प्रिंट सफेद पेज में ही निकलवाएं।


    प्रयागराज :  उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति (यूपी एनएमएमएस) के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। पात्र उम्मीदवार अब यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in के माध्यम से अपने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।

    यूपी एनएमएमएस एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए, उम्मीदवारों को वेबसाइट पर अपना आवेदन पंजीकरण संख्या और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा। 


    NMMS UP Admit Card 2025: एडमिट कार्ड डाउनलोड प्रक्रिया

    यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in पर जाएं।

    होमपेज पर, 'एनएमएमएस स्कॉलरशिप हॉल टिकट डाउनलोड' लिंक पर क्लिक करें।

    अब अपना लॉगिन विवरण, जैसे आवेदन संख्या, नाम या यूजरनेम नेम और पासवर्ड दर्ज करें।

    इसके बाद "सबमिट" बटन पर क्लिक करें।

    आपका एडमिट कार्ड स्क्रीन पर दिखाई देगा।

    एनएमएमएस यूपी एडमिट कार्ड की एक प्रति डाउनलोड करें और प्रिंट करें।


    NMMS UP Exam Date 2025: परीक्षा तिथि
    यूपी एनएमएमएस परीक्षा 9 नवंबर, 2025 को निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से कम से कम 30 मिनट पहले अपने एडमिट कार्ड के साथ अपने निर्धारित केंद्रों पर पहुंचना होगा।


    NMMS UP पात्रता क्या है?
    एनएमएमएस यूपी परीक्षा का आयोजन प्रदेश के पात्र छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए किया जाता है। एनएमएमएस उत्तर प्रदेश छात्रवृत्ति 2025-26 के तहत ऐसे प्रतिभावान और मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए चयनित किया जाता है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 3,50,000 रुपये से अधिक न हो।

    टीईटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पांच राज्य, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरल, मेघालय और उत्तराखंड ने लगाई गुहार, आरटीई लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए पुनर्विचार याचिका

    टीईटी के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे पांच राज्य, उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरल, मेघालय और उत्तराखंड ने लगाई गुहार, आरटीई लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षकों के लिए पुनर्विचार याचिका

    शीर्ष कोर्ट ने एक सितंबर को सभी शिक्षकों के लिए किया था अनिवार्य


    प्रयागराज । कक्षा एक से आठ तक के बच्चों को पढ़ा रहे शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) पास करने संबंधी सुप्रीम कोर्ट केएक नवंबर के आदेश के बादसे देशभर के शिक्षक असहज हैं। इस मामले में दो महीने के अंदर उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों ने सर्वोच्च न्यायालय में पुनर्विचार याचिकाएं दाखिल कर निःशुल्क एवं अनिवार्य बाल शिक्षा का अधिकार अधिनियम (आरटीई) 2009 लागू होने सेपूर्वनियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की गुहार लगाई है।


    उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, केरल, मेघालय और उत्तराखंड सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं में आरटीई एक्ट का प्रभाव प्रत्येक राज्य की अधिसूचना तिथि से मानने का अनुरोध किया है। 23 अगस्त 2010 से पूर्व विज्ञापित भर्तियां राष्ट्रीय अध्यापकशिक्षा परिषद (एनसीटीई) अधिसूचना के अनुसार वैध मानी जाएं। पहले से कार्यरत शिक्षकों पर टीईटी को लागू करना संविधान के विरुद्ध है। 

    सर्वोच्च न्यायालय ने सेवा में बने रहने और पदोन्नति के लिए सभी शिक्षकों के लिए टीईटी को अनिवार्य माना है। सेवा में बने रहनेकेलिएदो वर्ष के अंदर टीईटी उत्तीर्ण करनेके आदेश दिए हैं। पदोन्नति के लिए उससंवर्ग की टीईटी को अनिवार्य बताया है। केवल उन्हीं शिक्षकों को राहत दी है जिनकी पांच वर्ष से कम की सेवा बाकी है। हालांकि इनके लिए भी पदोन्नति में टीईटी अनिवार्य है। इस आदेश के बाद से ही देशभर के शिक्षक आंदोलित हैं।


    एक अप्रैल 2010 से पूरे देश में लागू हुआ आरटीई

    पूरे देश में आरटीई एक अप्रैल 2010 को लागू हुई। यह 6 से 14 वर्ष तक के प्रत्येक बच्चे को निःशुल्क और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार प्रदान करता है। शिक्षक नियुक्ति से संबंधित योग्यता तय करने का अधिकार एनसीटीई को दिया गया है


    राज्यों ने अलग-अलग तिथियों पर किया लागू

    उत्तर प्रदेशः 27 जुलाई 2011
    तेलंगाना (तत्कालीन आंध्र प्रदेश): 29 जुलाई 2011
    केरल: 28 अप्रैल 2011
    मेघालय: 1 मई 2011
    उत्तराखंडः 18 जुलाई 2011

    यूपी के एडेड कॉलेजों में 23 हजार से अधिक पदों पर जल्द होगी भर्ती, डीआईओएस ने भेजा टीजीटी, पीजीटी और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों का ब्योरा

    यूपी के एडेड कॉलेजों में 23 हजार से अधिक पदों पर जल्द होगी भर्ती, डीआईओएस ने भेजा टीजीटी, पीजीटी और प्रधानाचार्यों के रिक्त पदों का ब्योरा

    शिक्षा सेवा चयन आयोग का पोर्टल बनने के बाद सूचना अपलोड करेंगे

    प्रयागराज । यूपी के 4512 सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में प्रशिक्षित स्नातक (टीजीटी), प्रवक्ता (पीजीटी), प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्यों के 23 हजार से अधिक पदों पर भर्ती होगी।

    उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को नई भर्ती के लिए सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सीधी भर्ती के 31 मार्च 2026 तक की संभावित रिक्तियों को शामिल कर अधियाचन 29 जुलाई को मांगा गया था। गाजीपुर को छोड़कर सभी जिलों ने सूचना शिक्षा निदेशालय को भेज दी है। अब तक 71 जिलों के अधियाचन गणना हो सकी है, जिसमें टीजीटी, पीजीटी, प्रधानाध्यापक और प्रधानाचार्य के 22,201 रिक्त पद हैं। शेष चार जिलों के पद जुड़ने पर रिक्तियों की संख्या 23 हजार से अधिक होने का अनुमान है। 

    वहीं, चयन आयोग का पोर्टल बनने के बाद शिक्षा निदेशालय की ओर से पोर्टल पर रिक्त पदों की सूचना भेजी जाएगी। उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक-3) डॉ. ब्रजेश मिश्र ने बताया कि डीआईओएस को जिले से संबंधित अधियाचन के लिए प्रमाणपत्र देने के निर्देश दिए गए हैं कि सीधी भर्ती के रिक्त (वर्ष 2025-26 ऑफलाइन स्थानांतरण के लिए प्रेषित पदों को छोड़कर) शेष पद शामिल कर निदेशालय भेजा गया है।




    शिक्षकों के खाली पड़े 22 हजार से अधिक पदों पर भर्ती प्रक्रिया जल्द, माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 75 जिलों से अधियाचन मंगाया


