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Tuesday, August 22, 2119

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    Tuesday, December 2, 2025

    एडेड स्कूलों के छात्रों को भी रोजगारपरक कौशल का प्रशिक्षण, कौशल विकास मिशन ने शुरू की तैयारी, अभी राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को मिल रहा लाभ

    एडेड स्कूलों के छात्रों को भी रोजगारपरक कौशल का प्रशिक्षण, कौशल विकास मिशन ने शुरू की तैयारी, अभी राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को मिल रहा लाभ


    लखनऊ। प्रदेश के चार हजार से अधिक अशासकीय सहायता प्राप्त (एडेड) माध्यमिक विद्यालयों के लाखों छात्रों को अब कौशल विकास प्रशिक्षण का लाभमिलेगा। उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन ने इसके लिए तैयारी शुरू कर दी है। फिलहाल यह लाभ केवल राजकीय माध्यमिक विद्यालयों के छात्रों को दिया जा रहा था।

    राजकीय माध्यमिक विद्यालयों में प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत कक्षा 9 से 12 तक के विद्यार्थियों को आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, फैशन डिजाइनिंग, आईटी एवं इलेक्ट्रॉनिक्स, हेल्थकेयर सहित विभिन्न क्षेत्रों में कौशल प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसके लिए विद्यालयों में स्किल लैब भी स्थापित की गई हैं, ताकि छात्रों को प्रायोगिक ज्ञान मिल सके।


    हाल ही में व्यावसायिक शिक्षा मंत्री कपिलदेव अग्रवाल की अध्यक्षता में हुई बैठक में निर्देश दिया गया कि अब एडेड विद्यालयों के छात्रों को भी इस योजना में शामिल किया जाए। मिशन को इसके लिए सभी आवश्यक तैयारियां पूरी करने को कहा गया है, ताकि अधिक से अधिक छात्रों को रोजगार के लिए कौशल उपलब्ध कराया जा सके। इंटरमीडिएट के बाद छात्रों के पास एक अतिरिक्त कौशल की डिग्री होगी, जिससे वे नौकरी के साथ-साथ स्वरोजगार के अवसर भी प्राप्त कर सकेंगे।


    अनियमितता बरती तो ब्लैकलिस्ट होंगी प्रशिक्षण दे रहीं संस्थाएं

    लखनऊ। कौशल विकास मिशन निदेशक पुलकित खरे ने सोमवार को डीसी व एमआईएस प्रबंधकों की जिलेवार समीक्षा की। उन्होंने कहा कि प्रोजेक्ट प्रवीण के तहत राजकीय व एडेड विद्यालयों में अधिक से अधिक विद्यार्थियों को कौशल प्रशिक्षण देना सरकार का लक्ष्य है।

    किसी भी प्रशिक्षण प्रदाता द्वारा अनियमितता में उन्हें ब्लैकलिस्ट किया जाएगा। उन्होंने संबंधित प्रशिक्षण संस्थाओं को लिखित सूचना जारी करने के निर्देश दिए। मिशन निदेशक ने निर्देश दिया कि सभी मंडलों में मंडल स्तरीय प्रतियोगिता 10 दिसंबर तक अनिवार्य रूप से आयोजित की जाए। इसके बाद हर कौशल क्षेत्र से अवरोही क्रम में पांच-पांच पात्र अभ्यर्थियों के नाम मिशन कार्यालय को उपलब्ध कराएं। मिशन निदेशक ने जीरो पॉवर्टी

    अभियान में चिह्नित परिवारों व स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं को कौशल प्रशिक्षण देकर उन्हें स्वरोजगार से जोड़ने की दिशा में मिशन काम करें। उन्होंने कहा कि पिछले तीन साल में प्रशिक्षित ऐसे युवाओं का डाटाबेस बनाएं जिन्हें अब तक रोजगार नहीं मिला है। इनको हर माह 21 तारीख को आईटीआई में होने वाले रोजगार मेले में सहभागिता कराई जाए। 

    बीएलओ की मौतों पर भड़के यूपी के शिक्षक, बोले- हमारा काम केवल पढ़ाना

    बीएलओ की मौतों पर भड़के यूपी के शिक्षक,  बोले- हमारा काम केवल पढ़ाना

    01 दिसम्बर 2025
     लखनऊः विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) अभियान में तैनात कई बीएलओ (बूथ लेवल आफिसर) की मौत के बाद पूरे प्रदेश में शिक्षक संगठनों में आक्रोश है। संगठनों का कहना है कि शिक्षकों का मूल कार्य बच्चों को पढ़ाना है, लेकिन प्रशासन उन्हें जबरन निर्वाचन संबंधी कठिन और दबाव भरे कामों में लगा रहा है, जिससे उनकी मानसिक स्थिति प्रभावित हो रही है। कई शिक्षकों को पहली बार यह जिम्मेदारी मिली है। तकनीकी दिक्कतों, जनसहयोग की कमी और लक्ष्य पूरा न होने पर दिए जा रहे दंडात्मक निर्देशों के कारण वे भारी तनाव में हैं।

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष सुशील कुमार पांडे ने कहा कि मौजूदा हालात शिक्षक समाज में भय और असुरक्षा पैदा कर रहे हैं। यह शिक्षा का अधिकार अधिनियम का उल्लंघन है। संगठन ने मांग की है कि मृत शिक्षकों के परिवारों को एक करोड़ रुपये का मुआवजा, परिजन को सरकारी नौकरी, माता पिता के लिए स्वास्थ्य बीमा और बच्चों की निश्शुल्क शिक्षा दी जाए। 10 दिसंबर से परीक्षाएं शुरू होने जा रही हैं और उसके बाद निपुण आकलन होना है। ऐसे में विद्यालयों में स्टाफ की कमी से परीक्षाएं प्रभावित होंगी। इसलिए सभी शिक्षकों को बीएलओ ड्यूटी से तुरंत मुक्त किया जाए।



    शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी से हटाने की मांग, शिक्षक संगठनों ने बीएलओ के आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री से लगाई गुहार

    कहा- स्कूलों में प्रभावित हो रही पढ़ाई, बच्चों की तैयारी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत

    दिवंगत बीएलओ के परिजनों को नौकरी और 50 लाख मुआवजा देने की मांग

    27 नवंबर 2025
    लखनऊ। शिक्षक संगठनों ने विभिन्न स्थानों पर बीएलओ के आत्महत्या के मामलों पर चिंता जताई है। संगठनों का कहना है कि काम के दबाव के चलते बीएलओ विपरीत कदम उठाने को मजबूर हो रहे हैं। इससे शिक्षकों में भी भय व्याप्त है। संगठनों ने सीएम से शिक्षकों को बीएलओ की ड्यूटी से हटाने की मांग की है। साथ ही काम का तनावमुक्त माहौल बनाने की मांग उठाई है।


    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी व महामंत्री उमाशंकर सिंह ने सीएम को पत्र भेजकर यह मांग उठाई है। इसमें उन्होंने कहा है कि शिक्षकों की बीएलओ ड्यूटी लगने से परिषदीय विद्यालयों में पठन-पाठन भी प्रभावित हो रहा है।

    शिक्षा के अधिकार अधिनियम में भी शिक्षकों से गैर शैक्षणिक कार्य लिए जाने पर स्पष्ट रोक है। परिषदीय स्कूलों में 10 दिसंबर से अर्द्धवार्षिक परीक्षाएं प्रस्तावित हैं ऐसे में इस समय बच्चों की तैयारी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

    उप्र बीटीसी शिक्षक संघ ने बीएलओ पर अधिकारियों द्वारा दबाव बनाने का आरोप लगाया है। संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने मांग की दिवंगत बीएलओ के परिजनों को सरकारी नौकरी और 50 लाख रुपये का आर्थिक सहयोग दिया जाए।

    साथ ही एसआईआर के काम का समय बढ़े और बीएलओ के सहयोग के लिए दो अन्य कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई जाए। अनिल ने कहा, जिन अधिकारियों दबाव के चलते बीएलओ विपरीत कदम उठाने को मजबूर हुए हैं उसकी जांच कराके दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए

    कर्मचारियों के विरोध के बीच लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय 10 दिसंबर से खोलने की तैयारी

    कर्मचारियों के विरोध के बीच लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय 10 दिसंबर से खोलने की तैयारी

    01 दिसम्बर 2025
    प्रयागराज। कर्मचारियों के विरोध के बीच उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में दस दिसंबर से खोलने की तैयारी है। शासन के विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी ने उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. अमित भारद्वाज को 30 अक्तूबर को कैंप कार्यालय का संचालन नवनिर्मित राजकीय महाविद्यालय लतीफनगर, सरोजनीनगर लखनऊ से करने के लिए तत्काल आवश्यक कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे।

    इस बीच कैंप कार्यालय संचालन की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। विशेष सचिव से अनुमोदन पत्र भी निदेशालय को मिल चुका है। फिलहाल उच्च शिक्षा निदेशक सप्ताह में तीन दिन लखनऊ और चार दिन प्रयागराज में बैठेंगे। इसके साथ ही एक अपर निदेशक भी लखनऊ कैंप कार्यालय में तैनात रहेंगे। प्रयागराज से छह विभागों को लखनऊ स्थानांतरित करने की तैयारी है। कैंप कार्यालय के लिए 15 कर्मचारियों का तबादला लखनऊ किया जाएगा।

    कैंप कार्यालय को लेकर कर्मचारियों का विरोध जारी

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोले जाने को लेकर कर्मचारियों का विरोध जारी है। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की सामान्य सभा में लिए गए निर्णय के अनुसार कैंप कार्यालय खोलने संबंधी शासनादेश निरस्त कराने के लिए जिले के जनप्रतिनिधियों से मिलकर अनुरोध कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मंत्री सुरेन्द्र कुमार सिंह का कहना है कि शासनादेश निरस्त कराने के लिए अब तक कैबिनेट मंत्री नन्द गोपाल गुप्ता 'नन्दी', सांसद फूलपुर प्रवीण पटेल, महापौर गणेश केशरवानी, एमएलसी सुरेन्द्र चौधरी, विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी, दीपक पटेल व गुरू प्रसाद मौर्य मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर अनुरोध कर चुके हैं।



    लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध हुआ तेज

    09 नवंबर 2025
    प्रयागराज। लखनऊ में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोलने का विरोध तेज हो गया है। यह फैसला वापस लेने के लिए कर्मचारियों ने स्थानीय मंत्रियों, विधायकों एवं अन्य नेताओं को पत्र लिखा है। सोमवार को संघ की आमसभा में आंदोलन की रणनीति तय होगी।

     कर्मचारियों का यह भी कहना है कि कैंप कार्यालय के लिए जो स्थान चिह्नित किया गया है वह सचिवालय से 35 से 40 किमी दूर है। पूरा रास्ता जाम वाला है। ऐसे में कैंप कार्यालय वहां ले जाने का भी कोई औचित्य नहीं है। 

    इसके विरोध में उत्तर प्रदेश शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ ने जन प्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा। संघ के मंत्री सुरेंद्र सिंह का कहना है कि सोमवार को कार्यकारिणी की बैठक में बात रखी जाएगी। इसमें फैसले को आमसभा में रखा जाएगा। 


    उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का विरोध, कैंप कार्यालय के औचित्य को नकारने वाले निदेशालय के पत्र का भी हवाला दे रहे कर्मचारी

    मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री ने प्रमुख सचिव को लिखा पत्र

    प्रयागराज । उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोलने का विरोध मुखर हो गया है। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की मांग पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने भी हस्तक्षेप किया है। साथ में प्रमुख सचिव उच्च शिक्षा को पत्र लिखा है।

    कार्यालय लखनऊ ले जाने से संबंधित निदेशालय के एक पत्र का हवाला देते हुए भी कर्मचारी शासन के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। शासन की ओर से उच्च शिक्षा निदेशालय को लखनऊ शिफ्ट करने का फैसला लिया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इसकी प्रक्रिया रोक दी गई लेकिन विवाद थमा नहीं है।

    लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश जारी किया गया जिसके लिए निदेशालय स्तर पर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। कर्मचारियों के अनुसार, मार्च में उच्च शिक्षा निदेशालय की ओर से अपर मुख्य सचिव को पत्र लिखकर भी कार्यालय लखनऊ ले जाने के औचित्य पर सवाल उठाया गया था। इसके बाद कैंप कार्यालय का मुद्दा शांत रहा लेकिन शुक्रवार को अचानक लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी हो गया।

