रामपुर : पुरानी पेंशन योजना बहाली को लेकर शिक्षक और कर्मचारी बड़े आंदोलन
की तैयारी में है। इसके साथ ही सातवें वेतन आयोग का भी जोरदार विरोध किया
जाएगा। शिक्षकों का मानना है कि विधानसभा चुनाव से पहले सरकार पर दबाव
बनाया जा सकता है और यह समस्या दूर हो सकती है। लिहाजा, शुरुआती दौर में
आंदोलन की रूपरेखा तय हो चुकी है, जिसे आने वाले समय में आवश्यकता के
अनुरूप विस्तारित किया जाएगा। इसको लेकर पिछले दिनों लखनऊ में बैठक भी हुई
थी। ऐसे में शिक्षक और कर्मचारी का यह रूख प्रदेश सरकार के लिए सिरदर्द बन
सकता है।
केंद्र सरकार ने जनवरी 2004 और प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2005 से पुरानी पेंशन योजना समाप्त कर नई पेंशन योजना लागू कर दी है। इसको लेकर केंद्रीय कर्मचारियों से लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी तक नियमित आंदोलन कर रहे हैं। कई राज्यों में कर्मचारियों के विरोध के चलते सरकार को झुकना पड़ा और पुरानी पेंशन योजना लागू की। शिक्षकों और कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने तो मुहिम छेड़ रखी है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हो सकी हैं। कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की जिलाध्यक्ष शकुन्तला लोधी कहती हैं कि पुरानी पेंशन योजना के मुकाबले नई पेंशन योजना कर्मचारियों के हित में नहीं है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को कोई अंशदान नहीं देना पड़ता था, जबकि नई पेंशन योजना में दस फीसद कटौती हो रही है। यही नहीं नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आश्रित है, जिस कारण सरकार गारंटी से मुक्त हो गई है। इसके अलावा इसकी प्रक्रियाएं भी जटिल हैं, जिस कारण कर्मचारी अपने हितों को देखते हुए पुरानी पेंशन योजना बहाली की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष प्रेम सिंह बताते हैं कि सातवें वेतन आयोग के विरोध में और पुरानी पेंशन योजना बहाली की मांग को लेकर पिछले दिनों लखनऊ में बैठक हुई थी, जिसमें संगठन के नेताओं ने सर्वसम्मति से बड़े आंदोलन का निर्णय किया है। इसके तहत आठ जुलाई को पूरे प्रदेश में शिक्षक एवं कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की प्रतियां जलाएंगे। 11 जुलाई को पुरानी पेंशन योजना बहाली और सातवें वेतन आयोग के विरोध में हड़ताल की जाएगी। 14 जुलाई को ज्ञापन का कार्यक्रम तय किया गया है। इसके अलावा इसके बाद भी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो प्रांतीय स्तर पर जिस प्रकार के निर्देश दिए जाएंगे, उसी के अनुरूप आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा।
केंद्र सरकार ने जनवरी 2004 और प्रदेश सरकार ने अप्रैल 2005 से पुरानी पेंशन योजना समाप्त कर नई पेंशन योजना लागू कर दी है। इसको लेकर केंद्रीय कर्मचारियों से लेकर राज्य सरकार के कर्मचारी तक नियमित आंदोलन कर रहे हैं। कई राज्यों में कर्मचारियों के विरोध के चलते सरकार को झुकना पड़ा और पुरानी पेंशन योजना लागू की। शिक्षकों और कर्मचारियों के विभिन्न संगठनों ने तो मुहिम छेड़ रखी है, लेकिन तमाम प्रयासों के बावजूद कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं हो सकी हैं। कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति की जिलाध्यक्ष शकुन्तला लोधी कहती हैं कि पुरानी पेंशन योजना के मुकाबले नई पेंशन योजना कर्मचारियों के हित में नहीं है। पुरानी पेंशन योजना में कर्मचारियों को कोई अंशदान नहीं देना पड़ता था, जबकि नई पेंशन योजना में दस फीसद कटौती हो रही है। यही नहीं नई पेंशन योजना शेयर बाजार पर आश्रित है, जिस कारण सरकार गारंटी से मुक्त हो गई है। इसके अलावा इसकी प्रक्रियाएं भी जटिल हैं, जिस कारण कर्मचारी अपने हितों को देखते हुए पुरानी पेंशन योजना बहाली की मांग कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ के कोषाध्यक्ष प्रेम सिंह बताते हैं कि सातवें वेतन आयोग के विरोध में और पुरानी पेंशन योजना बहाली की मांग को लेकर पिछले दिनों लखनऊ में बैठक हुई थी, जिसमें संगठन के नेताओं ने सर्वसम्मति से बड़े आंदोलन का निर्णय किया है। इसके तहत आठ जुलाई को पूरे प्रदेश में शिक्षक एवं कर्मचारी सातवें वेतन आयोग की प्रतियां जलाएंगे। 11 जुलाई को पुरानी पेंशन योजना बहाली और सातवें वेतन आयोग के विरोध में हड़ताल की जाएगी। 14 जुलाई को ज्ञापन का कार्यक्रम तय किया गया है। इसके अलावा इसके बाद भी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो प्रांतीय स्तर पर जिस प्रकार के निर्देश दिए जाएंगे, उसी के अनुरूप आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा।
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