आंगनबाड़ी सहायिका की नियुक्ति में फर्जीवाड़े के मामले में पुलिस का शिकंजा कसते ही डीपीओ समेत बाल विकास विभाग के अफसरों ने एसएसपी ऑफिस की दौड़ लगा दी। कहा कि सहायिका की नियुक्ति का मामला उनसे पहले का है। भोजीपुरा थाने के विवेचक सीडीपीओ ऑफिस जाकर बेवजह हड़काते हैं। एसएसपी ने इंस्पेक्टर भोजीपुरो को स्वयं मामले का परीक्षण कर निष्पक्ष कार्रवाई का आदेश दिया है।भोजीपुरा के मकरंदापुर गौटिया के लाल सिंह यादव ने थाना भोजीपुरा में सीडीपीओ शैल श्रीवास्तव, सुपरवाइजर राजकुमारी और आंगनबाड़ी केंद्र की सहायिका जावित्री के खिलाफ धोखाधड़ी और गबन का मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि केंद्र पर आने वाले पोषाहार को बाजार में बेच दिया जाता है। केंद्र पर बच्चों के लिए खाना नहीं बनता है। सहायिका जावित्री कई साल से राजेश्वरी के नाम के फर्जी कागजों से नौकरी कर रही थी। बाल विकास की सुपरवाइजर राजकुमारी, सीडीपीओ शैल श्रीवास्तव के कार्यकाल में भी उसका मानदेय राजेश्वरी के नाम पर निकलता रहा। इसके बावजूद कोई कार्रवाई नहीं की गई। अब मुकदमा दर्ज होने के बाद सीडीपीओ फरार हो गई हैं। डीपीओ बुद्धि दुबे ने एसएसपी जोगेंद्र कुमार को बताया कि सीडीपीओ ऑफिस ज्वाइन नहीं कर रही हैं। बाल विकास के अफसरों की मिलीभगत से ही फर्जी तैनाती के बाद भी सहायिका नौकरी करती रही। उस पर कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की गई। सुपरवाइजर समेत बाल विकास विभाग के अफसरों पर पुलिस का शिकंजा कसते ही डीपीओ के साथ अफसरों ने एसएसपी ऑफिस की दौड़ लगा दी। एसएसपी ने कहा कि जिसकी जितनी गलती होगी, उसे उतनी सजा दी जाएगी।
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