    इसके विरोध में कर्मचारी संघ के महामंत्री ने लखनऊ में मुख्यमंत्री कार्यालय में मांग पत्र सौंपकर इस आदेश को निरस्त करने की मांग की। संघ के पदाधिकारियों ने उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य समेत अन्य नेताओं को भी इस बाबत मांग पत्र सौंपा।

    संघ के मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि उप मुख्यमंत्री का जवाब भी आया है। उन्होंने कर्मचारियों की मांग पत्र पर प्रमुख सचिव को पत्र लिखकर आवश्यक निर्देश दिए हैं। सुरेंद्र कुमार सिंह का कहना है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय का हर स्तर पर विरोध किया जाएगा।




    उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खुलेगा, शासनादेश जारी

    फिलहाल लखनऊ के राजकीय महाविद्यालय से कार्यालय संचालन की तैयारी, निदेशक पूरी करेंगे आवश्यक कार्रवाई

    प्रयागराज। उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। शासन की ओर से आदेश जारी कर उच्च शिक्षा निदेशक से इसके लिए आवश्यक कार्रवाई करने को कहा गया है। फिलहाल कैंप कार्यालय सरोजनी नगर के लतीफ नगर में नवनिर्मित राजकीय महाविद्यालय परिसर में खोला जाएगा।

    माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में है। अब उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय भी लखनऊ में खोला जाएगा। पूर्व में भी इस बाबत आदेश जारी किया गया था लेकिन कर्मचारियों के तीव्र विरोध के बाद इस फैसले को स्थगित कर दिया गया था। शासन की ओर से अब एक बार फिर लखनऊ में कैंप कार्यालय खोलने का आदेश जारी किया गया है। इसे लेकर विशेष सचिव गिरिजेश कुमार त्यागी की ओर से उच्च निदेशक को पत्र लिखा गया है। पत्र के अनुसार पिछले दिनों समीक्षा बैठक में यह निर्णय लिया गया ताकि प्रशासनिक दक्षता बढ़ाने के साथ शासकीय कार्यों को त्वरित और प्रभावी तरीके से निस्तारित किया जा सके।

    नया भवन मिलने तक कैंप कार्यालय लखनऊ में सरोजनी नगर स्थित राजकीय महाविद्यालय परिसर से संचालित करने का निर्णय लिया गया है। इसके लिए उच्च शिक्षा निदेशक को आवश्यक कार्रवाई पूरी करने के लिए कहा गया है। 


    मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा : शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने का विरोध किया गया। संघ की ओर से मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपकर यह आदेश निरस्त करने की मांग की गई। कर्मचारियों का कहना था कि मुख्यमंत्री प्रयागराज के गौरव के लिए लगातार प्रयासरत हैं लेकिन यह आदेश शिक्षा नगरी की गरिमा के साथ अन्याय है। लय. उत्तर प्रदेश उनका कहना था कि निदेशालय में एक करोड़ रुपये की लागत से ई-कंटेंट स्टूडियो स्थापित किया गया है। इसके माध्यम से निदेशालय के अधिकारी और शासन के अफसर वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सीधे जुड़कर कार्यों को निस्तारित कर रहे हैं। संघ के अध्यक्ष घनश्याम यादव और मंत्री सुरेंद्र कुमार सिंह ने ज्ञापन के माध्यम से लखनऊ में निदेशालय का कैंप कार्यालय खोले जाने का आदेश निरस्त करने की मांग की।



    शासन से मांगी गाइडलाइन

    शासन से आदेश आने के बाद कैंप कार्यालय के स्वरूप, इसमें किन-किन अफसरों और कर्मचारियों की तैनाती होगी, जरूरी कागजातों की शिफ्टिंग आदि बिंदुओं पर मंथन शुरू हो गया है। इसके लिए शासन से गाइडलाइन भी मांगी गई है। अफसरों का कहना है कि जरूरी कार्रवाई कर जल्द ही प्रस्ताव तैयार कर कैंप कार्यालय के संचालन की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।


    उठने लगे कर्मचारियों के विरोध के स्वर

    लखनऊ में कैंप कार्यालय खोले जाने के आदेश से निदेशालय में हलचल तेज होने के साथ कर्मचारियों के विरोध के स्वर भी उठने लगे हैं। शिक्षा निदेशालय मिनिस्टीरियल कर्मचारी संघ की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय लखनऊ में खोले जाने का तीव्र विरोध किया गया। कर्मचारियों का कहना है कि माध्यमिक एवं बेसिक शिक्षा का भी कैंप कार्यालय लखनऊ में है लेकिन धीरे-धीरे निदेशालय के ज्यादातर काम वहीं चले गए। यहां महज औपचारिकता भर रह गई है। 

    आशंका है कि लखनऊ में कैंप कार्यालय खुलने से उच्च शिक्षा निदेशालय का भी यही अंजाम होगा। धीरे-धीरे सभी काम वहीं चले जाएंगे। कर्मचारियों का यह भी कहना है कि शासन की मंशा है कि सभी विभागों के मुख्यालय लखनऊ में शिफ्ट कर दिए जाएं। पुलिस मुख्यालय, निबंधन कार्यालय, राजस्व परिषद समेत कई विभागों के ज्यादातर काम लखनऊ शिफ्ट हो चुके हैं। कर्मचारियों को आशंका है कि उच्च शिक्षा निदेशालय का कैंप कार्यालय खोला जाना भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है।

    टीईटी के विरोध में शिक्षक सांसदों को देंगे ज्ञापन, संसद सत्र के बाद होगी TFI की दिल्ली में रैली

    टीईटी के विरोध में शिक्षक सांसदों को देंगे ज्ञापन, संसद सत्र के बाद होगी TFI की दिल्ली में रैली

    लखनऊ। बेसिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद दस राज्यों के संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने दिल्ली में रैली ही करने का निर्णय लिया है। इसके लिए संसद सत्र के बाद फिर से अनुमति ली जाएगी। इस बीच 5 से 7 दिसंबर तक शिक्षक क्षेत्रीय सांसदों को प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन देंगे।

    टीएफआई व उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की सोमवार को हुई अलग-अलग बैठकों में दिल्ली पुलिस द्वारा पांच दिसंबर की रैली की अनुमति निरस्त किए जाने के बाद की रणनीति तय की गई। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि सभी राज्यों के शिक्षक संगठन दिल्ली में सीमित संख्या में नहीं, बल्कि शिक्षकों की बड़ी रैली ही करेंगे।

    रैली की तिथि दिल्ली पुलिस की अनुमति के बाद घोषित की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक में तय हुआ कि सांसदों को दिए जाने वाले ज्ञापनों में आरटीई लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों पर इसको लागू न करने की मांग की जाएगी। सांसदों से संसद में इस मुद्दे को उठाने का आग्रह किया जाएगा ताकि लाखों शिक्षकों का हित सुरक्षित हो सके। 

    बता दें, संगठन ने पहले 21 नवंबर और फिर दिल्ली पुलिस के कहने पर 5 दिसंबर को रामलीला मैदान में रैली की घोषणा की थी। पर, हाल ही में दिल्ली पुलिस ने 5 दिसंबर की रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इससे शिक्षकों में नाराजगी है। 







    टीईटी अनिवार्यता के विरोध में पांच दिसंबर को दिल्ली में होने वाली रैली की अनुमति निरस्त

    दिल्ली पुलिस ने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया को भेजी सूचना

    30 नवंबर 2025
    लखनऊ। दस प्रदेशों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की पांच दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में होने वाली रैली की अनुमति को दिल्ली पुलिस ने निरस्त कर दिया है। अब सोमवार को शिक्षक संगठन ऑनलाइन बैठक कर आगे की रणनीति तय करेंगे।

    देशभर के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद यूपी समेत दस राज्यों ने टीएफआई का गठन किया था। साथ ही टीईटी अनिवार्यता समाप्त किए जाने के लिए पांच दिसंबर को दिल्ली में रैली करने की घोषणा की थी। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि दिल्ली पुलिस ने हाल ही में कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए पांच दिसंबर को रैली की अनुमति निरस्त कर दिया है।

    माना जा रहा है कि शीतकालीन सत्र भी शुरू हो रहा है। शायद इसी वजह से रैली की अनुमति निरस्त कर दी गई है। सोमवार को संगठन के पदाधिकारियों की बैठक में आगे की रणनीति तय की जाएगी। हमारा प्रयास है कि देश भर के प्रभावित शिक्षकों को इससे राहत दिलाई जाए। इसके लिए सभी मिलकर रैली के लिए आगे की भी कोई तिथि या निर्णय ले सकते हैं।



    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ 5 दिसंबर को दिल्ली कूच को शिक्षक तैयार

    10 नवंबर 2025
    रविवार को लखनऊ में उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ की कार्यसमिति की बैठक में संघ के अध्यक्ष डा. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि पांच दिसंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में आयोजित होने वाली महारैली में पूरे देश से दो लाख शिक्षक शामिल होंगे, जिनमें से एक लाख शिक्षक उत्तर प्रदेश से पहुंचेंगे। सभी राज्यों में रैली की तैयारी जोरों पर है और अब तक 14 राज्यों के संगठन इससे जुड़ चुके हैं।  

    अध्यक्ष शर्मा ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ संगठन न्यायालय में लड़ाई लड़ने के साथ ही टीईटी की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए इस महारैली के माध्यम से केंद्र सरकार तथा एनसीईटी से भी मांग करेगा। उन्होंने कहा कि इसी दौरान संसद सत्र भी चल रहा होगा, यह शिक्षकों के लिए अपनी ताकत का एहसास कराने का सही समय होगा। एकजुटता से शिक्षक महारैली में शामिल हों। 

    महामंत्री संजय सिंह ने बताया कि रैली में जाने के लिए ब्लॉकवार शिक्षकों की संख्या निर्धारित कर दी गई है। शिक्षकों को ले जाने के लिए प्रत्येक ब्लॉक के पदाधिकारियों को जिम्मेदारी दी गई है। महारैली में संगठन में शामिल देश के 14 राज्यों से भी दो लाख से अधिक शिक्षक दिल्ली पहुंचेंगे। 





    टीईटी अनिवार्यता पर TFI की महारैली अब 5 दिसंबर को, दिल्ली प्रशासन द्वारा 21 नवंबर की अनुमति रद्द करने के बाद नई तिथि का ऐलान  


    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षण सेवा में बने रहने व पदोन्नति के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षक संगठनों ने नवंबर-दिसंबर में दिल्ली कूच का एलान किया है। लेकिन नवंबर अंत में होने वाले एक बड़े कार्यक्रम से अब इसकी संभावना नहीं है। यही वजह है कि नौ राज्यों के शिक्षक संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) ने अब पांच दिसंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है।

    टीएफआई ने पिछले दिनों दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में बैठक कर 21 नवंबर को महारैली की घोषणा की थी। टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि नवंबर के अंत में सिख समाज ने एक राष्ट्रीय आयोजन किया है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी शामिल हो रहे हैं। इससे दिल्ली प्रशासन ने नवंबर में रैली की अनुमति निरस्त कर दी है। इसे देखते हुए हमने पांच दिसंबर को महारैली करने का निर्णय लिया है। उन्होंने बताया कि दिल्ली रैली के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। महारैली के माध्यम से हम 27 जुलाई 2011 को टीईटी लागू होने से पहले नियुक्त शिक्षकों को इससे मुक्त रखने की मांग करेंगे ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।


    शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी कर रहा तैयारी

    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा भी 24 नवंबर को दिल्ली में जंतर मंतर पर प्रदर्शन की तैयारी कर रहा है। मोर्चा पदाधिकारियों के अनुसार इसमें यूपी से दो लाख से अधिक शिक्षक जाएंगे। इसके लिए सभी संघटक संगठनों को अभियान चलाने का निर्देश दिया गया है। मोर्चा ने टीईटी लागू होने से पहले शिक्षकों पर इसे थोपे जाने का विरोध कर रहे हैं।

    सभी प्रस्तावित कार्यक्रम

    🔴 अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा का 24 नवंबर को जंतर मंतर पर प्रदर्शन
    🔴 अटेवा का 25 नवंबर को दिल्ली कूच मामले को लेकर पुरानी पेंशन व टीईटी का विरोध
    🔴 अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ का जंतर मंतर पर धरना 11 दिसंबर को



    टीईटी को लेकर देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में करेंगे महारैली, नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों ने चुने टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया के पदाधिकारी

    दिल्ली की बैठक में यूपी के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा बने टीएफआई के राष्ट्रीय अध्यक्ष

    कहा, 27 जुलाई 2011 के पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्यता न्याय के खिलाफ


    लखनऊ। देशभर के परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की घोषणा कर दी गई है। इसके विरोध में देशभर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली के रामलीला मैदान में महारैली करेंगे। इसके माध्यम से 27 जुलाई 2011 से पहले के नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने की मांग करेंगे।