    प्रयागराज। प्रदेश के माध्यमिक विद्यालयों में खाली पड़े शिक्षकों के पदों पर जल्द नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू हो सकती है। इसके लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने प्रदेश के 75 जिलों से अधियाचन (रिक्त पदों का विवरण) मंगाया है। इसके तहत 22 हजार से अधिक शिक्षकों के पद रिक्त हैं। इस संबंध में अधियाचन के लिए भेजे गए प्रारूप को शिक्षा सेवा चयन आयोग स्वीकार करता है तो पोर्टल विकसित कर भर्ती प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

    प्रदेश के 4512 माध्यमिक विद्यालयों में प्रधानाचार्य, प्रवक्ता और सहायक अध्यापक के कुल 22,201 पद रिक्त हैं। इसमें तकरीबन दो हजार से अधिक प्रधानाचार्य और बाकी सहायक अध्यापक और प्रवक्ता के पद हैं। निदेशालय ने सभी जिलों से प्राप्त अधियाचन प्रेषण हेतु प्रारूप शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेज दिया है। हालांकि अभी चार जिलों से खाली पदों की संख्या प्राप्त नहीं हो सकी है। ऐसे में पदों की संख्या में और इजाफा हो सकता है।

    माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से प्रारूप प्राप्त होने के बाद शिक्षा सेवा चयन बोर्ड इसे शासन के कार्मिक विभाग को भेज कर दिशा निर्देशन प्राप्त करेगा। अनुमति मिलते ही एनआईसी (राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र) के सहयोग से एक पोर्टल तैयार किया जाएगा। उप शिक्षा निदेशक (माध्यमिक 3) डॉ. ब्रजेश मिश्र ने बताया कि अधियाचन प्रेषण हेतु प्रारूप शिक्षा सेवा चयन बोर्ड को भेजा गया है। यदि चयन आयोग के द्वारा इसी प्रारूप को स्वीकार कर पोर्टल विकसित किया जाता है तो उस पर अधियाचन अपलोड कर दिया जाएगा। इससे माध्यमिक शिक्षा संस्थानों में लंबे समय से चली आ रही शिक्षक कमी दूर होने की संभावना है



     अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों रिक्त पदों की सूचना देने के साथ रिक्ति के साथ पद खाली न होने का प्रमाणपत्र भी DIOS से गया मांगा

    प्रयागराज। प्रदेशभर के 4512 अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षकों और प्रधानाचार्यों रिक्त पदों की सूचना देने के साथ जिला विद्यालय निरीक्षकों से प्रमाणपत्र भी मांगा गया है कि सीधी भर्ती का कोई और पद खाली नहीं है।

    उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग को नई भर्ती के लिए सूचना उपलब्ध कराने के उद्देश्य से सीधी भर्ती के 31 मार्च 2026 तक की संभावित रिक्तियों को शामिल करते हुए रिक्त पद का अधियाचन 29 जुलाई को मांगा गया था।

     माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने बुधवार को सभी डीआईओएस को लिखा है कि कुछ जिलों के विद्यालयों में रिक्त पदों को अधियाचन में शामिल नहीं किया गया है। लिहाजा सभी डीआईओएस अपने जिले से संबंधित एडेड कॉलेजों के भेजे अधियाचन के लिएदो दिन में प्रमाणपत्र दें कि सीधी भर्ती के रिक्त शेष सभी पद शामिल करते हुए शिक्षा निदेशालय को भेजा गया है।



    राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एलटी ग्रेड के शिक्षकों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू, चल-अचल संपत्ति मानव संपदा पर अपलोड होने का प्रमाणपत्र और गोपनीय आख्या गई मांगी

    राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एलटी ग्रेड के शिक्षकों के लिए पदोन्नति प्रक्रिया शुरू, चल-अचल संपत्ति मानव संपदा पर अपलोड होने का प्रमाणपत्र और गोपनीय आख्या गई मांगी 


    प्रयागराज, 30 अक्टूबर 2025
    उत्तर प्रदेश के राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में कार्यरत एल.टी. ग्रेड के शिक्षकों के लिए एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया शुरू हो गई है। शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) कार्यालय, प्रयागराज से जारी पत्र के अनुसार जीव विज्ञान, रसायन विज्ञान, भौतिक विज्ञान, हिन्दी, समाजशास्त्र, अर्थशास्त्र, उर्दू एवं वाणिज्य विषय के पात्र सहायक अध्यापकों (पुरुष शाखा) की प्रवक्ता संवर्ग में पदोन्नति की कार्यवाही अंतिम चरण में है।

    पत्र में सभी मण्डलीय संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया गया है कि संबंधित पात्र सहायक अध्यापकों की चल-अचल संपत्ति का प्रमाणपत्र मानव संपदा पोर्टल पर अपलोड कर उसकी स्वयं सत्यापित प्रति तीन दिवस के भीतर निदेशालय को उपलब्ध कराई जाए। यह प्रमाणपत्र पदोन्नति प्रकरण की अनिवार्य औपचारिकता के रूप में मांगा गया है।

    शिक्षा निदेशालय ने यह भी स्पष्ट किया है कि संलग्न सूची में दर्शाए गए किसी भी सहायक अध्यापक की गोपनीय आख्या यदि अब तक निदेशालय को नहीं भेजी गई है, तो उसे तत्काल प्रेषित किया जाए।

    सहायक शिक्षा निदेशक (सेवा-1) जगदीश प्रसाद शुक्ल द्वारा हस्ताक्षरित इस आदेश को अत्यंत महत्वपूर्ण और तात्कालिक बताया गया है। पदोन्नति प्रक्रिया को शीघ्र और पारदर्शी रूप से पूरा करने के उद्देश्य से शिक्षा विभाग ने इसे सर्वोच्च प्राथमिकता देने के निर्देश दिए हैं।

    यह कदम उन शिक्षकों के लिए राहत भरा माना जा रहा है जो वर्षों से प्रवक्ता पद की पदोन्नति की प्रतीक्षा कर रहे थे।



    यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति जारी, सीसीटीवी कैमरों से लैस विद्यालय ही बनाए जाएंगे परीक्षा केंद्र

    यूपी बोर्ड परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति जारी, सीसीटीवी कैमरों से लैस विद्यालय ही बनाए जाएंगे परीक्षा केंद्र

    10 नवंबर से शुरू होकर 30 दिसंबर तक पूरी होगी निर्धारण की प्रक्रिया


    🔴 महत्वपूर्ण बिंदु

    राजकीय, सहायता प्राप्त अशासकीय, निजी विद्यालयों के क्रम में बनाए जाएंगे परीक्षा केंद्र

    एक केंद्र पर विद्यार्थियों की न्यूनतम संख्या 250 एवं अधिकतम 2200 होगी

    विगत वर्षों में डिबार स्कूल परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाएंगे

    एक ही प्रबंधक व उसके परिवार द्वारा संचालित विद्यालयों में परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाएंगे

    परस्परत विद्यालय में परीक्षा केंद्र नहीं बनाए जाएंगे

    यथासंभव बालिकाओं के विद्यालय में बालकों का परीक्षा केंद्र नहीं बनाया जाएगा


    प्रयागराज। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने वर्ष 2026 की हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएड की परीक्षाओं के लिए केंद्र निर्धारण की नीति शनिवार को जारी कर दी। इसके तहत सीसीटीवी कैमरों से लैस विद्यालय ही परीक्षा केंद्र बनाए जाएंगे। केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया 10 नवंबर से शुरू होकर 30 दिसंबर तक पूरी कर ली जाएगी।

    केंद्र निर्धारण के लिए इस बार कई नए मानक भी तय किए गए हैं। इसके तहत जिन विद्यालयों में शिक्षकों एवं विद्यार्थियों की ऑनलाइन उपस्थिति दर्ज कराने की व्यवस्था है, उन्हें केंद्र निर्धारण में वरीयता दी जाएगी। इसके लिए 10 अंक भी तय किए गए हैं। जिन विद्यालयों में विद्यार्थियों की संख्या अधिक है, उन्हें भी केंद्र निर्धारण में वरीयता दी जाएगी।

    प्रधानाचार्य कक्ष से अलग दोनों तरफ सीसीटीवी कैमरों युक्त सुरक्षित स्ट्रांग रूम बनाए जाने के लिए कहा गया है। स्ट्रांग रूम में प्रश्न पत्रों को रखने के लिए चार डबल लॉक के बॉक्स होंगे। इसी के साथ उत्तर पुस्तिकाओं को रखने के लिए भी अति सुरक्षित स्ट्रांग रूम होगा। मानक के अनुसार, प्रवेश द्वार एवं प्रमुख स्थलों के अलावा सभी कक्षाओं के बाहर भी दोनों तरफ सीसीटीवी कैमरे लगे होने चाहिए। ये कैमरे बोर्ड एवं प्रशासन कंट्रोल रूम से भी जुड़े होंगे। 

    परीक्षा केंद्र 12 किमी की परिधि में होने चाहिए। जिला एवं तहसील स्तरीय समिति करेगी विद्यालयों का भौतिक सत्यापन परीक्षा केंद्र बनाए जाने वाले विद्यालयों का भौतिक सत्यापन जिला एवं तहसील स्तर पर गठित समिति करेगी। गाइडलाइन के अनुसार, प्रधानाचार्य निर्धारित प्रारूप में विद्यालय में जियो लोकेशन के साथ विद्यालय में उपलब्ध सुविधाओं का विवरण पोर्टल पर अपलोड करेंगे। इसे जिलों को भेज दिया जाएगा। इसके बाद एसडीएम की अध्यक्षता में तहसील स्तर पर गठित समिति इसका भौतिक सत्यापन करेगी।

    समिति में डीएम की ओर से नामित अभियंत्रण विभाग के अभियंता एवं संबंधित तहसील के तहसीलदार सदस्य होंगे। जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से अधिकृत सह जिला विद्यालय निरीक्षक या राजकीय विद्यालय के प्रधानाचार्य सदस्य सचिव होंगे। भौतिक सत्यापन में तथ्य गलत पाए जाते हैं तो विद्यालय प्रबंधन के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।


    🔴 केंद्र निर्धारण का कार्यक्रम

    विद्यालयों की ओर से भौतिक संसाधन संबंधी विवरण 10 नवंबर तक अपलोड किए जाएंगे

    तहसील स्तरीय समिति की ओर से भौतिक सत्यापन कार्य 17 नवंबर तक

    सत्यापित आख्या ऑनलाइन अपलोड करने की अंतिम तिथि 24 नवंबर

    परिषद की ओर से ऑनलाइन चयनित केंद्रों की प्रारंभिक सूची 27 नवंबर तक जारी की जाएगी

    डिबार विद्यालयों की सूची 28 नवंबर को प्रदर्शित की जाएगी

    आपत्तियां / प्रत्यावेदन ऑनलाइन प्राप्त करने की अंतिम तिथि 04 दिसंबर

    जिला विद्यालय निरीक्षक की ओर से आपत्तियों का निस्तारण 11 दिसंबर तक

    अनुमोदित केंद्र सूची परिषद की वेबसाइट पर 17 दिसंबर तक अपलोड की जाएगी

    यदि किसी को दोबारा आपत्ति हो तो वह 22 दिसंबर तक ऑनलाइन दर्ज कर सकेगा

    अंतिम रूप से परीक्षा केंद्रों की सूची 30 दिसंबर तक जारी की जाएगी


    उच्च शिक्षा निदेशालय में होगी बायोमीट्रिक उपस्थिति, तीन साल से डटे कर्मचारियों के बदले जाएंगे पटल

    उच्च शिक्षा निदेशालय में होगी बायोमीट्रिक उपस्थिति, तीन साल से डटे कर्मचारियों के बदले जाएंगे पटल


    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और इसके अन्य कार्यालयों में अफसरों एवं कर्मचारियों की अब बायोमीट्रिक उपस्थिति होगी। अफसरों के लिए निदेशक कक्ष के पास पंचिंग मशीन लगाई जाएगी। वहीं कर्मचारियों के लिए परिसर स्थित दो अन्य भवन में मशीन लगेगी। बायोमीट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू होने के बाद अफसरों एवं कर्मचारियों के रोजाना आने-जाने का समय भी दर्ज हो जाएगा। 

    निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने बताया कि बायोमीट्रिक उपस्थिति के लिए उपकरण आदि लगाने के लिए टेंडर हो गया है। जल्द ही व्यवस्था लागू होगी। पिछले इस संबंध में पिछले दिनों समीक्षा बैठक में सचिव उच्च शिक्षा ने निर्देश दिए थे। 

     

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में तीन वर्ष या अधिक समय से एक ही स्थान पर डटे कर्मचारियों के पटल बदले जाएंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के कार्य वितरण को लेकर निदेशालय में कई तरह की विसंगतियों की बात कही जा रही है। 

    खासतौर पर महिला कर्मचारियों ने उच्च शिक्षा सचिव से मुलाकात कर इसकी शिकायत की थी। डॉ. अमित भारद्वाज का कहना है कि निदेशालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों का विवरण मांगा गया है। शासनादेश एवं सचिव के निर्देश के क्रम में कर्मचारियों के पटल परिवर्तित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी। 

    बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में उतरे शिक्षक, प्रदेश भर में प्रदर्शन कर दिया ज्ञापन, विभाग दे रहा तेजी लाने के निर्देश

    बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस के विरोध में उतरे शिक्षक, प्रदेश भर में प्रदर्शन कर दिया ज्ञापन, विभाग दे रहा तेजी लाने के निर्देश

    01 नवम्बर 2025
    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस को लेकर की जा रही सख्ती को लेकर विरोध शुरू हो गया है। एक तरफ बेसिक शिक्षा विभाग हर दिन का डाटा जारी कर इसमें गति लाने के निर्देश दे रहा है तो दूसरी तरफ शिक्षकों ने इसके विरोध में शनिवार को प्रदेश भर में प्रदर्शन कर ज्ञापन दिया। इसके माध्यम से उन्होंने इस निर्णय को निरस्त करने की मांग उठाई।

