हरदोई, जागरण संवाददाता: वाह रे व्यवस्था। बातें तो आसमान की हो रहीं और जमीनी हकीकत पर कोई ध्यान नहीं है। परिषदीय विद्यालयों में नियुक्त शिक्षक शिक्षिकाएं आर्थिक संकट से जूझ रहे हैं। स्थिति तो यह हो गई है कि बच्चों को पढ़ाने वालों के बच्चों की फीस तक की दिक्कत है। अब इसे मनमानी ही कहेंगे कि अभिलेखों का सत्यापन होने के बाद भी वेतन नहीं जारी किया जा रहा है। एक दो नहीं सैकड़ों की संख्या में शिक्षक शिक्षिकाएं परेशान होकर दर दर भटक रहे हैं।1परिषदीय विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था सुधारने के लिए अभी हाल में ही हुई 72825 भर्ती प्रक्रिया में जिले के तीन हजार पदों के सापेक्ष करीब 2300 शिक्षक शिक्षिकाओं की नियुक्ति हुई। इस भर्ती प्रक्रिया में अधिकांश वह हैं जोकि वर्षों से नौकरी का इंतजार कर रहे थे। नवंबर 2015 में पहले बैच को तैनाती दी गई। मौका मिला तो मनोयोग से शिक्षण कार्य शुरु किया। देखा जाए तो यह अधिकारी भी मानते हैं कि विद्यालयों की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार आया, बच्चों का शैक्षिक स्तर ही नहीं विद्यालयों की सूरत भी बदली। वेतन की प्रक्रिया शुरु हुई तो भागदौड़ कर शिक्षक शिक्षिकाओं ने शैक्षिक अभिलेखों का सत्यापन कराया। वेतन बिल भी बन गए लेकिन भुगतान नहीं मिल पाया है। ऐसी हालत में उन्हें आर्थिक परेशान उठानी पड़ रही है। 72825 ही नहीं विज्ञान गणित में उच्च प्राथमिक विद्यालयों में भर्ती शिक्षकों को भी वेतन नहीं मिल पाया है।1मकान मालिक मांग रहा किराया, दुकानदार उधारी: भर्ती प्रक्रिया में देखा जाए तो अधिकांश शिक्षक शिक्षिकाएं बाहरी हैं। उनका परिवार भी है और नौकरी की खातिर वह किराए पर मकान लेकर रह रहे हैं। किसी ने नवंबर में ज्वाइन किया तो कोई कुछ दिनों बाद आया। शिक्षक शिक्षिकाओं का कहना है कि मकान मालिक ने सोंचा कि हर माह किराए में दिक्कत नहीं होगी तो राशन दुकानदार भी आराम से सामग्री देने लगा। वेतन न मिलने से किसी तरह घर और जुगाड़ से काम चलाया लेकिन अब तो स्थिति खराब होती जा रही है। मकान मालिक किराया मांग रहा तो दुकानदार उधारी। उनका कहना है कि परेशानी की तरफ कोई देखने वाला नहीं है।बिना चढ़ावा नहीं होता काम: नौकरी के बाद से शिक्षक शिक्षिकाएं शोषण का शिकार हो रहे हैं। हर जगह चढ़ावा देने के बाद नौबत आई तो अब अपने मेहनताने के लिए ही उन्हें परेशान होना पड़ रहा है। विभागीय जानकारों का कहना है कि बिना कमीशन के काम ही नहीं होता और फाइल आगे नहीं बढ़ पाती। वेतन भुगतान में भी ऐसा ही हो रहा है,लेकिन अब धीरे धीरे धैर्य टूटता जा रहा है।अगले जन्म में बाबू बनाना: बाबू जी के पास एक शिक्षिका कई बार चक्कर लगा चुकी। हर बार कुछ न कुछ बता दिया जाता। बिल बन गया लेकिन अब भुगतान फंस गया। बाबू गिरी से परेशान हो चुकी शिक्षिका से मुंह से निकल गया हे भगवान अगले जन्म में शिक्षिका नहीं बाबू बनाना। शब्द सुनकर सभी उसका मुंह ताकने लगेसंघ भी कर रहे नेतागिरी: शिक्षक संघ नेतागिरी तो कर रहे हैं लेकिन नवनियुक्त शिक्षक शिक्षिकाओं की बात कहने वाला कोई नहीं है। ऐसे में वह परेशान घूम रहे हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष शिवशंकर पांडेय कहते हैं कि वह शिक्षकों के साथ हैं और भुगतान न होने पर अब लड़ाई शुरु होगी। वहीं जूनियर शिक्षक संघ की जिलाध्यक्ष सुनीता त्यागी ने अब आंदोलन की चेतावनी दी है।
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