    यह निर्णय नौ राज्यों के शिक्षक संगठनों द्वारा टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) की शनिवार को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई बैठक में लिया गया। बैठक में पहले संगठन के राष्ट्रीय पदाधिकारियों का चुनाव हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश के डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा राष्ट्रीय अध्यक्ष, झारखंड के राम मूर्ति ठाकुर महासचिव, संजय सिंह वरिष्ठ उपाध्यक्ष, शिवशंकर पांडेय कोषाध्यक्ष व देवेंद्र श्रीवास्तव संयुक्त महासचिव चुने गए। 

    राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. शर्मा ने कहा कि 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों पर टीईटी की अनिवार्यता लागू करना न्याय के सिद्धांत के विपरीत है। पूरे देश का शिक्षक इसके खिलाफ हैं इसलिए 27 जुलाई 2011 से पहले नियुक्त शिक्षकों को टीईटी से मुक्त रखने के लिए देश भर के शिक्षक 21 नवंबर को दिल्ली में महारैली कर केंद्र सरकार को ज्ञापन देंगे। महासचिव राममूर्ति ठाकुर ने कहा कि कोई भी कानून बनने की तिथि से लागू होता है किंतु शिक्षकों पर पूर्व से लागू करके लाखों शिक्षकों के भविष्य से खिलवाड़ किया जा रहा है।


    ये पदाधिकारी भी चुने गए
    उपाध्यक्ष पद पर अनूप केसरी, केदार जैन, मुनीष मिश्रा, विनोद यादव, राधेरमण त्रिपाठी, राजेश धर दुबे, मेघराज भाटी, बालेंद्र चौधरी, दीपक शर्मा, वंदना सक्सेना चुने गए। सचिव पद पर संजीव शर्मा, यशपाल सिंह, वेदप्रकाश मिश्रा, अनुज कुमार, त्रिवेंद्र कुमार, राजेश लिटौरिया, देवेश कुमार, आशुतोष त्रिपाठी, अर्चना तिवारी, कल्पना रजौरिया चुने गए। अरुणेंद्र वर्मा व अजय सिंह राष्ट्रीय सचिव बने।




    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ आंदोलन के लिए साथ आए नौ राज्यों के शिक्षक, बनाया नया संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) 

    दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में तय होगी रैली की तिथि, पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा


    लखनऊ। देशभर के लाखों स्कूली शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन की तैयारी तेज हो गई है। इसके लिए यूपी समेत नौ राज्यों के शिक्षक संगठन एक साथ आए हैं। उन्होंने आंदोलन के लिए नए संगठन टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (टीएफआई) का गठन किया है। इसके माध्यम से आगे का आंदोलन संचालित किया जाएगा।


    टीईटी मामले में आंदोलन के लिए उत्तर प्रदेश के साथ ही बिहार, उत्तराखंड, झारखंड, दिल्ली, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, हरियाणा व राजस्थान के शिक्षक संगठन एक साथ एक मंच पर आए हैं। इसी क्रम में टीएफआई की पहली बैठक 25 नवंबर को दिल्ली के कांस्टीट्यूशन क्लब में होगी। इसमें दिल्ली रैली के लिए तिथि तय की जाएगी। साथ ही इसमें संगठन के पदाधिकारियों का चुनाव भी होगा।

    उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने बताया कि अखिल झारखंड प्राथमिक शिक्षक संघ के महासचिव राममूर्ति ठाकुर के संयोजन में टीएफआई का गठन हुआ है। 25 अक्टूबर की बैठक में फेडरेशन के अन्य पदाधिकारियों का चुनाव होगा। फिर नई कमेटी टीईटी के विरुद्ध दिल्ली में होने वाली रैली की तिथि की घोषणा करेगी। 

    उन्होंने कहा कि आरटीई लागू होने के पहले राज्य सरकारों व एनसीटीई द्वारा निर्धारित न्यूनतम योग्यता रखने वाले अभ्यर्थियों को ही शिक्षक नियुक्त किया गया है। अब 20-25 साल पहले नियुक्त शिक्षक को वर्तमान में नियुक्ति के लिए निर्धारित योग्यता अर्जित करने को विवश करना कैसा न्याय है। जब तक यह निर्णय वापस नहीं होता इसके विरुद्ध व्यापक स्तर पर आंदोलन चलाया जाएगा।

    Monday, December 1, 2025

    कोर्ट ने पूछा, क्या स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति के लिए भी टीईटी जरूरी? सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई से कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा

    कोर्ट ने पूछा, क्या स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति के लिए भी टीईटी जरूरी? सुप्रीम कोर्ट ने एनसीटीई से कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा

    फिलहाल के लिए विना टीईटी के स्पेशल एजुकेटर्स की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने लगाई रोक

    नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट में अब स्पेशल एजुकेटर्स (विशेष जरूरत वाले बच्चों को पढ़ाने वाले शिक्षक) की नियुक्ति में भी टीईटी (शिक्षक पात्रता परीक्षा) का पेंच फंसता नजर आ रहा है। हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन (एनसीटीई) से पूछा है कि क्या स्पेशल एजुकेटर के लिए भी टीईटी जरूरी है। कोर्ट ने एनसीटीई से इस बारे में कानूनी स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। साथ ही आदेश दिया है कि फिलहाल किसी भी स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति टीईटी के बगैर नहीं की जाएगी। कोर्ट इस मामले में दो दिसंबर को फिर सुनवाई करेगा।


    जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस अगस्टीन जार्ज मसीह की पीठ ने रजनीश कुमार पांडेय बनाम केंद्र सरकार के मामले में सुनवाई करते हुए हाल में ये आदेश दिए। यह मामला स्पेशल एजुकेटर की भर्ती से संबंधित था जिसमें कोर्ट अपने पूर्व के आदेश के अनुपालन पर विचार कर ख्य था। सुनवाई के दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वकील ने बताया कि नियम के मुताबिक प्राथमिक शिक्षक के लिए टीईटी न्यूनतम योग्यता है। पीठ ने कहा कि उसे तो अभी तक यही लगता था कि सुप्रीम कोर्ट के सात मार्च, 2025 के जिस फैसले के अनुपालन पर विचार हो रहा है, उसके मुताबिक स्पेशल एजुकेटर की नियुक्ति के लिए रिहेबिलिटेशन काउंसिल आफ इंडिया (आरसीआइ) की योग्यता ही जरूरी है। 

    सुनवाई के दौरान न्यायमित्र ऋषि मल्होत्रा ने कोर्ट का ध्यान 21 जुलाई, 2022 के आदेश की ओर खींचा। इसमें शिक्षा मंत्रालय के 10 जून, 2022 के सर्कुलर पर चर्चा की गई थी जिसमें सीटीईटी या टीईटी या एनटीए स्कोर के साथ-साथ क्लासरूम डिमोंस्ट्रेशन और इंटरव्यू को प्रोसेस का हिस्सा माना गया था। इन दलीलों पर पीठ ने कहा कि कई राज्यों ने स्पेशल एजुकेटर्स की भर्ती प्रक्रिया यह मानकर आगे बढ़ाई है कि आरसीआइ ही स्पेशल एजुकेटर के लिए एकमात्र जरूरी योग्यता है और उन राज्यों ने टीईटी को जरूरी योग्यता नहीं बताया है। 

    कोर्ट ने कहा कि इस संबंध में एनसीटीई को स्पष्ट करना होगा कि आज की तारीख में विधायी नियम कानून क्या हैं। कोर्ट ने पूछा कि क्या स्पेशल एजुकेटर के लिए टीईटी करना जरूरी है। यदि हां, तो क्या इस आवश्यकता के बारे में व्यापक प्रचार किया गया है या नहीं। कोर्ट ने स्थिति स्पष्ट करने के लिए एनसीटीई को पक्षकार बनाने के लिए नोटिस जारी किया। साथ ही न्यायमित्र से कहा कि वह उन सभी राज्यों की अधिसूचनाएं इकट्ठा करके पेश करें जहां टीईटी के बिना चयन प्रक्रिया शुरू की गई है। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही अंतरिम आदेश दिया कि किसी भी अभ्यर्थी को स्पेशल एजुकेटर के तौर पर तब तक नियुक्त नहीं किया जाएगा जब तक कि उसके पास टीईटी की योग्यता न हो। 

    पीठ के समक्ष यह मुद्दा भी उठा कि दिल्ली सरकार ने जुलाई, 2022 और जुलाई, 2023 में जारी भर्ती विज्ञापन चयन प्रक्रिया का रिजल्ट अभी तक प्रकाशित नहीं किया है। दिल्ली सरकार ने कोर्ट को भरोसा दिलाया कि दो सप्ताह में मेरिट लिस्ट प्रकाशित कर दी जाएगी। पीठ ने अगली सुनवाई पर मेरिट लिस्ट पेश करने का आदेश दिया।

    Sunday, November 30, 2025

    यूपी में निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षको की शैक्षिक अर्हता की जांच होगी, बिना अर्हता ही शिक्षक रखने की शिकायत पर एनसीटीई की ओर से दिए गए जांच के आदेश

    यूपी में निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षको की शैक्षिक अर्हता की जांच होगी, बिना अर्हता ही शिक्षक रखने की शिकायत पर एनसीटीई की ओर से दिए गए जांच के आदेश


    75 जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षक निजी स्कूलों की शुरू करेंगे पड़ताल


    लखनऊ। यूपी में सभी निजी स्कूलों में पढ़ा रहे शिक्षकों की शैक्षिक अर्हता की जांच कराई जाएगी। मानक विपरीत बिना अर्हता के शिक्षकों से पढ़ाई पर राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने नाराजगी जताई है। माध्यमिक शिक्षा विभाग अब सभी जिलों में इन विद्यालयों के शिक्षकों की जांच कर रिपोर्ट देगा।


    एनसीटीई को इस मामले में झांसी के रहने वाले राहुल जैन की ओर से साक्ष्यों के साथ शिकायत की गई है, जिसमें कई निजी स्कूलों में शिक्षक बिना डीएलएड, बीएड, सीटीईटी, टीईटी पास किए बिना ही निजी स्कूलों में पढ़ाई करा रहे हैं।

    एनसीटीई के अनिवार्य मानकों का पालन न किए जाने से तमाम निजी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता प्रभावित हो रही है। ऐसेमें अबसभी जिलों में जिला विद्यालय निरीक्षक निजी स्कूलों के शिक्षकों की अर्हता का ब्योरा खंगालेंगे। मानकों के विपरीत मिलने पर शिक्षक बाहर किए जाएंगे। प्रबंधतंत्र सेजवाब-तलब होगा।


    मुख्य सचिव तक पहुंची मामले की शिकायत

    निजी स्कूलों में बिना अर्हता शिक्षक रखने का मामला मुख्य सचिव एसपी गोयल और अपर मुख्य सचिव बेसिक व माध्यमिक शिक्षा तक पहुंचा है। एनसीटीई के पत्र के बाद शिक्षा विभाग ने जिलों में इसकी जांच कराने का निर्णय लिया। अब शासन की सख्ती के बाद जिलों में जांच शुरू होगी।

    Saturday, November 29, 2025

    कहीं नौकरी करते हुए या दूसरा नियमित कोर्स करने वाले छह प्रशिक्षुओं के डीएलएड प्रमाणपत्र निरस्त, शिकायत पर सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने की कार्रवाई

    कहीं नौकरी करते हुए या दूसरा नियमित कोर्स करने वाले छह प्रशिक्षुओं के डीएलएड प्रमाणपत्र निरस्त, शिकायत पर सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने की कार्रवाई


    प्रयागराज। ये तीनों मामले तो सिर्फ बानगीभर हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय एलनगंज ने पिछले चार महीनों में छह ऐसे प्रशिक्षुओं के डीएलएड प्रमाणपत्र निरस्त कर दिए हैं जिन्होंने कहीं नौकरी करते हुए या कोई दूसरा नियमित कोर्स के दौरान डीएलएड भी किया है। फरहत अहमद ने तो बेसिक शिक्षा अधिकारी रामपुर का फर्जी जाति प्रमाण पत्र लगाकर बीटीसी प्रशिक्षण कर लिया था। शिकायत सही मिलने पर शामली।


    केस 1
    बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय मुजफ्फरनगर में जिला समन्वयक के पद पर कार्यरत रहते हुए अंकुर कुमार ने डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त किया गया। इस अनियमितता की शिकायत होने पर परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय ने मेरठ के निजी बीटीसी कॉलेज से अंकुर कुमार को जारी डीएलएड बैच-2018 का प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया।