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) के बैनर तले विरोध-प्रदर्शन कर शिक्षकों ने कहा कि जिलों में अटेंडेंस न अपलोड करने पर बीएसए शिक्षकों का वेतन रोकने व कार्रवाई करने का आदेश जारी कर रहे हैं। इससे शिक्षकों में काफी नाराजगी है। मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री को संबोधित ज्ञापन में शिक्षकों ने इसकी व्यवहारिक दिक्कतें बताते हुए इसे स्थगित करने की मांग की है।


    कहा, पहले समस्याओं का किया जाए समाधान

    शिक्षकों ने कहा कि बच्चों की ऑनलाइन हाजिरी में कई तरह की समस्याएं आ रही हैं। ग्रामीण परिवेश में अक्सर नेटवर्क की समस्या रहती है। एक ही समय पर प्रदेश भर के बच्चों की ऑनलाइन हाजिरी देने से ऐप के चलने में समस्या आती है। जूनियर हाई स्कूल की बालिकाओं की फोटो के साथ ऑनलाइन हाजिरी देना भी सही नहीं है। कभी कभी मौसम खराब होने से बच्चों की उपस्थिति काफी कम हो जाती है।

    संगठन के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि पिछले साल ऑनलाइन हाजिरी से आहत शिक्षकों ने व्यापक विरोध किया था। इसको देखते हुए तत्कालीन मुख्य सचिव की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय बैठक हुई थी। इसमें तय हुआ था कि समिति डिजिटल अटेंडेंस पर अपनी रिपोर्ट देगी तब तक ऑनलाइन हाजिरी को स्थगित रखा जाएगा। अभी तक उसकी किसी भी प्रकार की रिपोर्ट जारी नहीं की गई है। इसके बाद भी डिजिटल अटेंडेंस पर दबाव बनाया जा रहा है।




    परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की ऑनलाइन डिजिटल अटेंडेंस का विरोध शुरू, एक नवंबर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की घोषणा

    26 अक्टूबर 2025
    लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की डिजिटल अटेंडेंस पर सख्ती के साथ ही शिक्षक संगठनों द्वारा इसका विरोध भी शुरू कर दिया गया है। उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ (पांडेय गुट) ने इसके विरोध में एक नवंबर को जिला मुख्यालयों पर प्रदर्शन कर ज्ञापन देने की घोषणा की है।


    संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील पाण्डेय ने सभी प्रदेशीय, मण्डलीय संगठन मंत्री, जिला पदाधिकारियों को इसके लिए निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा है कि परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध के 24 अक्टूबर को अपर मुख्य सचिव, बेसिक शिक्षा को पत्र भेजा गया था।

    किंतु शासन स्तर पर सकारात्मक संदेश अभी नहीं मिला है। वहीं जिलों में विभागीय अधिकारियों द्वारा इस संबंध में अव्यवहारिक निर्देश जारी कर शिक्षकों पर अनुचित दबाव बनाया जा रहा है। इस क्रम में एक दिवसीय प्रदर्शन व ज्ञापन कार्यक्रम तय किया गया है। इसके द्वारा मुख्यमंत्री व बेसिक शिक्षा मंत्री को सम्बोधित ज्ञापन जिलाधिकारी के माध्यम से भेजा जाएगा।

    उन्होंने सभी पदाधिकारियों को निर्देश दिया है कि जिलों में शिक्षकों को इसकी सूचना देते हुए ज्यादा से ज्यादा संख्या में ज्ञापन कार्यक्रम में शामिल हो। उन्होंने कहा है कि इसके बाद भी विभाग इसमें बदलाव नहीं करता है तो फिर सभी से वार्ता कर आगे का निर्णय लिया जाएगा

    देश के सभी स्कूलों से हटेंगी जहरीली एस्बेस्टस की छतें, NGT का अहम फैसला

    देश के सभी स्कूलों से हटेंगी जहरीली एस्बेस्टस की छतें, NGT का अहम फैसला

    बच्चों की सांसों को मिलेगी आजादी, एस्बेस्टस से निकलने वाले रेशे फेफड़ों के लिए जानलेवा


    नई दिल्ली। देश के स्कूलों में एस्बेस्टस शीट (चादर) की छत से होने वाले वायु प्रदूषण और बच्चों की सेहत बचाने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने इन्हें हटाने का ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। ये शीट फेफड़ों, खासकर बच्चों के लिए खतरनाक बीमारियां पैदा कर सकती हैं। एनजीटी ने देशभर के सरकारी और निजी स्कूलों को एक साल के अंदर इन्हें हटाकर सुरक्षित विकल्प लगाने के लिए कहा है।


    न्यायिक सदस्य अरुण कुमार त्यागी और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने स्कूलों की छतों में इस्तेमाल होने वाली जहरीली एस्बेस्टस शीट को पूरी तरह हटाने का आदेश दिया। हालांकि, पीठ ने कहा कि यदि छत की शीट अच्छी स्थिति में है, तो उसे हटाने की जरूरत नहीं, पर उस पर पेंट या सुरक्षात्मक कोटिंग लगाई जानी चाहिए। अगर शीट खराब हो चुकी है, तो उसे तुरंत गीला करके और विशेषज्ञों की मदद से हटाया जाए, ताकि हवा में हानिकारक रेशे न फैलें। 


    वहीं, स्कूलों को सिर्फ प्रमाणित पेशेवरों से ही ऐसी सामग्री की मरम्मत या हटाने का कार्य कराना होगा। इसके अलावा, स्कूल कर्मियों को एस्बेस्टस से जुड़े जोखिमों और सुरक्षा उपायों के बारे में प्रशिक्षण दिया जाएगा। एनजीटी ने खुद निगरानी का जिम्मा लिया है। एनजीटी ने कहा, फैसला पर्यावरण संरक्षण कानून 1986 व प्रदूषण रोकथाम कानून 1981 के तहत है।


    राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड करें नियमित निरीक्षण
    पीठ ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को आदेश दिया कि वे नियमित निरीक्षण करें और निपटान प्रक्रिया का पूरा रिकॉर्ड रखें। एनजीटी ने पर्यावरण मंत्रालय, शहरी विकास मंत्रालय और सीपीसीबी को आदेश दिया कि वह छह महीने के अंदर एस्बेस्टस से जुड़े वैज्ञानिक साक्ष्य और वैश्विक प्रथाओं की समीक्षा करें और रिपोर्ट सौंपें। स्कूलों, घरों और अन्य भवनों में इसके उपयोग को बंद करने की नीति तैयार करें।


    एस्बेस्टस कचरे का निपटान सीलबंद कंटेनरों में करना होगा
    पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के 2011 के प्रतिबंध के बावजूद स्कूलों में एस्बेस्टस का इस्तेमाल हो रहा है। ज्यादातर राज्यों ने अभी तक इसे हटाने की योजना नहीं बनाई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) और राज्य बोर्डों की निगरानी भी कमजोर है। एनजीटी ने आदेश दिया कि एस्बेस्टस कचरे का निपटान सीलबंद कंटेनरों में किया जाए। कचरा लाइसेंस प्राप्त खतरनाक अपशिष्ट निपटान स्थलों पर ही डंप किया जाए। इसे ले जाने वाले वाहन ढके हों और उन पर एस्बेस्टस कचरा लिखा हो।

