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Tuesday, August 22, 2119

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    Monday, November 17, 2025

    राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी जारी, 17 नवंबर तक सबमिट कर सकते हैं आपत्तियां

    राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी जारी, 17 नवंबर तक सबमिट कर सकते हैं आपत्तियां



    राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा की कुंजी आज होगी जारी, 17 नवंबर तक ईमेल के माध्यम से संज्ञान में ला सकते हैं आपत्तियां


    प्रयागराज। सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी ने बताया कि राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा 2026 की संबंधित प्रश्न पुस्तिका की उत्तरमाला कुंजी निर्धारित वेबसाइट http://entdata.co.in पर आज प्रकाशित की जाएगी।

    उन्होंने बताया कि परीक्षा नौ नवंबर को आयोजित की गई थी। इच्छुक अभ्यर्थी वेबसाइट पर उपलब्ध उत्तरमाला के क्रम में यदि कोई आपत्ति संज्ञान में लाना चाहते हैं तो शर्तों के अधीन 17 नवंबर शाम छह बजे तक ईमेल के माध्यम से संज्ञान में ला सकते हैं।



    NMMSEUP Admit Card 2025: राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा हेतु प्रवेश पत्र जारी, 9 नवंबर को परीक्षा


    🔴 NMMS के एडमिट कार्ड एक क्लिक में करें डाउनलोड 


    यूपी एनएमएमएस प्रवेश पत्र में किसी भी कंप्यूटर सॉफ्टवेयर के माध्यम से कोई भी परिवर्तन न करें, यदि ऐसा पाया जाता है कि आपने प्रवेश पत्र में किसी भी प्रकार की छेड़खानी की है तो आपको परीक्षा से वंचित कर दिया जाएगा। सभी अभ्यर्थियों को निर्देशित किया जाता है कि वे अपने प्रवेश पत्र का साफ प्रिंट सफेद पेज में ही निकलवाएं।


    प्रयागराज :  उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय मीन्स कम मेरिट छात्रवृत्ति (यूपी एनएमएमएस) के एडमिट कार्ड जारी कर दिए गए हैं। पात्र उम्मीदवार अब यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in के माध्यम से अपने एडमिट कार्ड डाउनलोड कर सकते हैं।

    यूपी एनएमएमएस एडमिट कार्ड डाउनलोड करने के लिए, उम्मीदवारों को वेबसाइट पर अपना आवेदन पंजीकरण संख्या और मोबाइल नंबर दर्ज करना होगा। 


    NMMS UP Admit Card 2025: एडमिट कार्ड डाउनलोड प्रक्रिया

    यूपी एनएमएमएस की आधिकारिक वेबसाइट entdata.co.in पर जाएं।

    होमपेज पर, 'एनएमएमएस स्कॉलरशिप हॉल टिकट डाउनलोड' लिंक पर क्लिक करें।

    अब अपना लॉगिन विवरण, जैसे आवेदन संख्या, नाम या यूजरनेम नेम और पासवर्ड दर्ज करें।

    इसके बाद "सबमिट" बटन पर क्लिक करें।

    आपका एडमिट कार्ड स्क्रीन पर दिखाई देगा।

    एनएमएमएस यूपी एडमिट कार्ड की एक प्रति डाउनलोड करें और प्रिंट करें।


    NMMS UP Exam Date 2025: परीक्षा तिथि
    यूपी एनएमएमएस परीक्षा 9 नवंबर, 2025 को निर्धारित परीक्षा केंद्रों पर आयोजित की जाएगी। उम्मीदवारों को परीक्षा शुरू होने से कम से कम 30 मिनट पहले अपने एडमिट कार्ड के साथ अपने निर्धारित केंद्रों पर पहुंचना होगा।


    NMMS UP पात्रता क्या है?
    एनएमएमएस यूपी परीक्षा का आयोजन प्रदेश के पात्र छात्रों को स्कॉलरशिप देने के लिए किया जाता है। एनएमएमएस उत्तर प्रदेश छात्रवृत्ति 2025-26 के तहत ऐसे प्रतिभावान और मेधावी छात्रों को छात्रवृत्ति के लिए चयनित किया जाता है, जिनके माता-पिता की वार्षिक आय 3,50,000 रुपये से अधिक न हो।

    पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी

    पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी


    लखनऊ। ऑल टीचर्स एम्पलाई वेल्फेयर एसोशिएशन (अटेवा) पेंशन बचाओ मंच ने रविवार को बैठक कर 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली की तैयारियों को अंतिम रूप दिया।


    प्रदेश, मंडल व जिला पदाधिकारियों की शहीद डॉ. रामाशीष सिंह स्मृति भवन में हुई बैठक में रैली के लिए जिम्मेदारियां भी तय की गईं। 

    बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता के विरोध, ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध में 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी। उन्होंने सभी संगठनों से आह्वान किया कि वे मतभेद भुलाकर एक साथ आएं।

    प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि सरकार यूपीएस लाकर देश के शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महासंघ महासचिव अशोक कुमार ने कहा कि

    सरकार लगातार निजीकरण पर बल दे रही है। इसके कारण सरकारी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। पंचायतीराज सफाई कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रामेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में होने वाले स्नातक/शिक्षक निर्वाचन में सभी शिक्षक व कर्मचारी जरूर वोटर बनें ताकि पुरानी पेंशन बहाली की मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों को अपनी बात पहुंचा सकें। बैठक में भारत सिंह, डॉ. आशीष वर्मा, प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार आदि उपस्थित थे। 

    मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से होगी जांच, शासन ने दिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश

    मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से होगी जांच, शासन ने दिए जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों को निर्देश


    लखनऊ। प्रदेश में मदरसा शिक्षकों की उपस्थिति की गहनता से जांच होगी। अनुदानित मदरसों में प्रबंधन से हर माह उपस्थिति प्रमाणपत्र लेने के बाद ही शिक्षकों का वेतन जारी होगा। ब्रिटेन में जा बसे संदिग्ध मदरसा शिक्षक शमशुल हुदा का मामला सामने आने पर शासन ने चौकसी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं।


    उत्तर प्रदेश में 561 मदरसे सरकार से अनुदानित हैं। इनमें कुल 231806 छात्र पंजीकृत हैं। अनुदानित मदरसों में कार्यरत शिक्षकों और शिक्षणेतर कर्मचारियों की कुल संख्या क्रमशः 9889 और 8367 है। हाल ही में एटीएस की जांच में मदरसा शिक्षक शमशुल के संदिग्ध अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन सामने आए हैं।

    वह 2007 से वह ब्रिटेन में रह रहा था और 19 दिसंबर 2013 को उसने ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने 2007 से 2017 तक बिना उसकी सेवा पुस्तिका की जांच किए प्रति वर्ष वेतन वृद्धि की गई। इतना ही नहीं 1 अगस्त 2017 से स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्रदान करते हुए पेंशन भी स्वीकृत कर दी गई।

    एटीएस की रिपोर्ट के आधार पर इस मामले में कई अधिकारी फंस गए हैं। साथ ही अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ऐसी स्थिति दुबारा उत्पन्न न होने देने के लिए कड़े कदम उठा रहा है। एक-एक शिक्षक की हाजिरी सत्यापित होगी, उसके बाद ही भुगतान होगा।

    जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी मदरसों का औचक मुआयना करके भी देखेंगे कि जिन शिक्षकों को वेतन दिया जा रहा है, वे नियमित मदरसों में आ भी रहे हैं या नहीं। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के एक अधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध के साथ बताया कि शिक्षकों की उपस्थिति चेक करने के नियम पहले से भी थे, अब इन निर्देशों पर कड़ाई से अमल करना है। ताकि, शमशुल जैसे मामले सामने नहीं आ सके।

    एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक (TGT) शिक्षकों को जल्द मिलेगी प्रोन्नति, सरकार ने मांगा प्रस्ताव और सूची

    एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक (TGT) शिक्षकों  को जल्द मिलेगी प्रोन्नति, सरकार ने मांगा प्रस्ताव और सूची


    लखनऊ। एडेड माध्यमिक स्कूलों के प्रशिक्षित स्नातक श्रेणी के शिक्षकों को जल्द प्रोन्नति का लाभ मिलने वाला है। सरकार ने माध्यमिक शिक्षा निदेशालय से ऐसे शिक्षकों की सूची समेत उन्हें प्रोन्नत करने का प्रस्ताव मांगा है।

    दरअसल, अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक स्कूलों में कार्यरत स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों की एक दशक से भी अधिक समय से पदोन्नति लंबित है। संबंधित संवर्ग के शिक्षक लगातार शासन से प्रोन्नति की मांग कर रहे हैं। शिक्षक नेताओं की ओर से यह मुद्दा विधान परिषद में भी कई बार उठाया जा चुका है। अब शासन स्तर पर ऐसे शिक्षकों की प्रोन्नति की सहमति बनी है। बताया जाता है कि शासन अगले माह के अन्त तक इस प्रकरण को निस्तारित करने का मन बना चुका है।