    केस 2
    कार्यालय मुख्य चिकित्साधिकारी,  मीरजापुर में कम्प्यूटर ऑपरेटर के पद पर कार्यरत रहते हुए सुप्रिया मिश्रा ने बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया। इसकी शिकायत पुष्ट होने पर चन्दौली के निजी बीटीसी कॉलेज से जारी बीटीसी बैच-2015 का प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया। मुजफ्फरनगर के निजी बीटीसी कॉलेज की ओर से जारी बीटीसी बैच-2014 का प्रमाणपत्र निरस्त किया गया है।

    इसी प्रकार उच्च प्राथमिक विद्यालय वाजिदपुर शिक्षा क्षेत्र कोयलसा, आजमगढ़ में अनुदेशक पद पर कार्यरत रहते हुए सुनील कुमार यादव ने बीटीसी का प्रशिक्षण प्राप्त किया था। पिछले दिनों सुनील को भी निजी बीटीसी

    केस 3
    कौशाम्बी के ग्राम-समरहटा में पंचायत सहायक के पद पर कार्यरत रहते हुए नूतन शुक्ला ने डीएलएड का प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया। शिकायत मिलने और उसकी पुष्टि होने पर नूतन को जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थान (डायट) कौशाम्बी से जारी डीएलएड बैच-2022 का प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया है। ऑपरेटर ने अवैध तरीके से हासिल किया प्रमाणपत्र कौशाम्बी के पंचायत सहा. का प्रमाणपत्र भी निरस्त

    कॉलेज-गाजीपुर की ओर से जारी बीटीसी बैच-2013 का प्रमाणपत्र निरस्त कर दिया गया। यही नहीं बीटीसी प्रशिक्षण और एलएलबी की शैक्षिक योग्यता साथ-साथ प्राप्त करने के कारण कीर्ति नन्दा को निजी बीटीसी कॉलेज-कासगंज, एटा से जारी बीटीसी बैच 2014 का प्रमाणपत्र निरस्त किया गया है।

    परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने नौकरी या पढ़ाई के साथ एक ही समय में बीटीसी/डीएलएड प्रशिक्षण करने वाले अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र निरस्त करने की पुष्टि की है।

    Friday, November 28, 2025

    MDM में 11 करोड़ के घोटाले में 45 पर केस दर्ज, स्कूल व मदरसों संग मिलकर DC ने डकारा बजट, स्कूल व मदरसा के आठ प्रधानाध्यापक व चार ग्राम प्रधानों पर भी कार्रवाई

    बलरामपुर : 11 करोड़ के एमडीएम घोटाले में डीसी समेत पांच गिरफ्तार

    डीसी बर्खास्त, पकड़े गए लोगों में प्रधानाध्यापक, सहायक अध्यापक और दो प्रधान शामिल

    बलरामपुर। 11 करोड़ के एमडीएम घोटाले में पुलिस ने जिला समन्वयक (डीसी) फिरोज अहमद खान समेत पांच लोगों को बृहस्पतिवार को गिरफ्तार कर लिया। घोटाले की पुष्टि होने पर डीसी को सेवा से भी बर्खास्त कर दिया गया है। इस मामले में जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी शुभम शुक्ला की तहरीर पर 44 के खिलाफ बुधवार को नगर कोतवाली में एफआईआर दर्ज हुई थी।

    घोटाले के मास्टर माइंड जिला समन्वयक फिरोज अहमद के साथ प्रधानाध्यापक अशोक कुमार गुप्ता, सहायक अध्यापक मलिक मुन्नवर के अलावा दो ग्राम प्रधान नसीम अहमद और अहमदुल कादरी को भी गिरफ्तार किया गया है। 

    प्रधानाध्यापक और सहायक अध्यापक को निलंबित कर दिया गया है। एसपी विकास कुमार ने बताया कि मामले में कई लोगों की भूमिका संदिग्ध है। धन निकासी, बैंक खातों और तकनीकी साक्ष्यों की गहन पड़ताल जारी है। आगे और गिरफ्तारियां हो सकती हैं। 

    राशि का विद्यालयवार आवंटन नहीं

    पुलिस की पूछताछ में फिरोज ने बताया कि आईवीआरएस पोर्टल से प्राप्त छात्र संख्या के आधार पर बनाई गई एक्सेल शीट में हेराफेरी की जाती थी। जिलाधिकारी द्वारा अनुमोदित कुल राशि को बिना बदले, विद्यालयवार आवंटन में भी गोलमाल किया जाता था।



    MDM में 11 करोड़ के घोटाले में 45 पर केस दर्ज, स्कूल व मदरसों संग मिलकर DC ने डकारा बजट, स्कूल व मदरसा के आठ प्रधानाध्यापक व चार ग्राम प्रधानों पर भी कार्रवाई

    45 लोग नामजद, जिसमें डीसी भी, बलरामपुर में छह वर्ष से हो रही थी धांधली


    बलरामपुर : मध्यान्ह भोजन योजना में बड़े पैमाने पर धांधली सामने आई है। बेसिक शिक्षा अधिकारी कार्यालय के एमडीएम सेल से पांच-छह वर्षों के भीतर कनवर्जन कास्ट में कूटरचित दस्तावेजों के सहारे 11 करोड़ रुपये से अधिक का गबन कर लिया गया। इसमें 17 वर्षों से एमडीएम सेल के जिला समन्वयक पद पर जमे फिरोज अहमद खान, तीन मदरसों और पांच परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापक व चार ग्राम प्रधानों की संलिप्तता उजागर हुई है। 


    गबन की पुष्टि होने पर बीएसए शुभम शुक्ला की तहरीर पर 45 नामजद व अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध नगर कोतवाली में मुकदमा दर्ज कराया है। नौनिहालों के निवाले पर डाका डालने के खेल में अभी कई और चेहरे सामने आ सकते हैं। इसमें कई सफेदपोश भी हैं। नामजद डीसी समेत कुछ लोगों को हिरासत में लेकर पुलिस पूछताछ कर रही है।

    बीएसए ने नगर कोतवाली में दी गई तहरीर में कहा कि विभिन्न विद्यालयों द्वारा शिकायतें की जा रही थीं कि एमडीएम सेल के डीसी फिरोज अहमद खान द्वारा पर्याप्त कन्वर्जन कास्ट का भुगतान नहीं किया गया है। शिकायत पर वित्त एवं लेखाधिकारी के साथ एमडीएम कन्वर्जन कास्ट पत्रावली का परीक्षण किया गया। डीसी ने ई-मेल के माध्यम से प्रिंटेड पेमेंट

    एडवाइस (पीपीए) उपलब्ध कराए, तो उसमें गड़बड़ी का संदेह हुआ। जांच में पाया गया कि डीसी ने जो अभिलेख उपलब्ध कराए थे, वे कूटरचित थे। वास्तविक रूप से भेजी धनराशि को कम करके दिखाया गया था, फिरोज अहमद वर्ष 2008 से कार्यरत हैं और पांच से छह वर्षों के अंतराल में गबन में सहभागी विद्यालयों में शिक्षारत छात्रों की संख्या के प्रतिकूल बहुत अधिक धनराशि आवंटित कर प्रधान, प्रधानाध्यापक व समिति के अध्यक्ष के साथ मिलकर गबन कर लिया। नगर कोतवाली के प्रभारी निरीक्षक मनोज कुमार सिंह ने बताया कि एमडीएम सेल के डीसी फिरोज अहमद खान समेत 44 अन्य लोगों के विरुद्ध केस दर्ज किया गया है।


    एमडीएम की शिकायत विभिन्न पत्रावलियों का सत्यापन किया गया। जिसमें लगभग 11 करोड़ रुपये के सरकारी बजट गबन का मामला सामने आने पर डीसी समेत 45 लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया है।
    - शुभम शुक्ला, बीएसए, बलरामपुर

    डीसीम समेत 45 लोगों पर मुकदमा दर्ज किया गया है। पूरे प्रकरण की जांच हो रही है। दर्जनों लोगों के नाम सामने आ रहे है। आरोपितों को जल्द गिरफ्तार कर जेल भेजा जाएगा।
    - विकास कुमार, एसपी, बलरामपुर

    Thursday, November 27, 2025

    TET अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से RTE और NCTE कानूनों में संशोधन की मांग की

    TET  अनिवार्यता पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद तमिलनाडु के मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री मोदी से RTE और NCTE कानूनों में संशोधन की मांग की


    चेन्नई । सुप्रीम कोर्ट के उस महत्वपूर्ण फैसले के बाद, जिसमें कहा गया है कि सेवा में कार्यरत वे सभी शिक्षक जिन्होंने अब तक शिक्षक पात्रता परीक्षा (TET) पास नहीं की है, उन्हें सेवा जारी रखने के लिए दो वर्ष के भीतर TET अनिवार्य रूप से पास करना होगा—तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है। उन्होंने आग्रह किया है कि RTE अधिनियम, 2009 और NCTE अधिनियम, 1993 में आवश्यक संशोधन किए जाएं ताकि 23 अगस्त 2010 को सेवा में मौजूद शिक्षकों को संरक्षित किया जा सके।


    पूर्वलाभ समाप्त होने से पैदा हुई समस्या
    स्टालिन ने कहा कि NCTE ने शुरू में 23 अगस्त 2010 से पहले नियुक्त शिक्षकों को नए योग्यता मानकों—जैसे TET—से छूट दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट की नई व्याख्या के बाद यह छूट समाप्त हो गई है। इससे लाखों शिक्षकों पर TET अनिवार्य हो गया है, और नियमों में यह बदलाव उनके सेवा अधिकारों पर प्रतिकूल प्रभाव डालता है।

    उन्होंने बताया कि इस अचानक और पूर्वव्यापी नियम-प्रवर्तन से लंबे समय से कार्यरत शिक्षकों के अधिकार प्रभावित होंगे, जो अपने समय के नियमों के अनुसार पात्र और योग्य थे।


    दो वर्ष में TET न देने पर नौकरी जाएगी
    फैसले के अनुसार अब इन शिक्षकों को दो वर्ष में TET पास करना अनिवार्य होगा, अन्यथा नौकरी समाप्त हो सकती है। इससे भारी प्रशासनिक दबाव और व्यक्तिगत कठिनाइयाँ पैदा होंगी।

    स्टालिन ने कहा कि लाखों शिक्षकों को बदलना किसी भी राज्य के लिए व्यावहारिक नहीं है, विशेषकर ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में जहाँ योग्य उम्मीदवारों की उपलब्धता पहले ही सीमित है।


    प्रमोशन और करियर पर बड़ा प्रभाव
    उन्होंने आगाह किया कि नियुक्ति के वर्षों बाद अचानक योग्यता की नई शर्तें लागू करने से शिक्षकों के प्रमोशन के अवसर बाधित होंगे, जो उनकी वैध अपेक्षाओं और सेवा संतुलन के विपरीत है।

    स्टालिन ने प्रधानमंत्री से इस “अत्यंत जरूरी और राष्ट्रीय महत्व” के मुद्दे पर तुरंत हस्तक्षेप की अपील की है, ताकि शिक्षा व्यवस्था में स्थिरता बनी रहे और लाखों शिक्षकों का भविष्य सुरक्षित रह सके।

    अटल आवासीय विद्यालयों में कम्पोजिट स्किल / इनोवेशन लैब स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी, वित्तीय वर्ष के अन्त तक छह लैब बनेंगी

    अटल आवासीय विद्यालयों में कम्पोजिट स्किल / इनोवेशन लैब स्थापित करने के प्रस्ताव को मंजूरी, वित्तीय वर्ष के अन्त तक छह लैब बनेंगी


     लखनऊ। राज्य सरकार अटल आवासीय विद्यालयों को अब आधुनिक तकनीकी शिक्षा के केन्द्र के रूप में विकसित करने जा रही है। इसके तहत प्रत्येक अटल आवासीय विद्यालय में कम्पोजिट स्किल /इनोवेशन लैब स्थापित करने के प्रस्ताव को औपचारिक मंजूरी दी गई है। इन लैबों में छात्रों को ड्रोन टेक्नोलॉजी, रोबोटिक्स एवं ऑटोमेशन, स्पेस एक्सप्लोरेशन, 3डी प्रिंटिंग, एआई बेसिक्स और अन्य उभरती तकनीकों का प्रायोगिक प्रशिक्षण दिया जाएगा।


    पिछले दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक के दौरान अटल आवासीय विद्यालयों को भविष्य की जरूरतों के अनुसार आधुनिक तकनीकी शिक्षा के केंद्र के रूप में विकसित करने के निर्देश दिए थे। इसी के दृष्टिगत शासन स्तर से इस दिशा में तेजी से कवायद शुरू कर दी गई है। इस परियोजना के लागू होने से अटल आवासीय विद्यालय आधुनिक भारत की तकनीकी तैयारियों में एक मजबूत भागीदार के रूप में सामने आएंगे।


    भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार होंगे छात्र

    सरकार का मानना है कि इन लैब के माध्यम से बच्चों में इनोवेशन, क्रिटिकल थिंकिंग और प्रॉब्लम सॉल्विंग जैसी क्षमताएं विकसित होंगी। यह कदम ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले हजारों बच्चों को आधुनिक तकनीकी दुनिया से जोड़ने में मील का पत्थर साबित होगा। हानिदेशक ने बताया कि मुख्यमंत्री के निर्देशों के बाद लैब संचालन और प्रशिक्षण कार्य में एक्सपर्ट संस्थाओं का सहयोग लिया जा रहा है। बकौल पूजा यादव, देश की प्रमुख तकनीकी संस्थाओं और ट्रेनिंग एजेंसियों को इसमें जोड़ा जाएगा।


    वित्तीय वर्ष के अन्त तक छह लैब बनेंगी

    सभी अटल आवासीय विद्यालयों में ये लैब अगले 6 महीनों के भीतर स्थापित कर दी जाएंगी। इससे पहले अगले दो महीनों में एक पायलट प्रोजेक्ट के रूप में चुनिंदा विद्यालयों में इनोवेशन लैब की शुरुआत होगी, जिसके आधार पर आगे की रूपरेखा को और मजबूत किया जाएगा। उत्तर प्रदेश भवन एवं सन्निर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड की सचिव और अटल आवासीय विद्यालयों की महानिदेशक पूजा यादव बताती हैं कि इस पूरी परियोजना के लिए आवश्यक फंड की व्यवस्था कर ली गई है।

    Wednesday, November 26, 2025

    पुरानी पेंशन, टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर लाखों शिक्षकों का प्रदर्शन

    पुरानी पेंशन, टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर लाखों शिक्षकों का प्रदर्शन 


    नई दिल्ली/लखनऊ । शिक्षक प्रदर्शन के इतिहास में मंगलवार को नई दिल्ली में एक और बड़ी महारैली देखने को मिली। राष्ट्रीय राजधानी में जंतर मंतर पर देशभर से आए लाखों शिक्षकों कर्मचारियों ने लगातार दूसरे दिन पुरानी पेंशन, निजीकरण व टीईटी अनिवार्यता की समाप्ति को लेकर आवाज बुलंद की।

    नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) व सहयोगी संगठनों के बैनर तले आयोजित इस धरना प्रदर्शन में शिक्षक व शैक्षिक कर्मचारियों ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्हें न तो एनपीएस और न ही यूपीएस चाहिए उन्हें सिर्फ और सिर्फ पुरानी पेंशन ही चाहिए।

    इस अवसर पर नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि आज यहां लाखों शिक्षक कर्मचारियों को देखकर सरकार डर गई है। वहीं संगठन की राष्ट्रीय महासचिव प्रज्ञा ने कहा कि सरकार एनपीएस से यूपीएस पर आई और जल्द ही यूपीएस से ओपीएस पर आना पड़ेगा। देश के 97% कर्मचारियों ने यूपीएस को नकार दिया है।


    दिल्ली में शिक्षकों ने बुलंद की आवाज

    लखनऊः शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के खिलाफ और पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करने की मांग को लेकर प्रदेश के शिक्षकों ने दिल्ली में जोरदार प्रदर्शन किया। प्रदेश के अलग-अलग संगठनों के बैनर तले जंतर-मंतर पर हजारों शिक्षक जुटे और अपनी आवाज बुलंद की। धरने में देश भर से शिक्षकों ने अपनी एकजुटता भी दिखाई।

     मंगलवार को नेशनल मूवमेंट ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) और सहयोगी संगठनों के बैनर तले शिक्षकों का प्रदर्शन हुआ। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि अब सरकार की तानाशाही नहीं चलेगी। सरकार को हर हाल में पुरानी पेंशन बहाल करनी ही पड़ेगी। टीईटी मुद्दे पर उन्होंने कहा कि अगर सरकार 20 साल पहले नियुक्त शिक्षकों की सेवाएं समाप्त कर सकती है, तो हिम्मत हो तो यूपीएससी से चयनित अधिकारियों को भी हटा कर दिखाए। 

    प्रदेश के शिक्षक संगठनों ने चेतावनी दी कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जातीं, आंदोलन जारी रहेगा। उन्होंने केंद्र सरकार से मांग की कि पुरानी पेंशन तत्काल बहाल की जाए और टीईटी को स्थायी रूप से अनिवार्य सूची से हटाया जाए। 




    टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में NMOPS का शिक्षकों का दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कल

    लखनऊ। देश भर के सेवारत  शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में विरोध-प्रदर्शन दिल्ली में शुरू होगा।  शिक्षक-कर्मचारियों के संयुक्त संगठन एनएमओपीएस की ओर से मंगलवार 25 नवंबर को दिल्ली में धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।

     नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के 25 नवंबर को होने वाले प्रदर्शन के लिए रविवार को दिल्ली में हुई बैठक में रणनीति तैयार की गई। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय कुमार बन्धु ने कहा कि दिल्ली में देश भर के शिक्षक कर्मचारी और अधिकारी पुरानी पेंशन बहाली, निजीकरण और टीईटी अनिवार्यता की समाप्ति के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन करेंगे। 

    उन्होंने कहा कि संगठन की लड़ाई के फलस्वरूप चार राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और हिमाचल प्रदेश में पुरानी पेंशन लागू हुई है। वहीं पंजाब में ओपीएस बहाली की घोषणा हुई है। पंजाब सरकार इसे जल्द लागू करे। देश भर का शिक्षक टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ है, केंद्र सरकार इसे निरस्त करने का निर्णय ले। संसद में इससे संबंधित कानून लाए। ऐसा न होने पर लड़ाई आर-पार की होगी। 



    पुरानी पेंशन की बहाली व टीईटी के विरोध में एकजुटता का आह्वान, 25 नवंबर को दिल्ली में होने वाली रैली के लिए अटेवा ने तय की जिम्मेदारी


    लखनऊ। ऑल टीचर्स एम्पलाई वेल्फेयर एसोशिएशन (अटेवा) पेंशन बचाओ मंच ने रविवार को बैठक कर 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली की तैयारियों को अंतिम रूप दिया।


    प्रदेश, मंडल व जिला पदाधिकारियों की शहीद डॉ. रामाशीष सिंह स्मृति भवन में हुई बैठक में रैली के लिए जिम्मेदारियां भी तय की गईं। 

    बैठक में प्रदेश अध्यक्ष विजय कुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन बहाली, शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता के विरोध, ऑनलाइन अटेंडेंस के विरोध में 25 नवंबर को नई दिल्ली में होने वाली रैली ऐतिहासिक होगी। उन्होंने सभी संगठनों से आह्वान किया कि वे मतभेद भुलाकर एक साथ आएं।

    प्रदेश महामंत्री डॉ. नीरजपति त्रिपाठी ने कहा कि सरकार यूपीएस लाकर देश के शिक्षकों व कर्मचारियों के साथ अन्याय कर रही है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य महासंघ महासचिव अशोक कुमार ने कहा कि

    सरकार लगातार निजीकरण पर बल दे रही है। इसके कारण सरकारी नौकरियों पर खतरा मंडरा रहा है। पंचायतीराज सफाई कर्मचारी एसोसिएशन के प्रदेश महामंत्री रामेंद्र श्रीवास्तव ने कहा कि प्रदेश में होने वाले स्नातक/शिक्षक निर्वाचन में सभी शिक्षक व कर्मचारी जरूर वोटर बनें ताकि पुरानी पेंशन बहाली की मुद्दे पर जनप्रतिनिधियों को अपनी बात पहुंचा सकें। बैठक में भारत सिंह, डॉ. आशीष वर्मा, प्रदेश मीडिया प्रभारी डॉ. राजेश कुमार आदि उपस्थित थे। 

    शिक्षा विभाग के 15 प्रकरणों पर विधान परिषद की आश्वासन समिति ने अपर मुख्य सचिव को किया तलब

    शिक्षा विभाग के 15 प्रकरणों पर विधान परिषद की आश्वासन समिति ने अपर मुख्य सचिव को किया तलब


    प्रयागराज। उत्तर प्रदेश विधान परिषद की आश्वासन समिति ने शिक्षा विभाग के विभिन्न वर्षों से लंबित पड़े करीब 15 प्रकरणों की अद्यतन स्थिति जानने के लिए माध्यमिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव और निदेशालय के अधिकारियों को 27 नवंबर को साक्ष्य के लिए उपस्थित होने के निर्देश दिए हैं। 


    समिति के संयुक्त सचिव मुनेश कुमार ने इस संबंध में पत्र जारी कर सचिवालय को सभी प्रकरणों की 20-20 प्रमाणित प्रतियां उपलब्ध कराने के निर्देश भी दिए हैं। सूत्रों के मुताबिक, शिक्षा विभाग आश्वासन समिति की बैठक से पहले शासन स्तर पर 21 नवंबर को तैयारी के लिए बैठक कर चुका है। अपर मुख्य सचिव ने लिखित रूप से समिति को अवगत कराया है कि वह 30 नवंबर तक अवकाश पर रहेंगे। 

    प्रदेश में संचालित हैं चार फर्जी विश्वविद्यालय, निदेशालय ने बैठाई जांच

    प्रदेश में संचालित हैं चार फर्जी विश्वविद्यालय, निदेशालय ने बैठाई जांच

    प्रयागराज में खुले गांधी हिंदी विद्यापीठ नाम के विवि का कोई पता नहीं, नोएडा के विवि की लोकेशन भी गलत


    प्रयागराज। उत्तर प्रदेश में चार फर्जी विश्वविद्यालय चल रहे हैं। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची जारी करने के बाद उच्च शिक्षा निदेशालय ने जांच बैठा दी है। प्रारंभिक जांच में प्रयागराज स्थित फर्जी विश्वविद्यालय का कोई पता ही नहीं मिला। नोएडा के विश्वविद्यालय का भी पता गलत है। सभी के बारे में बुधवार तक रिपोर्ट मांगी गई है। शासन के निर्देश पर इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई जाएगी।


    यूजीसी की ओर से 22 फर्जी विश्वविद्यालयों की सूची पिछले महीने जारी की गई थी। इनमें से चार विवि उत्तर प्रदेश के हैं। प्रयागराज में गांधी हिंदी विद्यापीठ प्रयाग, इलाहाबाद नाम से फर्जी विश्वविद्यालय है। इसके अलावा अलीगढ़ में नेताजी सुभाष चंद्र बोस मुक्त विश्वविद्यालय, लखनऊ में भारतीय शिक्षा परिषद एवं नोएडा में महामाया तकनीकी विश्वविद्यालय नाम से फर्जी विश्वविद्यालय संचालित हो रहे हैं।

    यूजीसी की ओर से सूची जारी किए जाने के बाद शासन ने निदेशालय से फर्जी विश्वविद्यालयों के बारे में पूरी रिपोर्ट मांगी है। इसके बाद निदेशालय ने क्षेत्रीय अधिकारियों को जांच सौंपी। उन्होंने प्रारंभिक रिपोर्ट भी सौंप दी है लेकिन उसमें कई बिंदुओं पर स्पष्टता नहीं है। 

    ऐसे में निदेशालय की ओर से फिर से जांच का आदेश दिया गया है। फर्जी विश्वविद्यालय अब भी चल रहा है या नहीं, कौन-कौन सी डिग्री बांटता है, इनके खिलाफ कार्रवाई क्या हुई है आदि बिंदुओं पर जांच कर निदेशालय ने बुधवार तक रिपोर्ट मांगी है। विस्तृत जांच रिपोर्ट को निदेशालय की ओर से 27 नवंबर तक शासन को सौंपना है।

    सहायक निदेशक डॉ. बीएल शर्मा ने कहा कि इन विश्वविद्यालयों की डिग्रियां पूरी तरह से फर्जी हैं। इन डिग्रियों से छात्रों को न तो नौकरी मिलेगी और न ही आगे की पढ़ाई कर सकेंगे। बताया कि निदेशालय की ओर से क्षेत्रीय अधिकारियों को इनकी जांच सौंपी गई है। प्रयागराज में सांख्यिकी शोध अधिकारी डॉ. पंकज सिंह को जांच दी गई है।

