11 साल की नौकरी के बाद बाद फर्जी डिग्री वाले 22 शिक्षक बर्खास्त, जिला विद्यालय निरीक्षकों को एफआइआर दर्ज कराने के लिए निर्देश
लखनऊः माध्यमिक शिक्षा में सहायक अध्यापक पदों पर हुईं नियुक्तियों की जांच में बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है। सत्यापन में 22 शिक्षकों के प्रमाणपत्र फर्जी पाए गए हैं। माध्यमिक शिक्षा विभाग ने उनकी सेवाएं समाप्त करते हुए वेतन की रिकवरी और उनके विरुद्ध एफआइआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। यह सभी नियुक्तियां आजमगढ़ मंडल में अप्रैल 2014 में हुई थी। स्थानांतरण के बाद वर्तमान में ये सभी शिक्षक अलग-अलग कालेजों में कार्यरत थे।
माध्यमिक शिक्षा निदेशक की ओर से एलटी ग्रेड (प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक) के रिक्त पदों को भरने के लिए समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से आवेदन पत्र आमंत्रित किए थे। इन नियुक्तियों में हाईस्कूल, इंटरमीडिएट, स्नातक व प्रशिक्षण अर्हता के आधार पर मेरिट बनाकर काउंसिलिंग के जरिये चयन किया गया था। दस्तावेजों की गहन जांच में कई अभ्यर्थियों के प्रमाणपत्र कूटरचित मिले। फर्जी अभिलेखों के आधार पर नियुक्त हुए 22 शिक्षकों की सेवाएं 11 वर्ष के बाद तत्काल समाप्त कर दी गईं हैं।
इन फर्जी शिक्षकों से उनके द्वारा अब तक प्राप्त वेतन की वसूली (रिकवरी) की जाएगी। इसके अतिरिक्त संबंधित शिक्षकों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने के आदेश भी जारी किए गए हैं। संबंधित जिला विद्यालय निरीक्षकों को सख्त कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं।
लाखों रुपये की आएगी रिकवरी
एलटी ग्रेड में शिक्षकों का शुरुआती वेतन करीब 55 हजार रुपये महीने है जो वरिष्ठता के हिसाब से इस समय 75 हजार रुपये महीने होगा। ऐसे में अगर औसत 60 हजार रुपये महीने के हिसाब से एक वर्ष के वेतन की गणना करें तो 7,20,000 रुपये हुए। इस तरह से नौ वर्ष में प्राप्त वेतन का आकलन करें तो यह 64,80,000 रुपये हुए। ऐसे में एक शिक्षक से करीब 64-65 लाख रुपये की रिकवरी होगी।
सवाल यह है कि ये शिक्षक फर्जी प्रमाणपत्रों के बूते कैसे नौकरी करते रहे और सत्यापन में इतना समय लग गया। अब इन शिक्षकों से रिकवरी कैसे होगी? माध्यमिक शिक्षा निदेशक डा. महेंद्र देव ने बताया कि पहले मेरिट के आधार पर नियुक्ति होती थी।
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