    10 साल की सेवा पर प्रोन्नति के हैं नियमः अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्ति के 10 साल पूरे होने पर टीजीटी स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों की लगातार मांग के बाद शासन ने प्रदेश भर के ऐसे करीब 7400 शिक्षकों को पदोन्नत करने का निर्णय किया है। इसी संदर्भ में शासन ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक को विभागीय पत्र भेजकर स्नातक श्रेणी के ऐसे शिक्षक जिनकी पदोन्नति होनी है की संख्या समेत पूरी सूची अतिशीघ्र उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।

    शिक्षकों को प्रवक्ता पद पर प्रोन्नति के नियम है। इसके बाद के 10 वर्षों के पश्चात अर्थात 20 वर्ष की नौकरी पूरी होने पर चयनमान वेतन दिए जाने का प्रावधान है। इसके दो साल बाद यानि पहली पदोन्नति के 12 साल बाद प्रोन्नत वेतनमान दिए जाने की व्यवस्था है। सामान्य विषयों के शिक्षकों को इस नियम का लाभ मिलता रहा है लेकिन स्नातक श्रेणी के कला, व्यायाम, भाषा, शिल्प तथा संगीत आदि विषयों के अध्यापकों का प्रोन्नत 2015 में यह कहकर रोक दिया या था कि इस संबंध में जारी शासनादेश में इसका कोई प्रावधान नहीं है।



    Sunday, November 16, 2025

    शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण समाप्त करने पर सख्ती जारी, मांगी रिपोर्ट

    शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण समाप्त करने पर सख्ती जारी, मांगी रिपोर्ट 

    प्रदेश के शिक्षा विभाग में बिना अनुमति हुए संबद्ध पर गंभीर रुख अपनाते हुए विद्यालय शिक्षा निदेशक (मा०) ने सभी समस्त सम्बन्धित अधिकारियों को कड़ा निर्देश जारी किया है। 13 नवंबर 2025 को जारी पत्र में स्पष्ट किया गया है कि कई अध्यापक, अधिकारी और कर्मचारी बिना शासन की अनुमति अपने मूल तैनाती स्थल से हटकर अन्य स्थानों पर कार्य कर रहे हैं। जानकारी न मिलने के कारण विभाग के समक्ष स्थिति अस्पष्ट बनी हुई है और कई विद्यालयों में शैक्षणिक दायित्व प्रभावित हो रहे हैं।

    पत्र में कहा गया है कि यदि किसी अध्यापक, अधिकारी या कर्मचारी को शासन की स्वीकृति के बिना संबद्ध किया गया है, तो ऐसे सभी कर्मियों को तत्काल प्रभाव से उनके मूल तैनाती स्थल पर वापस भेजा जाए। यह भी निर्देश दिया गया है कि जहाँ विद्यालय संचालित नहीं हैं या शिक्षक उपलब्ध नहीं हैं और विद्यालय संचालन बाधित है, वहाँ समायोजन हेतु शासन से अनुमति प्राप्त कर प्रस्ताव प्रस्तुत किया जाए। जिन विद्यालयों में शिक्षक तो हैं लेकिन उनकी तैनाती वैध नहीं है तथा विद्यालय संचालन प्रभावित है, वहाँ भी अनुमन्य प्रक्रिया के अनुरूप समायोजन प्रस्ताव मांगे गए हैं।

    निदेशक ने यह भी स्पष्ट किया है कि सभी कार्यवाही तत्काल प्रभाव से सुनिश्चित की जाए और अनुपालन रिपोर्ट आज ही निर्धारित ईमेल पर भेजी जाए। विभाग ने चेताया है कि बिना अनुमोदन के जारी हुए आदेशों को मान्य नहीं माना जाएगा और शैक्षणिक व्यवस्थाओं को बाधित करने वाले किसी भी अवैध समायोजन या तबादले पर कड़ी कार्यवाही की जाएगी।

    यह कदम उन लगातार मिल रही शिकायतों के बाद उठाया गया है जिनमें बताया जा रहा था कि कई जिलों में शिक्षक व कर्मचारी मनमाने ढंग से समायोजन आदेश जारी करवा लेते हैं, जबकि वास्तविक रूप से विभाग को इसकी जानकारी नहीं रहती। शिक्षा विभाग ने इस कार्रवाई को विद्यालयों में शैक्षणिक अनुशासन बहाल करने और पारदर्शिता लाने के लिए आवश्यक बताया है।






    शासन की अनुमति बिना किए गए संबद्धीकरण आदेश तत्काल प्रभाव से निरस्त, शासन के आदेश के अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी जारी किया आदेश 

    प्रयागराज/लखनऊ। शासन ने बिना अनुमति किए गए शिक्षकों और कर्मचारियों के संबद्धीकरण (अटैचमेंट) आदेशों को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। अपर मुख्य सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा पार्थ सारथी सेन शर्मा ने आदेश जारी करते हुए स्पष्ट किया कि ऐसे सभी कार्मिकों को तुरंत उनके मूल तैनाती अपर मुख्य सचिव बेसिक स्थान पर वापस भेजा जाए। आदेश के एवं माध्यमिक शिक्षा ने जारी किया आदेश

    अनुपालन में माध्यमिक शिक्षा निदेशक डॉ. महेन्द्र देव ने प्रदेश के सभी मंडलीय माध्यमिक संयुक्त शिक्षा निदेशकों को निर्देशित किया है कि संबद्धीकरण समाप्त करने या यथावत रखने से संबंधित जानकारी निर्धारित प्रपत्र पर उपलब्ध कराएं। 

    निदेशक ने कहा कि ऐसे विद्यालय जहां पद सृजित नहीं हैं और विद्यालय संचालन के लिए अध्यापकों को संबद्ध किया गया है, वहां पठन-पाठन प्रभावित न हो इसके लिए संबद्धीकरण को अस्थायी रूप से जारी रखने का प्रस्ताव शासन को औचित्य सहित भेजा जा सकता है। इस कार्रवाई का उद्देश्य शिक्षा विभाग में अनधिकृत संबद्धीकरण की प्रवृत्ति पर नियंत्रण करना और शिक्षण व्यवस्था को नियमित करना है। 



    एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फिर से मिल सकेगी अटकी हुई बीमा सुरक्षा, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की कवायद

    एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को फिर से मिल सकेगी अटकी हुई बीमा सुरक्षा, माध्यमिक शिक्षा विभाग ने शुरू की कवायद

    19 नवंबर को शिक्षक प्रतिनिधियों की बुलाई बैठक स्थगित, अगली तिथि जल्द होगी तय


    लखनऊ। अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के सैकड़ों शिक्षकों-कर्मचारियों को नए साल में सामूहिक बीमा सुरक्षा का तोहफा मिल सकता है। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने इसकी कवायद तेज कर दी है। विभाग इस मुद्दे पर शिक्षकों-कर्मचारियों के प्रतिनिधियों के भी सुझाव लेगा।

    एडेड माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों को पूर्व में सामूहिक बीमा का लाभ दिया जाता था, लेकिन एक दशक से ज्यादा से इन्हें इसका लाभ नहीं मिल रहा है। शिक्षकों के अनुसार पूर्व में ग्रेड-पे के अनुसार 167 रुपये महीना उनके वेतन से सामूहिक बीमा के लिए कटौती की जाती थी, पर बाद में इसे बंद कर दिया गया। 

    माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर शिक्षा निदेशक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने हाल ही में शिक्षक संगठनों को पत्र भेजकर कहा है कि एलआईसी ने 2019 में अवगत कराया था कि 2013 से सभी समूह बीमा पॉलिसी बंद की जा चुकी है। इसके बाद 2014 से इसे बंद कर दिया गया। लेकिन हाल ही में एलआईसी ने एडेड विद्यालयों के शिक्षकों व कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा के लिए नई ग्रुप टर्म एश्योरेंस स्कीम देने की बात कही है। इसके तहत बीमा संरक्षण तो दिया जाएगा, लेकिन सेवानिवृत्ति पर कोई भुगतान नहीं किया जाएगा।

     शिक्षक-कर्मचारियों की ओर से बीमा सुरक्षा की मांग के क्रम में इस योजना पर विचार के लिए 19 नवंबर को उनके कार्यालय में इसकी बैठक बुलाई गई थी। लेकिन यह बैठक अगली किसी तिथि पर होने की बात पर स्थगित कर दी गई है।  उन्होंने बैठक में अध्यक्ष व मंत्री को खुद या अपना प्रतिनिधि भेजने को कहा है ताकि सकारात्मक निर्णय लिया जा सके।



    अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में 19 नवंबर की बैठक स्थगित 




    दिनांक 31.03.2014 के बाद प्रदेश के अशासकीय सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक एवं शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को बीमा सुरक्षा प्रदान किये जाने के सम्बन्ध में 19 नवंबर को बैठक 



    Saturday, November 15, 2025

    अब उच्च शिक्षा निदेशालय में सब कुछ होगा ऑनलाइन, बायोमेट्रिक हाजिरी भी होगी शुरू


    अब उच्च शिक्षा निदेशालय में सब कुछ होगा ऑनलाइन, बायोमेट्रिक हाजिरी भी होगी शुरू 

     70 फीसदी दस्तावेज की स्कैनिंग पूरी, अन्य कार्यालयों एवं कॉलेजों में भी होगी व्यवस्था

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और अन्य संबंधित कार्यालयों में आने वाले दिनों में सभी काम ऑनलाइन होंगे। निदेशालय में 70 फीसदी से अधिक दस्तावेज की स्कैनिंग हो चुकी है। इन्हें ऑनलाइन भी किया जा रहा है। उच्च शिक्षा निदेशालय, क्षेत्रीय कार्यालयों, राजकीय महाविद्यालयों आदि में सभी काम ऑनलाइन करने का आदेश दिया गया है।

    इसके तहत निदेशालय में प्रक्रिया तेज कर दी गई है। अफसरों और कर्मचारियों की अलग-अलग टीमें बनाकर विशेषज्ञ एजेंसी की मदद से आवश्यक कार्य कराए जा रहे हैं। संयुक्त निदेशक डॉ. शशी कपूर ने बताया कि निदेशालय में करीब 70 प्रतिशत दस्तावेज ऑनलाइन कर दिए गए हैं। कई काम ऑनलाइन किए जा रहे हैं। जल्द ही सभी दस्तावेज स्कैन कर लिए जाएंगे। इसके बाद सभी काम ऑनलाइन होंगे।


    उच्च शिक्षा निदेशालय में सोमवार से बायोमीट्रिक उपस्थिति

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में सोमवार से अफसरों एवं कर्मचारियों की बायोमीट्रिक उपस्थिती दर्ज कराने की तैयारी है। सचिव उच्च शिक्षा ने पिछले दिनों समीक्षा बैठक एवं निदेशालय के निरीक्षण के दौरान यह आदेश दिया था। इसी के तहत आवश्यक कार्रवाई की जा रही है। 95 फीसदी से अधिक अफसरों एवं कर्मचारियों की बायोमीट्रिक पहचान मशीन में दर्ज करा ली गई है। संयुक्त निदेशक डॉ. शशी कपूर का कहना है कि सोमवार से बायोमीट्रिक अटेंडेंस की व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए परिसर में तीन जगह मशीन लगाई जाएगी। 




    उच्च शिक्षा निदेशालय में होगी बायोमीट्रिक उपस्थिति, तीन साल से डटे कर्मचारियों के बदले जाएंगे पटल

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय और इसके अन्य कार्यालयों में अफसरों एवं कर्मचारियों की अब बायोमीट्रिक उपस्थिति होगी। अफसरों के लिए निदेशक कक्ष के पास पंचिंग मशीन लगाई जाएगी। वहीं कर्मचारियों के लिए परिसर स्थित दो अन्य भवन में मशीन लगेगी। बायोमीट्रिक उपस्थिति की व्यवस्था लागू होने के बाद अफसरों एवं कर्मचारियों के रोजाना आने-जाने का समय भी दर्ज हो जाएगा। 

    निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज ने बताया कि बायोमीट्रिक उपस्थिति के लिए उपकरण आदि लगाने के लिए टेंडर हो गया है। जल्द ही व्यवस्था लागू होगी। पिछले इस संबंध में पिछले दिनों समीक्षा बैठक में सचिव उच्च शिक्षा ने निर्देश दिए थे। 

     

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय में तीन वर्ष या अधिक समय से एक ही स्थान पर डटे कर्मचारियों के पटल बदले जाएंगे। इसकी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के कार्य वितरण को लेकर निदेशालय में कई तरह की विसंगतियों की बात कही जा रही है। 

    खासतौर पर महिला कर्मचारियों ने उच्च शिक्षा सचिव से मुलाकात कर इसकी शिकायत की थी। डॉ. अमित भारद्वाज का कहना है कि निदेशालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों का विवरण मांगा गया है। शासनादेश एवं सचिव के निर्देश के क्रम में कर्मचारियों के पटल परिवर्तित किए जाएंगे। यह प्रक्रिया एक सप्ताह में पूरी कर ली जाएगी। 

    Friday, November 14, 2025

    Download CISCE Board Exam Date Sheet 2026 सीआईएससीई की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 12 फरवरी से, डेटशीट करें डाउनलोड

    Download CISCE Board Exam Date Sheet 2026
     सीआईएससीई की 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षाएं 12 फरवरी से, डेटशीट करें डाउनलोड 


    नई दिल्ली। काउंसिल फॉर द इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन (सीआईएससीई) ने 10वीं (आईसीएसई) और 12वीं कक्षा (आईएससी) की बोर्ड परीक्षाओं की तारीखों की घोषणा कर दी। कक्षा 10 की परीक्षाएं 17 फरवरी से 30 मार्च तक, जबकि कक्षा 12 की परीक्षाएं 12 फरवरी से 6 अप्रैल तक कराई जाएंगी।

    सीआईएससीई के मुख्य कार्यकारी और सचिव जोसेफ इमैनुएल ने बताया कि इस बार परीक्षा कार्यक्रम को इस तरह बनाया गया है कि प्रमुख विषयों के बीच पर्याप्त तैयारी का समय मिल सके। 



    जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश

    जीपीएफ भुगतान न होने पर हाईकोर्ट तल्ख, आगरा के बीएसए और वित्त एवं लेखा अधिकारी का वेतन रोकने और दोनों के विरुद्ध कार्यवाही का निर्देश


    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रिटायर सहायक अध्यापिका को जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा और जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा के विरुद्ध कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने याची के जीपीएफ का भुगतान होने तक दोनों का वेतन रोकने का निर्देश भी दिया है।

    यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने मीना कुमारी शर्मा की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याची सहायक अध्यापिका के पद से 31 मार्च 2023 को रिटायर हुई और उसके बाद उनके जीपीएफ को छोड़कर उनके अन्य सेवानिवृत्ति के बाद के सभी देयकों का भुगतान कर दिया गया।

     जीपीएफ के लिए याची ने यह याचिका की तो कोर्ट के आदेश के अनुसरण में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आगरा से की ओर से की ओर से वित्त एवं लेखा अधिकारी। किया गया। कहा गया कि याची जीपीएफ के लिए पात्र है लेकिन धन की अपर्याप्तता के कारण इसका भुगतान नहीं किया जा सका। 


    कोर्ट को वित्त एवं लेखा अधिकारी बेसिक शिक्षा आगरा द्वारा जीपीएफ का भुगतान न करने के लिए दिए गए कारण, यानी धन की अपर्याप्तता पर बहुत आश्चर्यजनक और झटका लगा। कोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्त कर्मचारियों को तत्काल किया जाना चाहिए।


    कोर्ट ऑर्डर 👇

    Thursday, November 13, 2025

    17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम

    17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में 49 करोड़ से  बनेंगे मिनी इंडोर स्टेडियम


     लखनऊः अब 17 जिलों के 21 राजकीय इंटर कालेजों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे। इसके लिए 49 करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की गई है। एक मिनी इंडोर स्टेडियम के निर्माण पर 4.92 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे। इसी क्रम में सरकार ने प्रथम किस्त के रूप में प्रत्येक के लिए 2.16 करोड़ रुपये जारी कर दिए हैं।


    माध्यमिक शिक्षा विभाग द्वारा गठित मूल्यांकन समिति ने कुल 19 जिलों के 23 कालेजों के प्रस्तावों की जांच की थी। इनमें से उन्नाव और गाजीपुर के प्रस्ताव भूमि संबंधी कारणों से निरस्त कर दिए गए, जबकि शेष 17 जिलों के 21 कालेजों के प्रस्तावों को स्वीकृति प्रदान की गई है। 


    जिन जिलों में मिनी इंडोर स्टेडियम बनाए जाएंगे, उनमें कानपुर नगर, मथुरा, बिजनौर, गौतमबुद्धनगर, अलीगढ़, संभल, हरदोई, बदायूं, अयोध्या, प्रतापगढ़, भदोही, वाराणसी, आगरा और पीलीभीत के एक-एक कालेज शामिल है। वहीं अंबेडकरनगर और गोंडा में दो-दो और बुलंदशहर में तीन राजकीय इंटर कालेजों में मिनी स्टेडियम बनाए जाएंगे। 