    डॉ. बीएल शर्मा ने बताया कि प्रयागराज स्थित फर्जी विश्वविद्यालय के बारे में पता लगाने की कोशिश की गई लेकिन वह कहीं नहीं मिला। यूजीसी की ओर से जारी सूची में भी इस विश्वविद्यालय का पता नहीं दिया गया है। ऐसे में माना जा रहा है कि वेबसाइट पर ही यह विश्वविद्यालय संचालित हो रहा है। उन्होंने बताया कि 27 नवंबर तक शासन को पूरी रिपोर्ट भेज दी जाएगी। शासन के निर्देश पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।


    नोएडा में विवि के नाम पर आती है डाक लेकिन पता नहीं

    नोएडा में महामाया तकनीकी विश्वविद्यालय के नाम से खुले फर्जी विश्वविद्यालय का पता भी गलत है। जांच समिति के सदस्यों ने दिए गए पते पर संपर्क करने की कोशिश की लेकिन वह मिला ही नहीं। इसके बाद डाक विभाग में संपर्क किया गया। वहां से बताया गया कि इस फर्जी विश्वविद्यालय के नाम पर लगातार डाक आती है लेकिन फर्जी पता कहकर उन्हें वापस कर दिया जाता है।

    Tuesday, November 25, 2025

    बीएड योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षक के लिए 6 महीने का ब्रिज कोर्स हेतु ऑनलाइन एनरोलमेंट शुरू, देखें आवेदन का लिंक

    बीएड योग्यताधारी प्राथमिक शिक्षक के लिए 6 महीने का ब्रिज कोर्स हेतु ऑनलाइन एनरोलमेंट शुरू, देखें आवेदन का लिंक 


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    शिक्षकों के छह माह के अनिवार्य ब्रिज कोर्स की वेबसाइट शुरू, आवेदन कैसे हो पता नहीं

    23 नवंबर 2025
    देशभर के प्राथमिक स्कूलों में 28 जून 2018 के बाद बीएड के आधार पर चयनित सरकारी शिक्षकों के छह माह के अनिवार्य ब्रिज कोर्स के लिए राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान (एनआईओएस) ने वेबसाइट https://bridge.nios.ac.in/ तो लांच कर दी है लेकिन उत्तर प्रदेश में 69000 सहायक अध्यापक भर्ती में बीएड के आधार पर चयनित 30 हजार से अधिक शिक्षक आवेदन कैसे होगा किसी को पता नहीं है।


    इस मामले में प्रदेश सरकार ने उच्चतम न्यायालय में हलफनामा भी दायर किया था कि शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए एक से 15 नवंबर तक ऑनलाइन आवेदन लिए जाएंगे और एक दिसंबर से छह महीने का प्रशिक्षण शुरू होगा। हालांकि शिक्षकों के आवेदन अब तक शुरू नहीं हो सके हैं। 


    बेसिक शिक्षा निदेशक प्रताप सिंह बघेल ने 15 अक्तूबर को एनआईओएस से शिक्षकों को प्रशिक्षण दिलवाने के लिए विशेष सचिव बेसिक शिक्षा को प्रस्ताव भी भेजा था लेकिन कोई निर्देश जारी नहीं हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने 28 जून 2018 के बाद औ 11 अगस्त 2023 से पहले नियुक्त बीएड अर्हताधारी शिक्षकों को अनिवार्य रूप से ब्रिज कोर्स पूरा करने के आदेश दिए थे। 

    शिक्षकों को ब्रिज कोर्स शुरू होने की तिथि से एक वर्ष के भीतर एक बार में ही कोर्स पूरा करना है। कोर्स पूरा न करने पर शिक्षक की नियुक्ति अमान्य हो जाएगी। एनआईओएस की ओर से जारी प्राथमिक शिक्षा में छह महीने का प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम (ब्रिज कोर्स) को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) ने दो जुलाई 2025 को मान्यता दी थी।

    सुप्रीम कोर्ट ने महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए माहवारी अवकाश पर नीति बनाने और लागू करने की सिफारिश की, अवकाश के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत न हो

    सुप्रीम कोर्ट ने महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए माहवारी अवकाश पर नीति बनाने और लागू करने की सिफारिश की, अवकाश के लिए मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत न हो


    नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी सरकारी और निजी संस्थानों की महिला और ट्रांसजेंडर कर्मचारियों के लिए माहवारी अवकाश पर नीति बनाने और लागू करने की सिफारिश की। अदालत ने कहा कि हर माह कुछ अवकाश तय किए जाएं। नीति में इसका ध्यान रखा जाए अवकाश के लिए किसी मेडिकल प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं हो।


    अदालत ने कहा, माहवारी स्वास्थ्य को कार्यस्थल पर कल्याण का जरूरी और अनिवार्य पहलू माना जाए, जो बराबरी, सम्मान और इंसानी काम करने के हालात की संवैधानिक गारंटी पर आधारित हो। सुप्रीम कोर्ट के शोध एवं योजना विंग यानी सीआरपी द्वारा माहवारी अवकाश को लेकर जारी स्वेतपत्र में यह सिफारिश की गई है।

    अवकाश के लिए आसान तरीका बनाए : सुप्रीम कोर्ट के 52वें मुख्य न्यायाधीश रहे जस्टिस बीआर गवई की देखरेख में तैयार श्वेतपत्र में कहा गया है कि यह जरूरी है कि माहवारी के दौरान कर्मियों को बिना किसी बदनामी, पेशागत या वित्तीय नुकसान के अवकाश लेने के लिए एक सम्मानजनक और आसान तरीका बनाया जाए। 

    सुप्रीम कोर्ट की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 'माहवारी अवकाश' को छुट्टी अवकाश नीतिकेमौजूदा फ्रेमवर्क में शामिल किया जा सकता है। इससे कर्मचारियों को हर महीने एक तय संख्या में छुट्टी मिल सके और उनकी निजता-गोपनीयता बनी रहे। स्वेतपत्र में कहा गया है कि माहवारी अवकाश लेने की प्रक्रिया को जेंडर आइडेंटिटी बताने की जरूरत नहीं होनी चाहिए। रिपोर्ट में राष्ट्रीय विधिक सेवा बनाम यूनियन ऑफ इंडिया के मामले में शीर्ष अदालत द्वारा पारित फैसले का हवाला दिया गया है, ताकि खुद की पहचान करने का अधिकार बना रहे।

    छात्र संख्या के आधार पर वेतन, कोर्ट पहुंचे प्रभारी प्रधानाध्यापक, परिषदीय स्कूलों में प्रभारी को प्रधानाध्यापक का वेतनमान देने का मामला

    छात्र संख्या के आधार पर वेतन, कोर्ट पहुंचे प्रभारी प्रधानाध्यापक, परिषदीय स्कूलों में प्रभारी को प्रधानाध्यापक का वेतनमान देने का मामला

    प्राथमिक में 150 और उप्रावि में 100 बच्चों दे रहे वेतनमान पर

    प्रयागराज । छात्रसंख्या के आधार पर प्रभारी प्रधानाध्यापकों को नियमित प्रधानाध्यापकों के समान वेतनमान देने का विवाद हाईकोर्ट पहुंच गया है। पूर्व में कई मामलों में हाईकोर्ट ने प्रभारी को प्रधानाध्यापक के समान देने के आदेश दिए थे। बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों ने इन आदेशों का अनुपालन नहीं किया तो कई शिक्षकों ने अवमानना याचिका कर दी। उसके बाद 14 अक्तूबर को एक आदेश जारी किया, जिसमें प्राथमिक विद्यालयों में 150 या अधिक और उच्च प्राथमिक विद्यालयों में 100 से अधिक छात्रसंख्या होने पर ही प्रभारी को नियमित प्रधानाध्यापक के समान वेतन देने की बात कही गई थी।


    शासनादेश में ऐसे प्रभारी प्रधानाध्यापकों को केवल पर्यवेक्षकीय कार्यों की जिम्मेदारी देने का प्रावधान किया गया है जिनके यहां प्राथमिक में 150 और उच्च प्राथमिक में 100 से कम छात्र हैं। शासनादेश में यह भी साफ किया गया है कि यदि वरिष्ठ शिक्षक जिम्मेदारी नहीं निभाते तो उनसे कनिष्ठ शिक्षक को तब तक के लिए प्रभारी प्रधानाध्यापक बनाया जाएगा, जब तक पदोन्नति से नियमित नियुक्ति न हो जाए। 

    इस आदेश के आधार पर बेसिक शिक्षा अधिकारियों ने छात्रसंख्या के आधार पर प्रभारी प्रधानाध्यापकों के पद पर तैनाती के लिए वरिष्ठता सूची के अनुसार शिक्षकों से विकल्प भी लेना शुरू कर दिया है। इस बीच उन शिक्षकों ने 14 अक्तूबर के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है जहां इस मानक के अनुसार छात्रसंख्या कम है। 

    उनका कहना है कि यह शासनादेश समान कार्य के लिए समान वेतन के सिद्धांत का उल्लंघन करता है और न्यायालय के निर्णय की भावना के विपरीत है। शिक्षक संगठनों ने भी इस शासनादेश पर आपत्ति जताते हुए कहा है कि न्यायालय के आदेश के बाद सरकार को सभी प्रभारी प्रधानाध्यापकों को समान वेतन देना चाहिए, न कि केवल चुनिंदा विद्यालयों या याचियों तक इसे सीमित करना चाहिए।

    इंचार्ज अध्यापक को हेड मास्टर का वेतनमान देने का निर्देश, उच्च पद पर काम करने वाला कर्मचारी पद के अनुरूप वेतन का हकदार : हाईकोर्ट

    इंचार्ज अध्यापक को हेड मास्टर का वेतनमान देने का निर्देश, उच्च पद पर काम करने वाला कर्मचारी पद के अनुरूप वेतन का हकदार : हाईकोर्ट 


    प्रयागराजः इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कार्यवाहक हेडमास्टर पद पर काम करने वाले टीजीटी प्रवक्ता को हेडमास्टर पद के वेतनमान का हकदार माना है। कोर्ट ने पूर्व मध्य रेलवे को निर्देश दिया है कि याची उमाकांत पांडेय को कार्यवाहक हेडमास्टर पद पर काम करने की अवधि के दौरान नियमित हेडमास्टर का वेतनमान छह प्रतिशत वार्षिक व्याज के साथ भुगतान किया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने दिया है।


    मुकदमे से जुड़े संक्षिप्त तथ्य ये हैं कि याची पूर्व मध्य रेलवे इंटर कालेज, दीनदयाल उपाध्याय नगर (मुगलसराय) जिला चंदौली में नियमित प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक (टीजीटी) के रूप में कार्यरत था। यहां जूनियर विंग के प्रधानाध्यापक की सेवानिवृत्ति 30 नवंबर 2004 को हुई। इससे पहले तीन नवंबर 2004 के आदेश द्वारा याची को 'प्रभारी प्रधानाध्यापक' के रूप में कार्य करने का निर्देश दिया गया। उन्होंने पहली दिसंबर 2004 से छह मार्च 2008 तक इस पद पर कार्य किया। फिर नियमित पदधारी ने प्रधानाध्यापक का पदभार ग्रहण किया। 


    याची ने कार्य अवधि के लिए हेडमास्टर के समान वेतन भुगतान किए जाने की मांग को लेकर प्रत्यावेदन दिया। उसके प्रत्यावेदन पर कोई निर्णय नहीं लिया गया। उल्टे विभाग ने उसे पद के दायित्व का ठीक से निर्वहन न करने के कारण चार्जशीट जारी कर दी। याची ने विभागीय कार्रवाई को अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष चुनौती दी। प्राधिकारी ने विभागीय कार्रवाई रद कर दी। इसके बाद याची ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) प्रयागराज में याचिका दाखिल की।

    स्थानांतरित शिक्षकों को मानव संपदा पोर्टल से वेतन भुगतान करने का आदेश जारी

    स्थानांतरित शिक्षकों को मानव संपदा पोर्टल से वेतन भुगतान करने का आदेश जारी 


    प्रयागराज। अशासकीय सहायता माध्यमिक संस्थाओं में कार्यरत तकरीबन दो हजार प्रधानाचार्यों और शिक्षकों के तबादले के बाद मानव संपदा पोर्टल के माध्यम से वेतन भुगतान करने के आदेश दिए गए हैं।

    शिक्षा निदेशालय से 360 ऑनलाइन और लगभग 1600 ऑफलाइन स्थानांतरित शिक्षकों ने  नवीन कॉलेज में कार्यभार ग्रहण कर लिया है। कई शिक्षकों ने शिकायत की है कि कार्यभार ग्रहण करने के बाद भी जिलों के अधिकारी पोर्टल के माध्यम से नियमानुसार वेतन नहीं दे रहे हैं। 