    Saturday, November 1, 2025

    शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश

    शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश 


    प्रयागराज/लखनऊ। शासन ने बिना अनुमति किए गए शिक्षकों और कर्मचारियों के संबद्धीकरण (अटैचमेंट) आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे सभी कार्मिकों को तुरंत उनके मूल तैनाती अपर मुख्य सचिव बेसिक स्थान पर वापस भेजा जाए। आदेश के एवं माध्यमिक शिक्षा ने जारी किया आदेश

    अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय माध्यमिक संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि संबद्धीकरण समाप्त करने या यथावत रखने से संबंधित जानकारी निर्धारित प्रपत्र पर उपलब्ध कराएं। 

    निदेशक ने कहा कि ऐसे विद्यालय जहां पद सृजित नहीं हैं और विद्यालय संचालन के लिए अध्यापकों को संबद्ध किया गया है, वहां पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए संबद्धीकरण को अस्थायी रूप से जारी रखने का प्रस्ताव शासन को औचित्य सहित भेजा जा सकता है। इस कार्रवाई का उद्देश्य शिक्षा विभाग में अनधिकृत संबद्धीकरण की प्रवृत्ति पर नियंत्रण करना और शिक्षण व्यवस्था को नियमित करना है। 



    सेवा के दौरान टीईटी पास करने वाले बर्खास्त शिक्षक बहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए पूरा मामला

    सेवा के दौरान टीईटी पास करने वाले बर्खास्त शिक्षक बहाल, सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश को किया खारिज, जानिए पूरा मामला 


    सुप्रीम कोर्ट ने बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए बर्खास्तगी को गलत ठहराया

    दोनों शिक्षकों ने 2011 और 2014 में ही टीईटी पास की थी, नियुक्ति 2012 में हुई और 2018 में बर्खास्तगी


    नई दिल्लीः कानपुर के दो सहायक शिक्षकों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने नियुक्ति के समय अनिवार्य न्यूनतम योग्यता टीईटी परीक्षा पास न करने के आधार पर नौकरी से बर्खास्त किये गए दो सहायक शिक्षकों की तत्काल बहाली के आदेश दिये हैं। सुप्रीम कोर्ट ने टीईटी परीक्षा पास करने के लिए बदले नियमों और बढ़ाए गए समय को आधार बनाते हुए नौकरी के दौरान टीईटी पास करने को पर्याप्त मानते हुए दोनों की बर्खास्तगी को गलत ठहराया है।


    शीर्ष अदालत ने कहा कि बदले नियमों के मुताबिक टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय था जबकि दोनों शिक्षकों ने 2011 और 2014 में ही टीईटी पास कर लिया था। यहां तक कि बर्खास्तगी की तारीख 12 जुलाई 2018 को वो दोनों टीईटी कर चुके थे ऐसे में उन्हें बर्खास्तगी की तारीख पर अयोग्य मानना गलत है।

    ये फैसला प्रधान न्यायाधीश बीआर गवई और के विनोद चंद्रन की पीठ ने उत्तर प्रदेश, कानपुर में भौती के ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाईस्कूल के शिक्षक उमाकांत और एक अन्य की याचिका स्वीकार करते हुए शुक्रवार को दिया। शीर्ष अदालत ने शिक्षकों की याचिका खारिज करने का इलाहाबाद हाई कोर्ट की खंडपीठ और एकलपीठ का आदेश खारिज कर दिया है इसके साथ ही दोनों शिक्षकों की बर्खास्तगी का आदेश भी रद कर दिया है। 

    पीठ ने दोनों शिक्षकों को तत्काल प्रभाव से बहाल करने का आदेश देते हुए कहा है कि दोनों शिक्षक किसी तरह के बकाया वेतन के भुगतान के अधिकारी नहीं होंगे, लेकिन बहाली के बाद उनकी नौकरी पहले से जारी नौकरी की तरह मानी जाएगी और उन्हें वरिष्ठता के सहित सारे परिणामी लाभ मिलेंगे।

    इस मामले में दोनों शिक्षकों ने हाई कोर्ट की खंडपीठ के एक मई 2024 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी रद कर पुनः बहाली की मांग वाली याचिका खारिज कर दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बर्खास्तगी के समय दोनों शिक्षक टीईटी कर चुके थे ऐसे में उन्हें अयोग्य मानकर बर्खास्त किया जाना गलत है। 


    क्या है मामला? 
    नेशनल काउंसिल फार टीचर्स एजूकेशन (एनसीटीई) ने 23 अगस्त 2010 को कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए टीईटी की न्यूनतम योग्यता तय कर दी। राज्य सरकार को तय नियमों के तहत टीईटी परीक्षा करानी थी। इसके बाद 25 जून 2011 को भौती के सहायता प्राप्त विद्यालय ज्वाला प्रसाद तिवारी जूनियर हाई स्कूल ने सहायक शिक्षकों के चार पदों की रिक्तियां निकालीं। दोनों याचियों ने आवेदन किया। उत्तर प्रदेश में पहली बार 13 नवंबर 2011 को टीईटी परीक्षा आयोजित हुई, जिसे एक याची ने 25 नवंबर 2011 को पास कर लिया। 13 मार्च 2012 को बेसिक शिक्षा अधिकारी ने दोनों शिक्षकों का चयन मंजूर करते हुए उन्हें नियुक्ति पत्र जारी किया। दोनों शिक्षकों ने 17 मार्च 2012 को सहायक शिक्षक पद पर नौकरी ज्वाइन कर ली 124 मई 2014 को दूसरे याची ने भी टीईटी परीक्षा पास कर ली। 

    इस बीच नौ अगस्त 2017 को आरटीई एक्ट की धारा 23 में संशोधन हुआ, जिसमें कहा गया कि 31 मार्च 2015 तक नियुक्त शिक्षकों में जिसने टीईटी परीक्षा पास नहीं की है वे चार साल के भीतर इसे पास कर न्यूनतम योग्यता हासिल करें। टीईटी पास करने के लिए 31 मार्च 2019 तक का समय दिया गया, लेकिन 12 मार्च 2018 को दोनों शिक्षकों को नियुक्ति के समय टीईटी पास न होने के कारण बर्खास्त कर दिया गया और उनकी नियुक्ति का आदेश वापस ले लिया गया। जिसे उन्होंने हाई कोर्ट में चुनौती दी, लेकिन हाई कोर्ट ने उनकी याचिका खारिज कर दी थी।

    बचपने का अपराध सरकारी नौकरी में नहीं हो सकता बाधकः इलाहाबाद हाईकोर्ट

    बचपने का अपराध सरकारी नौकरी में नहीं हो सकता  बाधकः इलाहाबाद हाईकोर्ट


    कोर्ट ने कहा- आपराधिक इतिहास का खुलासा करना बालक की गोपनीयता और प्रतिष्ठा के खिलाफ