    मिनी इंडोर स्टेडियमों के निर्माण से विद्यार्थियों को बेहतर खेल सुविधाएं मिलेंगी और विद्यालय स्तर पर खेल प्रतिभाओं को प्रोत्साहन मिलेगा। सरकार ने विभिन्न जिलों में निर्माण की जिम्मेदारी अलग-अलग कार्यदायी संस्थाओं को सौंपी है। माध्यमिक शिक्षा विभाग का मानना है कि इन स्टेडियमों से ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के छात्र-छात्राओं को खेलों में नई ऊंचाइयां हासिल करने का अवसर मिलेगा और प्रदेश में खेल संस्कृति को नई दिशा मिलेगी।

    डाउनलोड करें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का संशोधित परीक्षा कार्यक्रम

    यूपी बोर्ड परीक्षा की समय सारिणी में बदलाव, अलग-अलग पालियों में होगी हाईस्कूल और इंटर की हिंदी परीक्षा

    प्रयागराज। यूपी बोर्ड की 2026 की परीक्षाओं में बदलाव किया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की हिंदी परीक्षा एक ही पाली में रखे जाने से उत्पन्न भ्रम और व्यावहारिक दिक्कतों को देखते हुए माध्यमिक शिक्षा परिषद ने मंगलवार देर शाम संशोधित समय सारिणी जारी की है। अब 18 फरवरी को सुबह हाईस्कूल और दोपहर में इंटर की परीक्षा होगी

    हाईस्कूल की हिंदी व प्रारंभिक हिंदी की परीक्षा पहली पाली में होगी जबकि इंटरमीडिएट की हिंदी व सामान्य हिंदी की परीक्षा दूसरी पाली में आयोजित की जाएगी। इंटरमीडिएट की संस्कृत विषय की परीक्षा 12 मार्च को द्वितीय पाली में आयोजित की जाएगी।

    संशोधित परीक्षा कार्यक्रम

    18 फरवरी 2026 (प्रथम पाली) हाईस्कूल की हिंदी एवं प्रारंभिक हिंदी परीक्षा

    18 फरवरी 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की हिंदी एवं सामान्य हिंदी परीक्षा

    12 मार्च 2026 (द्वितीय पाली) इंटरमीडिएट की संस्कृत परीक्षा

     नोट : शेष सभी विषयों की परीक्षाएं पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार संपन्न होंगी।


    45 लाख से अधिक परीक्षार्थियों की एक साथ परीक्षा होने से बना था संकट

    प्रयागराज। पहले घोषित कार्यक्रम के अनुसार 18 फरवरी को सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की हिंदी विषय की परीक्षा एक साथ एक ही पाली में रखी गई थी। इससे परीक्षा केंद्रों पर 45 लाख से अधिक छात्रों के एक साथ बैठने की स्थिति बन रही थी जो न केवल प्रशासनिक रूप से कठिन थी, बल्कि परीक्षा व्यवस्था के लिए गंभीर चुनौती साबित हो सकती थी।

    माध्यमिक शिक्षा परिषद के सचिव भगवती सिंह ने बताया कि यह निर्णय परीक्षा व्यवस्था को सुचारु और व्यवस्थित रखने के लिए लिया गया है। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं अलग-अलग पालियों में कराने से किसी भी प्रकार की अव्यवस्था या ओवरलैपिंग की स्थिति नहीं बनेगी। शेष परीक्षाएं पूर्व निर्धारित तिथियों पर ही होंगी।


    डाउनलोड करें यूपी बोर्ड की 10वीं और 12वीं का संशोधित परीक्षा कार्यक्रम  









    यूपी बोर्ड हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षाएं 18 फरवरी से 12 मार्च 2026 तक

    प्रयागराज । उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने बुधवार को वर्ष 2026 की हाईस्कूल और इंटरमीडिएट वार्षिक परीक्षाओं के कार्यक्रम घोषित कर दिए। दोनों परीक्षाएं एक साथ 18 फरवरी 2026 से प्रारंभ होकर 12 मार्च 2026 को समाप्त होंगी। बोर्ड सचिव भगवती सिंह के अनुसार, परीक्षाएं पूर्ववत दो पालियों में होंगी। पहली पाली सुबह 8:30 से 11:45 बजे तक व दूसरी पाली दोपहर 2:00 से शाम 5:15 बजे तक होगी।

    हाईस्कूल की परीक्षा 18 फरवरी को हिंदी विषय से शुरू होकर 12 मार्च को कृषि विषय के साथ समाप्त होगी। वहीं, इंटरमीडिएट की परीक्षा 18 फरवरी को सामान्य हिंदी से आरंभ होकर 12 मार्च को कंप्यूटर विषय की परीक्षा के साथ संपन्न होगी। बोर्ड के अनुसार, इस बार विद्यार्थियों को मुख्य विषयों की तैयारी के लिए परीक्षा के दौरान पर्याप्त अंतराल मिलेगा। हाईस्कूल और इंटरमीडिएट दोनों की परीक्षाएं कुल 15 कार्य दिवसों में पूरी की जाएंगी। 


    52 लाख से अधिक परीक्षार्थी हैं पंजीकृत

    इस वर्ष कुल 52,30,297 विद्यार्थी यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए पंजीकृत हैं। हाईस्कूल में 27,50,945 (बालक 14,38,682 व बालिका 13,12,263) तथा इंटर में 24,79,352 विद्यार्थी (बालक 13,03,012 और बालिका 11,76,340) शामिल हैं। बोर्ड ने सभी विद्यालयों को समय से तैयारी पूर्ण करने तथा प्रैक्टिकल्स के आयोजन के लिए निर्देश जारी कर दिए हैं।



    UP Board Date Sheet: वर्ष 2026 की यूपी बोर्ड हाईस्कूल एवं इंटरमीडिएट परीक्षा का कार्यक्रम जारी, देखें 
     

    Wednesday, November 12, 2025

    उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा में इस बार बढ़ेगी सख्ती, परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर व इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य

    उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद की परीक्षा में इस बार बढ़ेगी सख्ती, परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर व इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य

    55 हजार विद्यार्थी होंगे शामिल, इस सप्ताह घोषित हो जाएगा परीक्षा कार्यक्रम


    लखनऊः उप्र माध्यमिक संस्कृत शिक्षा परिषद ने वर्ष 2026 की पूर्व मध्यमा द्वितीय, उत्तर मध्यमा प्रथम व द्वितीय स्तर की परीक्षाओं के लिए परीक्षा केंद्र निर्धारण की नीति जारी कर दी है।


    परिषद ने परीक्षा प्रक्रिया को पूरी तरह पारदर्शी, नकल-मुक्त और सुरक्षित बनाने के लिए कई मानक तय किए हैं। हर परीक्षा केंद्र पर सीसीटीवी कैमरे, वायस रिकार्डर, डीवीआर और हाईस्पीड इंटरनेट कनेक्शन अनिवार्य होंगे। इस वर्ष प्रदेशभर में 10वीं, 11वीं और 12वीं कक्षाओं के 55 हजार से अधिक विद्यार्थी परीक्षा में शामिल होंगे। परीक्षा कार्यक्रम भी इसी सप्ताह जारी किया जाएगा।


    केंद्र निर्धारण की समय-सारि णी भी तय कर दी गई है। जिला समिति 15 नवंबर तक केंद्र तय करेगी। चयनित केंद्रों की सूची 26 नवंबर को समाचार पत्र में प्रकाशित की जाएगी और आपत्तियों के निस्तारण के बाद 10 दिसंबर तक मंडलवार सूची परिषद को भेजनी होगी। परीक्षा केंद्रों का चयन जिला विद्यालय निरीक्षक स्वयं या उनके अधीनस्थ राजपत्रित अधिकारी करेंगे। 


    केंद्र तय करने से पहले संबंधित विद्यालयों की तकनीकी सुविधाओं की जांच की जाएगी। साथ ही प्रश्नपत्रों की सुरक्षा के लिए डबल लाक अलमारी प्रधानाचार्य कक्ष से अलग सुरक्षित स्थान पर रखी जानी होगी। केंद्र निर्धारण में राजकीय संस्कृत माध्यमिक विद्यालयों को प्राथमिकता दी जाएगी। इसके बाद सहायताप्राप्त संस्कृत विद्यालय, राजकीय इंटर कालेज और आवश्यकता पड़ने पर साधन-संपन्न वित्तविहीन विद्यालयों को परीक्षा केंद्र बनाया जा सकेगा।