    अपर शिक्षा निदेशक माध्यमिक सुरेंद्र कुमार तिवारी ने सभी जिला विद्यालयनिरीक्षकों को सोमवार को पत्र लिखा है कि एक अध्यापक का वेतन भुगतान दो जिलों से किया जाना संभव नहीं है। ऐसे में यह आदेशित किया जाता है कि स्थानांतरित अध्यापकों के पूर्व में कार्यरत संस्था की लास्ट पे सर्टिफिकेट (एलपीसी) के आधार पर पूरे महीने का वेतन भुगतान संबंधित से कराना सुनिश्चित करें।


    टीईटी के विरोध में यूपी समेत देश के शिक्षकों ने भरी हुंकार, करीब 22 राज्यों से आए शिक्षकों ने दिल्ली में किया प्रदर्शन

    टीईटी के विरोध में यूपी समेत देश के शिक्षकों ने भरी हुंकार, करीब 22 राज्यों से आए शिक्षकों ने दिल्ली में किया प्रदर्शन

    देश भर से आए शिक्षकों ने टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सोमवार को दिल्ली के जंतर-मंतर पर प्रदर्शन कर ताकत दिखाई

    शीतकालीन सत्र के बीच संसद के घेराव का ऐलान, 22 राज्यों के करीब एक लाख शिक्षक साथ आए

    25 नवंबर 2025
    नई दिल्ली/लखनऊ। शिक्षा अधिकार अधिनियम लागू होने की तिथि से पूर्व के सेवारत शिक्षकों के लिए टीईटी की अनिवार्यता से छूट दिए जाने की मांग को लेकर देशभर के 22 राज्यों के करीब एक लाख से अधिक शिक्षकों ने सोमवार को दिल्ली के जंतर मंतर पर ऐतिहासिक प्रदर्शन किया। 28 शिक्षक संगठनों द्वारा संयुक्त रूप से गठित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के बैनर तले शिक्षकों ने सरकार को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि संसद के शीतकालीन सत्र में सेवारत शिक्षकों को टीईटी से मुक्त किए जाने संबंधी संशोधित अध्यादेश पारित नहीं किया जाता है तो देशभर के लाखों अध्यापक संसद का घेराव करेंगे।


    कई संगठन एक साथ जुटेः धरना प्रदर्शन में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय संयोजक बासवराज गुरिकर, सह संयोजक एवं यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर, प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी, महामंत्री उमाशंकर सिंह, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी, विशिष्ट बीटीसी शिक्षक एसोसिएशन के विनय तिवारी, शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के अनिल यादव, यादवेन्द्र शर्मा, अभय पांडेय, के.के. शर्मा, पीयूष कटियार, रविप्रकाश सिंह, अंकित राय, प्रकाशनाथ त्रिपाठी, हेमंत तिवारी, पंकज यादव, संतोष यादव, धर्मेंद्र चाहर व निधि वर्मा आदि ने शिक्षकों को संबोधित कर शिक्षकों की आवाज को बुलन्द किया। धरना प्रदर्शन कार्यक्रम का संचालन संजय मिश्रा ने किया।





    टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में शिक्षकों का दिल्ली में विरोध आज 

    24 नवंबर 2025
    लखनऊ। देश भर के सेवारत परिषदीय शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में विरोध-प्रदर्शन दिल्ली में भी सोमवार से शुरू होगा। विभिन्न शिक्षकों के संगठन अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की ओर से सोमवार 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर धरना दिया जाएगा। इसके लिए काफी संख्या में शिक्षक प्रदेश से भी रविवार को रवाना हुए।

    भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा में शामिल यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राठौर ने बताया कि देश भर के 22 राज्यों के शिक्षक संगठन इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं। शिक्षक प्रदर्शन से न सिर्फ अपनी मांग बुलंद करेंगे बल्कि केंद्र सरकार को चेतावनी भी देंगे कि इस मामले में लड़ाई आर-पार की होगी। उन्होंने संसद के शीतकालीन सत्र में आरटीई लागू होने से पहले से नियुक्त शिक्षकों को इससे छूट देने की मांग की है।



    टीईटी अनिवार्यता के विरोध में 22 राज्यों के शिक्षक 24 नवंबर को करेंगे दिल्ली कूच, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने किया एलान


    नई दिल्ली। वर्ष 2011 से पहले नियुक्त पहली से आठवीं कक्षा के लाखों शिक्षकों ने अनिवार्य शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) का विरोध करते हुए 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। 22 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के शिक्षक संसद के शीतकालीन सत्र से पहले विरोध धरने में अपनी मांग रखेंगे। उन्होंने सरकार से उनके हितों की रक्षा करने की मांग दोहराई है।


    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, राजस्थान, झारखंड, दिल्ली समेत अन्य राज्यों के लाखों सेवारत शिक्षक एकजुट हो गए हैं। भर्ती विज्ञापन में 2011 से पहले ऐसी कोई शर्त नहीं थी, फिर इतने सालों की सेवा के बाद यह बदलाव गलत है। यादव ने कहा कि सरकार शीतकालीन सत्र में अध्यादेश लाकर टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे


    बच्चों को पढ़ाएं या परीक्षा की तैयारी करें
    शिक्षक संगठनों ने सवाल उठाया है कि शिक्षकों पर 2025 में अचानक टीईटी अनिवार्य का फैसला क्यों थोपा गया। वे बच्चों को पढ़ाएं या अपनी परीक्षा की तैयारी करें? एक अनुमान के मुताबिक, टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देश भर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं। जंतर-मंतर पर होने वाले इस आंदोलन के लिए अक्तूबर से ही जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू हो गया था।




    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ शिक्षक संघर्ष मोर्चा दिल्ली में होने वाले प्रदर्शन की तैयारी में जुटा, 24 नवंबर को देशभर से दिल्ली पहुंचेंगे शिक्षक

    लखनऊ। देशभर के प्राथमिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के विरोध में अलग-अलग शिक्षक संगठनों ने दिल्ली कूच का एलान कर रखा है। इसी क्रम में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर घोषित प्रदर्शन को सफल बनाने की तैयारी में जुटा है।

    मोर्चा पदाधिकारियों ने कहा कि इस प्रदर्शन में प्रदेश ही नहीं देशभर से बड़ी संख्या में शिक्षक शामिल होकर टीईटी अनिवार्यता का विरोध करेंगे। वे एनसीटीई द्वारा देशभर के शिक्षकों पर टीईटी अनिवार्य किए जाने का हर स्तर पर विरोध करेंगे। शिक्षकों का कहना है कि यह निर्णय 2011 से पहले कार्यरत शिक्षकों के साथ अन्याय है। मोर्चा किसी भी दशा में इस काले कानून को लागू नहीं होने देगा।

    मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने कहा कि जरूरत पड़ी तो शिक्षक संसद का घेराव भी करेंगे। बता दें कि उत्तर प्रदेश सहित चार राज्यों की सरकारों ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका भी दायर की है। हालांकि अभी इस पर सुनवाई नहीं हुई है। 



    टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच के लिए जिलों में शुरू होगा जनसंपर्क, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा 24 नवंबर को करेगा दिल्ली में प्रदर्शन

    लखनऊ। देशभर के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद शिक्षकों का विरोध तेज हो रहा है। कई शिक्षक संगठनों के मोर्चे ने 24 नवंबर को दिल्ली कूच का एलान किया है। इसके लिए 25 अक्तूबर से देशभर के सभी जिलों में जनसंपर्क और बैठकों का सिलसिला शुरू होगा।

    शिक्षक संगठनों के संयुक्त मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर होने वाले आंदोलन की तैयारी तेज कर दी है। इसमें लाखों शिक्षक शामिल होंगे। दिवाली आदि त्योहारों के बाद शिक्षकों ने इसके लिए तैयारी तेज कर दी है। इसी क्रम में 25 से 31 अक्टूबर तक पूरे देश के जिला मुख्यालयों पर मोर्चे में शामिल सभी घटक संगठन शिक्षकों की बैठकें करेंगे।

    अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के राष्ट्रीय सह संयोजक अनिल यादव ने बताया कि बैठक कर अधिक से अधिक शिक्षकों को दिल्ली जंतर मंतर पर पहुंचने के लिए तैयार करेंगे। इसके लिए स्कूलों में जनसंपर्क भी किया जाएगा। उन्होंने कहा की दिल्ली जाने वालों की संख्या और तैयारी की जानकारी शीर्ष नेतृत्व को 10 नवंबर तक सभी प्रदेशों द्वारा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि टीईटी लागू होने से उत्तर प्रदेश में लगभग 1.86 लाख और देशभर में लगभग 10 लाख शिक्षक प्रभावित हो रहे हैं।


    संयुक्त मोर्चा की मांगें

    केंद्र सरकार टीईटी को अनिवार्य करने के आदेश में संशोधन करे
    शिक्षकों की सेवा सुरक्षित करने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं
    केंद्र सरकार संसद में अध्यादेश लाकर देश के शिक्षकों के हितों की रक्षा करे




    टीईटी की अनिवार्यता के विरोध में दिल्ली में प्रदर्शन 24 नवंबर को, संयुक्त मोर्चा में शामिल प्रदेश के 12 शिक्षक संगठनों ने बैठक कर तय की रणनीति

    शिक्षक पात्रता परीक्षा की अनिवार्यता के खिलाफ अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक 

    शिक्षकों के अलग-अलग संगठनों ने संयुक्त मोर्चा बनाकर आंदोलन की रणनीति तैयार की 


     लखनऊ: कक्षा एक से आठ तक के शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) की अनिवार्यता के खिलाफ देश भर के शिक्षक एकजुट हो गए हैं। बुधवार को लखनऊ में अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली राज्य स्तरीय बैठक में शिक्षकों ने 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर आर-पार के संघर्ष का एलान किया। बैठक में निर्णय लिया गया कि यदि केंद्र सरकार ने आदेश वापस नहीं लिया, तो पूरे देश से करीब 10 लाख शिक्षक दिल्ली पहुंचकर आंदोलन करेंगे जिनमें उत्तर प्रदेश के लगभग 1.86 लाख शिक्षक भी होंगे।

    बैठक में सोचा के राष्ट्रीय संयोजक योगेश त्यागी, सह-संयोजक विनय तिवारी, अनिल यादव और संतोष तिवारी ने कहा कि 23 अगस्त 2010 से पहले कार्यरत शिक्षकों पर किसी भी दशा में टीईटी लागू नहीं होने दिया जाएगा। यदि जरूरत पड़ी तो संसद का घेराव भी किया जाएगा। बैठक में तय किया गया कि 25 अक्टूबर से 31 अक्टूबर तक देशभर के सभी जिलों में शिक्षकों की बैठकें आयोजित की जाएंगी ताकि 24 नवंबर के आंदोलन की पूरी तैयारी की जा सके।


    नेताओं ने कहा कि एनसीटीई (नेशनल काउंसिल फार टीचर एजुकेशन) का आदेश शिक्षकों की वर्षों की मेहनत और योग्यता पर सवाल खड़ा करता है। 55 वर्ष का शिक्षक अब बच्चों को पढ़ाए या खुद परीक्षा की तैयारी करें? शिक्षक नेताओं उत्तर प्रदेश सरकार भी मांग की कि वह सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिव्यू पिटीशन के लिए वरिष्ठ अधिवक्ताओं का पैनल तैयार करे और केंद्र सरकार से बातचीत कर 23 अगस्त 2010 को एनसीटीई द्वारा जारी आदेश के पालन की दिशा में पहल करे।

    बैठक में अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के महामंत्री उमाशंकर सिंह, जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के महामंत्री नरेश कौशिक, उत्तर प्रदेश बीटीसी संघ के अध्यक्ष अनिल यादव, टीएससीटी के अध्यक्ष विवेकानंद आर्य, प्राथमिक शिक्षक संघ के अध्यक्ष राम प्रकाश साहू, एससी/एसटी टीचर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष सुंदर सिंह शास्त्री, यूटा के अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर, महामंत्री ओम पोरवाल, अशासकीय सहायता प्राप्त शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष सुशील सिंह, अखिल भारतीय जूनियर हाई स्कूल शिक्षक संघ के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष समर बहादुर सिंह और बेसिक शिक्षक एसोसिएशन के अध्यक्ष महेंद्र यादव प्रमुख रूप से शामिल हुए।



    टेट के अनिवार्यता के खिलाफ 24 नवंबर को जंतर-मंतर पर जुटेंगे शिक्षक

    लखनऊ : शिक्षक पात्रता परीक्षा (टेट) अनिवार्यता कानून में संशोधन और पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर शिक्षक 24 नवंबर को दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन करेंगे। रविवार को अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की आनलाइन बैठक में इसे लेकर राज्यवार जिम्मेदारियां भी सौंपी गईं। 