    शिक्षक की सेवा समाप्ति का आदेश रद्द, समस्त लाभों सहित बहाली का आदेश


    कोर्ट की टिप्पणी

    किशोर न्याय अधिनियम, 2000 की धारा 19 (1) स्पष्ट रूप से कहती है कि किसी अन्य कानून की परवाह किए बिना यदि कोई अपराधी किशोर था और अधिनियम के प्रावधानों के तहत उसके मामले को निपटाया गया है तो उसको मिली सजा भविष्य में बाधक नहीं होगी। लिहाजा, दोषसिद्धि के बावजूद बाल अपराधी को सरकारी सेवा से वंचित नहीं किया जा सकता।


    प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि बाल अपचारी की दोषसिद्धि सरकारी नौकरी में बाधक नहीं हो सकती है। नौकरी पाने के बाद दाखिल हलफनामे में बाल अपराध की सच्चाई छिपाने के आधार पर उसे सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता। बाल अपराध का खुलासा करने के लिए दवाव बनाना उसकी गोपनीयता और प्रतिष्ठा के खिलाफ है।

    इस टिप्पणी के साथ मुख्य न्यायाधीश अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति शैलेंद्र क्षितिज की खंडपीठ ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) इलाहाबाद के आदेश को निरस्त कर दिया। साथ ही याची शिक्षक को समस्त लाभों सहित सेवा में बहाल करने का आदेश दिया है।

    2019 में पीजीटी परीक्षा में चयनित याची की नियुक्ति अमेठी के गौरीगंज स्थित जवाहर नवोदय विद्यालय में शिक्षक के पद पर हुई थी। नियुक्ति के दो माह बाद उसके खिलाफ आपराधिक इतिहास छिपाने का आरोप लगाते हुए शिकायत की गई। इस पर हुई विभागीय जांच के बाद उसे सेवा से हटा दिया गया। सेवा समाप्ति के खिलाफ याची ने कैट का दरवाजा खटखटाया, जहां उसकी अर्जी सुप्रीम कोर्ट की ओर से अवतार सिंह के मामले में निर्धारित विधि व्यवस्था के आलोक में स्वीकार कर ली गई। साथ ही विभाग को नए सिरे से जांच का आदेश दिया गया। कैट के इस फैसले के खिलाफ याची और विभाग दोनों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

    याची शिक्षक ने दलील दी कि अपराध के वक्त वह नाबालिग था। किशोर न्याय अधिनियम के तहत बाल अपराध सरकारी सेवा में बाधक नहीं हो सकता। वहीं, विभाग ने कैट के आदेश को इस आधार पर चुनौती दी कि याची ने हलफनामे में अपने आपराधिक इतिहास को छिपाया है। लिहाजा, याची नियुक्ति पाने का हकदार नहीं है। क्योंकि किशोर न्याय अधिनियम 2015 के प्रावधान 16 वर्ष की आयु के बच्चों पर लागू होगा।

    कोर्ट ने याची शिक्षक की याचिका स्वीकार कर ली। कहा कि अपराध वर्ष 2011 में हुआ था, जब किशोर न्याय अधिनियम, 2000 लागू था। लिहाजा, 2015 अधिनियम की धारा 24(1) का वह प्रावधान जो 16 वर्ष से ऊपर बच्चों को अपवाद बनाता है, इस पर लागू नहीं होगा।

    तबादला वापसी पर BSA ले रहे अलग-अलग निर्णय, तबादला निरस्त करने के लिए दिया गया स्कूल एकल या शिक्षक विहीन होने का हवाला


    तबादला वापसी पर BSA ले रहे अलग-अलग निर्णय, तबादला निरस्त करने के लिए दिया गया स्कूल एकल या शिक्षक विहीन होने का हवाला


    लखनऊ । मेरठ में तबादला हुए बेसिक शिक्षकों को वापस उनके पुराने स्कूल में भेजने के आदेश कर दिए गए। बेसिक शिक्षा अधिकारी ने ये आदेश उन स्कूलों के लिए जारी किए जो तबादले की वजह से एकल या शिक्षक विहीन हो गए। वहीं लखनऊ में तबादले निरस्त नहीं किए गए, जबकि यहां भी करीब 50 स्कूल एकल हो गए है। यह महज दो जिलों की बात नहीं है। प्रदेश भर में हर जिले में बेसिक शिक्षा अधिकारी के स्तर से अलग-अलग तरह के निर्णय लिए जा रहे है। प्रदेश के करीब दो दर्जन जिलों में तबादले निरस्त किए गए है। बाकी में नहीं।


    अगस्त में हुए तबादलेः प्रदेश में बेसिक शिक्षकों के अंतःजनपदीय तबादलों की प्रक्रिया जुलाई में शुरू हुई थी। उसके बाद 11 अगस्त को तबादला लिस्ट जारी की गई। इसमें कुल 5,378 का तबादला हुआ। तब जॉइनिंग देने के तुरंत बाद यह बात सामने आई थी कि छात्र शिक्षक अनुपात बिगड़ गया है। कुछ बीएसए ने शिक्षकों को तुरंत ही पुराने स्कूल में वापस करने के आदेश किए थे। उस समय विभाग के बड़े अफसरों ने हस्तक्षेप कर यह कहा था कि जिनका तबादला हो गया है, उनको रोका नहीं जाएगा। सभी को नई जगह जॉइनिंग दी जाएगी। बाद में स्कूलों की पेयरिंग के बाद एक बार फिर से तबादले समायोजन किए जाएंगे। उसमें अनुपात को सुधार लिया जाएगा।


    ही वापसी के आदेश हुए, कही नहीं हुएः स्कूलों की पेयरिंग हो गई लेकिन उसके बाद समायोजन नहीं हुआ। ज्यादातर जिलों में कई स्कूल एकल या शिक्षकविहीन हो गए है। ऐसे में कई बीएसए फिर से शिक्षकों को अपने पुराने स्कूल में भेजने के आदेश कर रहे है।

    मेरठ, कन्नौज, महराजगंज, सुलतानपुर, हमीरपुर सहित कई जिलों के बीएसए ने खंड शिक्षाधिकारियों को आदेश दिए कि यदि कोई स्कूल तबादले/समायोजन की वजह से एकल या शिक्षकविहीन हो रहा है तो शिक्षकों को मूल विद्यालय में वापस भेजा जाए। वहीं, बस्ती और जालौन सहित कई जिलों के बीएसए ने नियमों का हवाला देते हुए लिखा है कि कोई विद्यालय एकल या शिक्षकविहीन नहीं होना चाहिए।

     नियमों के तहत ही शिक्षकों को कार्यमुक्त या कार्यभार ग्रहण करवाने की कार्यवाही की जाए। वहीं लखनऊ, गाजियाबाद, अमरोहा, कासगंज सहित प्रदेश के ज्यादातर जिले ऐसे हैं, जहां शिक्षकों को पुराने विद्यालय में वापसी के आदेश नहीं किए गए। यहां भी कई स्कूल एकल या बंद हो गए है।