     जिन विद्यालयों को पहले से माध्यमिक शिक्षा परिषद प्रयागराज की परीक्षा के लिए केंद्र बनाया गया है, उन्हें संस्कृत परिषद की परीक्षा का केंद्र नहीं बनाया जाएगा। हर केंद्र पर परीक्षार्थियों की संख्या कम से कम 100 और अधिकतम 500 तय की गई है। दिव्यांग और बालिका परीक्षार्थियों को स्वकेंद्र या नजदीक में परीक्षा केंद्र की सुविधा दी जाएगी।

    Tuesday, November 11, 2025

    डीएलएड अभ्यर्थियों को एक और मौका, परीक्षा पोर्टल जल्द खुलेगा, हाईकोर्ट से मिली राहत

    डीएलएड अभ्यर्थियों को एक और मौका, परीक्षा पोर्टल जल्द खुलेगा 

    जो पूर्व में परीक्षा से किए गए थे वंचित उन्हें राहत, हाईकोर्ट ने उम्मीद जताई नहीं झेलना होगा उत्पीड़न


    प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने परीक्षा नियामक प्राधिकारी को डीएलएड परीक्षा पोर्टल खोलने का निर्देश दिया है। साथ ही उम्मीद जताई है कि याची अभ्यर्थियों को किसी प्रकार की और परेशानी या उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ेगा।

    यह आदेश न्यायमूर्ति दिनेश पाठक ने शीतल की अवमानना याचिका पर उनके अधिवक्ता कौन्तेय सिंह, स्थायी अधिवक्ताको सुनकर दिया है। यह आदेश उन अभ्यर्थियों को अतिरिक्त अवसर प्रदान करने के संबंध में है, जिन्हें पूर्व में परीक्षा में सम्मिलित होने से वंचित किया गया था। 

     अधिवक्ता कौन्तेय सिंह के अनुसार कोर्ट ने साक्षी एवं 77 अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया था कि ऐसे सभी छात्रों को परीक्षा में सम्मिलित होने का एक और मौका दिया जाए। राज्य सरकार की ओर से अनुपालन हलफनामा दाखिल किया गया लेकिन आदेश का पूर्ण अनुपालन नहीं किया गया।

    उन्होंने कहा कि पोर्टल खोला ही नहीं गया है। स्थायी अधिवक्ता ने बताया कि पोर्टल शीघ्र तीन से चार दिन में खोला जाएगा। कोर्ट ने उम्मीद जताई कियाची अभ्यर्थियों को कोई परेशानी या उत्पीड़न नहीं झेलना पड़ेगा। अगली सुनवाई 15 नवंबर को होगी।




    हाईकोर्ट के आदेश पर अतिरिक्त अवसर की मांग को लेकर याचिका करने वाले अभ्यर्थियों का डीएलएड परीक्षा कार्यक्रम जारी

    20 और 21 नवंबर को प्रथम से चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा होगी

    तीन नवम्बर को होगी अवमानना याचिका पर सुनवाई

    18 अक्टूबर 2025
    प्रयागराज । डीएलएड की सेमेस्टर परीक्षा में अतिरिक्त अवसर की मांग को लेकर हाईकोर्ट में याचिका करने वाले अभ्यर्थियों का परीक्षा कार्यक्रम जारी हो गया है। हाईकोर्ट के आदेश पर एससीईआरटी निदेशक गणेश कुमार ने 17 अक्तूबर को परीक्षा कार्यक्रम जारी करते हुए परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी को सूचित किया है।


    प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार प्रथम व द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा 20 नवंबर को क्रमशः सुबह 10 से 12 और दो से चार बजे तक कराई जाएगी, जबकि तृतीय व चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा 21 नवंबर को क्रमशः सुबह 10 से 12 बजे और दो से चार बजे तक होगी। यह परीक्षा कार्यक्रम प्रदेश सरकार की ओर से दाखिल विशेष अपील के निर्णय के अधीन होगा।

    याचिकाकर्ता सरिता तिवारी के अधिवक्ता कौन्तेय सिंह ने बताया कि सुनवाई के दौरान विपक्षी पक्ष की ओर से दाखिल अनुपालन शपथपत्र में आवेदिका को न्यायालय के पूर्व आदेश के अनुसार परीक्षा में सम्मिलित होने की अनुमति दी गई है।

    यूपी के शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम् का गायन, बोले सीएम योगी

    यूपी के शिक्षा संस्थानों में अनिवार्य होगा वंदे मातरम् का गायन, बोले सीएम योगी


    गोरखपुर । मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उत्तर प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में वंदे मातरम् का गायन अनिवार्य करने की बात कही है। सोमवार को उन्होंने कहा कि राष्ट्र गीत के प्रति सबके मन में सम्मान का भाव होना ही चाहिए। इसके लिए वह प्रदेश के सभी शैक्षणिक संस्थानों में बंदे मातरम् का गायन अनिवार्य कराएंगे। हर नागरिक के मन में भारत माता के प्रति श्रद्धा और सम्मान का भाव जगाएंगे। 

    मुख्यमंत्री, सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जन्मतिथि और बंदे मातरम् का 150वां वर्ष शुरू होने के उपलक्ष्य में प्रदेश के सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों के लिए आयोजित 'एकता यात्रा' का शुभारंभ कर रहे थे। इस अवसर पर उन्होंने देश निर्माण में सरदार पटेल के अवदान को याद किया।


    निगम परिसर के रानी लक्ष्मीबाई पार्क में सोमवार को आयोजित 'एकता यात्रा' में मुख्यमंत्री ने भी इसे लेकर कांग्रेस पर तीखा प्रहार किया। कहा कि जिस राष्ट्र गीत ने आजादी के आंदोलन में भारत की सोई हुई चेतना को जागृत किया, तुष्टीकरण की नीति के चलते कांग्रेस ने सांप्रदायिक बताकर उसमें संशोधन का प्रयास किया। जिस वंदे मातरम् को कांग्रेस के 1896-97 के अधिवेशन में गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने अपने स्वर में गाया था, उसका 1923 के अधिवेशन में तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष मोहम्मद अली जौहर ने विरोध किया। उन्होंने राष्ट्र गीत गाने से इन्कार कर दिया था। वंदे मातरम् का इस प्रकार का विरोध भारत के विभाजन का दुर्भाग्यपूर्ण कारण बना था। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस ने अगर उस समय मौहम्मद अली जौहर को अध्यक्ष पद से बेदखल कर वंदे मातरम् के माध्यम से भारत की राष्ट्रीयता का सम्मान किया होता तो देश का विभाजन नहीं हुआ होता।

    मुख्यमंत्री ने संबोधन में सपा को भी निशाने पर रखा। कहा कि कोई भी व्यक्ति, मत या मजहब राष्ट्र से बड़ा नहीं हो सकता। व्यक्तिगत आस्था यदि राष्ट्र के आड़े आए तो उसे किनारे कर देना चाहिए। कुछ लोगों के लिए आज भी उनका व्यक्तिगत मत और मजहब बड़ा है। इस क्रम में उन्होंने सपा के एक सांसद द्वारा राष्ट्र गीत गाने से इन्कार करने का उल्लेख भी किया।

    यौगी ने कहा कि हमारा दायित्व है कि हम उन कारणों को ढूंढे, जो समाज को बांटने वाले हैं। जाति, क्षेत्र, भाषा के नाम पर विभाजन नए जिन्ना को पैदा करने की साजिश का हिस्सा है। हमें ध्यान रखना होगा कि भारत के अंदर फिर से कोई जिन्ना न पैदा होने पाए। कोई जिन्ना बनने का साहस करता है तो उसे चुनौती बनने से पहले ही दफन कर देना होगा। समाज को बांटने वाले वही लोग हैं, जो पटेल की जयंती में शामिल नहीं होते, लेकिन जिन्ना के सम्मान के लिए शर्मनाक तरीके से आगे आ जाते हैं।


    निर्णय पर अखिलेश ने उठाए सवाल
    लखनऊः सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने स्कूल-कालेजों में वंदे मातरम अनिवार्य किए जाने पर सवाल उठाए हैं।? उन्होंने लखनऊ में पार्टी मुख्यालय में वार्ता में कहा कि, 'ये बहस जो आज हम कर रहे है, क्या उस समय जो संविधान के निर्माता थे, उन्होंने नहीं की? इसलिए राष्ट्र गान और राष्ट्र गीत दिया। अगर यही होता कि इसे गाना जरूरी है तो तब इसे अनिवार्य क्यों नहीं किया गया? उन्होंने विकल्प छोड़ दिया था।


    'वंदे मातरम्' न गाएं मुस्लिम बच्चे, स्कूल से निकल जाएं: कासमी
    मुंबई  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा सोमवार को राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में 'वंदे मातरम्' गाना अनिवार्य करने की घोषणा पर मुस्लिम समुदाय ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। जमीयत उलमा-ए-महाराष्ट्र के अध्यक्ष मौलाना हलीम उल्लाह कासमी ने कहा कि मुसलमानों को अपने बच्चों को स्कूलों से निकाल लेना चाहिए, बजाय इसके कि उन्हें राष्ट्रगीत गाने के लिए मजबूर किया जाए।