    राष्ट्रीय अध्यक्ष वासवराज गुरिकर और महासचिव कमलाकांत त्रिपाठी ने कहा कि जब शिक्षा का अधिकार अधिनियम और टेट परीक्षा व्यवस्था अस्तित्व में नहीं थी, उस समय नियुक्त शिक्षकों पर वर्तमान नियम लागू करना अन्याय है। प्रदेश अध्यक्ष विनय तिवारी ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर गठित अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा के तहत सभी संगठनों को एक मंच पर लाने की तैयारी चल रही है।




    अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की बैठक में टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का एलान

    लखनऊ। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ की राष्ट्रीय वर्किंग कमेटी की बैठक रविवार को मदुरई तमिलनाडु में हुई। इसमें टीईटी के मुद्दे पर सड़क से संसद तक संघर्ष का ऐलान किया गया।

    राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में टीईटी अनिवार्यता, विभिन्न प्रांत के शिक्षकों से संबंधित समस्याओं, राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षक विरोधी मुद्दों, संविदा शिक्षको के नियमितीकरण, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्रवाई पर विस्तृत चर्चा हुई। वर्किंग कमेटी में सुप्रीम कोर्ट द्वारा पारित टीईटी अनिवार्यता के खिलाफ सभी ने एक स्वर में संघर्ष की सहमति दी। 

    उन्होंने कहा कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू होने के पूर्व नियुक्त शिक्षक को टीईटी से छूट दी गई थी। इस पर एनसीटीई को अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। ताकि देश भर के लाखों शिक्षकों को राहत मिल सके।

    बैठक में राष्ट्रीय पदाधिकारियों ने टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ मजबूत आंदोलन व सुप्रीम कोर्ट में मजबूत पैरवी करने की रणनीति बनी। बैठक में उत्तर प्रदेश से ठाकुरदास यादव, आलोक मिश्रा, अनुज त्यागी, नरेश कौशिक, योगेश शुक्ला, संजय पांडेय आदि उपस्थित थे।




    टीईटी अनिवार्यता के मामले में तमिलनाडु में आज बैठक कर रणनीति बनाएंगे शिक्षक प्रतिनिधि

    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) अनिवार्य किए जाने के बाद देश भर के शिक्षक आंदोलन तेज करने की तैयारी में जुटे हैं। इसके लिए अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारियों की 12 अक्तूबर को तमिलनाडु के मदुरई में बैठक होगी। इसमें देश के सभी राज्यों के शिक्षक प्रतिनिधि भाग लेंगे।

    राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने बताया कि बैठक में आंदोलन की रणनीति बनाई जाएगी। टीईटी अनिवार्यता से जुड़ी जटिलताओं पर केंद्र सरकार को कैसे समाधान निकालने के लिए तैयार जाए, इस पर भी मंथन होगा। बैठक में विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली आदि पर भी चर्चा होगी। 

    इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के शिक्षकों के लिए समान वेतन आयोग लागू करना, पुरानी पेंशन की बहाली विभिन्न राज्यों में खाली पदों को भरने, 8वें वेतन आयोग पर त्वरित कार्यवाही के लिए चर्चा की जाएगी। उन्होंने बताया कि बैठक में इन सभी मुद्दों को लेकर राष्ट्रीय स्तर के आंदोलन की रणनीति व तिथि भी तय की जाएगी।




    टीईटी अनिवार्यता के मामले को लेकर लखनऊ में शिक्षक मोर्चा की बैठक में बनेगी रणनीति

    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट द्वारा शिक्षकों के लिए टीईटी अनिवार्य किए जाने के मामले में चल रहा आंदोलन तेजी पकड़ रहा है। इस क्रम में प्रदेश के विभिन्न शिक्षक संगठनों - के मोर्चा अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की पहली - बैठक 15 अक्तूबर को लखनऊ में होगी। इसमें आंदोलन - की अगली रणनीति तय की जाएगी। 

    मोर्चा के राष्ट्रीय सह - संयोजक अनिल यादव ने बताया कि राजधानी के डिप्लोमा इंजीनियर्स संघ हाल, लोक निर्माण विभाग में सुबह 11 बजे - से बैठक आहूत की गई है। इसमें सभी शिक्षक संगठनों के - प्रतिनिधि शामिल होंगे। वहीं जो शिक्षक संगठन मोर्चा में नहीं - भी हैं, वे भी इसमें शामिल हो सकते हैं। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई शिक्षक हित की है। इसके लिए सभी का एकजुट होना जरूरी है। 




    टीईटी अनिवार्यता के मुद्दे पर दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी

    लखनऊ । टीईटी मुद्दे पर देश भर के प्राइमरी शिक्षक दीपावली बाद दिल्ली जाम करने की तैयारी में हैं। आगामी 15 अक्टूबर को इसके लिए प्रत्येक राज्य की राजधानियों में उस राज्य के शिक्षकों की बैठक बुलाई गई है। यूपी सबसे अधिक शिक्षकों वाला राज्य होने के कारण प्रस्तावित आन्दोलन के नेतृत्वकर्ता की भूमिका में है।

    यही कारण है कि टीईटी मामले को लेकर हाल ही में देश भर के शिक्षक संगठनों को मिलाकर बना संयुक्त मंच अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा की अगुवाई भी यूपी के ही जूनियर हाईस्कूल शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष योगेश त्यागी को सौंपी गई है। योगेश मोर्चा के संयोजक बनाए गए हैं।

    लखनऊ में 15 अक्तूबर को बड़े स्तर पर मोर्चा से जुड़े यूपी के सभी शिक्षक संगठनों की बैठक बुलाई गई है, जिसमें दिल्ली में नवम्बर के पहले सप्ताह में प्रस्तावित बैठक के एजेण्डे को अन्तिम रूप दिया जाएगा।


    नौकरी पर संकट गहरा गया है: शिक्षक संगठन

    बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के निर्णय से शिक्षकों की नौकरी पर संकट गहरा गया है। अगले दो वर्ष के भीतर टीईटी देनी होगी अन्यथा नौकरी छोड़नी पड़ सकती है। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के मंत्री वीरेन्द्र सिंह का कहना है कि कोर्ट के आदेश को शिथिल कराने के लिए हम सरकार पर कानून में संशोधन करने का दबाव बना रहे हैं।


    यूपी के एक संगठन ने निर्णय को दी है चुनौती

    यूपी के यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के खिलाफ याचिका दायर की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने सर्वोच्च न्यायालय में याचिक दाखिल कर केन्द्र सरकार के वर्ष 2017 के अधिनियम को चुनौती दी है, जिसमें संबंधित अधिनियम संशोधन को मौलिक अधिकारों के विरुद्ध बताते हुए असंवैधानिक करार दिया गया है।




    टीईटी के मुद्दे पर केंद्र का रुख अब तक स्पष्ट न होने से शिक्षकों की बढ़ रही नाराजगी 

    विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन ने बैठक कर जताई नाराजगी


    लखनऊ। सुप्रीम कोर्ट से टीईटी की अनिवार्यता के आदेश के एक महीने बाद भी केंद्र सरकार द्वारा अपना पक्ष स्पष्ट न करने पर प्रदेश के शिक्षकों ने नाराजगी जताई है। विशिष्ट बीटीसी शिक्षक वेलफेयर एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने शनिवार को बैठक कर केंद्र सरकार के रवैये पर नाराजगी जताई और ठोस निर्णय न होने पर आंदोलन की चेतावनी दी।

    प्रदेश अध्यक्ष संतोष तिवारी की अध्यक्षता में हुई बैठक में पदाधिकारियों ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश से देश भर के शिक्षक नौकरी को लेकर चिंतित हैं। विभिन्न संगठनों ने प्रधानमंत्री व शिक्षामंत्री को हजारों पत्र भेजे हैं, लेकिन अब तक इस पर केंद्र सरकार ने कोई ठोस निर्णय नहीं लिया है। प्रदेश महासचिव दिलीप चौहान ने कहा, केंद्र सरकार को इसका समाधान प्राथमिकता से करना चाहिए।

    प्रांतीय वरिष्ठ उपाध्यक्ष शालिनी मिश्रा ने कहा, अगर जल्द ही केंद्र सरकार ने स्थिति स्पष्ट नहीं की तो एसोसिएशन शिक्षक संगठनों के साथ मिलकर देशव्यापी आंदोलन के लिए बाध्य होगा। बैठक में विधि

    सलाहकार आमोद श्रीवास्तव, विनीत सिंह, शशि प्रभा सिंह, राकेश तिवारी, सुशील रस्तोगी, धर्मेंद्र शुक्ला, तुलाराम गिरी, सुशील यादव आदि शामिल हुए।




    कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुटे शिक्षक संघ, टीईटी की अनिवार्यता के खिलाफ दिल्ली कूच की तैयारी

    15 अक्टूबर तक कालीपट्टी बांधकर विरोध कर रहे हैं शिक्षक

    परिषदीय विद्यालयों में 1.86 लाख शिक्षक बगैर टीईटी के सेवारत


    लखनऊ: कक्षा एक से आठवीं तक पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए सेवा में बने रहने के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा टीईटी) पास करना अनिवार्य करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर विवाद गहराता जा रहा है। शिक्षक संगठनों ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की है। वहीं, राज्य सरकार भी शिक्षकों के पक्ष में पहले ही सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर चुकी है। अब शिक्षक संगठन कानूनी लड़ाई के साथ-साथ आंदोलन की तैयारी में भी जुट गए हैं। दिल्ली के जंतर-मंतर पर नरना-प्रदर्शन करने की रणनीति बनाई जा रही है, ताकि सरकार पर बाव बनाया जा सके। वहीं, बहुत वे शिक्षक टीईटी की तैयारियों में भी जुटे हैं।


    प्रदेश में प्राथमिक व उच्च ाथमिक विद्यालयों में चार लाख ० हजार शिक्षक कार्यरत हैं, इनमें करीब एक लाख 86 हजार शिक्षक बगैर टीईटी के हैं। अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल हो चुकी है।


    15 अक्टूबर तक काली पट्टी बांधकर शिक्षक आपत्ति जताते हुए शिक्षण कार्य कर रहे हैं। इसके बाद दिल्ली कूच किया जाएगा। उधर, उत्तर प्रदेश बीटीसी शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने सरकार से मांग की है कि प्राथमिक विद्यालयों में 25 वर्षों से काम कर रहे बीटीसी, सीटीईटी और यूपी टीईटी पास शिक्षामित्रों को नई नियमावली बनाकर सुपर-टीईटी से मुक्त करते हुए सहायक अध्यापक पद पर स्थायी किया जाए।


    प्रदेश में करीब 70 हजार ऐसे शिक्षामित्र हैं, जिनके पास बीटीसी प्रशिक्षण और टीईटी या सीटीईटी की पात्रता है। वर्तमान में प्रदेश में लगभग 1.48 लाख से अधिक शिक्षामित्र परिषदीय विद्यालयों में कार्यरत हैं। इनमें से अधिकतर ने दो वर्षीय दूरस्थ बीटीसी प्रशिक्षण पूरा कर लिया है। खास बात यह है कि करीब 70 हजार शिक्षामित्र बीटीसी के साथ टीईटी या सीटीईटी भी पास कर चुके हैं। जिस तरह उत्तराखंड सरकार ने 29 जुलाई 2019 को नियमावली जारी कर योग्य शिक्षामित्रों को सहायक अध्यापक पद पर नियुक्त किया था, उसी तरह यूपी सरकार को भी आदेश जारी करना चाहिए। जब तक सभी शिक्षामित्रों को स्थायी नियुक्ति नहीं दी जाती, तब तक उनके मानदेय में सम्मानजनक वृद्धि की जानी चाहिए।


    टीईटी की तैयारी में जुटे कई शिक्षक

    कई शिक्षक किसी भी स्थिति में रिस्क नहीं लेना चाहते। उन्होंने टीईटी के सैंपल पेपर खरीदकर तैयारी शुरू कर दी है। इसके साथ ही वे माक टेस्ट भी दे रहे है। कई वाट्सएप ग्रुप पर शिक्षक आपस में आनलाइन लिंक शेयर कर टीईटी का सिलेबस और माक टेस्ट उपलब्ध करा रहे हैं। यानी एक तरफ टीईटी की अनिवार्यता को लेकर विरोध और आंदोलन की तैयारी है, तो दूसरी तरफ कई शिक्षक भविष्य सुरक्षित करने के लिए परीक्षा की तैयारी में जुट गए हैं।