परीक्षा केंद्र का चयन, परीक्षार्थियों की संख्या का आवंटन और विद्यालय से परीक्षा केंद्र की दूरी में नियम टूटे तो जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआइओएस) को हिदायत मिलनी तय है। यह ‘वार्निग’ कोई और नहीं ‘कंप्यूटरजी’ देंगे। डीआइओएस कंप्यूटर से निकले संदेश को मिटा भी नहीं सकेंगे, जिला व मंडलीय समिति के साथ ही विभागीय वरिष्ठ अधिकारी भी खामी देख सकेंगे। इस बार परीक्षा केंद्र निर्धारण में अधिकारियों को विशेष चौकसी बरतनी होगी, क्योंकि नियम विरुद्ध डाटा कंप्यूटर स्वीकार नहीं करेगा और ऐसी कोशिश से डीआइओएस की साख भी जाएगी। माध्यमिक शिक्षा परिषद यानी यूपी बोर्ड की हाईस्कूल व इंटरमीडिएट परीक्षा 2017 के लिए परीक्षा केंद्र निर्धारण की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस बार शासन के निर्देश पर बोर्ड प्रशासन ने केंद्र निर्धारण के लिए विशेष साफ्टवेयर तैयार किया है। शनिवार को सभी जिलों को परीक्षा केंद्रों की सूची इसी साफ्टवेयर पर अपलोड करनी है। यह व्यवस्था पहली बार लागू होनी है, इसलिए अफसरों को अहसास नहीं है कि इसके साइड इफेक्ट क्या होंगे। डीआइओएस को केंद्र निर्धारण का भले ही जिम्मा मिला है, लेकिन इस कार्य में जरा सी गलती उसकी साख गिरा देगी और वरिष्ठ अफसरों की निगाह में किरकिरी अलग से होगी। केंद्र निर्धारण साफ्टवेयर के जानकारों की मानें तो इसमें जिला विद्यालय निरीक्षकों को दो तरह की सूचनाएं देनी है। पहली विद्यालय से संबंधित (स्कूल का कोड, कैटेगरी यानी राजकीय, अशासकीय, वित्त विहीन, बालक या बालिका, शहर या ग्रामीण, कब से मान्यता आदि) देनी होगी। दूसरी सूचना परीक्षार्थियों (केंद्र पर कितने का आवंटन, हाईस्कूल/इंटर या फिर दोनों, विद्यालय से दूरी आदि) से संबंधित होगी। परीक्षा केंद्र के तय मानक साफ्टवेयर में फीड किए जा चुके हैं, वहीं हर जिले में हाईस्कूल व इंटर में कितने परीक्षार्थी हैं इसका ब्योरा भी दिखेगा। जिला विद्यालय निरीक्षक सबसे पहले राजकीय कालेजों को परीक्षार्थी आवंटित करेंगे इसके बाद अशासकीय और अंत में वित्त विहीन का नंबर आएगा। इसमें भी जिस कालेज में जितनी क्षमता है उतने ही परीक्षार्थी दिए जाने के निर्देश हैं। कम या ज्यादा करने पर हिदायत मिलना तय है। ऐसे ही विद्यालय से केंद्र की दूरी में भी मानक का ध्यान रखना होगा। जैसे-जैसे केंद्रों को परीक्षार्थी आवंटित होंगे कुल परीक्षार्थियों का आकड़ा अपने-आप घटता जाएगा और सभी आवंटन के बिना साफ्टवेयर में फीड डाटा सेव ही नहीं होगा। इस प्रक्रिया के दौरान जहां की गलती होगी, तुरंत कंप्यूटर वार्निग देगा। इन केंद्रों का अप्रूवल जिला व मंडलीय समिति को करना है उस समय समिति के अधिकारी भी देखेंगे कि डीआइओएस ने किस स्कूल के साथ पक्षपात करने का प्रयास किया था और कहां-कहां गड़बड़ी की है। इस बार प्रमुख सचिव माध्यमिक शिक्षा, शिक्षा निदेशक माध्यमिक एवं माध्यमिक शिक्षा परिषद सचिव तक को इस पर नजर रखने के लिए लॉगिन पासवर्ड दिया गया है।
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