    कासमी ने कहा, हम मुसलमान हैं। इस देश का संविधान हमें अपने धर्म का पालन करने की आजादी देता है। अगर हमारी आस्था के खिलाफ कुछ भी थोपा जाता है, तो हमारा संविधान उसे स्वीकार नहीं करेगा। इसलिए हम किसी भी हालत में ऐसी चीज को स्वीकार नहीं करेंगे जो हमारे धर्म के खिलाफ हो। हमारा धर्म हमें सिखाता है कि अल्लाह एक है और हम सिर्फ उसी की इबादत करेंगे। किसी और की नहीं। अगर हम इसके अतिरिक्त कुछ करेंगे, तो मुसलमान नहीं रहेंगे। जहां तक देश का सवाल है, मुसलमान राष्ट्र के प्रति सम्मान दिखाने में कभी पीछे नहीं रहे।

    Monday, November 10, 2025

    योग्यता और सुविधाओं के मानक पर खरे नहीं उतरे अनुदानित मदरसे, मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर शुरू हुई थी जांच

    योग्यता और सुविधाओं के मानक पर खरे नहीं उतरे अनुदानित मदरसे, मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर शुरू हुई थी जांच

    प्रधानाचार्य सहित कई शिक्षकों की अपूर्ण मिली शैक्षिक योग्यता, 35 से ज्यादा अनुदानित मदरसों को नोटिस, 


    लखनऊ। मदरसा नियमावली-2016 के मानकों पर कई अनुदानित मदरसे खरे नहीं उतरे हैं। जांच में कई जिलों के मदरसों में प्रधानाचार्यों और शिक्षकों की योग्यता अपूर्ण पाई गई है। मदरसा बोर्ड ने ऐसे 35 से ज्यादा मदरसों को नोटिस जारी किया है। प्रदेश में 558 अनुदानित मदरसे हैं। इनमें आधारभूत सुविधाओं, छात्र-शिक्षक अनुपात, भवन, शिक्षकों व शिक्षणेतर कर्मचारियों की योग्यता की जांच आदि के लिए एक दिसंबर 2023 को जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों को निर्देश दिए गए थे।


    जिलों से जांच रिपोर्ट मिलने के बाद मदरसा बोर्ड ने मानक पूरा न करने वाले मदरसों और शिक्षकों पर कार्रवाई शुरू की है। बोर्ड की रजिस्ट्रार अंजना सिरोही ने देवरिया, आजमगढ़, मिर्जापुर, गाजीपुर आदि जिलों के 35 से ज्यादा मदरसों को नोटिस भेज कर उन्हें दस्तावेजों के साथ अपना पक्ष रखने के आदेश दिए गए हैं। 


    यहां मिलीं गड़बड़ियां 
    गाजीपुर के मदरसा चश्मये रहमत ओरियंटल कॉलेज के प्रधानाचार्य व सात शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता अपूर्ण पाई गई। ऐसे ही मदरसा बुखारिया फरीदिया फखनपुर में 3 शिक्षक, दारुल उलूम कादरिया दाएरा शाह अहमद के प्रधानाचार्य व एक शिक्षक, मदरसा दारुल उलम अहले सुन्नत गौसिया मस्तान बाग बारा के प्रधानाचार्य व 3 शिक्षक और मदरसा जामिया करीमिया करीमपुरा के प्रधानाचार्य, छह शिक्षक व एक लिपिक की शैक्षिक योग्यता अपूर्ण पाई गई है। मिर्जापुर के मदरसा गौसिया इस्लामिया बेगपुर में शिक्षक-छात्र अनुपात मानक के विपरीत मिले। साथ ही मदरसे के प्रधानाचार्य, 4 शिक्षक व एक लिपिक शैक्षिक रूप से अयोग्य पाए गए हैं।


    शिक्षक संगठनों ने जांच व कार्रवाई पर उठाए सवाल
    ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिसे अरबिया के महासचिव वहीदउल्लाह खान सईदी ने रजिस्ट्रार को पत्र भेज कर मदरसा नियमावली-2016 के मानक से कार्रवाई पर सवाल उठाए हैं। उनका कहना है कि जितने भी मदरसों को पत्र भेज कर शिक्षकों की शैक्षिक योग्यता को अपूर्ण बताया गया है उनमें से ज्यादातर शिक्षकों की नियुक्ति नियमावली-1987 के मानकों पर हुई है। लिहाजा उनकी शैक्षिक योग्यता की जांच तत्कालीन नियमावली से की जाए। 

    मदरसा बोर्ड के पूर्व सदस्य हाजी दीवान साहेब जमां ने कहा कि सभी अनुदानित मदरसे मान्यता एवं सेवा नियमावली-1987 के मानकों पर हैं। वर्ष 2015 के बाद कोई भी मदरसा अनुदान सूची पर नहीं लिया गया है। ऐसे में नियमावली 2016 के अनुसार जांच अन्याय है।


     जांच में कई मदरसों में अलग-अलग कमियां पाई गई हैं। परीक्षण के बाद ही स्पष्ट संख्या पता चलेगी। जांच रिपोर्ट के हिसाब से मदरसों को नोटिस भेजकर उनको अपना पक्ष रखने के लिए तय तिथि पर बोर्ड कार्यालय में बुलाया गया था। फिलहाल उच्च न्यायालय से संबंधित केस की अधिकता से सभी मदरसों की सुनवाई की तय तिथि को निरस्त कर दिया गया है। – अंजना सिरोही, रजिस्ट्रार, मदरसा बोर्ड


    टीईटी मामले पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर देगा धरना

    टीईटी मामले पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ 11 दिसंबर को जंतर मंतर पर देगा धरना


    लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ अलग-अलग शिक्षक संगठन अपने स्तर से विरोध कर रहे हैं। इसी क्रम में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने इस आदेश को वापस लेने और शिक्षकों की सेवा सुरक्षा के लिए 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना-प्रदर्शन करने की घोषणा की है।


    सुशील कुमार पांडेय ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा टीईटी अनिवार्य करने के आदेश को वापस लेने के लिए पीएम व शिक्षा मंत्री को ज्ञापन भेजा गया।  30 नवंबर तक देशभर में हस्ताक्षर अभियान चलाया जाएगा, जिसकी प्रतियां राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय शिक्षा मंत्री को भेजी जाएंगी। लेकिन अब तक शिक्षक हित में कोई पहल नहीं हुई। ऐसे में संगठन ने 11 दिसंबर को जंतर-मंतर पर एक दिवसीय सांकेतिक धरना-प्रदर्शन करने का निर्णय लिया है।

    इसमें देश भर के शिक्षक संगठनों के प्रतिनिधि व शिक्षक शामिल होंगे। यदि इसके बाद भी केंद्र सरकार हमारी मांगों को लेकर सकारात्मक पहल नहीं करती है तो संघ फरवरी 2026 में रामलीला मैदान से संसद तक मार्च निकालेंगे। 

    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार

    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार

    रविवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की कार्यसमिति की बैठक में संघ के अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि पांच दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली महारैली में पूरे देश से दो लाख शिक्षक शामिल होंगे, जिनमें से एक लाख शिक्षक उत्तर प्रदेश से पहुंचेंगे। सभी राज्यों में रैली की तैयारी जोरों पर है और अब तक 14 राज्यों के संगठन इससे जुड़ चुके हैं।  

    अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संगठन न्यायालय में लड़ाई लड़ने के साथ ही टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए इस महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार तथा एनसीईटी से भी मांग करेगा। उन्होंने कहा कि इसी दौरान संसद सत्र भी चल रहा होगा, यह शिक्षकों के लिए अपनी ताकत का एहसास कराने का सही समय होगा। एकजुटता से शिक्षक महारैली में शामिल हों। 

    महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि रैली में जाने के लिए ब्लॉकवार शिक्षकों की संख्या निर्धारित कर दी गई है। शिक्षकों को ले जाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। महारैली में संगठन में शामिल देश के 14 राज्यों से भी दो लाख से अधिक शिक्षक दिल्ली पहुंचेंगे। 





    टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान  


    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षण सेवा में बने रहने व पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने नवंबर-दिसंबर में दिल्ली कूच का एलान किया है। लेकिन नवंबर अंत में होने वाले एक बड़े कार्यक्रम से अब इसकी संभावना नहीं है। यही वजह है कि नौ राज्यों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने अब पांच दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है।