    परिषद के स्तर से तबादला निरस्त करने के संबंध में कोई निर्देश नहीं दिए गए है। जब तबादले हुए थे, तभी बीएसए से कहा गया था कि देख-परखकर शिक्षको को रिलीव करे। कोई स्कूल एकल या बंद नहीं होना चाहिए। –सुरेंद्र तिवारी, सचिव-बेसिक शिक्षा परिषद


    कैसे फंसते गए पेच ?
    जब तबादले किए गए तब छात्र-शिक्षक अनुपात तय करते समय शिक्षामित्रो को भी जोड़कर शिक्षको की संख्या का आकलन किया गया। कई स्कूल ऐसे थे, जिनमें शिक्षामित्र तो है लेकिन शिक्षक एक या दो ही थे। जब वहां से एक का तबादला हो गया तो वे एकल यह बात उठी तो एक बार और समायोजन का आश्वासन दिया गया। वह समायोजन हुए नहीं। हाल ही में शिक्षकविहीन स्कूल का मामला हाई कोर्ट पहुंचा। इस पर HC ने आदेश दिया कि विद्यालय एकल या शिक्षक विहीन नहीं होना चाहिए। अब जिन शिक्षको के तबादले के बाद पुराने स्कूल में वापसी हो गई, वे शिक्षक कोर्ट चले गए है। इस तरह से दोनों तरफ से मामला कोर्ट में होने के कारण अफसर फंसे हुए है। यही वजह है कि विभाग के बड़े अफसर भी इस मामले में कोई हस्तक्षेप नहीं कर रहे।

    Friday, October 31, 2025

    सीबीएसई 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 17 फरवरी से होंगी, डेटशीट जारी

    सीबीएसई 10वीं-12वीं की बोर्ड परीक्षाएं 17 फरवरी से होंगी, डेटशीट जारी

    10वीं में दो बार होंगी परीक्षा, सर्वोत्तम स्कोर को माना जाएगा अंतिम


    नई दिल्ली: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने गुरुवार को शैक्षणिक सत्र 2025-26 के लिए 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षाओं की आधिकारिक डेटशीट जारी कर दी है। बोर्ड के अनुसार 10वीं की परीक्षाएं 17 फरवरी से शुरू होकर 10 मार्च 2026 तक चलेंगी, जबकि 12वीं की परीक्षाएं भी 17 फरवरी से शुरू होकर नौ अप्रैल 2026 तक चलेंगी। बोर्ड परीक्षाओं का समय सुबह 10:30 बजे से दोपहर 1:30 तक होगा।

    सीबीएसई के परीक्षा नियंत्रक डा. संयम भारद्वाज ने कहा कि परीक्षा और कार्यक्रम इस तरह से तैयार किया गया है कि विद्यार्थियों को मुख्य वैकल्पिक विषयों की परीक्षाओं के बीच तैयारी के लिए पर्याप्त समय मिल सके। वहीं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के तहत अब विद्यार्थियों को अधिक अवसर देने के उद्देश्य से सीबीएसई ने घोषणा की है कि 10वीं की बोर्ड परीक्षा वर्ष में दो बार कराई जाएगी। इसमें विद्यार्थी चाहें तो फरवरी सत्र की परीक्षा देने के बाद मई में दोबारा परीक्षा देकर अपने अंक सुधार सकते हैं। बोर्ड सर्वोत्तम स्कोर को ही अंतिम मानेगा।


    CBSE: कक्षा 10वीं एवं 12वीं की बोर्ड परीक्षा 2026 के लिए डेट शीट जारी 
















    शिक्षकों के वक्त से स्कूल आने का तंत्र तैयार करने का हाईकोर्ट का निर्देश

    शिक्षकों के वक्त से स्कूल आने का तंत्र तैयार करने का हाईकोर्ट का निर्देश

    31 अक्टूबर 2025
    प्रयागराज। हाईकोर्ट ने गांवों के गरीब छात्रों के शिक्षा पाने के अधिकार सहित जीवन-समानता के अधिकारों की पूर्ति के लिए राज्य सरकार को सरकारी, गैर सरकारी शिक्षण संस्थानों में अध्यापकों की समय से उपस्थिति का तंत्र तैयार करने का निर्देश दिया है। 

    यह आदेश न्यायमूर्ति पीके गिरि ने बांदा की अध्यापिका इंद्रा देवी, लीन चौहान की याचिका पर दिया है। कोर्ट को बताया गया कि मुख्य सचिव इसी मुद्दे पर बैठक कर रहे हैं। कोर्ट ने अगली सुनवाई पर इसकी जानकारी मांगी है। 

    कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद से सरकार ने जमीनी स्तर पर अध्यापकों की समय से उपस्थिति का नहीं बनाया, जिससे हाईकोर्ट में याचिकाएं आ रही हैं। कोर्ट ने याचियों की पहली गलती और भविष्य में गलती न दोहराने के आश्वासन पर उन्हें क्षमा कर दिया। याचियों ने कहा कि भविष्य में पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज कराती रहेंगी।

    दस मिनट की छूट संभव बस ये आदतन न होः हाईकोर्ट
    कोर्ट ने कहा कि आज के दौर में इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से उपस्थिति कराई जा सकती है। कोई कभी देरी से आता है तो दस मिनट छूट दी जा सकती है बशर्ते ये आदतन न हो। सभी अध्यापकों को हर दिन तय समय पर शैक्षिक संस्थानों में मौजूद होना चाहिए।








    स्कूलों में अध्यापकों की सुनिश्चित की जाए उपस्थिति', मुख्य सचिव व अपर मुख्य सचिव बेसिक को हाईकोर्ट का निर्देश 

    हाईकोर्ट ने कहा- बच्चों के शिक्षा पाने के मौलिक अधिकारों का न हो हनन

    19 अक्टूबर 2025
    प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने प्राइमरी स्कूलों में अध्यापकों की उपस्थिति सुनिश्चित करने के लिए मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव (एसीएस) बेसिक व अन्य अधिकारियों को निर्देश जारी किया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि बच्चों के शिक्षा पाने संबंधी मौलिक अधिकारों का हनन नहीं होना चाहिए। यह आदेश न्यायमूर्ति पीके गिरि ने बांदा की अध्यापिका इंद्रा देवी की याचिका पर पारित किया है।

    हाई कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सरकार, स्कूलों में शिक्षकों के डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था करें तथा जिला एवं ब्लाक स्तर पर ऐसा टास्क फोर्स बनाए जिससे स्कूलों में शिक्षकों की उपस्थिति सुनिश्चित हो सके। कोर्ट ने बांदा के डीएम व बीएसए से जिले की रिपोर्ट मांगी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि सरकार ने शिक्षकों की उपस्थिति के लिए डिजिटल अटेंडेंस की व्यवस्था की है, लेकिन वह अभी धरातल पर नहीं है। अपने विस्तृत आदेश में कोर्ट ने कहा कि शिक्षक गुरु है और वह परम ब्रह्म के समान है। कोर्ट ने शास्त्रों की यह उक्ति उद्धित की, 'गुरु ब्रह्मा, गुरु विष्णु, गुरु देवो महेश्वर गुरु साक्षात् परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः ।'

