जासं, अंबेडकरनगर : परिषदीय विद्यालयों में शिक्षकों की काफी कमी होने के बाद भी प्रदेश सरकार टीईटी और बीएड अभ्यर्थियों के साथ उपेक्षा बरत रही है। जबकि सरकार की ओर से न्यायालय में शिक्षक पदों के खाली होने के साथ ही याचियों को नियुक्ति देने पर सहमति जताई है। ऐसे हालात में प्रदेश सरकार सुप्रीम कोर्ट को गुमराह नहीं कर सकती है। सरकार पर उदासीनता बरते जाने का आरोप लगाते हुए टीईटी अभ्यर्थियों ने कहा कि नौकरी की आस में शिक्षित बेरोजगार दर-दर भटक रहें हैं।रविवार को कलेक्ट्रेट के निकट टीईटी संघर्ष मोर्चा की बैठक को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष आनंद रमन ने कहा कि न्यायालय में याची बने अभ्यर्थियों की सूची शासन ने तैयार कर ली है। इसे जल्द ही सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। ऐसे में सरकार की पूर्व की स्वीकृति के अनुसार याचियों को नौकरी देने की बाध्यता होगी। जिलाध्यक्ष ने बताया कि 12 हजार 91 सीटों को भरने के लिए जल्द ही शासनादेश जारी होगा। अनुमान लगाया जा रहा है कि उक्त भर्ती में कटऑफ मेरिट 15 से 20 गुना पर निकाली जाएगी। राम आशीष वर्मा ने कहा कि सरकार बीएड और टीईटी अभ्यर्थियों के हितों की अनदेखी कर रही है। प्रदेश की सत्ता युवा मुख्यमंत्री के हाथों में आने के बाद युवा बेरोजगार नौकरी मिलने की उम्मीद लगा बैठे। जबकि सरकार को प्रदेश के युवाओं की फिक्र नहीं है। ऐसे में मामला न्यायालय के समक्ष पहुंचने के बाद अभ्यर्थियों में रोजगार मिलने की आस जगी है। बताया गया कि आगामी नौ मई को अगली सुनवाई की तारीख तय हुई है। अभ्यर्थियों ने कहा कि उक्त मामले को अभी लंबा ¨खचने का आसार बना है। जिलाध्यक्ष ने संगठन की अगली बैठक 27 मार्च को निर्धारित करते हुए समापन किया। मौके पर उदयभान, दुर्गा प्रसाद, अखिलेश, कृष्णश्याम गौस्वामी, अवधेश पाल, अजय अग्रहरि, किरन, अनिल कुमार वर्मा, राजकुमार, कमलेश कुमार, जय प्रकाश, कंचन, अखिलेश, बृजलाल, रेनू गुप्ता, राजन, अनुराग, दीवान, विक्रमाजीत, पवन, दिनेश व रमेश आदि मौजूद रहे।क
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