संवादसूत्र, सतरिख (बाराबंकी): कौन कहता है प्राथमिक विद्यालय में पढ़ाई नहीं होती? यहां के प्राथमिक विद्यालय इस्लामिया में हंिदूी के साथ अंग्रेजी भी पढ़ाई जा रही है। पठन-पाठन ऐसा कि कक्षा दो की नन्हीं छात्र अंग्रेजी में फर्राटेदार कविताएं पढ़ रही है। अकेली यही छात्र नहीं अन्य छात्र भी पढ़ाई में इतने अव्वल कि विद्यालय का माहौल कान्वेंट से कम नहीं आंका जा सकता।1कस्बे के पूरे भग्गन मुहल्ले में मुख्य मार्ग पर प्राथमिक विद्यालय इस्लामिया संचालित है। बीते नवंबर माह में यहां रूपारानी और शशि वर्मा शिक्षिकाओं की तैनाती हुई थी। उस दौरान विद्यालय के हालात बद से बदतर थे। इतना ही नहीं पढ़ाई का वातावरण ठप सा था। हालात ऐसे थे कि अभिभावक बच्चों को विद्यालय भेजना नहीं चाहते थे। शिक्षिकाओं के लिए सब कुछ चुनौती था। दोनों लोगों ने चुनौती को स्वीकारा। घर-घर गईं। अभिभावकों से मिलीं, बच्चों को विद्यालय भेजने के प्रति प्रेरित किया। यह भी कहा कि बच्चे खेत जाएं लेकिन पढ़ने अवश्य आएं। मेहनत रंग लाई। जहां न के बराबर छात्र थे। वहां संख्या 27 पहुंची। शुरू हुई पढ़ाई के माहौल को पटरी पर लाने की मुहिम। मात्र तीन महीने के अंतराल में कड़ी मेहनत से बदलाव ला दिया। गिनती, पहाड़ा, हंिदूी की बात छोड़िए यहां की कक्षा दो की छात्र अंशू अंग्रेजी में पोयम पढ़ रही है। कक्षा एक का नन्हा छात्र अजीत एबीसीडी पढ़ना जानकर अब अक्षरों को जोड़कर अपना नाम, स्कूल का नाम, मैडम का नाम पढ़ना सीख रहा है। इतना ही नहीं कक्षा चार का छात्र हिमांशु पढ़ाई के साथ ही न्याय पंचायत स्तरीय प्रतियोगिता में टॉपर बन चुका है। गरीबी से जूझते परिवार के लिए मेहनत कर हिमांशु तीन सौ रुपये महीने जुटा कर पढ़ने भी आता है। राहुल सहित अधिकांश छात्र-छात्रएं पठन-पाठन में उत्तीर्ण हैं।1प्रधानाचार्य रूपारानी व शिक्षिका शशि वर्मा कहती हैं कि कोशिश है कि बेहतर पढ़ाई से विद्यालय की पहचान अलग बने। दिक्कतें हैं फिर भी दायित्वों के निर्वहन में हम पीछे नहीं हैं। इसका परिणाम सामने है। नहीं मिला वेतन: तैनाती के बाद से शिक्षिकाओं को अभी वेतन नहीं मिला है। इन्हें इसका भी मलाल नहीं है। कहती हैं कि हमें कर्म करना है। फल स्वत: मिल जाएगा।
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