    तथ्य यह हैं कि याची शिक्षक कंपोजिट स्कूल तिंदवारी, बांदा में नियुक्त है। उसकी स्कूल में गैरमौजूदगी को लेकर बीएसए बांदा ने 30 अगस्त 2025 को एक आदेश जारी किया था जिसे उसने याचिका में चुनौती दी है। आरोप है कि वह डीएम के निरीक्षण के दौरान स्कूल में नहीं थी। हस्ताक्षर कर स्कूल से गायब थी। हाई कोर्ट ने कहा कि शिक्षकों की स्कूल से गैरमौजूदगी के कारण बच्चों के मुफ्त व अनिवार्य शिक्षा कानून 2009 का उल्लंघन हो रहा है। गरीब बच्चों के शिक्षा पाने के मौलिक अधिकारों का भी हनन हो रहा है। हाई कोर्ट ने कहा, शिक्षकों के स्कूलों में नहीं जाने से बच्चों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।


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    उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खुलेगा, शासनादेश जारी

    उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खुलेगा, शासनादेश जारी

    फिलहाल लखनऊ के राजकीय महाविद्यालय से कार्यालय संचालन की तैयारी, निदेशक पूरी करेंगे आवश्यक कार्रवाई


    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। शासन की ओर से आदेश जारी कर उच्च शिक्षा निदेशक से इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। फिलहाल कैंप कार्यालय सरोजनी नगर के लतीफ नगर में नवनिर्मित राजकीय महाविद्यालय परिसर में खोला जाएगा।

    माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में है। अब उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। पूर्व में भी इस बाबत आदेश जारी किया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया था। शासन की ओर से अब एक बार फिर लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी किया गया है। इसे लेकर विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से उच्च निदेशक को पत्र लिखा गया है। पत्र के अनुसार पिछले दिनों समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया ताकि प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ शासकीय कार्यों को त्वरित और प्रभावी तरीके से निस्तारित किया जा सके।

    नया भवन मिलने तक कैंप कार्यालय लखनऊ में सरोजनी नगर स्थित राजकीय महाविद्यालय परिसर से संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशक को आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया है। 


    मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा : शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का विरोध किया गया। संघ की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपकर यह आदेश निरस्त करने की मांग की गई। कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री प्रयागराज के गौरव के लिए लगातार प्रयासरत हैं लेकिन यह आदेश शिक्षा नगरी की गरिमा के साथ अन्याय है। लय. उत्तर प्रदेश उनका कहना था कि निदेशालय में एक करोड़ रुपये की लागत से ई-कंटेंट स्टूडियो स्थापित किया गया है। इसके माध्यम से निदेशालय के अधिकारी और शासन के अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीधे जुड़कर कार्यों को निस्तारित कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से लखनऊ में निदेशालय का कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश निरस्त करने की मांग की।



    शासन से मांगी गाइडलाइन

    शासन से आदेश आने के बाद कैंप कार्यालय के स्वरूप, इसमें किन-किन अफसरों और कर्मचारियों की तैनाती होगी, जरूरी कागजातों की शिफ्टिंग आदि बिंदुओं पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए शासन से गाइडलाइन भी मांगी गई है। अफसरों का कहना है कि जरूरी कार्रवाई कर जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर कैंप कार्यालय के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।


    उठने लगे कर्मचारियों के विरोध के स्वर

    लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने के आदेश से निदेशालय में हलचल तेज होने के साथ कर्मचारियों के विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोले जाने का तीव्र विरोध किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा का भी कैंप कार्यालय लखनऊ में है लेकिन धीरे-धीरे निदेशालय के ज्यादातर काम वहीं चले गए। यहां महज औपचारिकता भर रह गई है। 

    आशंका है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय खुलने से उच्च शिक्षा निदेशालय का भी यही अंजाम होगा। धीरे-धीरे सभी काम वहीं चले जाएंगे। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि शासन की मंशा है कि सभी विभागों के मुख्यालय लखनऊ में शिफ्ट कर दिए जाएं। पुलिस मुख्यालय, निबंधन कार्यालय, राजस्व परिषद समेत कई विभागों के ज्यादातर काम लखनऊ शिफ्ट हो चुके हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोला जाना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

    कक्षा तीसरी और चौथी के छात्र पढ़ेंगे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस

    कक्षा तीसरी और चौथी के छात्र पढ़ेंगे आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस


    नई दिल्ली। शैक्षणिक सत्र 2026-27 से कक्षा तीसरी और चौथी के छात्र भी आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) के बारे में पढ़ेंगे। केंद्र सरकार भविष्य में रोजगार में बदलाव और वैश्विक मांग को देखते हुए युवाओं को (एनईपी) 2020 के तहत इसी शैक्षणिक सत्र 2025-26 में पहली बार कक्षा पांचवीं की हिंदी की पाठ्यपुस्तक 'वीणा' में एआई को शामिल किया गया है, जबकि छठीं से 12वीं कक्षा में पहले से ही छात्र एआई की पढ़ाई कर रहे हैं।


    स्कूली शिक्षा से ही एक्सपर्ट बनाएगी सरकार राष्ट्रीय शिक्षा नीति

    भारत सरकार के स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने कहा, भविष्य की मांग के आधार पर युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए तैयार करना होगा। इसमें एआई सबसे महत्वपूर्ण है, क्योंकि एआई के कारण रोजगार में बदलाव आएगा। हमें तेजी से काम करने की जरूरत है। इसके लिए छात्रों और शिक्षकों को तकनीक से जोड़ना होगा। सबसे बड़ी चुनौती देशभर के एक करोड़ से अधिक शिक्षकों तक पहुंचने और उन्हें एआई आधारित शिक्षा देने के लिए प्रशिक्षित करने की होगी। क्योंकि दूरदराज व ग्रामीण इलाकों के शिक्षकों को भी एआई मुहिम से जोड़ना जरूरी है। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई बोर्ड) चरणबद्ध तरीके से स्कूली शिक्षा के सभी छात्रों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस से जोड़ रहा है। फिलहाल, बोर्ड के मान्यता प्राप्त स्कूलों में कक्षा पांचवीं से 12वीं तक के छात्र पहले से ही एआई की पढ़ाई कर रहे हैं।


    स्कूलों से एआई इकोसिस्टम विकसित करना होगा : नीति आयोग

    दरअसल, नीति आयोग ने पिछले दिनों 'एआई और रोजगार' रिपोर्ट जारी की थी। इसमें बताया गया है कि आने वाले सालों एआई और नौकरियों में बदलाव के कारण करीब 20 लाख पारंपरिक नौकरियां समाप्त हो सकती हैं। लेकिन, सही इकोसिस्टम विकसित करने पर नए जमाने की 80 लाख नई नौकरियां तैयार भी होंगी। इसलिए केंद्र सरकार एआई को स्कूल से लेकर उच्च शिक्षा तक सभी छात्रों तक पहुंचाने की योजना बनाई है।