इलाहाबाद : माध्यमिक शिक्षकों पर नकेल लगाने के लिए शिक्षा विभाग ने हर माध्यमिक विद्यालय में बायोमेटिक लगाने का निर्देश दिया है। किंतु, उसके लिए अलग से कोई बजट निर्धारित नहीं है। विद्यालय प्रबंधन से स्वयं के मद से बायोमेटिक लगाने को कहा गया है। इसको लेकर सभी अपनी नाराजगी जता चुके हैं। ऐसे में हर विद्यालय में बायोमेटिक लगाने का आदेश लटकता नजर आ रहा है। स्कूलों की शैक्षिक गुणवत्ता सुधारने और स्कूलों से गायब रहने वाले शिक्षकों पर नकेल लगाने के लिए बायोमेटिक लगाने के लिए माध्यमिक शिक्षा निदेशक ने निर्देश दिए हैं। आदेश के क्रियान्वयन के लिए डीआइओएस ने शासकीय व अशासकीय विद्यालय के प्रधानाचार्यो को बायोमेटिक लगाने के निर्देश दिए हैं, ताकि स्कूलों से गायब रहने वाले शिक्षकों को स्कूल में रोका जा सके। शिक्षकों के स्कूल में नहीं उपस्थिति होने के कारण विद्यार्थियों की पढ़ाई बाधित होती है, जबकि माध्यमिक शिक्षा विभाग ने कोर्स पूरा कराने के लिए शैक्षिक कैलेंडर जारी कर रखा है। उसी के अनुरूप पढ़ाई करानी है। जिससे समय से कोर्स पूरा हो सके। लेकिन शिक्षकों के स्कूल में नहीं रुकने से अक्सर कोर्स अधूरा रहता है। इसी के मद्देनजर शासन ने बायोमेटिक लगाने के आदेश दिए हैं। किंतु, एडेड व वित्त विहीन स्कूलों के प्रधानाचार्य आदेश को गंभीरता से नहीं ले रहे हैं। इधर, माध्यमिक शिक्षक संघ शर्मा गुट के शिक्षक विधायक सुरेश त्रिपाठी ने बताया कि शासन का आदेश तुगलकी फरमान है। शिक्षक कोई बंधुआ मजदूर नहीं है कि आते जाते अपनी उपस्थिति का साक्ष्य दे। वहीं, उत्तर प्रदेश स्ववित्त पोषित विद्यालय महासंघ के प्रदेश कोषाध्यक्ष डा. आशुतोष त्रिपाठी कहते हैं कि बायोमेटिक मशीन लगवाने में किसी भी प्रधानाचार्य या प्रबंधक को परेशानी नहीं है। बायोमेटिक मशीन लगवाने के लिए बजट तो शासन दे। इधर, जिला विद्यालय निरीक्षक गोविंद राम ने बताया कि आदेश का अनुपालन कराने के लिए बायोमेटिक किस स्कूल में लगाई गई है और कहां नहीं। इसकी जांच कराई जाएगी। सभी को शासन के आदेश का पालन करना होगा
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