    टीएफआई ने पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक कर 21 नवंबर को महारैली की घोषणा की थी। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि नवंबर के अंत में सिख समाज ने एक राष्ट्रीय आयोजन किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। इससे दिल्ली प्रशासन ने नवंबर में रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इसे देखते हुए हमने पांच दिसंबर को महारैली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। महारैली के माध्यम से हम 27 जुलाई 2011 को टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखने की मांग करेंगे ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।


    शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी कर रहा तैयारी

    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी 24 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। मोर्चा पदाधिकारियों के अनुसार इसमें यूपी से दो लाख से अधिक शिक्षक जाएंगे। इसके लिए सभी संघटक संगठनों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। मोर्चा ने टीईटी लागू होने से पहले शिक्षकों पर इसे थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।

    सभी प्रस्तावित कार्यक्रम

    🔴 अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का 24 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन
    🔴 अटेवा का 25 नवंबर को दिल्ली कूच मामले को लेकर पुरानी पेंशन व टीईटी का विरोध
    🔴 अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का जंतर मंतर पर धरना 11 दिसंबर को



    टीईटी को लेकर देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में करेंगे महारैली, नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने चुने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी

    दिल्ली की बैठक में यूपी के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा बने टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष

    कहा, 27 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता न्याय के खिलाफ


    लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी गई है। इसके विरोध में देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेंगे। इसके माध्यम से 27 जुलाई 2011 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की मांग करेंगे।


    यह निर्णय नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों द्वारा टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पहले संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड के राम मूर्ति ठाकुर महासचिव, संजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शिवशंकर पांडेय कोषाध्यक्ष व देवेंद्र श्रीवास्तव संयुक्त महासचिव चुने गए। 

    राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने कहा कि 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू करना न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। पूरे देश का शिक्षक इसके खिलाफ हैं इसलिए 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने के लिए देश भर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में महारैली कर केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे। महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी कानून बनने की तिथि से लागू होता है किंतु शिक्षकों पर पूर्व से लागू करके लाखों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।


    ये पदाधिकारी भी चुने गए
    उपाध्यक्ष पद पर अनूप केसरी, केदार जैन, मुनीष मिश्रा, विनोद यादव, राधेरमण त्रिपाठी, राजेश धर दुबे, मेघराज भाटी, बालेंद्र चौधरी, दीपक शर्मा, वंदना सक्सेना चुने गए। सचिव पद पर संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा, अनुज कुमार, त्रिवेंद्र कुमार, राजेश लिटौरिया, देवेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अर्चना तिवारी, कल्पना रजौरिया चुने गए। अरुणेंद्र वर्मा व अजय सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।




    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ आंदोलन के लिए साथ आए नौ राज्यों के शिक्षक, बनाया नया संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) 

    दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में तय होगी रैली की तिथि, पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा


    लखनऊ। देशभर के लाखों स्कूली शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए यूपी समेत नौ राज्यों के शिक्षक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने आंदोलन के लिए नए संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) का गठन किया है। इसके माध्यम से आगे का आंदोलन संचालित किया जाएगा।


    टीईटी मामले में आंदोलन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षक संगठन एक साथ एक मंच पर आए हैं। इसी क्रम में टीएफआई की पहली बैठक 25 नवंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें दिल्ली रैली के लिए तिथि तय की जाएगी। साथ ही इसमें संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा।

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर के संयोजन में टीएफआई का गठन हुआ है। 25 अक्टूबर की बैठक में फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिर नई कमेटी टीईटी के विरुद्ध दिल्ली में होने वाली रैली की तिथि की घोषणा करेगी। 

    उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने के पहले राज्य सरकारों व एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्त किया गया है। अब 20-25 साल पहले नियुक्त शिक्षक को वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता अर्जित करने को विवश करना कैसा न्याय है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं होता इसके विरुद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा।

    Sunday, November 9, 2025

    बेसिक शिक्षा में कई ऐप्स होने से काम हुआ जटिल, चाहिए एक प्लेटफॉर्म, निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोग सब पर करनी होती है रिपोर्टिंग

    ऐप में उलझे शिक्षक, पढ़ाने से ज्यादा रिपोर्टिंग में अटके, विभाग की मंशा डिजिटल सुविधा बढ़ाने की, पर उलझन में शिक्षक

    शिक्षक बोले, कई ऐप्स होने से काम हुआ जटिल, चाहिए एक प्लेटफॉर्म, निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोग सब पर करनी होती है रिपोर्टिंग

    बिल्डथान प्रतियोगिता बनी नई चुनौती, छात्र को 24 वीडियो दिखने के बाद उनके आइडिया को यूट्यूब पर करना है अपलोड


    सुबह के आठ बजते ही परिषदीय विद्यालयों में बच्चों की चहक और मासूम हंसी गूंज उठती है। कहीं प्रार्थना की ध्वनि, तो कहीं बच्चों की गुड मॉर्निंग, सर की सामूहिक पुकार वातावरण में गूंजती है, लेकिन इस खुशनुमा माहौल के बीच प्रधानाध्यापक और शिक्षक मोबाइल स्क्रीन में उलझे रहते हैं। कोई प्रेरणा ऐप न खुलने से परेशान है, तो कोई निपुण लक्ष्य ऐप पर छात्रों की प्रगति रिपोर्ट भरने में जूझ रहा है। कभी नेटवर्क कमजोर पड़ता है, तो कभी डेटा अपलोड अधूरा रह जाता है। 


    डिजिटल युग की यह तस्वीर अब शिक्षण व्यवस्था की नई हकीकत बन चुकी है, जहां बच्चों के बीच खड़ा शिक्षक अब किताबों से ज्यादा ऐप्स में व्यस्त दिखाई देता है। शिक्षकों का कहना है कि उनके फोन में अब तक 40 से अधिक ऐप इंस्टॉल हैं। निपुण लक्ष्य, प्रेरणा, दीक्षा, कर्मयोगी भारत, पीएफएमएस, ई-कवच, यू-डायस, शारदा, समर्थ, खेलो इंडिया, फिट इंडिया, निष्ठा, परख, प्रेरणा डीबीटी, ज्ञान समीक्षा, किताब वितरण, स्वच्छ विद्यालय, हरितिमा अमृत वन और कई अन्य ऐप इन सभी पर हर दिन रिपोर्टिंग करनी होती है।


    वर्तमान में शिक्षकों के लिए चुनौती 'बिल्डथान प्रतियोगिता' बन गई है। इसके तहत कक्षा छह से आठ तक के सभी छात्रों को 24 अंग्रेजी वीडियो दिखाने हैं। वीडियो देखने के बाद क्विज कराना, 60 प्रतिशत पासिंग के बाद उनके इनोवेशन आइडिया लेना, फिर उस आइडिया का मॉडल बनवाना, उसका वीडियो तैयार कर यूट्यूब पर अपलोड करना यह सब शिक्षकों को ही करना पड़ता है। एक शिक्षक ने कहा कि छात्रों के पास मोबाइल नहीं होते, इसलिए हमें अपने फोन से वीडियो चलाकर दिखाने पड़ते हैं।


    डिजिटल सुधार की मंशा, पर उलझन में शिक्षक

    शिक्षा विभाग का कहना है कि ये सभी ऐप शिक्षण व्यवस्था को पारदर्शी और परिणाममूलक बनाने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन जमीनी हकीकत इससे अलग है। शिक्षक कहते हैं कि ऐप्स की अधिकता से शिक्षण और प्रशिक्षण दोनों प्रभावित हुए हैं। अब तो दीक्षा ऐप के दो संस्करण हो गए हैं, प्रेरणा और निपुण लक्ष्य अलग हैं, कर्मयोगी ऐप पर ट्रेनिंग लेनी है और अब नया टीचर ऐप भी आ गया है।

    Fee Refund Policy by the UGC : फीस वापसी नियम का पालन न करने पर कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी : यूजीसी

    Fee Refund Policy by the UGC : फीस वापसी नियम का पालन न करने पर कॉलेजों की मान्यता रद्द होगी : यूजीसी

    राज्यों के मुख्य सचिवों और विश्वविद्यालयों को लिखा पत्र


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    नई दिल्ली। छात्रों और अभिभावकों के लिए राहत की खबर है। अगर कोई छात्र छात्र किसी भी कारण से दाखिला लेने के बाद कालेज छोड़ता है तो कॉलेज प्रबंधन को उसकी फीस वापस करनी अनिवार्य है। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सभी राज्यों के मुख्य सचिवों और विश्वविद्यालयों को पत्र लिखा है।

    इसमें कहा गया कि कोई उच्च शिक्षण संस्थान किसी छात्र की फीस और उसके अकादमिक सर्टिफिकेट को नहीं रख सकता है। नियम न मानने पर मान्यता रदद, सभी प्रकार की ग्रांट रोकने, किसी प्रोग्राम में एक साल या उससे अधिक समय तक दाखिले पर रोक, जुर्माना से लेकर राज्य सरकारों के संस्थानों के खिलाफ स्टेट एक्ट के तहत कार्रवाई की जाएगी।

