धौरहरा प्राइमरी स्कूल में शिक्षक रविप्रताप सिंह ने 24 अगस्त 2013 को यहां की जिम्मेदारी संभाली। स्कूल की टूटी फर्श और दीवारों के उखड़े प्लास्टर ने उन्हें झकझोर दिया। वे तभी से बदलाव में जुट गए। पहले स्कूल को दुरुस्त करा रंग-रोगन कराया और कॉन्वेंट सरीखी क्लास बनाई। उस वक्त यहां 138 बच्चे थे। अब 214 हैं। अपनी सैलरी से दो लाख रुपये खर्च कर उन्होंने यहां तीन कम्प्यूटर, प्रोजेक्टर लगाये और स्मार्ट क्लास शुरू की। नतीजा बीते 5 सितंबर को इस स्कूल को आदर्श विद्यालय के रूप में पुरस्कार दिया गया। आदर्श स्कूल आदर्श गतिविधियां : इस स्कूल में उन्होंने पर्यावरण संरक्षण का अनोखा अभियान चलाया। डाल्फिन क्लब का गठन किया और स्वच्छ गंगा मिशन एवं लखनऊ पर्यावरण संरक्षण केंद्र के सहयोग से वल्र्ड के गूगल मैप पर स्कूल को चमकाया। अमेरिका के कैरोलिना से टरटल सर्वाइकल एलाइंस और कनाडा टीम ने यहां का दौरा किया। इसके अलावा संयुक्त राष्ट्र संघ के पर्यावरण कार्यक्रम की ओर से भी सम्मान दिया गया। टाई बेल्ट, होमवर्क डायरी भी : बच्चों भीम राजपूत, सोनू लोधी, उषा और अनीता बताती हैं कि उन्हें टाई बेल्ट और होम वर्क डायरी भी मिलती है। अभिभावक नकछेद, अनोखे लाल और बुद्धि राम कहते हैं ऐसा शिक्षक नहीं देखा। पूरा गांव उन्हें भइया जी कहकर बुलाता है। बीएसए अजय कुमार सिंह कहते हैं धौरहरा का स्कूल विभाग की शान है।
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