    यूजीसी के सचिव प्रोफेसर मनीष जोशी ने इस संबंध में सभी राज्य सरकारों और विश्वविद्यालय प्रशासन को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया कि यूजीसी के बार-बार निर्देशों के बाद कई शिक्षण संस्थान छात्र के कॉलेज छोड़ने पर फीस वापस नहीं कर रहे हैं।

    इसके अलावा दाखिले के बाद मूल सर्टिफिकेट तक वापस नहीं किए जा रहे हैं। राज्य सरकारों से आग्रह है कि वे अपने उच्च शिक्षण संस्थानों में फीस वापसी के नियमों को लागू करवाएं। 

    दो शैक्षणिक सत्र में 22 जिलों ने स्कूल जीर्णोद्धार के लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत नहीं मांगी धनराशि, योजना में में अफसर नहीं ले रहे रुचि

    दो शैक्षणिक सत्र में 22 जिलों ने स्कूल जीर्णोद्धार के लिए प्रोजेक्ट अलंकार के तहत नहीं मांगी धनराशि, योजना में में अफसर नहीं ले रहे रुचि


    प्रयागराज । प्रोजेक्ट अलंकार के तहत प्रदेश के सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों के जीर्णोद्धार की योजना में अफसर रुचि नहीं ले रहे। प्रदेश के कानपुर समेत 22 जिले ऐसे हैं जिन्होंने पिछले दो शैक्षणिक सत्र में एक भी प्रस्ताव नहीं भेजा है। इसे लेकर शासन की सख्ती पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन 22 जिलों के अधिकारियों से तत्काल प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं। इनमें कानपुर के 113 स्कूल शामिल हैं। शासन की सख्ती पर माध्यमिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन 22 जिलों के अधिकारियों से तत्काल प्रस्ताव भेजने के निर्देश दिए हैं।


    इस योजना के तहत चयनित एडेड कॉलेजों में आधारभूत सुविधाओं के लिए अनुमानित बजट का 75 प्रतिश सरकार देती है और 25 प्रतिशत संस्था प्रबंधन को देना होता है। कॉलेज 25 प्रतिशत की धनराशि सांसद-विधायक निधि से, बड़ी कंपनियों के कारपोरेट सोशल लोगों, रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) के मद से और पुरा छात्रों, क्षेत्र के गणमान्य/प्रतिष्ठित जनप्रतिधियों, किसी व्यक्ति या संस्था से प्राप्त कर सकते हैं। अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेन्द्र कुमार तिवारी ने डिफाल्टर 22 जिलों के अफसरों से जीर्णोद्धार का प्रस्ताव भेजने का निर्देश दिया है।


    कानपुर नगर, आगरा में 100 से अधिक कॉलेज

    जिन 22 जिलों से जीर्णोद्धार के लिए प्रस्ताव नहीं मिला है उनमें सबसे ऊपर कानपुर नगर का नाम है क्योंकि यहां सर्वाधिक 113 स्कूल हैं। आगरा में 109, हरदोई व फतेहपुर में 72-72, बागपत व मुजफ्फरनगर में 71.71, कन्नौज 59, सुल्तानपुर 58, मैनपुरी 53, गौतमबुद्धनगर व हापुड़ 45-45, संभल 37, चंदौली 34 समेत अन्य जिलों के नाम है।

    उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

    लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध हुआ तेज

    प्रयागराज। लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध तेज हो गया है। यह फैसला वापस लेने के लिए कर्मचारियों ने स्थानीय मंत्रियों, विधायकों एवं अन्य नेताओं को पत्र लिखा है। सोमवार को संघ की आमसभा में आंदोलन की रणनीति तय होगी।

     कर्मचारियों का यह भी कहना है कि कैंप कार्यालय के लिए जो स्थान चिह्नित किया गया है वह सचिवालय से 35 से 40 किमी दूर है। पूरा रास्ता जाम वाला है। ऐसे में कैंप कार्यालय वहां ले जाने का भी कोई औचित्य नहीं है। 

    इसके विरोध में उत्तर प्रदेश शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा। संघ के मंत्री सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक में बात रखी जाएगी। इसमें फैसले को आमसभा में रखा जाएगा। 


    उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

    मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

    प्रयागराज । उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोलने का विरोध मुखर हो गया है। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी हस्तक्षेप किया है। साथ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र लिखा है।

    कार्यालय लखनऊ ले जाने से संबंधित निदेशालय के एक पत्र का हवाला देते हुए भी कर्मचारी शासन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। शासन की ओर से उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ शिफ्ट करने का फैसला लिया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इसकी प्रक्रिया रोक दी गई लेकिन विवाद थमा नहीं है।

    लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश जारी किया गया जिसके लिए निदेशालय स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के अनुसार, मार्च में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भी कार्यालय लखनऊ ले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया गया था। इसके बाद कैंप कार्यालय का मुद्दा शांत रहा लेकिन शुक्रवार को अचानक लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी हो गया।

    इसके विरोध में कर्मचारी संघ के महामंत्री ने लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय में मांग पत्र सौंपकर इस आदेश को निरस्त करने की मांग की। संघ के पदाधिकारियों ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेताओं को भी इस बाबत मांग पत्र सौंपा।

    संघ के मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उप मुख्यमंत्री का जवाब भी आया है। उन्होंने कर्मचारियों की मांग पत्र पर प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिए हैं। सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।




    उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खुलेगा, शासनादेश जारी

    फिलहाल लखनऊ के राजकीय महाविद्यालय से कार्यालय संचालन की तैयारी, निदेशक पूरी करेंगे आवश्यक कार्रवाई

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। शासन की ओर से आदेश जारी कर उच्च शिक्षा निदेशक से इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। फिलहाल कैंप कार्यालय सरोजनी नगर के लतीफ नगर में नवनिर्मित राजकीय महाविद्यालय परिसर में खोला जाएगा।

    माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में है। अब उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। पूर्व में भी इस बाबत आदेश जारी किया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया था। शासन की ओर से अब एक बार फिर लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी किया गया है। इसे लेकर विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से उच्च निदेशक को पत्र लिखा गया है। पत्र के अनुसार पिछले दिनों समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया ताकि प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ शासकीय कार्यों को त्वरित और प्रभावी तरीके से निस्तारित किया जा सके।

    नया भवन मिलने तक कैंप कार्यालय लखनऊ में सरोजनी नगर स्थित राजकीय महाविद्यालय परिसर से संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशक को आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया है। 


    मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा : शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का विरोध किया गया। संघ की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपकर यह आदेश निरस्त करने की मांग की गई। कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री प्रयागराज के गौरव के लिए लगातार प्रयासरत हैं लेकिन यह आदेश शिक्षा नगरी की गरिमा के साथ अन्याय है। लय. उत्तर प्रदेश उनका कहना था कि निदेशालय में एक करोड़ रुपये की लागत से ई-कंटेंट स्टूडियो स्थापित किया गया है। इसके माध्यम से निदेशालय के अधिकारी और शासन के अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीधे जुड़कर कार्यों को निस्तारित कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से लखनऊ में निदेशालय का कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश निरस्त करने की मांग की।



    शासन से मांगी गाइडलाइन

    शासन से आदेश आने के बाद कैंप कार्यालय के स्वरूप, इसमें किन-किन अफसरों और कर्मचारियों की तैनाती होगी, जरूरी कागजातों की शिफ्टिंग आदि बिंदुओं पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए शासन से गाइडलाइन भी मांगी गई है। अफसरों का कहना है कि जरूरी कार्रवाई कर जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर कैंप कार्यालय के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।


    उठने लगे कर्मचारियों के विरोध के स्वर

    लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने के आदेश से निदेशालय में हलचल तेज होने के साथ कर्मचारियों के विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोले जाने का तीव्र विरोध किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा का भी कैंप कार्यालय लखनऊ में है लेकिन धीरे-धीरे निदेशालय के ज्यादातर काम वहीं चले गए। यहां महज औपचारिकता भर रह गई है। 

    आशंका है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय खुलने से उच्च शिक्षा निदेशालय का भी यही अंजाम होगा। धीरे-धीरे सभी काम वहीं चले जाएंगे। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि शासन की मंशा है कि सभी विभागों के मुख्यालय लखनऊ में शिफ्ट कर दिए जाएं। पुलिस मुख्यालय, निबंधन कार्यालय, राजस्व परिषद समेत कई विभागों के ज्यादातर काम लखनऊ शिफ्ट हो चुके हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोला जाना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।